रविवार, 31 जनवरी 2021

माघ माह की कथा

 माघ माह की कथा


प्रस्तुति - सृष्टि - दृष्टि


🌊 प्राचीन काल में नर्मदा तट पर शुभव्रत नामक

ब्राह्मण निवास करते थे। वे सभी वेद शास्त्रों के अच्छे

ज्ञाता थे। किंतु उनका स्वभाव धन संग्रह करने का

अधिक था।

🌊 उन्होंने धन तो बहुत एकत्रित किया।

वृद्घावस्था के दौरान उन्हें अनेक रोगों ने घेर लिया।

तब उन्हें ज्ञान हुआ कि मैंने पूरा जीवन धन कमाने में

लगा दिया अब परलोक सुधारना चाहिए। वह

परलोक सुधारने के लिए चिंतातुर हो गए।

🌊 अचानक उन्हें एक श्लोक याद आया जिसमें

माघ मास के स्नान की विशेषता बताई गई थी।

उन्होंने माघ स्नान का संकल्प लिया और माघे

निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं

प्रयान्ति।

🌊 इसी श्लोक के आधार पर नर्मदा में स्नान करने

लगे। नौ दिनों तक प्रात: नर्मदा में जल स्नान किया

और दसवें दिन स्नान के बाद उन्होंने अपना शरीर

त्याग दिया।

🌊 शुभव्रत ने जीवन भर कोई अच्छा कार्य नहीं

किया था लेकिन माघ मास में स्नान करके

पश्चाताप करने से उनका मन निर्मल हो गया। माघ

मास के स्नान करने से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई। इस

तरह जीवन के अंतिम क्षणों में उनका कल्याण हो

गया।

क्या होता है कल्पवास

🌊 प्रयाग में हर वर्ष लगने वाले इस मेले को

कल्पवास भी कहा जाता है। वेद, मंत्र व यज्ञ आदि

कर्म ही कल्प कहे जाते है। पुराणों में माघ मास के

समय संगम के तट पर निवास को ही कल्पवास कहा

जाता है। संयम,अहिंसा व श्रद्धा ही कल्पवास का

मूल आधार होता है। यदि सकामभाव से माघ स्नान

किया जाय तो उससे मनोवांछित फल की सिद्धि

होती है और निष्काम भाव से स्नान आदि करने पर

वह मोक्ष देने वाला होता है ऐसा शास्त्रों में कहा

गया है

🌊 शास्त्रों में माघ माह के स्नान, दान, उपवास

और माधव पूजा का महत्व बताते हुए कहा गया है कि

इन दिनों में प्रयागराज में अनेक तीर्थों का समागम

होता है इसलिए जो प्रयाग या गंगा आदि अन्य

पवित्र नदियों में भी भक्तिभाव से स्नान करते है वह

तमाम पापों से मुक्त होकर स्वर्गलोक के अधिकारी

हो जाते है।

🌊 इस माह के महत्व पर तुलसीदास जी ने श्री

रामचरित्र मानस के बालखण्ड में लिखा है-माघ मकर

गति रवि जब होई, तीरथपतिहिं आव सब कोई !!

अर्थात माघ मास में जब सूर्य मकर राशि में आते हैं तब

सब लोग तीर्थों के राजा प्रयाग के पावन संगम तट

पर आते हैं देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब

आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं। वैसे तो प्राणी

इस माह में किसी भी तीर्थ, नदी और समुद्र में स्नान

कर दान -पुण्य करके कष्टों से मुक्ति पा सकता है

लेकिन प्रयागराज संगम में स्नान का फल मोक्ष देने

वाला है।

🌊 धर्मराज युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध के दौरान

मारे गए अपने रिश्तेदारों को सदगति दिलाने हेतु

मार्कण्डेय ऋषि के कहने पर कल्पवास किया था।

गौतमऋषि द्वारा शापित इंद्रदेव को भी माघ

स्नान के कारण श्राप से मुक्ति मिली थी। माघ के

धार्मिक अनुष्ठान के फलस्वरूप प्रतिष्ठानपुरी के

नरेश पुरुरवा को अपनी कुरूपता से मुक्ति मिली थी।

🌊 माघ मास में जो पवित्र नदियों में स्नान करता

है उसे एक विशेष प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा

प्राप्त होती है, जिससे उसका शरीर निरोगी और

आध्यात्मिक शक्ति से संपन्न हो जाता है। माघ

स्नान से शरीर के पाप जलकर भस्म हो जाते है एवं इस

मास में पूजन-अर्चन व स्नान करने से भगवान नारायण

को प्राप्त किया जा सकता है। स्कन्द पुराण के

अनुसार इस मास में शीतल जल में डुबकी लगाने से

मनुष्य पाप मुक्त होकर स्वर्ग चले जाते है।

माघ माह के व्रत-त्यौहार

🌊 माघ माह के दौरान कृष्ण पक्ष में सकट चौथ

(गणेश चतुर्थी व्रत )षटतिला एकादशी,मौनी

अमावस्या आती है तो शुक्ल पक्ष में वरदतिलकुन्द-

विनायक चतुर्थी,वसंत पंचमी,शीतला षष्ठी,रथ-

अचला सप्तमी,जया एकादशी व्रत और माघी

पूर्णिमा जैसे पर्व आते है। मकर संक्रांति से ही देवों के

दिन शुरू होते है,उत्तरायण शुरू होता है। गंगापुत्र

भीष्म ने अपनी देह का त्याग उत्तरायण में किया

था।

सूर्य उपासना और दान-पुण्य

🌊 पदम् पुराण के अनुसार सभी पापों से मुक्ति और

भगवान जगदीश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए

प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान कर सूर्य मंत्र का

उच्चारण करते हुए सूर्य को अर्घ्य अवश्य प्रदान करना

चाहिए।भविष्य पुराण के अनुसार सूर्यनारायण का

पूजन करने वाला व्यक्ति प्रज्ञा, मेधा तथा सभी

समृद्धियों से संपन्न होता हुआ चिरंजीवी होता है।

🌊 यदि कोई व्यक्ति सूर्य की मानसिक आराधना

भी करता है तो वह समस्त व्याधियों से रहित होकर

सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता है। व्यक्ति को अपने

कल्याण के लिए सूर्यदेव की पूजा अवश्य करनी

चाहिए। इस मास में तिल,गुड़ और कंबल के दान का

विशेष महत्त्व माना गया है। ऊनी वस्त्र, रजाई,जूता

एवं जो भी शीतनिवारक वस्तुएँ हैं उनका दान कर

माधवः प्रीयताम यह वाक्य कहना चाहिए।

इसका उतर खोजे

ज्ञान सागर / बहुत आराम से पढ़िएगा, मज़ा अंत में आएगा।*


प्रश्नों का संकलन बहुत ही सुन्दर ढंग से किया गया है !!_


*1.* क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का देश में कौन सा स्थान है ?

*2.* मोदी सरकार का यह कौनसा कार्यकाल है ?

*3.* कितने चम्मच से एक टेबल स्पून बनता है ?

*4.*  हिन्दू पुराणों में कितने वेद होते हैं ?

*5.* राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है ?

*6.* भारत की तुलना में और कितने देशों का क्षेत्रफल बड़ा है ?

*7.* पानी का Ph. मान क्या होता है ?

*8.* सौर मण्डल में कुल कितने ग्रह हैं 

*9.* संविधान की कौन सी अनुसूची प्रथम संशोधन द्वारा शामिल की गई ?

*10.* कितने मिलीमीटर का एक सेंटीमीटर बनता है ?

*11.* एक फुटबॉल टीम में कितने खिलाड़ी होते हैं ?

*12.* कितने इंच का एक फीट होता है ?

*13.* उद्देश्य प्रस्ताव दिसम्बर की किस तारीख को प्रस्तुत किया गया था ?

*14.* लोकसभा में पारित बजट को राज्यसभा कितने दिनों तक रोक सकती है ?

*15.* एक समय का वाहन कर कितने वर्षों के लिए वैध होता है ?

*16.* शटल कॉक में कितने पंख होते हैं ?

*17.* भारतीय मुद्रा में कितनी भाषाएँ छपी होती हैं ?

*18.*  गीता में कुल कितने अध्याय हैं ?

*19.* वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार संविधान के किस अनुच्छेद में है ?

*20.* टी -20 क्रिकेट में प्रति टीम कितने ओवर होते हैं ?

*21.* महात्मा गाँधी ने दक्षिण अफ्रीका में कुल कितने वर्ष गुजारे थे ?

*22.* भारत के संविधान में मूलतः कितने भाग हैं ?

*23.* मानव शरीर में कुल कितने जोड़ी गुणसूत्र (क्रोमोजोम) होते हैं ?

*24.* एक अशोक चक्र में कुल कितनी लाइन्स होती हैं ?

*25.* M.L.A. बनने के लिए कम से कम कितने वर्ष आयु की अनिवार्यता होती है ?


                *.....उत्तर....*


*👉सभी प्रश्नों के उत्तर उनके *"क्रमांक" ही हैं।*


*शुभरात्रि*

*जय श्री कृष्णा*

😊🙏🏻😊

शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

Useful words

 जरूरी बात / प्रस्तुति - स्वामी शरण 


*Useful information*

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1. *PAN*

Permanent Account Number.


