मंगलवार, 29 जुलाई 2014

हिन्दी शब्दावली








प्रस्तुति-- रतन सेन भारती, अभिषेक रस्तोगी


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Master List of English Hindi Glossaries

किसी भी विषय की पारिभाषिक शब्दावली का बड़ा ही महत्व है। सहज भाषा (natural language) की तुलना में किसी वैज्ञानिक, तकनीकी या आर्थिक विषय के वर्णन में यह विशेषता होती है कि उसमें संज्ञाओं(नाम) की भरमार होती है। किसी विषिष्ट विषय (specialized subject) को समझने-समझाने का काम पारिभाषिक शब्दावली के बिना दुरूह ही नहीं, असम्भव भी है।
पारिभाषिक शब्दावली के दो फायदे होते हैं - पहला यह कि किसी विचार या कान्सेप्ट(concept) को समझने-समझाने के लिये नये शब्द के प्रयोग से विचारों को पंख लग जाते हैं; दूसरा यह कि शब्द की परिभाषा करने से वह अस्पष्टता समाप्त हो जाती है जो कि उस शब्द की सामान्य अर्थों में प्रयोग में आती है। इस प्रकार विचार-विनिमय(communication) में आसानी होती है और विचार-विनिमय दक्षता पूर्वक हो पाता है।
  1. देशों/ राष्ट्रों के नाम (Country names glossary)
  2. विज्ञान शब्दावली (Science glossary)
  3. गणित शब्दावली (Mathematics glossary)
  4. भौतिकी शब्दावली (Physics glossary)
  5. भौतिक विज्ञान शब्दावली (परिभाषा सहित)
  6. नाभिकीय विज्ञान एवं तकनीकी शब्दावली (Nuclear Science glossary)
  7. रसायन विज्ञान शब्दावली (परिभाषा सहित) (Chemistry glossary (With Definitions))
  8. रसायन विज्ञान शब्दावली (परिभाषा के बिना) (Chemistry glossary (Without Definitions))
  9. जीवविज्ञान शब्दावली (Biology glossary)
  10. आयुर्विज्ञान शब्दावली - आयुर्विज्ञान एवं भेषज विज्ञान का वृहत् पारिभाषिक शब्द-संग्रह
  11. मानव शरीर एवं स्वास्थ्य शब्दावली (Medical glossary)
  12. प्राकृतिक चिकित्सा शब्दावली (Natural Health Care glossary)
  13. भूविज्ञान शब्दावली (Earth Sciences Glossary)
  14. कृषि शब्दावली (Agriculture glossary)
  15. कृषि-मौसमविज्ञान अंग्रेजी-हिंदी शब्दावली (Agro-Metrology English-Hindi Glossary)
  16. बारानी कृषि शब्दावली‎ (Dryland Agricultural Glossary)
  17. जैवतकनीकी शब्दकोश (Bio-technology glossary)
  18. विविधता/जैव विविधता शब्दावली (Biodiversity glossary)
  19. तकनीकी शब्दावली : यांत्रिक, वैद्युत तथा अन्य तकनीकी शब्द (English Hindi Glossary of Technological Terms)
    1. रेलवे सिगनल और दूरसंचार शब्दावली (Glossary of Railway Signals and Telecommunications)
    2. सिगनल और दूरसंचार विभाग में सामान्यतः प्रयुक्त पदबंध और वाक्यांश (Glossary of Signals and Telecommunications)
    3. भूतकनीकी अभियांत्रिकी की शब्दावली (Glossary of Geotechnical Engineering - मृदा एवं सामग्री शब्दावली - Soil and Materials glossary)
    4. विद्युत अभियांत्रिकी की शब्दावली (Glossary of Electrical Engineering)
    5. एलेक्ट्रानिकी की शब्दावली
