शनिवार, 31 अक्तूबर 2015

कूच बिहार महल संग्रहालय



कूच बिहार महल
विवरण
वर्तमान संग्रहालय भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के कोलकाता मंडल तथा साथ ही राज्‍य सरकार द्वारा संग्रहित पुरावस्‍तुओं और चीजों के साथ 2002 में स्‍थापित किया गया।
राज्य पश्चिम बंगाल
नगर कूच बिहार
स्थापना 2002
प्रसिद्धि दीर्घा संख्‍या 6 में विष्णु, सूर्य, सद्योजाता, उमा-महेश्‍वर, पार्वती, तारा, अवलोकितेश्‍वर इत्‍यादि जैसे ब्राह्मण और बौद्ध देव-देवियों की प्रतिमाएं प्रदर्शित की गई हैं।
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
अन्य जानकारी शहर की सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण वास्‍तुकला की इमारत निश्‍चित रूप से 1887 में महाराजा नृपेन्‍द्र नारायण द्वारा बनवाया गया महल है।
अद्यतन‎


प्रस्तुति- नीतिन पाराशर, दीपाली पाराशर

कूच बिहार महल संग्रहालय पश्चिम बंगाल के कूचबिहार ज़िले में स्थित है। कूच बिहार (26° 19' उत्‍तर 89° 26' पूर्व) तिस्ता नदी की एक सहायक नदी तोरशा पर स्‍थित है। यह देश के अन्‍य भागों से रेल और सड़क मार्ग द्वारा अच्‍छी तरह जुड़ा है। शहर की सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण वास्‍तुकला की इमारत निश्‍चित रूप से 1887 में महाराजा नृपेन्‍द्र नारायण द्वारा बनवाया गया महल है। 1982 में भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षण और परिरक्षण के लिए कूच बिहार स्‍थित इस महल का अधिग्रहण कर लिया गया।

विशेषताएँ

  • वर्तमान संग्रहालय भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के कोलकाता मंडल तथा साथ ही राज्‍य सरकार द्वारा संग्रहित पुरावस्‍तुओं और चीजों के साथ 2002 में स्‍थापित किया गया। प्रदर्शित वस्‍तुएं सात दीर्घाओं में व्‍यवस्‍थित हैं।
  • दीर्घा संख्‍या 1:‌- महल का दरबार कक्ष अब संग्रहालय का मुख्‍य कक्ष है। बीचोंबीच रखा गया राजसी प्रतीक चिह्न, महाराजा नृपेन्‍द्र नारायण के राज्‍याभिषेक का चित्र, कूच बिहार राज्‍य के शाही परिवार के छायाचित्र इसके मुख्‍य आकर्षण हैं। कूच बिहार जिले में दिनहट्टा के समीप गोसानीमारी के राजपूत स्‍थल से उत्‍खनन द्वारा प्राप्‍त की गई पत्‍थर के सिरों, अर्थ प्रतिमाओं और टेराकोटा के फलक जैसी वस्‍तुएं प्रदर्शित की गई हैं।
  • दीर्घा संख्‍या 2:- बिलियर्ड कक्ष है जिसमें इसके सारे खेल के सामान और शाही व्‍यक्‍तियों के आलोकित छायाचित्र मौजूद हैं।
  • दीर्घा संख्‍या 3 और 4:- पारम्‍परिक दीर्घाएं हैं जिन्‍हें भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण की सहायता से व्‍यवस्‍थित किया गया है। इसमें कूच बिहार क्षेत्र के विभिन्‍न समुदायों की जीवन शैलियों तथा उनके दैनिक प्रयोग की वस्‍तुओं, व्‍यवसाय की वस्‍तुओं, मुखौटों, वाद्य-यत्रों आदि को प्रदर्शित किया गया है।
  • दीर्घा संख्‍या 5 एवं 6: मूर्ति-दीर्घाएं हैं जिसमें 7-8वीं शताब्‍दी -12वीं शताब्‍दी ईसवी की मूर्तिकला की उत्‍कृष्‍ट वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है।
  • ब्राह्मण मत की विष्णु, ब्रह्मा, सूर्य, महिष-मर्दिनी, सिंहवाहिनी, नवग्रह इत्‍यादि पाषाण प्रतिमाएं प्रदर्शित की गई हैं।
  • दीर्घा संख्‍या 6 में विष्णु, सूर्य, सद्योजाता, उमा-महेश्‍वर, पार्वती, तारा, अवलोकितेश्‍वर इत्‍यादि जैसे ब्राह्मण और बौद्ध देव-देवियों की प्रतिमाएं प्रदर्शित की गई हैं।
  • दीर्घा 5 और 6 की वस्‍तुएं अधिकतर उत्‍तरी बंगाल के विभिन्‍न थानों और सीमा-शुल्‍क कार्यालयों से संग्रहित की गई हैं।
  • इसके अतिरिक्‍त, शाही मानक बाट, सिक्‍के बनाने के लिए लोहे के सॉंचे, कूच बिहार राज्‍य और कूच बिहार के राज परिवार के बिल्‍लों जैसी वस्‍तुएं और पुरावशेष दीर्घा संख्‍या 6 में मौजूद है।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ




  1. संग्रहालय-कूच बिहार (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 13 जनवरी, 2015।

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सालारजंग संग्रहालय , हैदराबाद


 

सालारजंग संग्रहालय
सालारजंग संग्रहालय, हैदराबाद
विवरण सालारजंग संग्रहालय एशिया का सबसे बड़ा और पुराना संग्रहालय है।
राज्य आंध्र प्रदेश
ज़िला हैदराबाद
स्थापना 16 दिसंबर, 1951
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 17.371426°; पूर्व- 78.480347°
मार्ग स्थिति सालारजंग संग्रहालय हैदराबाद से 2.8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्धि सालारजंग संग्रहालय का एक मुख्य आकर्षण 19वीं सदी की ब्रिटिश संगीतमय घड़ी है, जिसे इंग्लैंड से लाया गया है। इस घड़ी को देखने के लिए घड़ी के सामने बाकायदा बेंच और कुसिर्यों का इंतज़ाम किया गया है।
कैसे पहुँचें हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी
हवाई अड्डा राजीव गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, बेगमपेट हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन सिंकदराबाद रेलवे स्टेशन, नामपल्ली रेलवे स्टेशन, काचीगुड़ा रेलवे स्टेशन
बस अड्डा महात्मा गाँधी (इम्लिबन) बस अड्डा
यातायात टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, साइकिल रिक्शा, बस आदि।
क्या देखें औरंगज़ेब की तलवार, राजा रवि वर्मा द्वारा बनाई गई तसवीरें, टीपू सुल्तान का वस्त्रागार, सोने और हीरे से बने टिफिन बॉक्स
कहाँ ठहरें होटल, अतिथि ग्रह, धर्मशाला
एस.टी.डी. कोड 040
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
संबंधित लेख चारमीनार, गोलकुंडा क़िला, हुसैन सागर झील, मक्का मस्जिद, रामोजी फ़िल्म सिटी
अन्य जानकारी सालारजंग संग्रहालय की 38 गैलरियों में 43 हज़ार से ज़्यादा कलाकृतियाँ, 9 हज़ार पांडुलिपियाँ और 47 हज़ार मुद्रित पुस्तकें हैं।
बाहरी कड़ियाँ सालारजंग संग्रहालय
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प्रस्तुति- हुमरा असद



सालारजंग संग्रहालय एशिया का सबसे बड़ा और पुराना संग्रहालय है। यह भारत के हैदराबाद नगर में स्थित है।
  • ऐसा माना जाता है कि यहाँ विश्व का सबसे बड़ा निजी संग्रह है।
  • सालारजंग संग्रहालय की 38 गैलरियों में 43 हज़ार से ज़्यादा कलाकृतियाँ, 9 हज़ार पांडुलिपियाँ और 47 हज़ार मुद्रित पुस्तकें हैं। संग्रहालय में रखे कलाकृतियाँ भी बेजोड़ हैं।
  • इस संग्रहालय का एक मुख्य आकर्षण 19वीं सदी की ब्रिटिश संगीतमय घड़ी है, जिसे इंग्लैंड से लाया गया है। इस घड़ी को देखने के लिए घड़ी के सामने बाकायदा बेंच और कुसिर्यों का इंतज़ाम किया गया है।
  • इस संग्रहालय में नवाब तुरब अली ख़ान, जिन्हें सालारजंग प्रथम के नाम से जाना जाता था, उनके वंशजों द्वारा संग्रहित वस्तुएँ रखी गई हैं। तुरब ख़ान हैदराबाद के दीवान थे। सालारजंग में तृतीय उर्फ मीर यूसुफ़ अली ख़ान द्वारा संग्रहित बहुत सी वस्तुएँ भी रखी गई हैं। इनमें से कुछ 1876 में रोम से लाई गई कलाकृति, मार्क एडलाइन द्वारा 19 वीं शताब्दी में इटली में बनाई गई पेंटिंग, घड़ियाँ और मुग़लकालीन अस्त्र-शस्त्र हैं।
  • यह संग्रहालय शुक्रवार को छोड़कर सप्ताह में सभी दिन खुला रहता है।


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