2. *PDF*

Portable Document format.


3. *SIM*

Subscriber Identity Module.


4. *ATM*

Automated Teller Machine.


5. *IFSC*

Indian Financial System Code.


6. *FSSAI(Fssai)*

Food Safety & Standards

Authority of India.


7. *Wi-Fi*

Wireless Fidelity.


8. *GOOGLE*

Global Organization Of

Oriented Group

Language Of Earth.


9. *YAHOO*

Yet Another Hierarchical

Officious Oracle.


10. *WINDOW*

Wide Interactive Network

Development for

Office work Solution.


11. *COMPUTER*

Common

Oriented Machine.

Particularly United

and used under Technical

and Educational Research.


12. *VIRUS*

Vital Information

Resources Under Siege.


13. *UMTS*

Universal

Mobile Telecommunicati ons

System.


14. *AMOLED*

Active-Matrix Organic Light-

Emitting diode.


15. *OLED*

Organic

Light-Emitting diode.


16. *IMEI*

International Mobile

Equipment Identity.


17. *ESN*

Electronic

Serial Number.


18. *UPS*

Uninterruptible

Power Supply.


19. *HDMI*

High-Definition

Multimedia Interface.


20. *VPN*

Virtual Private Network.


21. *APN*

Access Point Name.


22. *LED*

Light Emitting Diode.


23. *DLNA*

Digital

Living Network Alliance.


24. *RAM*

Random Access Memory.


25. *ROM*

Read only memory.


26. *VGA*

Video Graphics Array.


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Quarter Video

Graphics Array.


28. *WVGA*

Wide video Graphics Array.


29. *WXGA*

Widescreen Extended

Graphics Array.


30. *USB*

Universal Serial Bus.


31. *WLAN*

Wireless

Local Area Network.


32. *PPI*

Pixels Per Inch.


33. *LCD*

Liquid Crystal Display.


34. *HSDPA*

High Speed Down link

Aacket Access.


35. *HSUPA*

High-Speed Uplink

Packet Access.


36. *HSPA*

High Speed

Packet Access.


37. *GPRS*

General Packet

Radio Service.


38. *EDGE*

Enhanced Data Rates

for Globa Evolution.


39. *NFC*

Near

Field Communication.


40. *OTG*

On-The-Go.


41. *S-LCD*

Super Liquid

Crystal Display.


42. *O.S*

Operating System.


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Social Network Service.


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HOTSPOT.


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Point Of Interest.


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Global

Positioning System.


47. *DVD*

Digital Video Disk.


48. *DTP*

Desk Top Publishing.


49. *DNSE*

Digital

Natural Sound Engine.


50. *OVI*

Ohio Video Intranet.


51. *CDMA*

Code Division

Multiple Access.


52. *WCDMA*

Wide-band Code

Division Multiple Access.


53. *GSM*

Global System

for Mobile Communications.


54. *DIVX*

Digital Internet

Video Access.


55. *APK*

Authenticated

Public Key.


56. *J2ME*

Java 2

Micro Edition.


57. *SIS*

Installation Source.


58. *DELL*

Digital Electronic

Link Library.


59. *ACER*

Acquisition

Collaboration

Experimentation Reflection.


60. *RSS*

Really

Simple Syndication.


61. *TFT*

Thin Film Transistor.


62. *AMR*

Adaptive

Multi-Rate.


63. *MPEG*

Moving Pictures

Experts Group.


64. *IVRS*

Interactive

Voice Response System.


65. *HP*

Hewlett Packard.



*Do we know actual full form*

*of some words???*


66. *NEWS PAPER =*

North East West South

Past and Present

Events Report.


67. *CHESS =*

Chariot,

Horse,

Elephant,

Soldiers.


68. *COLD =*

Chronic,

Obstructive,

Lung,

Disease.


69. *JOKE =*

Joy of Kids

Entertainment.


70. *AIM =*

Ambition in Mind


71. *DATE =*

Day and Time Evolution.


72. *EAT =*

Energy and Taste.


73. *TEA =*

Taste and Energy

Admitted.


74. *PEN =*

Power Enriched in Nib.


75. *SMILE =*

Sweet Memories

in Lips Expression.


76. *ETC. =*

End of

Thinking Capacity.


77. *OK =*

Objection Killed.


78. *Or =*

Orl Korec

(Greek Word)


79. *Bye =*♥

Be with You Everytime.


*share*

*These meanings*

*as majority of us don't know*

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गुरुवार, 28 जनवरी 2021

आख़िरकार साला ही क्यों?

 धर्मपत्नी के भाई को साला क्यों कहते हैं ?


जानिए साला शब्द की रोचक जानकारी।

हम प्रचलन की बोलचाल में साला शब्द को एक गाली के रूप में देखते हैं साथ ही धर्मपत्नी के भाई/भाइयों को भी साला, सालेसाहब के नाम से इंगित करते हैं। 

पौराणिक कथाओं में समुद्र मंथन का जिक्र मिलता है। मंथन से जो 14 दिव्य रत्न प्राप्त हुए थे वो :

कालकूट (हलाहल), ऐरावत, कामधेनु, उच्चैःश्रवा, कौस्तुभमणि, कल्पवृक्ष, रंभा (अप्सरा), महालक्ष्मी, शंख (जिसका नाम पांचजन्य साला शंख था), वारुणी, चन्द्रमा, शारंग धनुष, धन्वंतरि वैद्य और अंत में अमृत। 


लक्ष्मीजी के बाद जब साला शंख निकला तो उसे लक्ष्मीजी का भाई कहा गया।

दैत्य और दानवों ने कहा कि अब देखो लक्ष्मीजी का भाई साला (शंख) आया है ।

तभी से ये प्रचलन में आया कि नव विवाहिता , जिसे हम गृहलक्ष्मी भी कहते हैं, उसके भाई को बहुत ही पवित्र नाम साला कह कर पुकारा जाता है।

समुद्र मंथन के दौरान पांचजन्य साला शंख प्रकट हुआ, इसे भगवान विष्णु ने अपने पास रख लिया।

इस शंख को विजय का प्रतीक माना गया है।साथ ही इसकी ध्वनि को भी बहुत शुभ माना गया है।

विष्णु पुराण के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्रराज की पुत्री हैं तथा शंख उनका सहोदर भाई है।

अतः यह भी मान्यता है कि जहाँ शंख है वहीं लक्ष्मी का वास होता है।

इन्हीं कारणों से हिन्दुओं द्वारा पूजा के दौरान शंख को बजाया जाता है।

पूजन स्थल पर शंख को लक्ष्मीजी के चित्र या प्रतिमा के नजदीक रखा जाता है।

जानना जरूरी हैँ

अपने #धर्म और #संस्कृति के #बारे #मे


*पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -*

*1. युधिष्ठिर    2. भीम    3. अर्जुन*

*4. नकुल।      5. सहदेव*


*( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )*


*यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन*

*की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।*


*वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..*

*कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -*

*1. दुर्योधन      2. दुःशासन   3. दुःसह*

*4. दुःशल        5. जलसंघ    6. सम*

*7. सह            8. विंद         9. अनुविंद*

*10. दुर्धर्ष       11. सुबाहु।   12. दुषप्रधर्षण*

*13. दुर्मर्षण।   14. दुर्मुख     15. दुष्कर्ण*

*16. विकर्ण     17. शल       18. सत्वान*

*19. सुलोचन   20. चित्र       21. उपचित्र*

*22. चित्राक्ष     23. चारुचित्र 24. शरासन*

*25. दुर्मद।       26. दुर्विगाह  27. विवित्सु*

*28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ*

*31. नन्द।        32. उपनन्द   33. चित्रबाण*

*34. चित्रवर्मा    35. सुवर्मा    36. दुर्विमोचन*

*37. अयोबाहु   38. महाबाहु  39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग  42. भीमबल*

*43. बालाकि    44. बलवर्धन 45. उग्रायुध*

*46. सुषेण       47. कुण्डधर  48. महोदर*

*49. चित्रायुध   50. निषंगी     51. पाशी*

*52. वृन्दारक   53. दृढ़वर्मा   54. दृढ़क्षत्र*

*55. सोमकीर्ति  56. अनूदर    57. दढ़संघ 58. जरासंघ   59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक*

*61. उग्रश्रवा   62. उग्रसेन     63. सेनानी*

*64. दुष्पराजय        65. अपराजित* 

*66. कुण्डशायी        67. विशालाक्ष*

*68. दुराधर   69. दृढ़हस्त    70. सुहस्त*

*71. वातवेग  72. सुवर्च    73. आदित्यकेतु*

*74. बह्वाशी   75. नागदत्त 76. उग्रशायी*

*77. कवचि    78. क्रथन। 79. कुण्डी* 

*80. भीमविक्र 81. धनुर्धर  82. वीरबाहु*

*83. अलोलुप  84. अभय  85. दृढ़कर्मा*

*86. दृढ़रथाश्रय    87. अनाधृष्य*

*88. कुण्डभेदी।     89. विरवि*

*90. चित्रकुण्डल    91. प्रधम*

*92. अमाप्रमाथि    93. दीर्घरोमा*

*94. सुवीर्यवान     95. दीर्घबाहु*

*96. सुजात।         97. कनकध्वज*

*98. कुण्डाशी        99. विरज*

*100. युयुत्सु*


*( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहनभी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,*

*जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )*


*"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-*


*ॐ . किसको किसने सुनाई?*

*उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।* 


*ॐ . कब सुनाई?*

*उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।*


*ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?*

*उ.- रविवार के दिन।*


*ॐ. कोनसी तिथि को?*

*उ.- एकादशी* 


*ॐ. कहा सुनाई?*

*उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।*


*ॐ. कितनी देर में सुनाई?*

*उ.- लगभग 45 मिनट में*


*ॐ. क्यू सुनाई?*

*उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।*


*ॐ. कितने अध्याय है?*

*उ.- कुल 18 अध्याय*


*ॐ. कितने श्लोक है?*

*उ.- 700 श्लोक*


*ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?*

*उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।* 


*ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा* 

*और किन किन लोगो ने सुना?*

*उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने*


*ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?*

*उ.- भगवान सूर्यदेव को*


*ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?*

*उ.- उपनिषदों में*


*ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?*

*उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।*


*ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?*

*उ.- गीतोपनिषद*


*ॐ. गीता का सार क्या है?*

*उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना*


*ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?*

*उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574*

*अर्जुन ने- 85* 

*धृतराष्ट्र ने- 1*

*संजय ने- 40.*


*अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद*


*अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।*


*33 करोड नहीँ  33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू*

*धर्म मेँ।*


*कोटि = प्रकार।* 

*देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,*


*कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।*


*हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...*


*कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-*


*12 प्रकार हैँ*

*आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,*

*शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,*

*सविता, तवास्था, और विष्णु...!*


*8 प्रकार हे :-*

*वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।*


*11 प्रकार है :-* 

*रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,*

*अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,*

*रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।*


*एवँ*

*दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।*


*कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी* 


*अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है*

*तो इस जानकारी को अधिक से अधिक*

*लोगो तक पहुचाएं। ।*


*🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*


*१ हिन्दु हाेने के नाते जानना ज़रूरी है*


*THIS IS VERY GOOD INFORMATION FOR ALL OF US ... जय श्रीकृष्ण ...*


*अब आपकी बारी है कि इस जानकारी*

 *को आगे बढ़ाएँ ......*


*अपनी भारत की संस्कृति* 

*को पहचाने.*

*ज्यादा से ज्यादा*

*लोगो तक पहुचाये.* 

*खासकर अपने बच्चो को बताए* 

*क्योकि ये बात उन्हें कोई नहीं* *बताएगा...*


*📜😇  दो पक्ष-*


*कृष्ण पक्ष ,* 

*शुक्ल पक्ष !*


*📜😇  तीन ऋण -*


*देव ऋण ,* 

*पितृ ऋण ,* 

*ऋषि ऋण !*


*📜😇   चार युग -*


*सतयुग ,* 

*त्रेतायुग ,*

*द्वापरयुग ,* 

*कलियुग !*


*📜😇  चार धाम -*


*द्वारिका ,* 

*बद्रीनाथ ,*

*जगन्नाथ पुरी ,* 

*रामेश्वरम धाम !*


*📜😇   चारपीठ -*


*शारदा पीठ ( द्वारिका )*

*ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )* 

*गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,* 

*शृंगेरीपीठ !*


*📜😇 चार वेद-*


*ऋग्वेद ,* 

*अथर्वेद ,* 

*यजुर्वेद ,* 

*सामवेद !*


*📜😇  चार आश्रम -*


*ब्रह्मचर्य ,* 

*गृहस्थ ,* 

*वानप्रस्थ ,* 

*संन्यास !*


*📜😇 चार अंतःकरण -*


*मन ,* 

*बुद्धि ,* 

*चित्त ,* 

*अहंकार !*


*📜😇  पञ्च गव्य -*


*गाय का घी ,* 

*दूध ,* 

*दही ,*

*गोमूत्र ,* 

*गोबर !*


*📜😇  पञ्च देव -*


*गणेश ,* 

*विष्णु ,* 

*शिव ,* 

*देवी ,*

*सूर्य !*


*📜😇 पंच तत्त्व -*


*पृथ्वी ,*

*जल ,* 

*अग्नि ,* 

*वायु ,* 

*आकाश !*


*📜😇  छह दर्शन -*


*वैशेषिक ,* 

*न्याय ,* 

*सांख्य ,*

*योग ,* 

*पूर्व मिसांसा ,* 

*दक्षिण मिसांसा !*


*📜😇  सप्त ऋषि -*


*विश्वामित्र ,*

*जमदाग्नि ,*

*भरद्वाज ,* 

*गौतम ,* 

*अत्री ,* 

*वशिष्ठ और कश्यप!* 


*📜😇  सप्त पुरी -*


*अयोध्या पुरी ,*

*मथुरा पुरी ,* 

*माया पुरी ( हरिद्वार ) ,* 

*काशी ,*

*कांची* 

*( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,* 

*अवंतिका और* 

*द्वारिका पुरी !*


*📜😊  आठ योग -* 


*यम ,* 

*नियम ,* 

*आसन ,*

*प्राणायाम ,* 

*प्रत्याहार ,* 

*धारणा ,* 

*ध्यान एवं* 

*समाधि !*


*📜😇 आठ लक्ष्मी -*


*आग्घ ,* 

*विद्या ,* 

*सौभाग्य ,*

*अमृत ,* 

*काम ,* 

*सत्य ,* 

*भोग ,एवं* 

*योग लक्ष्मी !*


*📜😇 नव दुर्गा --*


*शैल पुत्री ,* 

*ब्रह्मचारिणी ,*

*चंद्रघंटा ,* 

*कुष्मांडा ,* 

*स्कंदमाता ,* 

*कात्यायिनी ,*

*कालरात्रि ,* 

*महागौरी एवं* 

*सिद्धिदात्री !*


*📜😇   दस दिशाएं -*


*पूर्व ,* 

*पश्चिम ,* 

*उत्तर ,* 

*दक्षिण ,*

*ईशान ,* 

*नैऋत्य ,* 

*वायव्य ,* 

*अग्नि* 

*आकाश एवं* 

*पाताल !*


*📜😇  मुख्य ११ अवतार -*


 *मत्स्य ,* 

*कच्छप ,* 

*वराह ,*

*नरसिंह ,* 

*वामन ,* 

*परशुराम ,*

*श्री राम ,* 

*कृष्ण ,* 

*बलराम ,* 

*बुद्ध ,* 

*एवं कल्कि !*


*📜😇 बारह मास -* 


*चैत्र ,* 

*वैशाख ,* 

*ज्येष्ठ ,*

*अषाढ ,* 

*श्रावण ,* 

*भाद्रपद ,* 

*अश्विन ,* 

*कार्तिक ,*

*मार्गशीर्ष ,* 

*पौष ,* 

*माघ ,* 

*फागुन !*


*📜😇  बारह राशी -* 


*मेष ,* 

*वृषभ ,* 

*मिथुन ,*

*कर्क ,* 

*सिंह ,* 

*कन्या ,* 

*तुला ,* 

*वृश्चिक ,* 

*धनु ,* 

*मकर ,* 

*कुंभ ,*

*मीन!*


*📜😇 बारह ज्योतिर्लिंग -* 


*सोमनाथ ,*

*मल्लिकार्जुन ,*

*महाकाल ,* 

*ओमकारेश्वर ,* 

*बैजनाथ ,* 

*रामेश्वरम ,*

*विश्वनाथ ,* 

*त्र्यंबकेश्वर ,* 

*केदारनाथ ,* 

*घुष्नेश्वर ,*

*भीमाशंकर ,*

*नागेश्वर !*


*📜😇 पंद्रह तिथियाँ -*


*प्रतिपदा ,*

*द्वितीय ,*

*तृतीय ,*

*चतुर्थी ,* 

*पंचमी ,* 

*षष्ठी ,* 

*सप्तमी ,* 

*अष्टमी ,* 

*नवमी ,*

*दशमी ,* 

*एकादशी ,* 

*द्वादशी ,* 

*त्रयोदशी ,* 

*चतुर्दशी ,* 

*पूर्णिमा ,* 

*अमावास्या !*


*📜😇 स्मृतियां -* 


*मनु ,* 

*विष्णु ,* 

*अत्री ,* 

*हारीत ,*

*याज्ञवल्क्य ,*

*उशना ,* 

*अंगीरा ,* 

*यम ,* 

*आपस्तम्ब ,* 

*सर्वत ,*

*कात्यायन ,* 

*ब्रहस्पति ,* 

*पराशर ,* 

*व्यास ,* 

*शांख्य ,*

*लिखित ,* 

*दक्ष ,* 

*शातातप ,* 

*वशिष्ठ !*


*॥ हरे कृष्णा हरे कृष्ण* 

*कृष्ण कृष्ण हरे हरे ॥*

*॥ हरे राम हरे राम*

*॥ राम राम हरे हरे ॥*


*इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करें जिससे सबको हमारी संस्कृति का ज्ञान हो।*