    6. कम्प्यूटर शब्दावली (अंग्रेजी-हिन्दी)
    7. हिन्दी संगणक शब्दावली (English Hindi Computer terminology at Hindi Wikipedia)
    8. सूचना प्रौद्योगिकी शब्दावली (IT Glossary) A B-C D E-I J-M N-P Q-S T-Z
    9. यांत्रिक इंजीनियरिंग की शब्दावली (Glossary of Mechanical Engineering)
    10. वर्कशाप तकनीकी की शब्दावली (Glossary of Workshop Technology)
    11. सिविल इंजीनीयरिंग की शब्दावली (Glossary of Civil Engineering)
    12. अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी की शब्दावली
    13. इस्पात से संबंधित तकनीकी शब्दावली (Glossary of steel related terms)
    14. नागर विमानन शब्दावली (Glossary of Civil Aviation)
  20. भाषाविज्ञान की शब्दावली (Linguistics glossary)
  21. सामाजिक विज्ञान शब्दावली (Social Science glossary)
  22. विविध कलाओं की शब्दावली (Arts glossary)
  23. अर्थशास्त्र की शब्दावली (Economics glossary)
  24. शेयर बाजार की पारिभाषिक शब्दावली
  25. लेखा शब्दावली (Accounts glossary) A B-C D-E F-I J-O P-R S-Z
  26. लेखा से सम्बन्धित पदनाम (Accounts and Audit Designations)
  27. लेखा से सम्बन्धित अनुभाग (Sections in Accounts and Audit)
  28. लेखा से सम्बन्धित वाक्यांश - 1 (Accounts and Audit related Phrases 1)
  29. लेखा से सम्बन्धित वाक्यांश - 2 (Accounts and Audit related Phrases 2)
  30. बैंकिंग शब्दावाली (Banking Glossary) A B-C D-E F-H I-L M-N O-P Q-S T-Z
  31. बैंकिंग के अधिनियम (Banking Acts)
  32. बैंकिंग में प्रयुक्त संक्षेपण (Banking abbreviations)
  33. विकास की शब्दावली (Development glossary)
  34. प्रबन्धन शब्दावली (Management glossary)
  35. प्रशासनिक शब्दावली (Administrative Glossary) A B C D E F G-H I J-L M N-O P Q-R S T U-Z
  36. प्रशासनिक वाक्यांश (Administrative Phrases)
  37. प्रशासनिक डिग्री व डिप्लोमा (Administrative Degrees and Diplomas)
  38. शासकीय विभाग व पदनाम (Sections/Departments and Designations)
  39. विधिक शब्दावली (Legal glossary)
  40. साहित्यिक शब्दावली (Glossary of Literary Terms)
  41. भोजन शब्दावली (Food/Cooking glossary)
  42. शब्दकोश
  43. अंग्रेजी हिन्दी शब्दकोश A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z
  44. सरल हिंदी शब्दकोश
  45. हिन्दी हिन्दी शब्दकोश # इ-अ: ख-घ च-छ ज-झ त-थ द-ध ट-ठ ड-ढ फ-ब भ-म य-ल श-ष
  46. महान हिन्दी-हिन्दी शब्दकोश
  47. तुकान्त शब्दकोश (Rhyming words - Ending with same letter) न् अन्य
  48. कठिन शब्द
  49. अंग्रेजी-हिन्दी वाक्यांश (English Hindi Phrases) अंग्रेजी-हिन्दी वाक्यांश कोश-०२ अंग्रेजी-हिन्दी वाक्यांश कोश-०३
  50. विक्षनरी:अन्तरजाल पर स्थित हिन्दी शब्दकोश
  51. हिन्दी
  52. अंग्रेज़ी
  53. हिन्दू नामावली
  54. स्वदेश हिंदी शब्द
  55. उर्दू शब्दों के सरल हिन्दी पर्याय
  56. पर्यायवाची शब्द
  57. हिन्दी के क्रिया-पद

