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प्राकृतिक सुन्दरता
कुर्ग के पहाड़, हरे-भरे वन, चाय और कॉफी के बाग़ बड़े ही आकर्षक हैं। कावेरी नदी का उद्गम स्थान कुर्ग अपनी प्राकृतिक ख़ूबसूरती के अतिरिक्त हाइकिंग, क्रॉस कंट्री और ट्रेल्स के लिए भी मशहूर है। मदिकेरी, जो कि कुर्ग का मुख्यालय है, को दक्षिण का स्कॉटलैंड कहा जाता है। यहाँ की धुंधली पहाड़ियाँ, हरे वन, कॉफी के बाग़ और प्रकृति के ख़ूबसूरत दृश्य मदिकेरी को अविस्मरणीय पर्यटन स्थल बनाते हैं। मदिकेरी और उसके आस-पास बहुत से ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं। यह मैसूर से 125 कि.मी. की दूरी पर पश्चिम में स्थित है और कॉफी के उद्यानों के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है।[1]इतिहास
1600 ईसवी के पश्चात लिंगायत राजाओं ने कुर्ग पर शासन किया और मदिकेरी को अपनी राजधानी बनाया। मदिकेरी में उन्होंने मिट्टी का क़िला भी बनवाया था। 1785 में मैसूर के टीपू सुल्तान की सेना ने इस साम्राज्य पर अधिकार करके यहाँ अपना अधिकार जमा लिया। चार वर्ष बाद कुर्ग ने अंग्रेज़ों की सहायता से आज़ादी पाई, तब यहाँ के राजा वीर राजेन्द्र ने पुर्ननिर्माण का कार्य प्रारम्भ किया। 1834 ई. में अंग्रेज़ों ने इस स्थान पर अपना अधिकार कर लिया और यहाँ के अंतिम शासक पर मुकदमा चलाकर उसे कारागार में डलवा दिया। 'काडगू' कुर्ग का प्राचीन नाम था, जिसे अंग्रेज़ों ने कुर्ग कर दिया था। लेकिन अब फिर से इसका नाम बदलकर 'कोडगु' कर दिया गया है। यहाँ की भाषा कुर्गी है। स्थानीय लोग इसे 'कोडवक्तया कोडवा' कहते हैं।मुख्य क्षेत्र
मदिकेरी के अलावा कुर्ग के अन्य मुख्य क्षेत्र भी हैं-- विराजपेट
- सोमवारपेट
- कुशलनगर
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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