  🚩🚩  **🙏🏻🙏🏻🙏🏻

सोमवार, 11 जनवरी 2021

युवा दिवस और विवेकानंद / हेमंत किंगर

 शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

2021 National Youth Day: भारत के गौरव को देश-देशांतरों में उज्ज्वल करने का कार्य स्वामी विवेकानंद जी ने किया। उनके विचार, चिंतन और परिकल्पना आज भी उतनी ही सार्थक है। जरूरत है तो केवल उनके दिखाए मार्ग पर चलने की तभी सही अर्थों में हम विश्व गुरु का स्थान पुन: प्राप्त कर सकते हैं। समाज के प्रति प्रेम, सद्भाव, आदर की भावना रखते हुए उनके आदर्शों को आगे बढ़ाया जा सकता है।


National Youth Day India: ‘उठो, जागो और ध्येय की प्राप्ति तक रुको मत’- उनके ये वचन सफलता का मूल मंत्र कहे जाते हैं। उनका विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। यहीं बड़े-बड़े महात्माओं और ऋषियों का जन्म हुआ। यही संन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यहीं आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिए जीवन के सर्वोच्च आदर्श व मुक्ति का द्वार खुला हुआ है।


Vivekananda Jayanti: वह कहते थे कि यह देश हजारों वर्षों तक गुलाम रहने के कारण हम अपनी वास्तविक पहचान तक भूल गए या अपनी भूल भावना व हिन्दूवादी सोच का परिचय करवाने में भी लज्जा महसूस करते थे। भारतीय समाज उस समय अपनी पहचान खो चुका था। तब उन्होंने आह्वान किया था, ‘‘गर्व से कहो हम हिन्दू हैं। ’


Swami Vivekananda Story: स्वामी विवेकानंद जी ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो (अमरीका) में विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था। उन्होंने कहा था, ‘‘मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के सताए गए लोगों को शरण दी है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।’’


Swami Vivekananda Interesting Facts: स्वामी जी कहते थे, ‘‘विश्व मंच पर भारत की पुनप्र्रतिष्ठा में युवाओं की बहुत बड़ी भूमिका है। मेरे देश के युवाओं को इस्पात की नसें, फौलाद की मांसपेशियां, विशाल हृदय और वज्र की तरह दिमाग चाहिए। इन गुणों से वे देश मेें परिवर्तन कर सकते हैं।’’


*************************************

*हेमन्त किगरं (समाजसेवी) 9915470001*

यादगार कौन चेहरा या व्यवहार?

 

दौरान एक 30 वर्षीय युवक को खडा कर पूछा कि.....


*आप मुम्बई मेँ जुहू चौपाटी पर चल रहे हैं और सामने से एक सुन्दर लडकी आ रही है..., तो आप क्या करोगे ?*


*युवक ने कहा - उस पर नजर जायेगी, उसे देखने लगेंगे।*


*गुरु जी ने पूछा - वह लडकी आगे बढ गयी,  तो क्या पीछे मुडकर भी देखोगे ?*


*लडके ने कहा - हाँ, अगर धर्मपत्नी साथ नहीं है तो। (सभा में सभी हँस पडे)*


*गुरु जी ने फिर पूछा - जरा यह बताओ वह सुन्दर चेहरा आपको कब तक याद रहेगा ?*


*युवक ने कहा 5 - 10 मिनट तक, जब तक कोई दूसरा सुन्दर चेहरा सामने न आ जाए।*


*गुरु जी ने उस युवक से कहा - अब जरा कल्पना कीजिये.... आप जयपुर से मुम्बई जा रहे हैं और मैंने आपको एक पुस्तकों का पैकेट देते हुए कहा कि मुम्बई में अमुक महानुभाव के यहाँ यह पैकेट पहुँचा देना.....*


*आप पैकेट देने मुम्बई में उनके घर गए। उनका घर देखा तो आपको पता चला कि ये तो बडे अरबपति हैं। घर के बाहर 10 गाडियाँ और 5 चौकीदार खडे हैं।* 


*उन्हें आपने पैकेट की सूचना अन्दर भिजवाई, तो वे महानुभाव खुद बाहर आए। आप से पैकेट लिया। आप जाने लगे तो आपको आग्रह करके घर में ले गए। पास में बैठाकर गरम खाना खिलाया।*


*चलते समय आप से पूछा - किसमें आए हो ?*

*आपने कहा- लोकल ट्रेन में।*


*उन्होंने ड्राइवर को बोलकर आपको गंतव्य तक पहुँचाने के लिए कहा और आप जैसे ही अपने स्थान पर पहुँचने वाले थे कि उस अरबपति महानुभाव का फोन आया - भैया, आप आराम से पहुँच गए....!!*


*अब आप बताइए कि आपको वे महानुभाव कब तक याद रहेंगे ?*


*युवक ने कहा - गुरु जी !!*

*जिंदगी में मरते दम तक उस व्यक्ति को हम भूल नहीं सकते।*


*गुरु जी ने युवक के माध्यम से सभा को संबोधित करते हुए कहा — "यह है जीवन की हकीकत।"*


*"सुन्दर चेहरा थोड़े समय ही याद रहता है, पर सुन्दर व्यवहार जीवन भर याद रहता है।"*


*बस यही है जीवन का गुरु मंत्र... अपने चेहरे और शरीर की सुंदरता से ज़्यादा अपने व्यवहार की सुंदरता पर ध्यान दें.... जीवन अपने लिए आनंददायक और दूसरों के लिए अविस्मरणीय प्रेरणादायक बन जाएगा....*


*जीवन का सबसे अच्छा योग ‘सहयोग’ हैै,*


*और.............*


*सबसे बुरा आसन ‘आश्वासन’।*👌

रविवार, 10 जनवरी 2021

सॆहत कॆ लिए सॆवव करॆ

 * गुणकारी पपीते सॆ स्वास्थ्य लाभ*

🔸🔸🔹🔹🔸🔸

पपीता एक ऐसा फ्रूट है। जो टेस्टी3ा होने के साथ ही गुणों से भरपूर है। पपीते के नियमित सेवन से ीूशरीर को विटामिन-ए और विटामिन सी की एक निश्चित मात्रा प्राप्त होती है, जो अंधेपन से बचाती है। पीले रंग के पपीते के मुकाबले लाल पपीते में कैरोटिन की माुत्राण अपेक्षाकृत कम होुुुती है। इस फऱऱल का चिकित्सकीय महत्व भी काफी है, यह सुपाच्य होता है। ऱपेट में गैस बनने से रोकता है। कब्ज का दुश्मन है और स्वास्थ्य व सौंदर्यवर्धक है। पपीते में पाए जाने वाले पपाइन नामक एंजाइम से भोजन पचाने में मदद मिलती है। यह मोटापे का भी दुश्मन हैं।


पेट के रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है। पपीते के सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है। पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है। पपीते का रस सेवन करने से खट्टी डकारें बंद हो जाती है। पपीता पेट रोग, हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।


पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है। पपीते में विटामिन डी, प्रोटीन, कैल्शियम, लौह तत्व आदि सभी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।पपीता वीर्य को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है। इसके सेवन से जख्म भरता है और दस्त व पेशाब की रुकावट दूर होती है। कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए बहुत लाभ करता है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता, पेशाब अधिक लाता है, मूत्राशय के रोगों को नष्ट करता है, पथरी को लगाता है और मोटापे को दूर करता है। पपीता कफ  के साथ आने वाले खून को रोकता है एवं खूनी बवासीर को ठीक करता है। पपीता त्वचा को ठंडक पहुंचाता है। पपीते के कारण आंखो के नीचे के काले घेरे दूर होते हैं।कच्चे पपीते के गूदे को शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील-मुंहांसो का अंत होता है।

[1/11, 05:36] Morni कृष्ण मेहता: *सागो का सरदार बथुवा*

🔸🔸🔹🔹🔸🔸

बथुवा को अंग्रेजी में (Lamb's Quarters) कहा जाता है तथा इसका वैज्ञानिक नाम (Chenopodium album) है।


साग और रायता बणा कर बथुवा अनादि काल से खाया जाता  रहा है लेकिन क्या आपको पता है कि विश्व की सबसे पुरानी महल बनाने की पुस्तक शिल्प शास्त्र में लिखा है कि *हमारे बुजुर्ग अपने घरों को हरा रंग करने के लिए प्लस्तर में बथुवा मिलाते थे* और हमारी बुढ़ियां *सिर से ढेरे व फांस (डैंड्रफ) साफ करने के लिए बथुवै के पाणी से बाल धोया करती।* बथुवा गुणों की खान है और *भारत में ऐसी ऐसी जड़ी बूटियां हैं तभी तो मेरा भारत महान है।*


बथुवै में क्या क्या है?? मतलब कौन कौन से विटामिन और मिनरल्स??