संबंधित कड़ियाँ

बाहरी कडियाँ

रविवार, 6 जुलाई 2014

पाकिस्तान की किरण बेदी





प्रस्तुति-- निम्मी नर्गिस,

पाकिस्तान की लोकप्रिय महिला पुलिसकर्मी

पुलिस थाने में अक्सर महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. किसी पुरुष के आगे अपनी कहानी बयान करना महिलाओं के लिए आसान नहीं होता. पाकिस्तान में एक पुलिसकर्मी महिलाओं के दिल का दर्द बांट रही है.
रावलपिंडी में महिला पुलिसकर्मियों का पुलिस थाना अहम होता जा रहा है, वह भी पुरुष प्रधान समाज में. थाना प्रमुख बुशरा बतूल कहती हैं कि यह जरूरतमंदों का आखिरी ठिकाना बन गया है. 36 साल की बुशरा बतूल अपना गला साफ करती हैं और सिर का दुपट्टा ठीक करते हुए पुलिस थाने में आती हैं. बतूल एक आदमी से बातचीत कर रही थी, जिसकी शिकायत थी कि उसकी नौकरानी ने उसका आईफोन चोरी कर लिया है. बतूल ने उसे समझाया कि कोई भी कार्रवाई करने से पहले उसे जांच करनी होगी.
महिला पुलिसकर्मियों वाले पुलिस थाने शुरू करने के पीछे कारण ही यह था कि वहां महिलाओं के मामले या महिलाओं के खिलाफ दर्ज किए जाने वाले मामले आएं. पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने 1994 में इन्हें शुरू किया था. बतूल का कहना है कि महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए महिला पुलिसकर्मियों का होना बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया, "हमारी पुलिस अधिकारी छापा मारने जाती हैं. उन महिलाओं के साथ रहती हैं जिन्हें सुरक्षा की जरूरत हैं, उन्हें ढूंढती हैं. अगर किसी महिला पर अपराध का आरोप है, तो उसकी गिरफ्तारी हम करते हैं. हमारे समाज में पुरुष यह नहीं कर सकते."
पति का सम्मान
बतूल ने बताया कि उनके पुलिस थाने में घरेलू हिंसा के आरोपों की भी जांच की जाती है, जिसके सबूत जुटाना किसी महिला के लिए आसान नहीं, "अगर कोई महिला पुलिस थाने घरेलू हिंसा की शिकायत लेकर आती है तो उसके सास ससुर उस पर नाराज हो सकते हैं. अक्सर वो अपने बेटे को कहते हैं कि तुम्हारी बीवी को तुम्हारे सम्मान की कोई चिंता नहीं है. भले ही महिला को मानसिक रूप से सताया जा रहा हो, शारीरिक मार पीट की जा रही हो, कई परिवारों के लिए यह मामला पति के सम्मान के सामने कुछ नहीं है."
बतूल ने वे कड़वी सच्चाइयां देखी हैं जो सामाजिक असमानता की सीधी गवाही देती हैं. उनकी पुलिस अधिकारी उन महिलाओं को अदालत लाती ले जाती हैं, जिनका तलाक का मुकदमा चल रहा है और जिन्हें सुरक्षित रखा गया है.
