मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

अद्भुत रहस्य, रोमांच



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खौफनाक इलाका जहां उठती हैं लपटें, रुकती हैं घड़ियां

मॉस्को. रूस के उराल क्षेत्र में स्थित पर्म नामक स्थान (ऍम ज़ोन)विचित्र रहस्यों से घिरा हुआ है। माना जाता है कि एकेतेरिनाबर्ग से करीब 280 किलोमीटर दूर स्थित पर्म क्षेत्र में दूसरे ग्रहों से आए अंतरिक्ष यान उतरते रहते हैं।

इस स्थान पर कई उड़न तश्तरियों को देखा गया है। इस जगह का दौरा करने वाले हर व्यक्ति को कुछ अज्ञात, रहस्यपूर्ण और चमत्कारिक शक्तियों की उपस्थिति महसूस होती है। इस स्थान पर कुछ रहस्यमयी आवाजें सुनाईं देती हैं, जिनके स्रोत का कभी पता नहीं लगाया जा सका। कई मामलों में रूस का बरमूडा त्रिकोण कहे जाने वाले पर्म जोन में आने वाले बीमार लोग बिना किसी इलाज के ठीक हो गए।

दुनिया की निगाह में पर्म सबसे पहले वर्ष 1989 में आया। मोलेब्का और कामेंका गांवों के बीच सिल्वा नदी के किनारे फैले करीब 44 वर्ग किलोमीटर के इस क्षेत्र के रहस्यों का अभी तक खुलासा नहीं हो सका है। इस इलाके में कई बार अचानक आग की तेज लपटें उठती हैं। माना जाता है कि इस क्षेत्र में धरती के नीचे तेल के भंडार हैं। तेल के ऊपर आने से आग की लपटें उठ सकती हैं। इस वैज्ञानिक कारण को मान लेने के बावजूद यह काफी असामान्य घटना है।
The ROYAL "JAAT''
12-05-2011, 11:52 PM
हिमालय के पार रहस्यमयी दुनिया

हिमालय के पार मोलेब्का गांव में सेलफोन केवल कुछ ऊंची पहाड़ियों पर ही काम करता है। लोग केवल स्थानीय ऑपरेटर के माध्यम से ही फोन कर सकते हैं। परंतु वहां २गुणा२ मीटर का एक ऐसा स्थान है जहां खड़े होने पर मोबाइल फोन का नेटवर्क बेहतरीन ढंग से काम करता है।

अचानक ठप्प हो जाती हैं इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां

इस क्षेत्र में कई प्रयोगों के दौरान पाया गया कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अचानक काम करना बंद कर देते हैं। कई पर्यटकों की इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां अचानक बंद हो जाती हैं। कई बार तो घड़ियों के समय में बदलाव की घटनाएं भी सामने आईं। इलाके के रहस्यों में शोध कार्यो के लिए गए वैज्ञानिकों में से कई ने स्वीकार किया कि उनको हर समय लगता था कि कोई उन पर हर समय निगाह रखे हुए है।
The ROYAL "JAAT''
12-05-2011, 11:54 PM
खौफनाक और रहस्यमयी झील है पांडुजी

दक्षिणी अफ्रीका के प्रांत उत्तरी ट्रांसवाल में पांडुजी नाम की एक अद्भुत झील है। इस झील के बारे में कहा जाता है कि इसके पानी को पीने के बाद कोई जिन्दा नहीं रहा और न ही आज तक कोई वैज्ञानिक इसके पानी का रासायनिक विश्लेषण ही कर पाया है। मुटाली नामक जिस नदी से इस झील में पानी आता है, उसके उद्गम स्थल का पता लगाने की भी कोशिशें की गईं। मगर इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी। खास बात यह भी है कि इस झील का पानी अजीबो-गरीब तरीके से ज्वार भाटे की तरह उठता है व गिरता है।
The ROYAL "JAAT''
12-05-2011, 11:54 PM
सन् 1947 में हैडरिक नामक एक किसान ने झील में नाव चलाने का प्रयास किया। नाव सहित जैसे ही वह झील के बीचों-बीच पहुंचा, रहस्यमय तरीके से गायब हो गया। हैडरिक और उसकी नाव का कहीं कोई पता नहीं चल पाया। सन् 1953 में बर्न साइड नामक एक प्रोफेसर ने इस झील के रहस्य से पर्दा उठाने का बीडा उठाया। प्रोफेसर बर्न साइड अपने एक सहयोगी के साथ अलग-अलग आकार की 16 शीशियां लेकर पांडुजी झील की तरफ चल पडे। उन्होंने अपने इस काम में पास ही के बावेंडा कबीले के लोगों को भी शामिल करना चाहा, लेकिन कबीले के लोगों ने जैसे ही पांडुजी झील का नाम सुना तो वे बिना एक पल की देर लगाए वहां से भाग खडे हुए। कबीले के एक बुजुर्ग आदिवासी ने बर्न साइड को सलाह दी कि अगर उन्हें अपनी और अपने सहयोगी की जान प्यारी है तो पांडुजी झील के रहस्य को जानने का विचार फौरन ही छोड दें। उसने कहा कि वह मौत की दिशा में कदम बढा रहा है, क्योंकि आज तक जो भी झील के करीब गया है उसमें से कोई भी जिन्दा नहीं बचा।
The ROYAL "JAAT''
12-05-2011, 11:55 PM
प्रोफेसर बर्न साइड वृध्द आदिवासी की सुनकर कुछ वक्त के लिए परेशान जरूर हुए, लेकिन वे हिम्मत नहीं हारे। साहस जुटाकर वह फिर झील की तरफ चल पडे। एक लंबा सफर तय कर जब वे झील के किनारे पहुंचे तब तक रात की स्याही फिजा को अपनी आगोश में ले चुकी थी। अंधेरा इतना घना था कि पास की चीज भी दिखाई नहीं दे रही थी। इस भयानक जंगल में प्रोफेसर बर्न साइड ने अपने सहयोगी के साथ सुबह का इंतजार करना ही बेहतर समझा। सुबह होते ही बर्न साइड ने झील के पानी को देखा, जो काले रंग का था। उन्होंने अपनी अंगुली को पानी में डुबोया और फिर जबान से लगाकर चखा। उनका मुंह कडवाहट से भर गया। इसके बाद बर्न साइड ने अपने साथ लाई गईं शीशियों में झील का पानी भर लिया। प्रोफेसर ने झील के आसपास उगे पौधों और झाडियों के कुछ नमूने भी एकत्रित किए। शाम हो चुकी थी। उन्होंने और उनके सहयोगी ने वहां से चलने का फैसला किया। वे कुछ ही दूर चले थे कि रात घिर आई। वे एक खुली जगह पर रात गुजारने के मकसद से रुक गए। झील के बारे में सुनीं बातों को लेकर वे आशंकित थे ही, इसलिए उन्होंने तय किया कि बारी-बारी से सोया जाए। जब प्रोफेसर बर्न साइड सो रहे थे तब उनके सहयोगी ने कुछ अजीबो-गरीब आवाजें सुनीं। उसने घबराकर प्रोफेसर को जगाया। सारी बात सुनने पर बर्न साइड ने आवाज का रहस्य जानने के लिए टार्च जलाकर आसपास देखा, लेकिन उन्हें कुछ भी पता नहीं चला। आवाजों के रहस्य को लेकर वे काफी देर तक सोचते रहे।
The ROYAL "JAAT''
12-05-2011, 11:56 PM
सवेरे चलने के समय जैसे ही उन्होंने पानी की शीशियों को संभाला तो वे यह देखकर हैरान रह गए कि शीशियां खाली थीं। हैरानी की एक बात यह भी थी कि शीशियों के ढक्कन ज्यों के त्यों ही लगे हुए थे। वे एक बार फिर पांडुजी झील की तरफ चल पडे। बर्न साइड खुद को अस्वस्थ महसूस कर रहे थे। उनके पेट में दर्द भी हो रहा था। वे झील के किनारे पहुंचे। बोतलों में पानी भरा और फिर वापस लौट पडे। रास्ते में रात गुजारने के लिए वे एक स्थान पर रुके, लेकिन इस बार उनकी आंखों में नींद नहीं थी। सुबह दोनाें यह देखकर फिर हैरान रह गए कि शीशियां खाली थीं।

बर्न साइड का स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा था, इसलिए वे खाली हाथ ही लौट पडे। घर पहुंचने पर नौवें दिन बर्न साइड की मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक आंतों में सूजन आ जाने के कारण बर्न साइड की मौत हुई थी। प्रोफेसर द्वारा एकत्रित झील के समीप उगे पौधों के नमूने भी इतने खराब हो चुके थे कि उनका परीक्षण कर पाना मुमकिन नहीं था।