बथुवा विटामिन B1, B2, B3, B5, B6, B9 और विटामिन C से भरपूर है तथा बथुवे में कैल्शियम,  लोहा, मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स हैं। 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक रेशे होते हैं। कुल मिलाकर 43  Kcal होती है।*


जब बथुवा शीत (मट्ठा, लस्सी) या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी मांसाहार से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बण जाता है और साथ में बाजरे या मक्का की रोटी, मक्खन व गुड़ की डळी हो तो इस खाणे के लिए देवता भी तरसते हैं।


जब हम बीमार होते हैं तो आजकल डॉक्टर सबसे पहले विटामिन की गोली ही खाने की सलाह देते हैं ना??? गर्भवती महिला को खासतौर पर विटामिन बी, सी व लोहे की गोली बताई जाती है और बथुवे में वो सबकुछ है ही, कहने का मतलब है कि बथुवा पहलवानो से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है।


यह साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है।  बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो काला नमक मिलाएँ और देशी  गाय   के घी से छौंक लगाएँ। बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुवै में  जिंक होता है जो कि शुक्राणुवर्धक है मतलब किसै भाई कै जिस्मानी कमजोरी हो तै उसनै बी दूर कर देता है बथुवा।


बथुवा कब्ज दूर करता है और अगर *पेट साफ रहेगा तो कोई भी बीमारी के शरीर में लगेगी ही नहीं, 


कहने का मतलब है कि जब तक इस मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएँ। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएँ और तो और यह खराब लीवर को भी ठीक कर देता है।


पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शक्कर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी।


मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर पी जाएँ। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। आँखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ।


पेशाब के रोगी बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें । बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नींबू जीरा, जरा सी काली मिर्च और काला नमक लें और पी जाएँ।


आप ने अपने दादा दादी से ये कहते जरूर सुणा होगा कि हमने तो सारी उम्र अंग्रेजी दवा की एक गोली भी नहीं ली। उनके स्वास्थ्य व ताकत का राज यही बथुवा ही है।


मकान को रंगने से लेकर खाने व दवाई तक बथुवा काम आता है।


लेकिन अफसोस, किसान ये बातें भूलते जा रहे हैं और इस दिव्य पौधे को नष्ट करने के लिए अपने अपने खेतों में जहर डालते हैं।


तथाकथित कृषि वैज्ञानिकों (अंग्रेज व काळे अंग्रेज) ने बथुवै को भी कोंधरा, चौळाई, सांठी, भाँखड़ी आदि सैकड़ों आयुर्वेदिक औषधियों को खरपतवार की श्रेणी में डाल दिया और हम भारतीय चूं भी ना कर पाये।

बुधवार, 6 जनवरी 2021

ब्रेन हेमरेज ब्रेन स्ट्रोक से ऐसे बचें

 🙏 *गुज़ारिश है आपसे एक ज़रूरी मेसेज आगे शेयर करने की।* 🙏


*-हेमरेज, ब्रेन-स्ट्रोक (मस्तिष्क आघात) अर्थात दिमाग़ की नस का फटना।*


*मस्तिष्क आघात के मरीज़ को कैसे पहचानें?*


एक पार्टी चल रही थी, एक महिला को थोड़ी ठोकर सी लगी और वह गिरते गिरते संभल गई, मगर उसने अपने आसपास के लोगों को यह कह कर आश्वस्त कर दिया कि -"सब कुछ ठीक है, बस नये बूट की वजह से एक ईंट से थोड़ी ठोकर लग गई थी" । 

(यद्यपि आसपास के लोगों ने ऐम्बुलैंस बुलाने की पेशकश भी की...)

साथ में खड़े मित्रों ने उन्हें साफ़ होने में मदद की और एक नई प्लेट भी आ गई! ऐसा लग रहा था कि महिला थोड़ा अपने आप में सहज नहीं है! उस समय तो वह पूरी शाम पार्टी एन्जॉय करती रहीं, पर बाद में उसके पति का लोगों के पास फोन आया कि उसे अस्पताल में ले जाया गया जहाँ उसने उसी शाम दम तोड़ दिया!!

दरअसल उस पार्टी के दौरान महिला को ब्रेन-हैमरेज हुआ था! 

अगर वहाँ पर मौजूद लोगों में से कोई इस अवस्था की पहचान कर पाता तो आज वो महिला हमारे बीच जीवित होती..!!

माना कि ब्रेन-हैमरेज से कुछ लोग मरते नहीं है, लेकिन वे सारी उम्र के लिये अपाहिज़ और बेबसी वाला जीवन जीने पर मजबूर तो हो ही जाते हैं!!

स्ट्रोक की पहचान-

बामुश्किल एक मिनट का समय लगेगा, आईए जानते हैं-

न्यूरोलॉजिस्ट कहते हैं- 

अगर कोई व्यक्ति ब्रेन में स्ट्रोक लगने के, तीन घंटे के अंदर, अगर उनके पास पहुँच जाए तो स्ट्रोक के प्रभाव को पूरी तरह से समाप्त (reverse) किया जा सकता है। 

उनका मानना है कि सारी की सारी ट्रिक बस यही है कि कैसे भी स्ट्रोक के लक्षणों की तुरंत पहचान होकर, मरीज़ को जल्द से जल्द (यानि तीन घंटे के अंदर-अंदर) डाक्टरी चिकित्सा मुहैया हो सके, और बस दुःख इस बात का ही है कि अज्ञानतावश यह सब ही execute नहीं हो पाता है!!!

मस्तिष्क के चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रोक के मरीज़ की पहचान के लिए तीन अतिमहत्वपूर्ण बातें जिन्हें वे STR कहते हैं, सदैव ध्यान में रखनी चाहिए। *अगर STR नामक ये तीन बातें हमें मालूम हों तो मरीज़ के बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सकता है।*


ये 3 बातें इस प्रकार हैं


*(1) S = Smile अर्थात उस व्यक्ति को मुस्कुराने के लिये कहिए।*

*(2) T = Talk यानि उस व्यक्ति को कोई भी सीधा सा एक वाक्य बोलने के लिये कहें, जैसे- 'आज मौसम बहुत अच्छा है' आदि।*

और तीसरा...

*(3) R = Raise अर्थात उस व्यक्ति को उसके दोनों बाजू ऊपर उठाने के लिए कहें।*


अगर उस व्यक्ति को उपरोक्त तीन कामों में से एक भी काम करने में दिक्कत है, तो तुरंत ऐम्बुलैंस बुलाकर उसे न्यूरो-चिकित्सक के अस्पताल में शिफ्ट करें और जो आदमी साथ जा रहा है उसे इन लक्षणों के बारे में बता दें ताकि वह पहले से ही डाक्टर को इस बाबत खुलासा कर सके।

इनके अलावा स्ट्रोक का एक लक्षण यह भी है।

उस आदमी को अपनी जीभ बाहर निकालने को कहें। अगर उसकी जीभ सीधी बाहर नहीं आकर, एक तरफ़ मुड़ सी रही है, तो यह भी ब्रेन-स्ट्रोक का एक प्रमुख लक्षण है।

एक सुप्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है कि अगर इस मैसेज़ को पढ़ने वाला, इसे ज्यादा नही तो आगे, कम से कम अगर दस लोगों को भी भेजे, तो निश्चित तौर पर, कुछ न कुछ बेशकीमती "जानें" तो बचाई ही जा सकती हैं!!!

आवश्यक है कि इस जानकारी को अधिकतम शेयर करें।

जी हाँ मित्रों,

समय गूंगा नहीं, बस मौन है!!

ये तो वक्त ही बताता है, कि किसका कौन है??

🙏🌹🤝🌹यह आपके लिए नहीं हे . पर इस की जानकारी से किस्सी जान बच। जाये तो यह जनहित हे भेज रहा हूँ।

रविवार, 3 जनवरी 2021

भागवत गीता के उपदेश - 1

 *🌹🌹राधास्वामी!! -* परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

-[ भागवत गीता के उपदेश]-          

                                    ।।

भूमिका।।:- 

                                            

   (1) श्रीमद्भागवत गीता हिंदुओं के सुविख्यात महाभारत पुराण के भीष्म पर्व का एक अंश है। इस पुस्तक के रचयिता कृष्ण द्वैपायन उपनाम व्यास जी माने जाते हैं । इसमें हस्तिनापुर के प्रसिद्ध राजवंश के गृह- कलह का हाल पद्य में अत्यंत रोचक रीति से वर्णन किया गया है। इस राजवंश की दो शाखाएँ थी- एक पाण्डव कहलाती थी दूसरी कौरव। व्यास जी दोनों शाखाओं से संबंध रखते थे।।                                                        

 (2) प्राय:अनुसंधानकर्ताओं का मत है कि हिंदुओं के अन्य ग्रंथों की तरह महाभारत और गीता में भी समय-समय पर कुछ न कुछ अंश बढ़ाया जाता रहा है और बहुतो का यह भी मत है कि गीता के उपदेश महाभारत पुराण के लेखबद्ध होने से पहले विद्यमान थे और व्यास जी ने उन्हें पद्य का रूप देकर अपने ग्रंथ का अंश बना लिया। जो भी हो, परंतु यह स्वीकार करने में किसी को संकोच नहीं कि महाभारत हिंदुओं की एक प्राचीन पुस्तक है । अनुसंधानकर्ताओं का अनुमान है कि यह पुस्तक आज से कम से कम ढाई हजार वर्ष पहले रची गई और गीता के विषयों और लेखनशैली से इस मन्तव्य की पुष्टि होती है। जैसे गीता में कई जगह उपनिषदो से पूरी पंक्तियाँ उद्भुत की गई है और संख्या व योग दर्शन की शिक्षा का उल्लेख किया गया है, पर यह उल्लेख पातंजल योगसूत्रो और सांख्य दर्शन की शिक्षा की अपेक्षा अपूर्ण है। इन कारणों से और साथ ही इस कारण से की उपनिषदों के छन्दों की अपेक्षा गीता के छन्द अधिक नियमित है प्रकट है यह पुस्तक उपनिषदों के और योग व साँख्य दर्शनों के मध्य काल में रची गई।                                                   