पाकिस्तान में शादी में महिलाओं की जरा नहीं सुनी जाती. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के मुताबिक वहां 2012 में 900 लड़कियां अपनी मर्जी के खिलाफ माता पिता के कहने की वजह से किसी से मिल रही थीं या शादी कर रही थीं. कोई रिश्ता तोड़ना मुश्किल साबित हो सकता है. बतूल बताती हैं, "महिला तभी पुलिस थाने आती है जब उसके पास कोई विकल्प नहीं बचता. यह बेबसी में किया गया होता है."
महिलाओं के लिए खास थाना
आजादी की इच्छा
पुलिस अधिकारी कहती हैं कि यह बात एक महिला ही समझ सकती है. घर में सबसे बड़ी होने के कारण उन्हें तब बाहर निकलना पड़ा, जब उनके पिता को दिल की बीमारी हो गई थी. उस समय बतूल एमबीए कर रही थीं लेकिन पढ़ाई को छोड़ कर उन्होंने पुलिस की नौकरी ले ली, "मैंने अपना घर छोड़ा और यह काम अपना लिया. यह उस समय की जरूरत थी और आजाद जिंदगी जीने की ख्वाहिश भी." इस पुलिस थाने में काम करने वाली सभी पुलिसकर्मी ऐसे ही किसी कारण से आई हैं. या तो उन पर आरोप लगाए गए थे या फिर वे किसी और के खिलाफ केस दर्ज करवाने आई थीं. बतूल बताती हैं, "यहां आने वाले सभी लोग बुरे नहीं हैं. अधिकतर हर मामले के पीछे कोई कहानी होती है. और वे ऐसी हालत में पहुंच जाते हैं कि वे कानून से लड़ पड़ते हैं."
ऐसा ही एक मामला हिना नाहीद का है. उन्हें रात में एक चकलाघर में पड़े छापे के दौरान पकड़ा गया. उन्होंने बताया कि वह पिछले पांच साल से यौनकर्मी हैं, "मैंने अपने हालात सुधारने के लिए बहुत काम किए. मैं नौकरानी रही, फिर से शादी की लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ा अब मैं यहां (जेल में) पहुंच गई हूं."
अपने बेटे का पेट पालने के लिए वह इस ओर बढ़ी, "जब मैं घरों में काम करती थी तो भी आदमी मुझे परेशान करते थे. फिर मुझे लगा कि अगर वो ही मेरी इज्जत से खेल रहे हैं तो मैं ही सेक्सकर्मी बन जाती हूं. शुरुआत में यह बहुत मुश्किल था. मैं बहुत रोती थी और अवसाद में चली गई थी. लेकिन अब मैंने इसे ही अपनी किस्मत मान लिया है." नाहीद के पति दूसरी शादी करना चाहते थे जो उन्हें मंजूर नहीं था इसलिए नाहिद ने तलाक ले लिया.
सुरक्षित जगह
बुशरा बतूल रोज ऐसी कहानियां सुनती हैं. वह उन्हें गंभीरत से लेती हैं और मुकदमे के दौरान सभी औरतों को सुरक्षित जगह दिलवाती हैं, "मैं उसे समझ सकती हूं कि उसने जो किया वो मजबूरी थी. दूसरी महिला पुलिसकर्मी भी ये समझेगी. लेकिन अगर कोई आदमी उसे पकड़ता तो शायद वह उसका अपमान करता."
पुरुष प्रधान समाज में और पुरुष प्रधान नौकरी में बतूल को काफी चुनौतियां भी हैं. उनकी खुद की भी शादी टूट गई क्योंकि उन्होंने नौकरी छोड़ने से इनकार कर दिया था. वह कहती हैं, "इस स्टेशन ने मुझे जीवन की ऊंच नीच से उबरना सिखाया है. मैं अब इसे नहीं छोड़ सकती."
रिपोर्टः बीनिश अहमद/ एएम
संपादनः ईशा भाटिया
*रिपोर्ट में सुरक्षा कारणों से महिलाओं के नाम बदल दिए गए हैं.