बर्न साइड का जो सहयोगी उनके साथ पांडुजी झील का रहस्य जानने गया था, उनकी मौत के एक हफ्ते बाद पिकनिक मनाने समुद्र में गया। वह एक नाव में बैठकर समुद्र के किनारे से बहुत दूर चला गया। दो दिन बाद समुद्र तट पर उसकी लाश पाई गई। आज तक इस रहस्य का पता नहीं लग पाया है कि उसकी मौत महज एक हादसा थी या खौफनाक पांडुजी झील का अभिशाप। इस अभिशप्त झील के बारे में जानकारी हासिल करने वालों की मौत भी इस झील के रहस्य की तरह ही एक रहस्य बनकर रह गई है।
abhisays
13-05-2011, 12:19 AM
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी है. मित्र आपने आते ही शमा बाँध दिया..
amit_tiwari
13-05-2011, 01:15 AM
दोस्तों में यहाँ नया हूं इसलिए में आप सब का सहयोग चाहता हूं कृपया मेरी मदद करे मेरे पास बहुत सी अजीबोगरीब और ज्ञानवर्धक जानकारी हैं जो में आप से सांझी करना चाहता हूं पसंद आये तो मेरा होंसला बढ़ाये ..आप भी अपनी जानकारी और सुझाव देकर इस सूत्र को आगे बढ़ाने में मेरी मदद करे धन्यवाद

बढियां पंकज भाई | काफी रोमांचित करने वाली जानकारी दी हैं | पांडू झील के बारे में तो सुन के देखने की इच्छा हो रही है |
Bholu
13-05-2011, 01:21 AM
बडे भाईया आनन्द आ गया आपका स्वागत करता हूँ की इस सूत्र को गति जरूर दे
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 03:17 PM
धन्यवाद दोस्तों आपने यहाँ आकर मुझे हिम्मत दी और अपने विचर दिए आगे भी आप मुझे अपना सहयोग देते रहें.....
पोस्ट पसंद आये तो रेप पोइंट देकर मेरा होसला बढ़ाये ताकि आगे और भी अच्छी जानकारी पोस्ट कर सकूँ धन्यवाद
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 03:33 PM
चीन के 23 वर्षीय बाइ डैंगचुन को अपनी अनोखी कला के लिए चाइना गॉट टैलेंट प्रतियोगिता में स्थान मिला है। डैंगचुंग बिजली की रफ्तार से प्लास्टिक से बने ताश के पत्ते फेंककर फल, अंडे और सब्जियां काट देते हैं।



देखने में वे इतने ताकतवर नजर नहीं आते, फिर भी उनके पास जो कला है वो किसी मार्शल आर्टिस्ट के पास भी नहीं होती। इस तस्वीर में नजर आ रहे खीरे को उन्होंने दो मीटर दूर से काटा है।



डैंगचुन पिछले छह सालों से इस कला की प्रैक्टिस कर रहे हैं और उनकी कला में लगातार निखार आ रहा है। अब वे तरबूज भी ताश फेंककर काट लेते हैं। बेशक वे चाइना गॉट टैलेंट प्रतियोगिता के विजेता नहीं हैं। फिर भी यहां से उन्हें एक मंच मिल गया है। लोगों को लगता है कि वे इस तरह इंसान की जान भी ले सकते हैं।
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 03:35 PM
दोस्तों में यहाँ फोटो अपलोड नही कर पा रहा हूं मुझे रास्ता बताये
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 03:38 PM
अब हिममानवों के रहस्यों से पर्दा उठाएगा चीन

चीन में अबतक महामानव के मौजूदगी की 400 रिपोर्ट मिल चुकी है। अब चीन के एक रिसर्च संस्था ने येती के रहस्यों से पर्दा उठाने की ठान ली है। चीनी मीडिया में एक विशालकाय मानव के विडियो ने सनसनी मचा दी है। जिसे दुनिया भर के वैज्ञानिक येति या हिममानव बुलाते हैं। इस वीडियो में हिममानव को साफ देखा जा सकता है। एक बार फिर इस वीडियो ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों में खलबली मचा दी है कि क्या हिममानव का अस्तित्व है। क्या हिममानव बर्फीले पहाड़ों में रहते हैं।
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 03:41 PM
चीन के एक रिसर्च संस्था ने फैसला किया है कि येति यानी महामानव के रहस्यों से पर्दा उठाने का समय आ गया है। इसके लिए ये संस्था वैज्ञानिकों की एक टीम बनाने जा रही है जो येति का पूरा सच दुनिया के सामने लाएंगे। हाल ही में चीन के हुबेई प्रांत में हेती के पैरों के निशान देखे जाने की खबर आई थी। उसी के बाद हुबेई वाइल्ड मैन रिसर्च एसोशिएशन ने ये फैसला किया कि वो इस बार पूरी तैयारी के साथ येति की खोज करेंगे। पहले भी चीन और तिब्ब्त से सटे हिमालय के पहाड़ियों में येती के देखे जाने की खबरें आईं थी। जिसके बाद ही वैज्ञानिकों की टीम उनकी तलाश में एक सर्च ऑपरेशन में जुट गई थीं। लेकिन उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा था। लेकिन उसके बाद भी हिम मानव को देखे जाने की खबरें आईं। अब वाइल्ड मैन रिसर्च संस्था इस बार नई तकनीक के साथ हिममानव के खोज में लग गई है। इसके लिए 5 टीमों का गठन किया जाएगा और पूरे इलाके में कैमरों का जाल बिछाया जाएगा। वैसे जानकारों की मानें तो महामानव का अस्तित्व संभव है।
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 03:44 PM
इस खोज में तकरीबन एक मिलियन डॉलर की लागत लगेगी और इस संस्था ने ये पैसे भी जुगाड़ लिए हैं। संस्था की मानें तो 70 और 80 के दशक में महामानव के खोज अभियान में कई खामियां थीं। लेकिन इस बार इस टीम में दुनिया भर के बेहतरीन वैज्ञानिक होंगे। जो चीन के साथ साथ नार्थ अमेरिका के बिग फुट के रहस्यों का पता लगाएंगे। पहले की खोज में मिले सबूतों जैसे कि महामानव के पैरों के निशान, उनके बालों के नमूने के आधार पर ये खोजी अभियान शुरू होगा।

ये महामानव अभी तक हमारे लिए एक रहस्य बना हुआ है। पहली बार पूरी तैयारी के साथ वैज्ञानिक इस खोज में जुटेंगे। हो सकता है कि इनका वजूद ही न हो और ये सिर्फ किस्से कहानियों का एक हिस्सा बनकर रह जाए। लेकिन अगर महामानव के वजूद की पुष्टि हो जाती है तो ये तो ये 1930 के बाद से जीव विज्ञान की सबसे बड़ी खोज होगी।
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 03:46 PM
पल भर दिखने के बाद कहां गायब हो जाता है हिममानव

इस रहस्मयी जीव को हिममानव भी कहा जाता है। हिममानव इसलिए क्योंकि ये ज्यादातर बर्फिले इलाके में ही लोगों को दिखता है। तिब्बत और नेपाल के लोग दो तरह के येति के बारे में बाताते हैं। जिसमें एक इंसान और बंदर के हाईब्रिड की तरह दिखता है। ये रहस्यमयी हिममानव दो मीटर लंबा और भूरे वालों वाला होता है और इसका वजन 200 किलो तक होताहै । जबकि दूसरे किस्म का येति समान्य इंसान से छोटे कद का दिखता है। इसके बाल लाल और भूरे रंग के होते हैं।

दोनों ही हिममानवों में एक बात सामान्य है कि ये दोनों ही इंसानों की तरह खड़े होकर चलते है और इंसानों को चकमा देने में माहिर होते है। ये रात में शिकार करते है और दिन में सोते है
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 04:06 PM
दुनियाभर में अलग नामों से जाना जाता है हिममानव


ऐसा नहीं है कि हिमामानव का अस्तित्व सिर्फ एशिया में है। दुनिया भर में हिममानव को सैकड़ों साल से लोग देखने का दावा करते आ रहे हैं। इस रहस्यमयी प्राणी को दुनिया भर के कई इलाके में अलग अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण पश्चिमी अमेरिका में हिममानव को बड़े पैरों वाला प्राणी यानि बिगफुट कहा जाता है जबकि कनाडा में सास्कयूआच अमेजन में मपिंगुअरी और एशिया में येति के नाम से जाना जाता है।

