शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

पापाजी की 32वी पुण्यतिथि पर नमन श्रद्धांजलि


अनामी शरण  बबल 


पापा जी आपको कभी देह स्वरुप  में नहीं देखा मगर आप मेरे   भीतर हमेशा जीवित रहें धड़कते रहें मुझे प्रेरित करते रहें औऱ संबल दिया है. आपकी बहादुरी साहस कर्तव्य निष्ठा काम के प्रति जुनून लगाव प्रतिबद्धता तथा हमेशा सक्रिय एक जाँबाज 😝की सूरत आँखों में अंकित है. दीपक भैया हो या माँ या ममता आज भी औऱ आज तक अनगिनत उदाहरण  देकर एक संवेदनशील औऱ आपके व्यक्तित्व के अनेको रंग रुप औऱ छवि क़ो सामने रखते रहे है. देर रात क़ो जंगलो में जाना शेरों की औऱ उनके पदचापो की गणना करने के खतरनाक अभियान कार्य क़ो अंजाम देने की कल्पना  करना भी आज घर में बैठ कर रोमांचित  करने की बजाय सिंहराrtन पैदा करती है.  जोखिम पूर्ण काम में इतना व्यस्त रहने के बाद भी बच्चों क़ो घूमने  घुमाने पर ले जाना औऱ पूरा समय देना भी आपके टाइम मैनेजमेंट के दुर्लभ गुण की तरफ इंगित करता है. माँ बाबूजी के प्रति अगाध प्रेम लालसा लगाव औऱ दूर रहकर भी उनकी चिंता आपके व्यक्तित्व के श्रवण कुमार की छवि क़ो प्रस्तुत कर सबो क़ो प्रेरित करती है.. अपने बच्चों के दोस्तों के संग भी पापा या अंकल की तरह पेश आने औऱ उनके परिजनों से भी पारिवारिक रिश्ता बनाने की ललक आज अचंभित करता है कि अलग अलग शहरों में साल दो साल ही रहने के बावजूद आधा दर्जन दोस्तों का संपर्क कोई 40-41 साल के बाद भी एक दूसरे के मन में जीवित रहना आज हैरान करता है.  ढेरों दोस्त केवल बच्चों के होकर भी पापा के चलते परिवार में बदल गये. अपने बच्चों के प्रति पापा क़ो पूर्ण आस्था औऱ विश्वास  था. औऱ यह आज सोचना भी यक़ीनन यकीन करने लायक नहीं लगता जब उस समय (1980-90) संचार परिवहन के सीमित साधन थे. शाम ढलते ही ज्यातर गांव शहर अंधेरों में खो जाते थे . घर से निकलने के बाद घर तक वापस नहीं आ जाने तक आदमी से सारा परिवार अनभिज्ञ ही रहता था.


मूलतः जंगलो में कार्य के दौरान रहने औऱ परिवार क़ो भी रखने के लिए मजबूर पापा जी अपने समय से आगे की सोच रखते थे. समय से आगे रहने वाले पापा पूर्णतः आधुनिक सोच रखने  वाले मानवीय कर्मठ और सख्त  अधिकारी होने के बावजूद वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों सेवकों के परिवार की छोटी छोटी चिंता पर भी द्रवित हो जाना भी इनके स्वभाव का सबसे सबल मानवीय पक्ष है.

अमूमन जंगलो में यात्रा के दौरान बाघो या औऱ हिंसक जानवरो के संग भी इनका अबोल विश्वास का रिश्ता भी चकित करता है. सचमुच प्यार औऱ अहिंसा की भाषा जानवर भी समझते है तभी तो दर्जनों बार ऐसा हुआ जब एक ही रास्ते में दूर से एक दूसरे क़ो देखकर या आमने सामने पड़ जाने के बाद भी खुद रूककर या गाड़ी ख़डी करके उनको निकलने का मूक संदेश द या मूक संकेतो पर यकीन करके रास्ता पर करा देना  भी उनके विश्वास क़ो सबल करता है कि जानवर भी प्यार स्नेह औऱ इंसानियत पर यकीन करते है.