 इसके अतिरिक्त देखने में आता है कि गीता में व्यर्थ शब्द केवल छन्द पूरा करने के लिए जगह-जगह भरे गये हैं और कुछ शब्द (योग, ब्रह्म, बुद्धि, आत्मा आदि) अनियत अर्थ में प्रयुक्त किए गये हैं । इसके विपरीत दर्शनों की भाषा अत्यंत संगठित और संक्षिप्त है और उनमें सभी पारिभाषिक शब्द केवल नियत अर्थ में प्रयुक्त हुए हैं।                           

इसके अतिरिक्त गीता में वैदिक कर्मों और देवताओं की उपासना को निम्नश्रेणी में स्थान देकर मालिक की भक्ति की महिमा वर्णन की गई है जो उपनिषदों की शिक्षा के पूर्णतया अनुकूल है। और इन विषयों से संबंध रखने वाले गीता के उपदेशों के साथ मनुस्मृति की व्यवस्थाओं की तुलना करने से स्पष्ट होता है कि गीता ऐसे समय में रची गई जब हिंदू जाति का ह्रदय अत्यंत उदार था। उदाहरणार्थ गीता के चौथे अध्याय के तेरहवें और 18वें अध्याय के 41वें श्लोक में स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है कि वर्णो का विभाग गुणों के भेद के कारण है और मनुस्मृति की तरह कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि वर्णो का विभाग जन्म से होता है। और क्योंकि पतंजलि मुनि का समय ईसा से लगभग 200 वर्ष पूर्व और मनु का समय ईसा से 200 वर्ष पश्चात माना जाता है इसलिए प्रकट है कि गीता का जन्म आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व हुआ।

क्रमशः                        

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


**परम गुरु हुजूरगुरु महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1- कल से आगे -(47)[ सवाल जवाब]-                                    (1) सवाल जिन जीवों ने सच्चे दिल से ऐसी सरन ली है कि जो कुछ होता है मालिक की मौज से होता है और सच्ची ख्वाहिश इस बात की रखते हैं कि वह कर्मों के बंधन में न पड़े, जो कुछ अच्छा और बुरा हो सब मालिक की मौज पर छोड़ दें, तो फिर जो नाकिस कर्म उनसे बनेगा उसका उत्तरदाई कौन है?- या जो ख्यालात नापसंदीदा कि एकाएक उनके दिल में पैदा हो जाते हैं और वह सच्चे दिल से यह बात चाहते हैं कि ऐसे ख्यालात कि ऐसी कार्यवाही उनसे मनसा( मन से) बाचा( वाणी से) कर्मन ( कर्म द्वारा) सरजद न हो(न बन पड़े ), तो इसकी निस्बत क्या ख्याल हो सकता है?  अगर उनके जिम्में डाला जावेगा , तो वह मारे पड़े, क्योंकि वह तो बारम्बार तोबा कर रहे हैं कि हे मालिक हमारे हाथ से खोटी करनी न बने। अगर मालिक के जिम्में में रक्खा जावे तो ऐसी कार्रवाइयाँ क्यों करावेगा ? तो बावजूदे कि दिल से ऐसी सरन इख्तियार की है या करना चाहते हैं और फिर हरकात नापसंदीदा बन पडे , या एकाएक दिल में उनका ख्याल बिला सौचे पैदा हो, इसका क्या जतन है और यह क्यों पैदा होते हैं?                                 दूसरे वह जीव जो सरन दृढ करना चाहते हैं यह समझ लेकर कि जो सब कर्म भले और बुरे मालिक की मौज पर छोड़ दिए जावें तो निस्बत बुरे कर्मों के मालिक के जिम्में दोष आता है, और जो ऐसा बर्ताव करें कि जो कोई नेक करनी भूल चूक से (गोकि नेक कर्म इस जीव से सरजद होना एक कठिन काम बल्कि नामुमकिन है , मगर मान लो अगर मालिक की दया से बन जावे) उनसे बन पडे तो उसके वास्ते सच्चे दिल से यह विश्वास किया मालिक ने किया और जो नाकिस कर्म उनसे  (जो रोजाना बनते हैं)  सरजद हों, वह सच्चे दिल से अपने ऊपर ले लें कि यह हमसे हुआ और बवजह सरजद होने के अपने मालिक से माफी चाहें, तो उनके वास्ते मौका माफी है या नहीं? मतलब यह है कि:-(१) वह जीव जो कर्मों का बंधन नहीं चाहते और चरन सरन दृढ करना चाहते हैं और वह सब कर्म भले और बुरे मालिक के जिम्में रख दें।।                                        (२) वह जीव जो कर्मों का बंधन नहीं चाहते और चरन शरन दृढ करना चाहते हैं, अगर कोई कर्म वर्ष 6 महीने में मालिक की दया से बन पड़े तो वह मालिक के अर्पण और जो खराब कार्रवाई नित्य और हर घड़ी होती है वह अपने जिम्मे ले लें, तो इन दोनों किस्म में से वह जुगत बतला दीजिए जिससे कि जीव का सहज गुजारा हो जावे कि किस हालत में मालिक की तरफ से ज्यादा रक्षा होगी और जीवो का जल्दी काम बनेगा। क्रमशः                                     🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

चाणक्य दर्शन

 *Chankya neeti*: एक बार आचार्य चाणक्य से किसी ने प्रश्न किया, ‘‘मानव को स्वर्ग प्राप्ति के लिए क्या-क्या उपाय करने चाहिएं?’’


चाणक्य ने संक्षेप में उत्तर दिया, ‘‘जिसकी पत्नी और पुत्र आज्ञाकारी हों, सद्गुणी हों तथा अपनी उपलब्ध सम्पत्ति पर संतोष करते हों, वह स्वर्ग में नहीं तो और कहां वास करता है।’’


आचार्य चाणक्य सत्य, शील और विद्या को लोक-परलोक के कल्याण का साधन बताते हुए नीति वाक्य में लिखते हैं, ‘‘यदि कोई सत्यरूपी तपस्या से समृद्ध है तो उसे अन्य तपस्या की क्या आवश्यकता है? यदि मन पवित्र और निश्छल है, तो तीर्थांटन करने की क्या आवश्यकता है? यदि कोई उत्तम विद्या से सम्पन्न है, तो उसे अन्य धन की क्या आवश्यकता है?’’

 


वह कहते हैं, ‘‘विद्या, तप, दान, चरित्र एवं धर्म (कर्तव्य) से विहीन व्यक्ति पृथ्वी पर भार है। संसार में विद्यावान की सर्वत्र पूजा होती है। विद्यया लभते सर्व विद्या सर्वत्र पूज्यते। अर्थात विद्या रूपी धन से सब कुछ प्राप्त होता है।’’


सदाचार व शुद्ध भावों का महत्व बताते हुए आचार्य चाणक्य लिखते हैं, ‘भावना से ही शील का निर्माण होता है। शुद्ध भावों से युक्त मनुष्य घर बैठे ही ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। ईश्वर का निवास न तो प्रतिमा में होता है और न मंदिरों में। भाव की प्रधानता के कारण ही पत्थर, मिट्टी और लकड़ी से बनी प्रतिमाएं भी देवत्व को प्राप्त करती हैं, अत: भाव की शुद्धता जरूरी है।’’


आचार्य चाणक्य का यह भी कहना है कि ‘‘यदि मुक्ति की इच्छा रखते हो तो विषय-वासना रूपी विद्या को त्याग दो। सहनशीलता, सरलता, दया, पवित्रता और सच्चाई का अमृतपान करो।’’

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*हेमन्त किगरं *(समाजसेवी) 9915470001*

महिलाओ के अधिकार

 जानें महिलाओं के लिए बनें इन कानून और अधिकारों के बारे में , 

1. समान वेतन का अधिकार: समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता.


2. काम पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार: काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है.


3. नाम न छापने का अधिकार: यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को नाम न छापने देने का अधिकार है. अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है.


4. घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार: ये अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरुष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां या बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है. आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है.


5. मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार: मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नहीं बल्कि ये उनका अधिकार है. मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई मां के प्रसव के बाद 12 सप्ताह(तीन महीने) तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती हैं.


6. कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार: भारत के हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके मूल अधिकार- 'जीने के अधिकार' का अनुभव करने दें. गर्भाधान और प्रसव से पूर्व पहचान करने की तकनीक(लिंग चयन पर रोक) अधिनियम (PCPNDT) कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता ह

आखिरी काम!*

 *आखिरी काम!*


एक बूढ़ा कारपेंटर अपने काम के लिए काफी जाना जाता था , उसके बनाये लकड़ी के घर दूर -दूर तक प्रसिद्द थे . पर अब बूढा हो जाने के कारण उसने सोचा कि बाकी की ज़िन्दगी आराम से गुजारी जाए और वह अगले दिन सुबह-सुबह अपने मालिक के पास पहुंचा और बोला , ” ठेकेदार साहब , मैंने बरसों आपकी सेवा की है पर अब मैं बाकी का समय आराम से पूजा-पाठ में बिताना चाहता हूँ , कृपया मुझे काम छोड़ने की अनुमति दें . “

ठेकेदार कारपेंटर को बहुत मानता था , इसलिए उसे ये सुनकर थोडा दुःख हुआ पर वो कारपेंटर को निराश नहीं करना चाहता था , उसने कहा , ” आप यहाँ के सबसे अनुभवी व्यक्ति हैं , आपकी कमी यहाँ कोई नहीं पूरी कर पायेगा लेकिन मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि जाने से पहले एक आखिरी काम करते जाइये .”