अगर येति का सिर्फ बर्फ में ठिकाना है तो हो सकता है कि येति पहाड़ के किसी गुफा में रहता हो या फिर येति बर्फ में छिपने में माहिर हो तभी तो थोड़ी देर दिखने के बाद वो गायब हो जाता है। येति के अस्तित्व को लेकर तमाम तरह की बातें कही जाती है। ऐसे में पूरी दुनिया में दिखाई देने वाले इस जादुई प्राणी के अस्तित्व से इंकार नहीं किया जा सकता।
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 04:17 PM
हो सकता है कि येति इंसान के ही किसी विकास की कड़ी हो लेकिन तमाम तरह के अत्याधुनिक साधन होने के बाद भी ये प्राणी आज भी इंसान की पहुंच से दूर है। दुनिया भर के वैज्ञानिक रिसर्च में जुटे हैं लेकिन हिममानव के अस्तित्व के बारे में कोई भी पुख्ता सबूत मौजूद नहीं हैं।
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 04:20 PM
अब तक कहां कहां दिखा है महामानव

हिममानव को येति के नाम से भी जाना जाता है। कई बार वैज्ञानिकों ने उसे देखने का दावा किया है। लेकिन बर्फिले इलाके में वो कहां रहता है और कहां गायब हो जाता है इसका पता अबतक नहीं चल पाया है। हिममानव के बारे में 1832 में पहली बार बंगाल के एशियाटिक सोसाइटी के एक पर्वतारोही ने कुछ जानकारी दी। पर्वतारोही ने दावा किया कि उत्तरी नेपाल में ट्रैकिंग के दौरान उसके स्थानीय गाइड ने एक ऐसे प्राणी को देखा जो इंसान की तरह दो पैरों पर चल रहा था। उसके शरीर पर घने बाल थे। इसके बाद 1889 में पर्वतारोहियों ने एक समूह से बर्फ में ऐसे किसी प्राणी का फुटप्रिंट देखा जो इंसान की तुलना में काफी बड़ा था।
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 04:27 PM
1925 में एक फोटोग्राफर ने जेमू ग्लेशियर के पास एक विचित्र प्राणी को देखने का दावा किया था। उसकी आकृति इंसान जैसी थी। वो सीधा खड़े होकर चल रहा था और झाड़ियों के सामने रूक-रूक कर पत्तियां खींच रहा था। वो बर्फ में काला दिख रहा था।

येति के बारे में पहली बार ठोस सबूत 1951 में मिला, जब एवरेस्ट चोटी पर चढ़ने का प्रयास करने वाले एक पर्वतारोही ने 19,685 फीट की ऊंचाई पर बर्फ पर बने पदचिन्हों के तस्वीरों के फोटो लिए। इन फुटप्रिन्टस पर आज भी रिसर्च किया जा रहा है। कई लोग इसे येति की वास्तविकता का बेहतरीन सबूत मानते हैं लेकिन कुछ इसे किसी दूसरे सांसारिक जीव के तौर पर देखते है। 1953 में सर एडमंड हिलरी और तेनजिंग नोर्गे ने भी एवरेस्ट चढ़ाई के दौरान बड़े-बड़े पदचिह्न देखने की बात कही।
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 04:35 PM
फुट प्रिन्ट्स मिलने के बाद 1960 में सर एडमंड हिलरी अपने एक दल के साथ येति से जुड़े सबूतों की खोज में निकल पड़े। इस बार उन्होंने इंफ्रारेड फोटोग्राफी की मदद भी ली, लेकिन 10 महीने तक हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों में रहने के बावजूद उनके हाथ कोई ठोस सबूत नहीं लगा।

1970 में एक ब्रिटिश पर्वतारोही ने दावा किया कि अन्नपूर्णा चोटी पर चढ़ने के दौरान उन्होंने एक विचित्र प्राणी को देखा और उसकी आवाज भी सुनी। 1998 में एक अमेरिकी पर्वतारोही ने एवरेस्ट से चीन की तरफ से उतरते हुए येति के एक जोड़े को देखने का दावा किया। उस पर्वतारोही के मुताबिक दोनों के काले फर थे और वे सीधे खड़े होकर चल रहे थे। 2008 में भी मेघालय में हिममानव यानी येति को देखने का दावा किया गया। इसके कोई ठोस सबूत आज तक नहीं मिला । हो सकता है इस हिममानव का हिमालय के क्षेत्रों में अस्तित्व हो जो इंसान के सामने नहीं आना चाहाता। ऐसे में जबतक इंसान हिममानव तक नहीं पहुंच जाता ये प्राणी रहस्यमयी दुनिया के लिए एक बड़ा रहस्य बना रहेगा ।
abhisays
13-05-2011, 04:37 PM
दोस्तों में यहाँ फोटो अपलोड नही कर पा रहा हूं मुझे रास्ता बताये


http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2134
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 04:47 PM
महामानव के बारें में वैज्ञानिकों की राय


दुनिया के अलग अलग इलाकों में देखे गए इस अदभुत जीव के अस्तित्व से जुड़े कई प्रमाण मिल रहे हैं। वैज्ञानिकों की टीम लगातार इसपर रिसर्च कर रही है। वैज्ञानिकों और विद्धानों में येति के अस्तित्व को लेकर मतभेद रहा है। कई लोग इसे एक विशालकाय जीव मानते हैं, लेकिन कुछ इन किस्सों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते। उनके मुताबिक येति से जुड़ी सभी कहानियां सिर्फ काल्पनिक है।

जिन्होंने येति को देखने का दावा किया, उनके मुताबिक बर्फ पर पाए गए विशालकाय फुटप्रिन्ट्स येति के हैं। जबकि वैज्ञानिकों का तर्क है कि वो किसी जंगली जानवर के हो सकते है। जो बर्फ में पिघलकर फैल गए हैं। येति से जुड़े कई ऐसे सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। उनके पास भी नहीं जो इसे देखने का दावा कर चुके है। कहानियों और विज्ञान के बीच आज भी येति एक सवाल है। जबतक इसके वजूद से जुड़ी सच्चाई सामने नहीं आ जाती इसका रहस्य बरकरार रहेगा।
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 04:53 PM
चीन में पाया गया गाना गाने वाला कुत्ता


चीन में एक गाना गाने वाला कुत्ता पाया गया है। इस म्यूजिकल डॉग का नाम प्रिंस है। गाने गाना वाला यह कुत्ता आश्चर्य का केंद्र बन गया है।
वियर्ड न्यूज एशिया के मुताबिक नौ महीने का यह कुत्ता चीन की एक पेट शॉप में मिला है। पेट शॉप के मालिक हो जिन्ह्यू के मुताबिक उन्हें प्रिंस के इस अनोखे टेलेंट का पता तब चला जब वो एक दिन उसका गाना सुनकर नींद से जाग गए।
हो का कहना है कि प्रिंस के आने के बाद से उनका व्यापार भी काफी बढ़ा है। वो कहते हैं कि प्रिंस की लोकप्रियता के चलते उनकी पेट शॉप पर काफी नए ग्राहक आ रहे हैं।
हो कहते हैं कि प्रिंस के तेज आवाज में बीट्स पर गाना पसंद है। वो प्यार के गीत गाने से बचता है। कई ग्राहक प्रिंस को खरीदने की पेशकस कर चुके हैं लेकिन वो उसे बेचना नहीं चाहते।
The ROYAL "JAAT''
13-05-2011, 11:36 PM
आकाश में एक साथ दो सूरज देख दंग रह गए लोग


ताईवान। यहां घटी एक घटना ने लोगों को दंग कर दिया। पेंगू आइलैंड में लोगों ने एकसाथ दो सूरज देखा। इंटरनेट पर इस घटना की तस्वीर आते ही चारों ओर इसकी चर्चा शुरु हो गई है।


यहां के मूल निवासियों का कहना है कि ये ग्लोबल वार्मिंग का संकेत है जो इस बात की ओर साफ इशारा है कि धरती का अंत जल्द ही होने वाला है। जबकि वहां के मौसम विभाग का कहना है कि ये सनडॉग फिनॉमिना की देन है।

दरअसल इस स्थिति में बर्फ से रिफलेक्शन के कारण ऐसा आभास होता है कि एक साथ दो सूरज उग आए हैं। हालांकि इस तरह की घटना अपने आप में बेहद दुर्लभ है
The ROYAL "JAAT''
15-05-2011, 12:21 AM
बडे भाईया आनन्द आ गया आपका स्वागत करता हूँ की इस सूत्र को गति जरूर दे
धन्यवाद भाई .में पूरी कोशिस करूँगा
The ROYAL "JAAT''
15-05-2011, 12:23 AM
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी है. मित्र आपने आते ही शमा बाँध दिया..