आदमखोर जमींदार के रुप में विख्यात  कुख्यात मनातू के खूंखार जमींदार से मुठभेड़ औऱ तीखे रिश्तों की आज कल्पना करके भी मन सिहर जाता है. शेर के मांद में रहते हए भी अपने काम दायित्व औऱ कर्तव्यों के प्रति सदा बेदाग रहना भी आपकी ही एक कला है, निसंदेह पापा जी आप इस कला में भी दक्ष थे. अपनी वर्दी अपना पोजीशन औऱ अपने काम के प्रति इतना भरोसा था की कोई भी हाथ डाल कर बच नहीं सकता.. अपने काम के प्रति इतना आत्मसम्मान होना भी आपके अनूठे कार्य क्षमता औऱ काम करने के तौर तरीको क़ो साफ करता है.


आज जब मैं उन दिनों कि बातों क़ो लिखना चाह रहा हूँ तो उस समय के माहौल वातावरण भी अजीब सा होता था. आज की  तरह मॉल मेट्रो मोबाइल मल्टीनेशनल कम्पनियों मल्टीस्टोरी अपार्टमेंटो मल्टीप्लेक्सो मोटर कार औऱ मनी के जल्वो की धूम नहीं थी. जिंदगी भी बेरंग औऱ सुस्त थी. आदमी के सपने भी सरल सीधे  साधे होते थे वैसी जिंदगी में भी पापा की ज़िंदादिली रंग भरती थी. माँ बाबू के प्रति समर्पित निष्ठा भी सहसा  एक बेहतर बेटे की छवि रौशन  करती थी . समय के साथ सेवानिवृति के बाद भी हरदम सक्रिय उत्साहित पापा जी एक साथ चार  चार कम्पनियो के ब तौर सलाहकार थे. सेवा अवकाश के बाद भी अपने आपको न टायर्ड फिल  किया औऱ ना ही रिटायर्ड.. समय के पाबंद पापाजी सबसे पहले तैयार  होते थे. बुलेट औऱ जीप के प्रति उनका लगाव भी आश्चर्य जनक सा था. लगता था मानो वाहन उनकी धड़कन की तरह थी.  पापा की जाँबाजी की अनेको घटनाये मेरे मन में इनके प्रति लगाव क़ो औऱ मजबूत करता है. आप मेरे पापा बने यह मेरा सौभाग्य है पर साथ में यह बद किस्मत भी है कि आपको  देख नहीं पाया. आप मेरे मन में एक खिलाडी की तरह हमेशा एक्टिव  सकारात्मक गुणों कि महक के साथ धड़कते है. देखें बगैर ही मेरी कल्पना में आपकी अमिट कामयाब कमांडर की तरह स्पन्दित होते है. अदेह हुए तीन दशक (32 साल ) हो जाने के बाद भी आपको लोग  न भूल सके है न भूल पाएंगे. पिता कि तरह सबको छाया देने कि ललक रखने वाले पूज्य पापा जी विनम्र श्रद्धांजलि के साथ नमन प्रणाम करता हूँ.  पापा जी 🙏🏼🙏🏼 आप स्वर्ग में रहते हुए भी सबो पर अपना प्यार आशीष औऱ कृपा दृष्टि बनाये रखे. यहीं आस विश्वास  के साथ आप सदैव हम सब के अंग  संग रहे. आपकी 32 वी पुण्यतिथि  पर  ढेरों आदर मान सम्मान  के साथ मेरा प्रणाम स्वीकार करें.🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼


✌🏼🙏🏼🙏🏼

2 टिप्‍पणियां:

  1. पापा के व्यक्तित्व एवं साहस से प्रभावित होकर ही मै किसी भी कार्य को करने का हिम्मत रखता हूँ लेकिन यह समझ भी आया कि जब आपके पास समय हो तो वो सब कार्य कर ले, समय का कोई समय नहीं होता

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  2. Bohot hi sundar tarike se aapne hum sab ki feelings ko is blog mei utara hai.

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