“जी , क्या काम करना है ?” , कारपेंटर ने पूछा..


“मैं चाहता हूँ कि आप जाते -जाते हमारे लिए एक और लकड़ी का घर तैयार कर दीजिये ठेकेदार घर बनाने के लिए ज़रूरी पैसे देते हुए बोला l


कारपेंटर इस काम के लिए तैयार हो गया . उसने अगले दिन से ही घर बनाना शुरू कर दिया , पर ये जान कर कि ये उसका आखिरी काम है और इसके बाद उसे और कुछ नहीं करना होगा वो थोड़ा ढीला पड़ गया . पहले जहाँ वह बड़ी सावधानी से लकड़ियाँ चुनता और काटता था अब बस काम चलाऊ तरीके से ये सब करने लगा . कुछ एक हफ्तों में घर तैयार हो गया और वो ठेकेदार के पास पहुंचा , ” ठेकेदार साहब , मैंने घर तैयार कर लिया है , अब तो मैं काम छोड़ कर जा सकता हूँ ?”


ठेकेदार बोला ” हाँ , आप बिलकुल जा सकते हैं लेकिन अब आपको अपने पुराने छोटे से घर में जाने की ज़रुरत नहीं है , क्योंकि इस बार जो घर आपने बनाया है वो आपकी बरसों की मेहनत का इनाम है; जाइये अपने परिवार के साथ उसमे खुशहाली से रहिये !”


कारपेंटर यह सुनकर स्तब्ध रह गया , वह मन ही मन सोचने लगा , “कहाँ मैंने दूसरों के लिए एक से बढ़ कर एक घर बनाये और अपने घर को ही इतने घटिया तरीके से बना बैठा …क़ाश मैंने ये घर भी बाकी घरों की तरह ही बनाया होता .”


कब आपका कौन सा काम किस तरह आपको प्रभावित कर सकता है ये बताना मुश्किल है. ये भी समझने की ज़रुरत है कि हमारा काम हमारी पहचान बना भी सकता है और बिगाड़ भी सकता है. इसलिए हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम हर एक काम अपनी पूर्ण निष्ठा के साथ करें फिर चाहे वो हमारा आखिरी काम ही क्यों न हो!


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शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

दो प्रेरक कथाएं

 प्रस्तुति - कृष्ण मेहता:

एक पाँच छ: साल का मासूम सा बच्चा अपनी छोटी बहन को लेकर मंदिर के एक तरफ कोने में बैठा हाथ जोडकर भगवान से न जाने क्या मांग रहा था ।


कपड़े में मैल लगा हुआ था मगर निहायत साफ, उसके नन्हे नन्हे से गाल आँसूओं से भीग चुके थे ।


बहुत लोग उसकी तरफ आकर्षित थे और वह बिल्कुल अनजान अपने भगवान से बातों में लगा हुआ था ।


जैसे ही वह उठा एक अजनबी ने बढ़ के उसका नन्हा सा हाथ पकड़ा और पूछा : -

"क्या मांगा भगवान से"

उसने कहा : -

"मेरे पापा मर गए हैं उनके लिए स्वर्ग,

मेरी माँ रोती रहती है उनके लिए सब्र,

मेरी बहन माँ से कपडे सामान मांगती है उसके लिए पैसे".. 


"तुम स्कूल जाते हो"..?

अजनबी का सवाल स्वाभाविक सा सवाल था ।


हां जाता हूं, उसने कहा ।


किस क्लास में पढ़ते हो ? अजनबी ने पूछा


नहीं अंकल पढ़ने नहीं जाता, मां चने बना देती है वह स्कूल के बच्चों को बेचता हूँ ।

बहुत सारे बच्चे मुझसे चने खरीदते हैं, हमारा यही काम धंधा है ।

बच्चे का एक एक शब्द मेरी रूह में उतर रहा था ।


"तुम्हारा कोई रिश्तेदार"

न चाहते हुए भी अजनबी बच्चे से पूछ बैठा ।


पता नहीं, माँ कहती है गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होता,

माँ झूठ नहीं बोलती,

पर अंकल,

मुझे लगता है मेरी माँ कभी कभी झूठ बोलती है,

जब हम खाना खाते हैं हमें देखती रहती है ।

जब कहता हूँ 

माँ तुम भी खाओ, तो कहती है मैने खा लिया था, उस समय लगता है झूठ बोलती है ।


बेटा अगर तुम्हारे घर का खर्च मिल जाय तो पढाई करोगे ?

"बिल्कुलु नहीं"


"क्यों"

पढ़ाई करने वाले, गरीबों से नफरत करते हैं अंकल,

हमें किसी पढ़े हुए ने कभी नहीं पूछा - पास से गुजर जाते हैं ।


अजनबी हैरान भी था और शर्मिंदा भी ।


फिर उसने कहा

"हर दिन इसी इस मंदिर में आता हूँ,

कभी किसी ने नहीं पूछा - यहाँ सब आने वाले मेरे पिताजी को जानते थे - मगर हमें कोई नहीं जानता ।


"बच्चा जोर-जोर से रोने लगा"


 अंकल जब बाप मर जाता है तो सब अजनबी क्यों हो जाते हैं ?


मेरे पास इसका कोई जवाब नही था... 


ऐसे कितने मासूम होंगे जो हसरतों से घायल हैं ।

बस एक कोशिश कीजिये और अपने आसपास ऐसे ज़रूरतमंद यतीमों, बेसहाराओ को ढूंढिये और उनकी मदद किजिए .........................


मंदिर मे सीमेंट या अन्न की बोरी देने से पहले अपने आस - पास किसी गरीब को देख लेना शायद उसको आटे की बोरी की ज्यादा जरुरत हो ।

[1/2, 08:08] Morni कृष्ण मेहता: मर्ज़ी हो परमात्मा का  तो#

  बुरी से बुरी बला भी टल जाती है✍️


जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।

.

वहां पहुँचते  ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।

उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।


उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।


मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ? 


क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?

वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?


हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।


हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अन्तत: यश, अपयश ,हार ,जीत, जीवन,मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।


कुछ लोग हमारी सराहना करेंगे,

                           कुछ लोग हमारी आलोचना करेंगे।


                【दोनों ही मामलों में हम फायदे में हैं,】


एक हमें प्रेरित करेगा और

                           दूसरा हमारे भीतर सुधार लाएगा।।


   Life Score Management

दरख़्त और परिंदा / सुदर्शन खन्ना

 दरख़्त और परिन्दा

आम का बड़ा दरख़्त उम्रदराज हो चुका था ।  ऋतु अनुसार फल भी कम लगने लगे थे ।  आसपास के दूसरे आम के दरख़्तों पर मीठे आमों की बहार रहती थी ।  उम्रदराज़ आम के दरख़्त पर एक परिन्दा बचपन से वहीं पला और मीठे आम खाकर बढ़ा हुआ था ।  आमों के साथ-साथ उसे उस दरख़्त से भी अपार प्रेम हो गया था ।

‘मालिक, हमारे आमों के बगीचे में सैंकड़ों आम के दरख़्त हैं ।  मौसम के हिसाब से सभी दरख़्तों पर खूब आम लगते हैं ।  आमदनी भी खूब होती है ।  पर यह दरख़्त अब फल देने योग्य नहीं रहा ।  आम भी बहुत कम लगते हैं और जो लगते भी हैं तो वे परिन्दे चोंच मार कर खा जाते हैं ।  अब इससे उतनी आमदनी भी नहीं हो रही ।  ऐसे में क्या आम के इस दरख़्त को इसी तरह रहने दिया जाये या इसे काट कर इसकी लकड़ी बेच दी जाये और धन कमाया जाय ।  कटे हुए आम के दरख़्त की जगह आम के दरख़्त का नया बीज बो दिया जाये ।’ माली ने मालिक से पूछा ।

‘हम कल बात करेंगे’ मालिक ने कहा और घर चला गया ।

‘आपकी बात मैंने सुनी ।  मेरे ख्याल में तो आम के इस दरख़्त को अभी लगा ही रहने दो ।  आम थोड़े कम ही आयेंगे तो इससे क्या फर्क पड़ता है ?  कोई घाटा थोड़े ही होगा ।  इस बगीचे की शान है यह सबसे पुराना आम का दरख़्त । हमारे बच्चों ने भी इस आम के दरख़्त से कितने ही मीठे आम खाये हैं ।  कितने तो घोंसले इस पर परिन्दों ने बना रखे हैं ।  और अभी तो हरी पत्तियाँ भी आती हैं ।  फिर ज्यादा न सही कुछ आम तो फलते ही हैं ।’ मालकिन ने समझाने की कोशिश की ।