धन्यवाद दोस्त आगे भी यहाँ जरुर आये
The ROYAL "JAAT''
15-05-2011, 12:26 AM
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी है. मित्र आपने आते ही शमा बाँध दिया..
आप जेसे दोस्तों का युही सहयोग रहा तो आगे भी बढ़िया सूत्र पोस्ट करने की कोशिश करूँगा धन्यवाद
The ROYAL "JAAT''
15-05-2011, 12:28 AM
शिवलिंग पर प्रकट हुए नागदेवता के दर्शनों को उमड़े श्रद्धालु

जाखल, संवाद सूत्र :मंडी के श्री शिव शक्ति मंदिर में श्रद्धालुओं का उस समय जनसैलाब उमड़ पड़ा जब उन्हे शिवलिंग पर नागदेवता के प्रकट होने का समाचार मिला। नागदेवता के करीब डेढ़ दो घटा तक मंदिर में विराज मान रहने से सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने दर्शन किए। शिव शक्ति मंदिर के पुजारी भूषण शर्मा ने बताया कि वह शाम को करीब चार बजे मंदिर के अंदर सफाई का काम कर रहा था कि इसी समय उन्हे शिवलिंग पर नागदेवता बैठे हुए दिखाई दिए। नागदेवता के दर्शन कर वह आश्चर्य चकित रह गया। उसने तुरत इसकी जानकारी मंदिर कमेटी के प्रधान प्रेम चंद सिंगला को दी। सूचना मिलते ही कमेटी प्रधान सहित सदस्य संजीव कुमार, सुनील कुमार इत्यादि भी मंदिर में पहुंच गए व उन्होने भी नागदेवता के दर्शन कर मंदिर में हुए इस चमत्कार की जानकारी अन्य लोगों को दी। नागदेवता के प्रकट होने की जानकारी मिलते ही मंडी के अनेक लोग मंदिर में पहुंचना शुरु हो गए। जबकि महिलाओं ने भारी संख्या में मंदिर में पहुंच गई। देखते ही देखते मंदिर परिसर भारी संख्या में महिलाओं, पुरुषों व बच्चों का जमावड़ा लग गया। कोई नागदेवता को देखकर उसे कैमरे में कैद कर रहा था तो कोई उसे देखकर मन्नत माग रहा था। महिला राजरानी, कृष्णा, उषा, ममता, कमलेश सहित अन्य कईयों ने कहा कि उन्होंने यह पहली बार देखा है। यह साक्षात भगवान शिव की शक्ति है।
The ROYAL "JAAT''
15-05-2011, 12:30 AM
शिव की अद्भुत महिमा देखने उमड़ी भीड़


प्रखंड के एरूरी पंचायत की रेवार गांव के शिव मंदिर में अद्भुत चमत्कार देखने के लिये लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। शुक्रवार की दोपहर 12 बजे मंदिर के निकट अवस्थित विद्यालय की छात्रा कन्या कुमारी, रोशनी कुमारी को अ*र्द्धनिर्मित मंदिर में स्थापित शिवलिंग में शंकर भगवान की आकृति दिखने लगी। छात्रा ने इसकी सूचना गांव के लोगों को दी। गांव में आग की तरह इस अद्भुत चमत्कार की बात फैल गयी। बस क्या था इर्द-गिर्द के गांव के लोग भी धीरे-धीरे जमा होने लगे। और श्रद्धालुओं ने शिव मंदिर में पूजा-अर्चना शुरू कर दी। मंदिर में उपस्थित सुनैना देवी, ममता देवी, राज किशोरी देवी आदि के द्वारा भक्ति गीतों से मंदिर गुंजायमान होने लगी। ग्रामीण सुभाष प्रसाद सिंह, नवलेश कुमार, रामशरण सिंह ने बताया कि यह शिवलिंग सैकड़ों वर्ष पूर्व की है। वो भी स्वयं प्रकट शिवलिंग हैं। इनकी पूजा-अर्चना करने वालों की मन्नतें भी पूरी होती है।
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 04:36 PM
रहस्य और रोमांच के बीच निकला अन्नकुंवारी

हजारों के भीड़ के बीच ग्राम कंवर में तांत्रिक ने एक ऐसा चमत्कार कर दिखाया, जो विज्ञान के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। तालाब में गडे अनजान रहस्यमय 24 अन्नकुंवारी को खोदकर निकाला गया, उसमे नाग सांप भी था, जिसके नीचे हंडे में धन होना बताया गया। इस पूरे प्रक्रिया के लिए दो दिनों तक अनोखा अनुष्ठान चलता रहा और जब तालाब पहुंचने का समय आया तो तांत्रिक ने आम रास्ते पर नहीं बल्कि घरों के छतों से होकर ऊपर ही ऊपर गुजर कर पहुंचा।
रहस्य और रोमांच से भरा घटनाक्रम धमतरी जिले के सीमा से लगे दुर्ग जिले के गुरुर थाना क्षेत्र के ग्राम कंवर में हुआ। लगभग 3 हजार की आबादी वाले इस गांव के बुजुर्ग से बुजुर्ग भी नहीं जानते थे कि गांव के तालाब में अन्नकुंवारी और धन गड़ा है। गांव के बैगा को सपना आया कि तालाब में देव स्वरुप अन्नकुंवारी के साथ धन गड़ा है। इसकी जानकारी उसने गांव वालों को दी, तब गांव में बैठक कराई गई, जहां इस रहस्य को जानने और शुभ अशुभ का पता लगाने तांत्रिक का सहारा लेने का निर्णय लिया गया। झलप के पास स्थित एक गांव से मशहूर
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 04:39 PM
तांत्रिक को बुलाया गया। तांत्रिक ने गांव वालों के समक्ष बैगा के सपने को सच बताते हुए विशेष अनुष्ठान कराए जाने की सलाह दी। तांत्रिक ने यह भी दावा किया कि यदि वह तालाब से अन्नकुंवारी को नहीं निकाल सका तो एक लाख रुपए हर्जाना देगा। गांव वालों के समक्ष उसने कई और शर्त रखे जिसके मुताबिक दो दिन तक गांव को कोई भी व्यक्ति गांव के सीमा से बाहर नहीं जाएगा। कोई भी दुकान नहीं खुलेगा। इस पर सभी सहमत हो गए और ग्रामीण एक मत होकर अनुष्ठान कराने का निर्णय लिया।
12 एवं 13 मई को कार्यक्रम निर्धारित हुआ और इसके एक दिन पहले ही तांत्रिक गांव पहुंच गया। गांव के कोई भी व्यक्ति सीमा से बाहर न जा सके इसके लिए गांव सीमा के मुख्य मार्गों पर 30-30 युवकों को तैनात कर दिया गया। फिर शुरु हुआ गांव में विशेष हवन पूजन, जिसमें गांव भर के लोग शामिल हुए।
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16-05-2011, 04:45 PM
12 के बाद कल 13 मई को भी अनुष्ठान चलता रहा। इस बीच हजारों की संख्या में आसपास के गांव के लोग भी नजारा देखने पहुंच गए थे। विशेष मंत्रोच्चार के बाद तांत्रिक ने गांव वालों से कहा कि सभी को तालाब में पहुंचना है। इसके बाद तांत्रिक आम रास्ते में चलने के बजाय 10 फीट ऊंचे दीवाल को ऐसे फांद गया, जैसे कोई बंदर हो। दीवाल फांदने के बाद घरों के छानी, छतों पर तूफानी रफ्तार से चलने लगा। हतप्रभ हजारों ग्रामीण पीछे-पीछे दौड़ने लगे कि आखिर तांत्रिक कैसे पहुंचता है। लोग सोंच ही रहे थे कि अचानक तालाब में तांत्रिक पहुंच गया। वह कब पहुंच गया, इसे किसी ने नहीं देखा। तालाब में भारी भीड़ थी, जहां उसके चेले चपाटे भी थे। तांत्रिक ने अपने चेलों को भीड़ से अलग कर दिया और गांव वालों से कहा कि इस स्थान पर खुदाई करो। ग्रामीण गैंती, कुदाल व फावड़ा लेकर खुदाई करना शुरु किया, तो लोगों की उत्कंठा बढ़ती जा रही थी। लगभग 5 फीट खुदाई के बाद तालाब के
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16-05-2011, 04:47 PM
गड्ढे में संगमरमर की तरह अंडाकार 24 नग अन्नकुंवारी का पत्थर निकला। अन्नकुंवारी के पास एक नाग सांप भी दिखा, जो और भीतर चला गया। तांत्रिक ने ग्रामीणों को बताया कि नीचे हंडा गड़ा है, जिसके धन की रखवाली नागदेव कर रहे हैं। तांत्रिक ने हंडा न निकलवाने की सलाह दी, जिसे ग्रामीण मान गए। इसके बाद अन्नकुंवारी को एक स्थान पर रखकर कल देर रात तक उसकी विशेष पूजा अर्चना की जाती रही।
रहस्य मय इस सारे घटनाक्रम को हजारों आंखों ने देखी। प्रत्यक्ष दर्शियों में मीडिया के कुछ प्रतिनिधि भी था, लेकिन तांत्रिक और गांव वालों ने कव्हरेज करने से मना कर दिया, अत: इसका सचित्र व नाम सहित कव्हरेज नहीं किया जा रहा है, पर जो रहस्य और रोमांच देखने को मिला, वह तंत्र विद्या का जीता जागता सबूत हैं। वैसे
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 04:48 PM
आज के युग में इस तरह के घटनाक्रम अंध विश्वास की श्रेणी में आता है, लेकिन तांत्रिक ने कंवर गांव में जो कर दिखाया है, वह विज्ञान के लिए एक चुनौती है।
जानकारों ने बताया कि अन्नकुंवारी देवस्वरुप एक ऐसा पत्थर है, जिसे धन के साथ रखने पर धन में बढ़ोत्तरी होती जाती है। किसी को यह अन्नकुंवारी दौलत मंद बना सकती है। इसे रखने के लिए विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है, साथ ही विशेष पूजा अर्चना भी होनी चाहिए। यदि इसमें कमी हुई तो, वह कंगाल भी बना सकती है।
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 04:52 PM
वोह सफेद दाग !.....



यह अजीबोगरीब वाकया हमारे देश की राजधानी दिल्ली का है ….उस समय तक दिल्ली पूरी तरह से आबाद नहीं हुई थी ….शहर के बाहर की तरफ लंबे – चौड़े बियाबान जंगल हुआ करते थे ….हमारी इस कहानी के नायक को अपने काम से वापिस आते हुए एक जटाधारी साधु मिल गया सड़क पे चलते – चलते …. और वोह धार्मिक स्वभाव का प्राणी उन साधु महाशय को अपने साथ घर में ले आया …उन साधु महाराज ने कहा कि इतवार को हम शहर की बाहर कि तरफ के जंगल में चलेंगे ….. नियत दिन को साधु महाराज ने अपने लिए सभी जरूरी समान लिया जो की उन्होंने पहले से ही मंगवा कर रख लिया था …. .और अपनी पूरी तैयारी करके उस व्यक्ति को साथ में लेकर दोनों जने दोपहर से पहले जंगल में पहुँच गये
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 04:54 PM
वहाँ पहुँचने पर साधू महाराज ने उस को कहाँ कि अब मैं एक अजब कौतुक करने वाला हूँ ….क्या तू इतने मजबूत दिल का है कि उसको देख सकता है ? … उस व्यक्ति के इनकार करने पर साधु महाराज ने कहा कि वैसे भी उसका तो तुमको थोड़ी दूर से ही नज़ारा करना पड़ेगा , यहाँ रह कर तो तू उसको देख भी नहीं सकेगा …. यह कहते हए उसको एक चौड़े तने वाले बड़े सारे पेड़ पर चढ़ जाने को कहा …..

उसके बाद वोह पालथी मार कर ज़मीन पर बैठ गए ….उन्होंने अपने साथ लाए हुए झोले में से किसी तरल पदार्थ की एक बोतल निकाली ….. और सावधानीपूर्वक उस का सारा द्रव्य अपने सारे शरीर के ऊपर सिर से लेकर पैर तक बहुत ही अच्छी तरह से मालिश की तरह मल लिया …..
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 04:57 PM
फिर इस बात से पूरी तरह आश्वश्त होने के बाद कि शरीर का कोई भी अंग या कोना उस द्रव्य से अछूता नहीं रह गया …उन्होंने अपने झोले से एक अजीब सी लकड़ी की बनी हुई पुंगी निकाली …उसको ना तो बांसुरी और ना ही सपेरों वाली बीन ही कहा जा सकता था … …
उस वाद्ध यंत्र को अपने मुह से लगा कर उन साधु महाराज ने अपनी आँखे बंद कर के पूरी मस्ती में आकर बजाना शुरू कर दिया …और उस वाद्ध यंत्र से एक अजीब सी धुन निकल कर उस जंगल की फिजा में गूंज उठी ….अभी कुछ पल ही बीते थे कि ना जाने कहाँ -२ से , सभी दिशाओं से सांप आ – आकर वहाँ पे इकटठा होने लग गये …..
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 04:58 PM
उन सबमें ही यह खासियत थी कि वोह सभी एक ही किस्म से ताल्लुक रखते थे …उन सभी ने उन साधू महाराज से कुछ दुरी बनाते हुए उनके इर्द – गिर्द एक गौल घेरा सा बना लिया था …..

साधु महाराज ने अपनी आँखे खोल कर चारों तरफ का अच्छी तरह से जायजा लिया ….जब उनको पूरा इत्मीनान हो गया कि इस नस्ल का अब कोई भी और सांप नहीं आएगा तब उन्होंने अचानक ही अपनी उस पुंगी में से बजने वाली धुन के स्वरों को बदल दिया …अब वातावरण में एक दूसरी तरह कि धुन गूंजने लग गई थी … और उस धुन के बदलते ही अब जो सांप आने लग गये थे वोह बिलकुल ही दूसरी किस्म के थे…. उन्होंने भी वहाँ पे आकर पहले वाले सांपो के ऊपर की तरफ कुछ फासला कायम रखते हुए पहले वाले गोल दायरे से बड़ा एक दूसरा गोल दायरा बना लिया था ….
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 04:59 PM
इसी प्रकार वोह साधु धुनों को बदल -२ कर अलग -२ तरह की स्वर लहरियों को छेड़ता रहा और एक के बाद एक करके अलग -२ तरह के कई दायरे सांपो के वहाँ पे बनते चले गये …. और आखिर में उस साधू ने एक अजीब सी धुन छेड़ी ….. उसके फिज़ा में गूंजते ही सारा वातावरण अजीब और रहस्यमय सा लगने लग गया ….काफी देर के बाद उस साधु कि मेहनत रंग ले आयी ….उसने दूर से ही देखा कि दो काले रंग के किंग – कोबरा जैसे सांप अपने फन आपस में जोड़ कर फैलाए हुए एक ही चाल से चलते चले आ रहे थे ….और मज़े कि बात यह की उनके जुड़े हुए फनों पर बड़े ही आराम से किसी शहंशाह की माफिक अपना फन फैला कर एक और सांप बैठा हुआ था ….. जिसकी लम्बाई बड़ी ही मुश्किल से दो फुट के करीब रही होगी …… जब वोह सांप रूपी सम्राट दो सांपो के फनों पे सवार होकर सबसे आखिर वाले सांपो के दायरे के पास पहुंचा तो उनको बड़े ही अदब से रास्ते में आने वाले सांपो द्वारा अगल –बगल हटते हुए आगे जाने का रास्ता दे दिया गया …. इसी प्रकार उनसे आगे के बाकी के दायरे वाले सांप भी उनको रास्ता देते चले गए ….
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 05:00 PM
इसी प्रकार वोह साधु धुनों को बदल -२ कर अलग -२ तरह की स्वर लहरियों को छेड़ता रहा और एक के बाद एक करके अलग -२ तरह के कई दायरे सांपो के वहाँ पे बनते चले गये …. और आखिर में उस साधू ने एक अजीब सी धुन छेड़ी ….. उसके फिज़ा में गूंजते ही सारा वातावरण अजीब और रहस्यमय सा लगने लग गया ….काफी देर के बाद उस साधु कि मेहनत रंग ले आयी ….उसने दूर से ही देखा कि दो काले रंग के किंग – कोबरा जैसे सांप अपने फन आपस में जोड़ कर फैलाए हुए एक ही चाल से चलते चले आ रहे थे ….और मज़े कि बात यह की उनके जुड़े हुए फनों पर बड़े ही आराम से किसी शहंशाह की माफिक अपना फन फैला कर एक और सांप बैठा हुआ था ….. जिसकी लम्बाई बड़ी ही मुश्किल से दो फुट के करीब रही होगी ……
Bholu
16-05-2011, 07:32 PM
शानदार पकंज जी
YUVRAJ
16-05-2011, 10:43 PM
वाह क्या बात है ....अच्छी जानकारियाँ ...:clap::clap::clap:
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 11:00 PM
शानदार पकंज जी
धन्यवाद.... भाई क्या हालचाल है
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 11:01 PM
वाह क्या बात है ....अच्छी जानकारियाँ ...:clap::clap::clap:


