बुधवार, 17 मार्च 2021

तलत महमूद-ग़ुलाम मोहब्बत के सदाबहार नग़मे*

 आज 17 मार्च को पुराने मशहूर संगीतकार मरहूम ग़ुलाम मोहम्मद साहब की पुण्यतिथि पर विनम्र अभिवादन करते हुये रफ़ी व लता के बाद तलत महमूद,सुरैय्या व सुमन कल्याणपुर के नग़मों की सूची पेशकी है../ -संतोष कुमार मस्के*

*

*संकलनकर्ता-संतोष कुमार मस्के*

*फ़िल्म-मिर्ज़ा ग़ालिब*

१)-

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है,आखिर इस दर्द की दुआं क्या है- *साथ मे सुरैय्या*

२)-

आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक,कौन जीता है यहाँ पर सहर होने तक- *एकल*

३)-

फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया- *एकल*

-----//-----

*फ़िल्म-लैला मजनूँ*

४)-

चल दिया कारवाँ,लूट गए तुम वहाँ,हम यहाँ- *एकल*

५)-

ओ आसमान वाले,तेरी दुनिया से जी घबरा गया- *साथ लता*

६)-

देख ली ऐ इश्क़ तेरी मेहरबानी- *साथ आशा*

७)-

बहारों की दुनिया पुकारे तू आजा- *साथ आशा*

८)-

भर दे झोली अल्ला नाम,बनेंगे तेरे बिगड़े काम- *साथ रफ़ी*

-----//-----

*फ़िल्म-दिल-ए-नादाँ*

९)-

जिंदगी देने वाले सुन,तेरी दुनिया से जी भर गया,मैं अकेला यहाँ रह गया- *एकल*

१०)-

मोहब्बत की धुन बेकारों से पूछो- *साथ शमशाद व सुधा मल्होत्रा*

११)-

ये रात सुहानी रात नहीं,ऐ चाँद सितारों सो जाओ- *एकल*

-----//-----

१२)-

किसी को बनाना,किसी को मिटाना- *शीशा* *एकल*

-----///-----

*फ़िल्म-मालिक*

१३)-

जिंदगी की क़सम,हो चुके उनके हम- *एकल*

१४)-

मन धीरे-धीरे गाये रे,मालूम नहीं क्यों- *साथ सुरैय्या*

-----//-----

*सुरैय्या के नग़मे*

१५)-

धड़कते दिल की तमन्ना हो मेरा प्यार हो तुम- *शमा* *एकल*

१६)-

आपसे प्यार हुआ जाता है- *शमा* *एकल*

१७)-

मेरे महबूब तुझे प्यार करूँ- *शमा* *साथ सुमन*

१८)-

रहिये ऐसी जगह चलकर जहाँ- *मिर्ज़ा ग़ालिब* *एकल*

१९)-

ये न थी हमारी के विसाल-ए-यार होता- *मिर्ज़ा ग़ालिब* *एकल*

२०)-

नुक़्ता ची है ग़मे दिल,के लुटाए न बने,क्या बने बात वहाँ, जहाँ के बात बनाये न बने- *मिर्ज़ा ग़ालिब* *एकल*

२१)-

हमने जाना कि तेरे बाद- *मिर्ज़ा ग़ालिब* *एकल*

२२)-

दिल की दुनिया उजड़ गयी और जाने वाले चले गए- *शायर* *एकल*

२३)-

हमे तुम भूल बैठे हो- *शायर* *एकल*

२४)-

क्या चीज़ है मोहब्बत,कोई मेरे दिल से पूछो- *शायर* *एकल*

२५)-

दुनिया के सितम का कोई,ओ क़िस्मत तेरी ही फुट गयी- *शायर* *एकल*

-----//-----

*सुमन कल्याणपुर के नग़मे*

२६)-

दिल ग़म से जल रहा है पर धुआँ न हो- *शमा* *एकल*

२७)-

इंसाफ़ तेरा देखा,ऐ साक़ी-ए-मैखाना  *शमा* *एकल*

२८)-

यास के दर पे झुका जाता है सर,आज की रात- *शमा* *साथ रफ़ी*

२९)-

एक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना- *शमा* *एकल*

३०)-

मेरे महबूब तुझे प्यार करूँ- *शमा* *एकल*

----- *संतोष कुमार मस्के-संकलन से* -----

---------------------///---------------------

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें