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दशहरा पर्व राम की विजय और रावण की
हार का दिन है। दस सिर और नाभि में अमृत कलश होने के बाद भी रावण पराजित
हुआ। बुराई का प्रतीक माने जाने वाले रावण में कई बुरी आदतें थी, जो उसके
लिए विनाश का कारण बनी। साथ ही कुछ ऐसे गुण भी थे जो उसे महान विद्वान
बनाते थे।
रावण जितना दुष्ट था, उसमें उतनी
खुबियां भी थीं, शायद इसीलिए कई बुराइयों के बाद भी रावण को महाविद्वान और
प्रकांड पंडित माना जाता था। रावण से जुड़ी कई रोचक बातें हैं, जो आम
कहानियों में सुनने को नहीं मिलती। विभिन्न ग्रंथों में रावण को लेकर कई
बातें लिखी गई हैं। फिर भी रावण से जुड़ी कुछ रोचक बातें हैं, जो कई लोगों
को अभी भी नहीं पता है।
आइए, जानते हैं कि किन बुराइयों के कारण रावण का पतन हुआ। किन अच्छाइयों के कारण उसे विद्वान माना जाता है…
महिलाओं के प्रति दुर्भावना – रावण
के मन में महिलाओं के प्रति हमेशा दुर्भावना रही। वो उन्हें सिर्फ उपभोग
की वस्तु मानता था। जिसके कारण उसे रंभा और सीता सहित कई महिलाओं के शाप भी
लगे, जो उसके लिए विनाशकारी बने। भगवान महिलाओं का अपमान करने वालों को
कभी माफ नहीं करता क्योंकि दुनिया में जो पहली पांच संतानें पैदा हुई थीं,
उनमें से पहली तीन संतानें लड़कियां ही थीं। भगवान ने महिलाओं को पुरुषों
से आगे रखा है। रावण अपनी शक्ति के अहंकार में ये बात समझ नहीं पाया।
अपने बल पर अति विश्वास – रावण को
अपनी शक्ति पर इतना भरोसा था कि वो बिना सोचे-समझे किसी को भी युद्ध के लिए
ललकार देता था। जिससे कई बार उसे हार का मुंह देखना पड़ा। रावण युद्ध में
भगवान शिव, सहस्त्रबाहु अर्जुन, बालि और राजा बलि से हारा। जिनसे रावण बिना
सोचे समझे युद्ध करने पहुंच गया।
सिर्फ तारीफ सुनना – रावण की दूसरी
सबसे बड़ी कमजोरी यह थी कि उसे अपनी बुराई पसंद नहीं थी गलती करने पर भी
वह दूसरों के मुंह से अपने लिए सिर्फ तारीफ ही सुनना चाहता था। जिसने भी
उसे उसकी गलतियां दिखाईं, उसने उन्हें अपने से दूर कर दिया, जैसे भाई
विभीषण, नाना माल्यवंत, मंत्री शुक आदि। वो हमेशा चापलूसों से घिरा रहता
था।
कैसे हारा रावण – बालि ने रावण को
अपनी बाजू में दबा कर चार समुद्रों की परिक्रमा की थी। बालि इतना ताकतवर था
कि वो रोज सवेरे चार समुद्रों की परिक्रमा कर सूर्य को अर्घ्य देता था।
रावण जब पाताल के राजा बलि से युद्ध करने पहुंचा तो बलि के महल में खेल रहे
बच्चों ने ही उसे पकड़कर अस्तबल में घोड़ों के साथ बांध दिया था।
सहस्त्रबाहु अर्जुन ने अपनी हजार हाथों से नर्मदा के बहाव को रोक कर पानी
इकट्ठा किया और उस पानी में रावण को सेना सहित बहा दिया। बाद में जब रावण
युद्ध करने पहुंचा तो सहस्र्बाहु ने उसे बंदी बनाकर जेल में डाल दिया। रावण
ने शिव से युद्ध में हारकर उन्हें अपना गुरु बनाया था।
संगीतज्ञ और विद्वान – रावण संगीत
का बहुत बड़ा जानकार था, सरस्वती के हाथ में जो वीणा है उसका अविष्कार भी
रावण ने किया था। रावण ज्योतिषी तो था ही तंत्र, मंत्र और आयुर्वेद का भी
विशेषज्ञ था।
ऐसा था रावण का वैभव – रामचरितमानस
में गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं कि रावण के दरबार में सारे देवता और
दिग्पाल हाथ जोड़कर खड़े रहते थे। रावण के महल में जो अशोक वाटिका थी उसमें
अशोक के एक लाख से ज्यादा वृक्ष थे। इस वाटिका में सिवाय रावण के किसी
अन्य पुरुष को जाने की अनुमति नहीं थी।
वीर योद्धा भी था रावण – रावण जब
भी युद्ध करने निकलता तो खुद बहुत आगे चलता था और बाकी सेना पीछे होती थी।
उसने कई युद्ध तो अकेले ही जीते थे। रावण ने यमपुरी जाकर यमराज को भी युद्ध
में हरा दिया था और नर्क की सजा भुगत रही जीवात्माओं को मुक्त कराकर अपनी
सेना में शामिल किया था।
रथ में जुते होते थे गधे –
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक सभी योद्धाओं के रथ में अच्छी नस्ल के घोड़े
होते थे लेकिन रावण के रथ में गधे हुआ करते थे। वे बहुत तेजी से चलते थे।
Om Namah Shivay
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