शुक्रिया मित्र
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 11:03 PM
जब वोह सांप रूपी सम्राट दो सांपो के फनों पे सवार होकर सबसे आखिर वाले सांपो के दायरे के पास पहुंचा तो उनको बड़े ही अदब से रास्ते में आने वाले सांपो द्वारा अगल –बगल हटते हुए आगे जाने का रास्ता दे दिया गया …. इसी प्रकार उनसे आगे के बाकी के दायरे वाले सांप भी उनको रास्ता देते चले गए जब सांपो के आखरी घेरे को उन्होंने पार किया तो वोह लाल रंग का सम्राट उन दो सांपो के फनों से उतर कर उन साधू महाराज के बिलकुल ही पास पहुँच गया ….. उधर – ऊपर पेड़ पर चढ़े हुए उस आदमी की हालत का आप आसानी से अंदाज़ा लगा सकते है … बस गनीमत यह थी कि उस का हार्ट फेल नहीं हुआ था ……इधर – उस साधु महाराज ने अब उस पुंगी की धुन को बदल दिया था …. और वोह सांप अब रेंगते हुए उनके जिस्म से होते हुआ उनके सिर पर पहुँच गया था …..इस प्रकार उसने उनके सारे बदन का भली – भांति से जायजा लिया …..
The ROYAL "JAAT''
16-05-2011, 11:04 PM
शायद और यकीनन वोह उनके बदन के उस हिस्से की तलाश में था कि जोकि उस बोतल वाले द्रव्य के लेप से अछूता रह गया हो … लेकिन उस सांपो के राजा के हाथ घोर निराशा ही लगी …. अपनी उस कोशिश में विफल होने के बाद अब वोह उन साधु महाराज के जिस्म से रेंगते हुए उतरकर उनके सामने अपना फन फैलाऐ हुए गुस्से से लहराने लग गया था ….लेकिन साधु महाराज अपनी हू मस्ती में उस पुंगी को बजाते ही रहे …. कुछ देर के बाद वोह सांपो का सम्राट अब उस पुंगी की धुन पे मस्त सा हो चला था ….. वोह साधु महाराज भी शायद इसी वक्त का इंतज़ार कर रहे थे …पुंगी बजाते हुए ही उन्होंने अपने बिलकुल पास ही रखा हुआ तेज़धार चाक़ू अपने हाथ में बड़ी ही सावधानीपूर्वक उठा लिया …. और उस साधु ने उचित मौका देखकर उस सांपो के राजा का अपने दूसरे हाथ में थामे हुए चाकू के एक ही वार से काम तमाम करते हुए उसके फन को धड़ से अलग कर दिया …..
The ROYAL "JAAT''
17-05-2011, 01:35 PM
उस सांपो के राजा के मरने भर की देर थी कि गोल दायरों में अपना -२ फन फैला कर बैठे हुए सभी सांप चुपचाप उदास मन से चले गये जिधर से कि शायद वोह आये थे …..उन सभी के चले जाने के बाद साधु महाराज ने उस व्यक्ति को आवाज देकर नीचे बुलाना चाहा … मगर उसकी हालत इतनी पतली थी कि उसको साधु महाराज को पेड़ पर चढ़ कर हिम्मत के साथ सहारा देते हुए नीचे उतारना पड़ा …..और उसके होश कुछ देर बाद किसी हद तक सामान्य होने पर साधु महाराज ने उसको आग जलाने के लिए कुछेक लकड़ियो कि व्यवस्था करने को कहा ….. आग के जलने पर उस साधु ने अपने साथ पहले से लायी हुई एक छोटी सी कढ़ाही में तेल डाल दिया ….उसके अच्छी तरह गर्म होने पर उसमें अपने झोले में से कई तरह के मसाले निकाल कर उस कढ़ाही में डाल दिए …उसके बाद सबसे आखिर में उस म्रत सांप के कई छोटे -२ टुकड़े काट कर के उस कढ़ाही में डाल दिए ….
The ROYAL "JAAT''
17-05-2011, 01:36 PM
उस अपनी तरह के इस सृष्टि के अनोखे पकवान के तैयार हो जाने पर साधु ने वोह रोटियां निकाली जो कि वोह आते समय बनवा कर साथ में ले आया था … साधु ने खाना खाने के लिए उस आदमी को भी कहा … लेकिन बहुत जोर देने पर भी वोह किसी भी तरह खाना खाने में उस साधु का साथ देने को राज़ी नहीं हुआ ….तब साधू ने बहुत ही ज़बरदस्ती करते हुए रौब से उसकी हथेली पे उस पकवान का थोड़ा सा मसाला रख दिया कि इसको तो तुमको खाना ही पड़ेगा ….उस बेचारे के होश तो पहले से ही फाख्ता हुए पड़े थे …किसी तरह अपने जी को कड़ा करते हुए डरते – डरते उसने उस मसाले को चाटते हुए निगल सा लिया…
The ROYAL "JAAT''
17-05-2011, 01:37 PM
वहाँ का सारा काम ज़ब तमाम हो गया तब उन्होंने अपना समान समेटते हुए वापिस घर की राह पकड़ी …..रास्ते में तो डर के मारे उस व्यक्ति का ध्यान खुद पे नहीं गया … लेकिन जब वोह उस जंगल को पार करके शहर कि आबादी वाले इलाके से थोड़ी ही दूरी पे पहुंचे थे … तो उस व्यक्ति का ध्यान एकाएक अपने शरीर की तरफ चला गया … यह देख कर उसकी हैरानी की कोई हद ना रही कि उसका सारा शरीर तो जैसे चांदी जैसे रंग का हो कर दमकने लग गया था … तब वोह उस साधु के चरणों पे गिर गया कि यह क्या हो गया है मुझको …अब लोग मुझसे मेरी इस हालत के बारे में पूछेंगे तो मैं क्या जवाब दूँगा उन सबको ?….साधु ने कहा कि बस इतनी सी ही बात ! …. उनको तुम कुछ भी कह देना मगर असली बात मत बताना …..लेकिन वोह व्यक्ति बार -२ उनसे खुद को पहले जैसी हालत में लाने की ही प्रार्थना करता रहा …तब उस साधु ने उसको यह कहते हुए पहले जैसी अवस्था में ला दिया कि “ जा रे , तू इतनी सी बात भी गुप्त नहीं रख सकता था”……
The ROYAL "JAAT''
17-05-2011, 01:37 PM
उसके बाद वोह साधु महाराज अपने अगले गंतव्य की और चले गये और वोह शख्श अपने होशो – हवाश को दरुस्त करता हुआ किसी ना किसी तरह से अपने घर पहुँच गया … पूरे दो दिन तक वोह बुखार में अपने घर में ही पड़ा रहा …..बाद में जब उसने लोगो को अपने साथ घटने वाले उस सारे वाकये को बताया तो किसी ने तो उसकी बात पे विश्वाश किया और किसी ने नहीं …मगर हर ना विश्वाश करने वाले को वोह अपनी हथेली पर चांदी के रंग का बना हुआ वोह निशान जरूर दिखलाता …जोकि साधु द्वारा उसकी हथेली पर रखे हुए उस पकवान के रखे जाने पर बन गया था ……

( एक सत्य घटना पर आधारित – भुक्त भोगी और उस वाकये के चश्मदीद द्वारा जैसे कि बताया गया )
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17-05-2011, 11:30 PM
गुजरात में कच्छ की भूमि साधु-संतों की मानी जाती है। इसका उल्लेख किताबों में भी मिलता है। ऐसा नहीं है कि प्राचीन समय में ही यहां पर साधु-संतों का निवास था और उनके पावन विचार और मंत्रोच्चार से यहां की मिट्टी महकती थी। कच्छ में आज भी ऐसा ही है।



इसी का एक उदाहरण हैं यहां के एक बाबा जो 45 वर्षों से सिर्फ कॉफी और जूस के सहारे देवी मां की कठोर आराधना कर रहे हैं। इन वर्षों में उन्होंने कभी अन्न का एक दाना भी नहीं खाया।