मालकिन नहीं चाहती थी कि आम के उस दरख़्त पर बने घोंसले आम के दरख़्त की कटाई के साथ उजड़ जायें इसलिए उसने अपना पक्ष रख कर समझाने की बहुत कोशिश की थी ।  मुद्रा कमाने वाले मालिक ने क्षण भर तो अपनी पत्नी की मानवीय संवेदना को सुना पर अगले ही पल वह व्यावहारिक हो गया था ।

‘देखो, हर जीव की, हर दरख़्त की, हर पौधे की अपनी अपनी आयु होती है ।  उसकी आयु पूर्ण हो गई है ।  अब उसका त्याग करना ही उचित होगा ।’ मालिक अपनी पत्नी से बोला ।

‘परिन्दों का क्या है, आज यहाँ तो कल वहाँ, वे तो अपना घोंसला बना ही लेंगे ।  हम लोग भी तो अपने 2-3 आशियाने बदल चुके हैं ।  ज़्यादा भावुक होना भी अच्छा नहीं होता ।  फिर जो आम का यह दरख़्त कटेगा तो उसकी जगह पर आम का नया पौधा भी तो रोपा जायेगा ।  वह भी समय के अनुसार फल देने लगेगा ।’ मालिक ने आगे बोलना ज़ारी रखा ।

घर के लिये आय अर्जित करने वाले स्वामी के समक्ष मालकिन ने चुप्पी साध ली ।  पर अन्दर ही अन्दर वह आहत हुई थी ।

कुछ दिनों में लकड़ी के ठेकेदार आम के उस दरख़्त को देखने आते रहे और कीमत लगाते रहे ।  अलग अलग निगाहों से आम के उस दरख़्त को देखा जाता ।  कई कीमतें लगीं ।  आख़िर में एक ठेकेदार ने सबसे अधिक मूल्य लगाकर आम के उस दरख़्त को खरीद लिया ।

‘इसे 2-3 दिन में काट कर ले जाओ’ माली ने कहा ।

‘ठीक है, मैं कल ही दरख़्त काटने वाले भेज दूँगा ।’ ठेकेदार कहता हुआ चला गया ।

आम का वह दरख़्त मनुष्य के लिए मूक था पर परिन्दों से बात कर सकता था ।  ‘तुम सब अपने घोंसले हटा लो ।  जब मैं कटूँगा तो तुम्हारे घोंसलों और बच्चों पर भी मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ेगा ।’ दरख़्त ने दुःखी होकर अपनी घनी डालियों पर रहने वाले परिन्दों से फरियाद की थी ।

परिन्दे दरख़्त की बात सुनकर उदास हुए थे ।  वे उस दरख़्त को छोड़ कर नहीं जाना चाहते थे पर मजबूर हो गये थे ।  सूर्यास्त होने तक परिन्दों ने आसपास के दरख़्तों में रहने वाले संबंधियों के घर अपने बच्चों को शिफ्ट कर दिया था ।  घोंसले तो वे ले नहीं जा सकते थे ।  अलबत्ता उन्होंने भारी मन से दूसरे दरख़्तों पर नये घोंसले बनाने शुरू कर दिये थे ।

‘खटाक’ ध्वनि के साथ उस दरख़्त का पहला हाथ अलग हो गया था। ठेकेदार के निर्मोही कर्मचारी कुल्हाड़ियों के साथ आ धमके थे और आते ही आम के इस दरख़्त पर निर्दय प्रहार करने शुरू कर दिये थे ।

परिन्दे वीभत्स कलरव कर रहे थे ।  मानो एक साथ सभी रुदन कर रहे हों ।  दरख़्त की शिराओं से रक्त प्रवाह हो रहा था जिसे केवल परिन्दे ही देख पा रहे थे ।  बीच बीच में जब लकड़हारे थक जाते तो वह आसपास के दरख़्तों की छाँव में बैठ जाते ।  वे भूल जाते कि वे उन्हीं दरख़्तों की छाँव में बैठे हैं जो उस दरख़्त के संबंधी हैं ।  कटती डालियों और गिरते घोंसलों को देखकर परिन्दों का चीत्कार और भी बढ़ गया था ।  आख़िर वह समय भी आया जब आम का वह विशाल दरख़्त धरती पर धराशायी हो गया था ।  उसका वजूद खत्म हो गया था ।  उसके हिस्सों को ट्राली में भर कर ले जाया गया और उस जगह मानो एक रिक्त स्थान पैदा हो गया था ।  जैसे किसी वयोवृद्ध महापुरुष के महाप्रयाण पर रिक्तता उत्पन्न हो जाती है और पीछे रहने वाले अपने उद्गार प्रकट करते हैं वैसे ही परिन्दों का स्वर बदल गया था और अब वे विलाप कर रहे थे ।

समय बीतता गया ।  उस कट चुके आम के दरख़्त की लकड़ियों को उस ठेकेदार के कारखाने में ले जाकर बड़े बड़े फट्टों की शकल दे दी गई थी ।  इधर बगीचे के स्वामी ने अपने बंगले में कुछ निर्माण करवाया था ।  वहाँ कुछ दरवाज़ों की आवश्यकता थी ।  अन्त में तय हुआ कि लकड़ी के दरवाजे़ ही लगवाये जायें ।  और ऐसा ही हुआ ।

बड़े से कमरे के द्वार पर विशाल लकड़ी का दरवाज़ा लगा दिया गया ।  बहुत ही खूबसूरत दरवाज़ा था ।  इस कमरे में गृहस्वामी और उसकी पत्नी रहने लगे थे ।  उन दोनों को अक्सर उस दरवाजे पर ठक-ठक की आवाज़ सुनाई देती ।  पर जब वे दरवाज़ा खोलते तो कोई नज़र नहीं आता ।  जब यह सिलसिला रोज़ होने लगा तो गृहस्वामी ने घर के नौकरों से दरवाज़े पर निगाह रखने के लिए कहा ।  नौकर दिन भर उस दरवाजे पर दृष्टि गड़ाए बैठे रहते ।

एक-दो दिन उन्होंने देखा कि उस दरवाज़े पर एक परिन्दा आता है और चोंच मार कर चला जाता है ।  उन्होंने इसे सामान्य घटना समझा ।

सायँकाल को स्वामी ने नौकरों को बुलाकर कहा ‘आज फिर ठकठक हुई थी, तुमने क्या देखा, कौन ठकठक कर रहा था ?’

‘मालिक हमने तो नहीं देखा, हमारे सामने तो कोई भी नहीं आया जिसने ठकठक की हो ।’ नौकरों ने जवाब दिया ।

मालिक सुनकर थोड़ा हैरान और परेशान हुआ ।  उसे अनजान डर सताने लगा ।  ठकठक का सिलसिला नियमित था ।  आखिर एक दिन उसने खुद ही निगाह रखने की सोची ।  नियत समय पर एक परिन्दा आया और दरवाजे पर कुछ देर तक चोंच मारता रहा और फिर उड़ गया ।

गृहस्वामी को ठकठक का राज़ समझ में आ गया ।  पर उसे यह समझ नहीं आया था कि वह परिन्दा रोज़ ही वहाँ क्यों आता है ?  उसने अपने माली को बुलाकर पूछा ‘क्या तुम बता सकते हो यह परिन्दा रोज यहाँ दरवाजे पर ठकठक क्यों करने आता है ?’

माली ने कहा, ‘मालिक, मैं तो नहीं बता सकता ।  पर एक बहेलिया मेरा मित्र है, वह परिन्दों की भाषा समझता है ।  मैं उसे बुला कर लाता हूँ ।  संभवतः वह बता सके ।’ यह कर माली चला गया और अगले दिन बहेलिये को बुला लाया ।

स्वामी, माली और बहेलिया दूर से दृष्टि गड़ाए रहे ।  नियत समय पर परिन्दा आया ।  कुछ देर दरवाज़े पर चोंच मारता रहा और फिर उड़ गया ।  बहेलिया आश्चर्यचकित रह गया ।  उसने आकाश में दोनों हाथ उठाकर ईश्वर को प्रणाम किया ।  कुछ देर तक वह विस्मित रहा और फिर उसने दोनों से कहा ‘यह परिन्दा जो रोज़ खटखटाने आता है दरवाज़ा आपके घर का ... यह लकड़ी उसी दरख़्त की है जिस पर कभी आशियाना था उसका ।  यह परिन्दा रोज़ उसे मिलने आता है और जताता है कि हमारा तुम्हारा जन्म जन्म का साथ है ।  तुमने मुझे आश्रय दिया, बाद में तुम्हें काट दिया गया, पर मैं तुम्हें कैसे भुला सकता हूँ ।’

यह सुनकर स्वामी और माली दोनों ही अवाक् रह गये ।  स्वामी ने तुरन्त पता करवाया कि उस दरवाज़े के लिए लकड़ी कहाँ से आई थी ।  पता चला कि वह लकड़ी उसी आम के दरख़्त की थी और उसी ठेकेदार के कारखाने से आई थी । यह पता चलते ही स्वामी का हृदय परिवर्तन हुआ और उसने प्रतिज्ञा की कि भविष्य में वह कभी कोई दरख़्त नहीं काटेगा ।  उसे दरख़्त और परिन्दे की संवेदना समझ में आ गयी  l