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गुरुवार, 3 जुलाई 2014

मासिक चक्र की वर्जना तोड़ती युवतियां




प्रस्तुति-- अनामिका, साक्षी

पंद्रह साल की नासरीन जहां बिहार में बेतिया के एक छोटे से गांव में रहती है. उसने पीले और लाल रंग की मोतियों का कड़ा पहन रखा है. उसका कहना है कि यह कड़ा उसकी सबसे कीमती चीज है.
इस कड़े में 24 मोतियां हैं, छह लाल रंग की, जो हर महीने उसे मासिक चक्र के बारे में बताते हैं. जहान ने बेतिया में एक साफ सफाई कार्यशाला के दौरान खुद यह ब्रेसलेट तैयार किया. कार्यशाला निर्मल भारत यात्रा नाम की संस्था ने आयोजित की थी, जो पूरे देश में साफ सफाई अभियान चलाती है.
कार्यशाला में जहान और उसकी साथियों को महिलाओं के जैविक चक्र के बारे में बताया गया और समझाया गया कि इन दिनों में किस तरह साफ सफाई रखनी चाहिए. आखिर में उन्हें एक बेहद अहम संदेश दिया गया, "मासिक चक्र बिलकुल प्राकृतिक और स्वभाविक है. वैसे ही, जैसे भूख लगना. और इसे लेकर शर्म करने की बिलकुल जरूरत नहीं." इस साल पहला मौका है, जब विश्व 28 मई को विश्व मासिक चक्र सुरक्षा दिवस मना रहा है.
कैसे टूटे वर्जना
यह बहुत ही तार्किक सलाह है. लेकिन भारत में यह इतनी आसानी से काम नहीं करता, जहां मासिक चक्र को लेकर सामाजिक वर्जनाएं हैं. देश के कई हिस्सों में इस दौरान महिलाओं को "अस्पृश्य" मान लिया जाता है. उन्हें खाना पकाने, पानी पिलाने या पूजा घरों में जाने की इजाजत नहीं दी जाती.
यूनेस्को की 2012 की रिसर्च में सामने आया कि भारत में 22.5 करोड़ किशोरियां स्कूल जाती हैं. इनमें से 66 फीसदी को मासिक चक्र के बारे में कोई जानकारी नहीं. इनमें से 88 फीसदी लड़कियों के पास पानी, साफ सफाई और यहां तक कि साबुन भी नहीं है.
स्कूल तक नहीं जातीं
एसी नीलसन ने 2011 में जो आंकड़े तैयार किए, उसके मुताबिक भारत में 12 से 18 साल की बच्चियां अपर्याप्त सुविधाओं की वजह से कई दिन स्कूल नहीं जातीं और उनमें इसे लेकर जागरूकता नहीं है. इसके अलावा इस उम्र में पहुंचने के बाद लगभग 23 फीसदी बच्चियां स्कूल छोड़ देती हैं. भारत में करीब 33.5 करोड़ वयस्क महिलाएं हैं, जिनमें से सिर्फ 12 फीसदी महिलाओं के पास सैनेट्री नैपकिन की सुविधा है.
चूंकि भारतीय समाज में यह एक वर्जना वाला विषय है, लिहाजा संभ्रांत परिवारों में भी इस पर चर्चा नहीं हो पाती. इसकी वजह से कई महिलाएं पीरियड के दौरान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तरीकों को अपनाती हैं. कई तो पुराने कपड़े, राख या रेत का इस्तेमाल कर बैठती हैं.
ऐसे मौके पर निर्मल भारत यात्रा की मुहिम तर्कसंगत है. यह संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों के आधार से भी महत्वपूर्ण है. साल 2000 में तय किए गए इन लक्ष्यों को अगले साल तक पूरा करना है. निर्मल यात्रा ने 2012 में इस अभियान को शुरू किया, जिसमें डेढ़ लाख डॉलर खर्च किए जा रहे हैं. स्विस एजेंसी भी इस काम में उसकी मदद कर रहा है. इसके अलावा बिल और मेलिंडा गेट्स की संस्था भी इसकी मदद कर रहा है और यह 2016 तक चलेगा. इसने अब तक 12,000 युवतियों और महिलाओं तक पहुंच बनाई है, जिनमें से ज्यादातर की उम्र 12 और 18 के बीच है.
शर्म की बात नहीं
हालांकि यह काम आसान नहीं. बैंगलोर की उर्मिला चानम इस प्रोजेक्ट में लगी हैं और उन्होंने इसे लेकर छह राज्यों का दौरा किया है. उनका कहना है कि इस मुद्दे को लेकर लोगों में अजीब तरह की वर्जना है, "जब पहली बार किसी लड़की का पीरियड शुरू होता है, तो लोग उससे कहते हैं कि वह अशुद्ध हो गई क्योंकि उसके शरीर से रक्त निकला है."
वह कहती हैं, "इसके बाद लड़की शर्मिंदगी के भाव से बड़ी होती है और इस मुद्दे पर किसी से बात नहीं करती. पहला काम तो लड़कियों को शर्मिंदगी के इस भाव से बाहर लाना है. उसके बाद ही कुछ और किया जा सकता है." चानम इसकी जागरूकता के लिए एक वेबसाइट भी चलाती हैं.
इससे फर्क भी पड़ रहा है. चेन्नई के पास श्रीरंगम में रहने वाली 10वीं कक्षा की छात्रा सौम्या सेल्वी बताती है कि किस तरह उसकी मां और चाची को कभी भी उन दिनों में घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था, "मैंने उनसे पूछा कि यह तो तब होगा, जब मैं 50 की हो जाऊंगी या उससे भी ज्यादा उम्र की. तब तक क्या मैं घर पर ही बैठी रहूंगी." मुस्कुराते हुए वह कहती है, "इसके बाद किसी ने मुझे स्कूल जाने से नहीं रोका."
एजेए/एमजी (आईपीएस)

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