मांडवी तहसील रतडिया के पीठ आशापुरा मंदिर के महंत गिरिराज दत्त गिरीजी गुरु देवगिरिजी की आयु 98 वर्ष हो चुकी है। इस उम्र में भी उनकी शारीरिक फुर्ती ऐसी है, जिसे देखकर युवा भी सोच में पड़ जाएं।
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17-05-2011, 11:32 PM
इन्होंने 1966 में देवी मां की कठोर आराधना का निश्चय किया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी निश्चय किया कि वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे सिर्फ कॉफी और जूस पीकर ही यह कठोर तपस्या करेंगे। 45 वर्षों से वह सुबह कॉफी, दोपहर में जूस और शाम को कॉफी का सेवन करत आ रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने जंगल में मंगल की उक्ति को सार्थक करते हुए वर्तमान पीढ़ी के लोगों में पुराने संस्कारों का सिंचन करने हेतु एक संस्कृत वेदशाला की स्थापना भी की है, जिसमें आज डेढ़ सौ से भी अधिक युवा वेदों का नियमित पाठ करते हैं। 'कच्छ के बाबा' का गौरव पद हासिल कर चुके इन बाबा की इस कठोर तपस्या की आज विश्व भर में चर्चा है।
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17-05-2011, 11:34 PM
अजयगढ़ किले का रहस्य बरकार

विंध्याचल पर्वत श्रंखला के समतल पर्वत पर स्थित अजयगढ़ का किला आज भी लोगों के लिए रहस्यमय व आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ है।

नरैनी से 47 किमी. दूर यह धरोहर कालींजर से दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह विशाल किला समुद्र तल से 1744 फिट व धरातल से लगभग 860 फिट ऊंचाई पर स्थित है। इस किले का ऊपरी भाग बलुआ पत्थर का है जो अत्यधिक दुर्गम है। यह धरोहर आज भी उपेक्षित है जो नेस्तनाबूत होने की कगार पर पहुंच चुका है। अजयगढ़ का किला चंदेल शासकों के शक्ति का केंद्र रहा है। वास्तुकला, स्थापत्य कला एवं शिल्य की दृष्टि इसकी तुलना खजुराहों की कला शिल्प से की जाती है। इस कारण किले को मदर आफ खजुराहों भी कहा जाता है। लोगों का मानना है कि अजयगढ़ किला का नाम किसी भी अभिलेख में नहीं मिलता है। प्राचीन अभिलेखों में इस दुर्ग का नाम जयपुर मिलता है। किले से प्राप्त अभिलेखों के अनुसार अजयगढ़ का नाम नांदीपुर भी कहा जाता है। कालींजर किला और अजयगढ़ किला के मध्य की दूरी मात्र 25 किमी. है। कालींजर का नाम शिव से अद्भुत बताया जाता है। अजयगढ़ शिव के वाहन नंदी का स्थान भी कहा जाता है। इस कारण इसका नाम नांदीपुर पड़ा।
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17-05-2011, 11:36 PM
अजयगढ़ किला प्रवेश करते ही दो द्वार मिलते हैं जो एक दरवाजा उत्तर की ओर दूसरा दरवाजा तरोनी गांव को जाता है जो पर्वत की तलहटी में स्थित है। पहाड़ी में चढ़ने पर सर्वप्रथम किले का मुख्य दरवाजा आता है। दरवाजे के दायीं ओर दो जलकुंड स्थित है जो चंदेलशासक राजवीर वर्मन देव की राज महिषी कल्याणी देवी के द्वारा करवाये गये कुंडों का निर्माण आज भी उल्लेखनीय है। इस दुर्लभ किले में अनेकों शैलोत्कीर्ण मूर्तियां मिलती हैं जिनमें कार्तिकेय, गणेश, जैन तीर्थकारों की आसान, मूर्तियां, नंदी, दुग्धपान कराती मां एवं शिशु आदि मुख्य है। ऊपर चढ़ने पर दायीं ओर चट््टान पर शिवलिंग की मूर्ति है। वहीं पर किसी भाषा में शिलालेख मौजूद है। जो आज तक कोई भी बुद्घिमान पढ़ नहीं सका तथा वहीं पर एक विशाल ताला चांबी की आकृति बनी हुयी है जो मूलत: एक बीजक है जिसमें लोगों का मानना है कि किसी खजाने का रहस्य छिपा है। हजारों वर्ष बीत गये परंतु दुर्ग के खजाने का रहस्य आज भी बरकरार है। किले के दक्षिण दिशा की ओर स्थित चार प्रमुख मंदिर आकर्षण के केंद्र है जो चंदेलों महलों के नाम से जाने जाते हैं जो धराशायी होने की कगार पर हैं। ये मंदिर देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि खजुराहों व अजयगढ़ का किला एक ही वास्तुकारों की कृति है। अजयपाल मंदिर से होकर एक भूतेश्वर नामक स्थान है जहां गुफा के अंदर शिवलिंग की मूर्ति विराजमान है।

चंदेलकाल के समय कालींजर एवं अजयगढ़ के इतिहास का स्वर्णिम युग कहा जाता है। उसी समय इन दुर्गो की राजनीतिक सामरिक एवं सांस्कृतिक गरिमा प्राप्त हुयी। चंदेलों के आठ ऐतिहासिक किलों में अजयगढ़ भी एक है।
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17-05-2011, 11:37 PM
लंदन। ब्रिटेन में जुड़वां बच्चों की एक दुर्लभ घटना सामने आई है। यहां हाल ही में एक दंपती के जुड़वां बेटियां पैदा हुई हैं। खास बात यह है कि कुछ साल पहले इसी तारीख पर उनके घर में जुड़वां बेटे पैदा हुए थे। ऐसा 1.7 करोड़ मौकों में एक बारऐसा हो सकता है।

गेट्सहैड में रहने वाले इस दंपती का नाम ट्रेसी और डेवू बेगबान है। ट्रेसी ने इस साल 27 फरवरी को अपनी जुड़वां बेटियों डॉल्सी और एलिसिया को जन्म दिया। तीन साल पहले इसी तारीख को उनके जुड़वां बेटे हुए थे। दोनों बार ही बच्चों का जन्म नॉर्मल डिलीवरी से हुआ। इस परिवार का नाम गिनीज बुक ऑफ व*र्ल्ड रिकॉ*र्ड्स में दर्ज हो गया है। ब्रिटेन में दो बार जुड़वां बच्चों को एक ही तारीख पर जन्म देने वाला यह पहला परिवार है।

मनोविज्ञान के छात्र रह चुके डेवू अपने बच्चों को लेकर बहुत रोमांचित हैं। उन्होंने कहा कि वाकई में यह बहुत ही शानदार अनुभव है। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि भगवान ने मुझे चार प्यारे-प्यारे बच्चे दिए।

ब्रिटेन में जन्म लेने वाले सभी जुड़वां बच्चों की गणना करने के बाद इस दुर्लभ घटना का आकलन किया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के चलते जुड़वां बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मगर केवल 30 प्रतिशत जुड़वां बच्चों की शक्ल एक जैसी होती है। उस पर एक ही परिवार में एक ही तिथि पर दो बार जुड़वां बच्चों का पैदा होना वाकई में दुर्लभ है
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17-05-2011, 11:46 PM
क्या किसी देश को किराए पर लोगे


लोग घर या कोई सुइट तो किराए पर लेते ही हैं लेकिन क्या कभी किसी देश को किराए पर लेने की बात सुनी है। नहीं ना लेकिन यूरोप में एक देश है, जिसे आप किराए पर ले सकते हैं।



जी हां, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड के पड़ोसी देश लिचेस्टीन को किराए पर लिया जा सकता है। एक रात के लिए इस देश को किराए पर लेने के लिए 40 हजार पाउंड (29 लाख रुपए) देने पड़ेंगे। डेली मेल के मुताबिक देश के अधिकारियों ने इसे किराए पर देने का फैसला इस साल की शुरुआत में किया।



जो लोग देश को किराए पर लेंगे, उन्हें अपने साथ 150 मेहमान लाने की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा वे यहां की भूमि और पुलिस का भी इस्तेमाल कर सकेंगे। किराए पर देश लेने वाले ‘अस्थायी मालिकों’ को एक कार्यक्रम के दौरान संसद में ‘चाबियां’ सौंपी जाएंगी। देश को किराए पर देने की स्कीम लाने वाली फर्म एयरबीएनबी के अधिकारियों के मुताबिक उन्होंने यह योजना लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए शुरू की है
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17-05-2011, 11:47 PM
मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान का राज खुला

मोनालिसा की विस्मयकारी मुस्कान लगभग 500 वर्षो से एक गहरा राज है। लियोनार्दो दा विंची की इस कृति को देखकर आज भी लोगों के जेहन में कई सवाल उठते हैं। आज भी यह रहस्य अनसुलझा ही है कि क्यों मोनालिसा पहले मुस्कुराती है, फिर उसकी मुस्कान फीकी हो जाती है और कहीं खो जाती है।

लेकिन, वैज्ञानिकों की मानें तो उन्होंने इस रहस्य को पूरी तरह सुलझा लिया है। उन्होंने दावा किया है कि उन प्रकाशकीय प्रभावों का पता लगा लिया गया है, जिससे दा विंची ने यह कृति बनाई थी। यूरोपीय वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा है कि दा विंची ने स्मोकी प्रभाव से इसे बनाया। इसे स्फूमैटो के नाम से जाना जाता है। महान चित्रकार दा विंची ने इस चित्रकारी के लिए 40 बेहद बारीक परतों की कलई अपनी उंगलियों से चढ़ाई थी। इससे मोनालिसा के चेहरे पर चमक आई।
The ROYAL "JAAT''
17-05-2011, 11:48 PM
चेहरे की यह आभा विभिन्न वर्णकों का मिश्रण है, जो मोनालिसा के मुख के इर्द-गिर्द धुंधला प्रकाश और छाया प्रदान करती है। यह प्रकाश और छाया लुका-छिपी के खेल की तरह है यानी एक पल में यह नजर आती है तो दूसरे में गायब। वैज्ञानिकों ने इन रहस्यों का पता लगाने के लिए तस्वीर का अध्ययन किया और इसके लिए उन्होंने एक्स-रे का इस्तेमाल किया।

इससे उन्होंने आभा की विभिन्न परतों और चेहरे के विभिन्न हिस्से पर पेंट के बदलते स्तरों का पता लगाया। संग्रहालय के रखरखाव एवं अनुसंधान के संबंध में फ्रांस की प्रयोगशाला और यूरोपीय सिंक्रोट्रॉन केंद्र ने अध्ययन किया।
The ROYAL "JAAT''
17-05-2011, 11:50 PM
पृथ्वी को मिलेगा एक और सूरज!

करोड़ों-अरबों लोगों को अपनी गोद में पनाह देने वाली इस पृथ्वी को जल्द ही एक दूसरा सूरज नसीब होने वाला है।

जी हाँ, चौंकिए मत, वैज्ञानिकों की मानें तो अँधेरे आसमाँ में सर्वाधिक चमकीले तारों में से एक तारा जब धमाके से सुपरनोवा में तब्दील होगा तो जल्द ही हमारी धरती को एक दूसरा सूरज नसीब होगा।

इस साल की शुरुआत में ही धरती को दूसरे सूरज का साथ मिलने की संभावना है। दोनों का साथ कम से कम एक या दो हफ्ते का होगा। धरती को दूसरा सूरज नसीब होने का यह वाकया इस ग्रह के इतिहास में सबसे जबरदस्त लाइट शो साबित हो सकता है।

खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी को निश्चित तौर पर इसका फायदा मिलेगा जब अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुँच चुका तारा ‘बेतेलजियूज’ हमेशा के लिए खत्म होने की स्थिति में आएगा।
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17-05-2011, 11:51 PM
‘डेली मेल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह धमाका इतना चमकदार होगा कि 640 प्रकाश वर्ष दूर ‘ओरियन’ तारामंडल में तारे के मौजूद होने के बावजूद यह रात को दिन में बदल डालेगा और कुछ हफ्ते तक ऐसा लगेगा कि आसमान में दो सूरज हैं।

असल बहस का मुद्दा तो यह है कि आखिर यह होगा कब? यदि नक्षत्रों की भाषा में समझें तो ‘बेतेलजियूज’ के दुर्घटनाग्रस्त होने और बहुत निकट भविष्य में जल जाने का अंदेशा है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न क्वींसलैंड के ब्रैड कार्टर ने दावा किया कि आकाशगंगा से जुड़ा धमाका 2012 से पहले हो सकता है या फिर अगले लाखों वर्षों में कभी भी हो सकता है।

कार्टर ने बताया कि यह उम्रदराज सितारा अपने केंद्र में धीरे-धीरे ऊर्जा खोता जा रहा है। ऊर्जा से ‘बेतेलजियूज’ दमकता रहता है और मजबूत भी बना रहता है। ऊर्जा की कमी की वजह से सितारा खुद ही खत्म हो जाएगा और यह बहुत तेजी से होगा।
The ROYAL "JAAT''
17-05-2011, 11:53 PM
इंडोनेशिया के कुछ इलाकों की मान्यता के अनुसार नयाइ रोरो किदुल एक दिव्य शक्ति हैं। समुद्र की इस देवी के वहां कई नाम हैं और इसको लेकर जावानीस व सुडानीस भाषा में कई कहानियां प्रचलित हैं। एक नाम है रतू लाउत सेलातन (दक्षिणी सागर मतलब हिंद महासागर की रानी), दूसरा नाम है गुस्ती कंगजैंग रतू किदुल और कंगजैंग रतू अयू कैनकोनो सारी।

समुद्र की इस देवी का निचला हिस्सा जलपरी की तरह या फिर सांप की तरह दिखाया जाता है। कहा जाता है कि ये दिन में कई रूप बदलती हैं। इस सुंदर रानी का घर समुद्रतल में ही कहीं है, जहां से ये हिंद महासागर की हिंसक लहरों पर काबू करती हैं। इन कहानियों में कितनी सच्चाई है ये कोई नहीं जानता।

एक सुडानीस कहानी में इसे देवी कदिता कहा गया है। ये पश्चिमी जावा के पजाजरन राज्य की राजकुमारी थी। राजकुमारी एक बार इस दक्षिणी सागर में आ गई थी और यहां काले जादू में फंस गई थी। एक जादूगरनी ने बदला लेने के लिए ऐसा किया था और राजकुमारी को चर्म रोग लग गया था। राजकुमारी ने समुद्र में छलांग लगाई और वह ठीक हो गई थी।
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17-05-2011, 11:54 PM
एक अन्य कहानी में बताया गया है कि एक राजा की सिर्फ एक बेटी थी। अपना सिंहासन किसे सौंपे, इसलिए उसने दूसरी शादी की। दूसरी पत्नी गर्भवती हो गई और उसने शर्त रखी कि राजा उसमें और अपनी बेटी में से किसी एक को चुने। अगर वह बेटी को चुनेगा तो वह महल छोड़ देगी।

अगर पत्नी को चुनेगा तो बेटी बाहर हो जाएगी और उसकी संतान को सिंहासन मिलेगा। इसके बाद राजा ने बेटी को महल से निकालने के लिए जादू से उसे चर्म रोग लगवाया। रोग के कारण बेटी महल में नहीं आ सकती थी। ऐसे में उसे आवाज सुनाई दी कि वह समुद्र में जाएगी तो उसका रोग ठीक हो जाएगा। राजकुमारी ने ऐसा ही किया और फिर कभी दिखाई नहीं दी।

राज है गहरा

इंडोनेशिया में एक जलपरी की कहानियां काफी प्रचलित हैं। नयाइ रोरो किदुल कही जाने वाली इस जलपरी को वहां के लोग समुद्र की देवी मानते हैं। कहते हैं कि वह समुद्र की हिंसक लहरों पर काबू रखती है। लोगों की यह मान्यता कितनी सच्ची है, ये कभी साबित नहीं हुआ है।
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17-05-2011, 11:57 PM
4 करोड़ 70 लाख साल पुराना कंकाल


हो सकता है हमारे सबसे पुराने पुरखों में से एक हो। इस मादा कंकाल का नाम इदा है और यह 4 करोड़ 70 लाख साल पुरानी हो सकती है। इदा को इन दिनों लंदन की नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में दिखाया जा रहा है। यह अब तक मानव इतिहास पर रोशनी डाल सकने वाले मिले सभी कंकालों से करीब 20 गुना पुराना है।

इदा का जो कंकाल मिला है वह तीन फुट का है और वैज्ञानिकों की मानें तो यह सभी जीवों की लक्कड़दादी, पक्कड़दादी है। एक अनुमान के अनुसार इदा की मौत एक झील में हुई थी।

यह कंकाल 1983 में जर्मनी में मिला था। इसे पाने वाले को इसकी अहमियत का पता नहीं था। उसने इसे अपनी दीवाल पर सजा रखा था। 2006 में ओस्लो नैचुरल यूनिवर्सिटी के डॉ. जोरन हुरुम की निगाह इस पर पड़ी तो इसकी जांच शुरू की गई।

उनका कहना है कि यह कंकाल ही मानव उत्पत्ति का असली लिंक है। यह एक विश्व विरासत है। एक अन्य अनुसंधानकर्ता

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