गुरुवार, 30 सितंबर 2021

शिक्षा नीति में शामिल हो अनुवाद की अहमियत ::: अनेजा

 

* राजधानी कॉलेज में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस*_



 अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस के अवसर पर “राष्ट्रीय चेतना और अनुवाद” विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय के राजा गार्डन स्थित  राजधानी महाविद्यालय के अंग्रेजी साहित्य परिषद द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का अयोजन किया गया| इसमें दस से अधिक विश्वविद्यालयों से जुड़े चयनित प्राध्यापकों, विद्वानों व अनुवादकों ने अनुवाद से जुड़े अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए| संगोष्ठी के उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्रोफ़ेसर अनिल कुमार अनेजा ने कहा कि राष्ट्रीय चेतना में अनुवाद की बहुत बड़ी भूमिका है| यही कारण है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनुवाद को बहुत महत्व दिया गया है| आनुवाद से जुड़ा विषय राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक मजबूत आधारस्तंभ है| उन्होंने महाविद्यालयों में अनुवाद प्रकोष्ठ स्थापित किए जाने का भी आवाह्न किया|


बीजवक्ता के रूप में बोल रहे जी एल ए विश्वविद्यालय मथुरा के अंग्रेजी विभाग से विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर पंचानन मोहंती ने अनुवाद को मानवीय सभ्यता और संस्कृति के विकास में एक आवश्यक कारक मानते हुए पश्चिमी सभ्यता ही नहीं भारतीय सभ्यता के भी सतत पुष्पन-पल्लवन के लिए आवश्यक बताया| राष्ट्रीय चेतना और अनुवाद के सहसंबंध विषय पर उनके द्वारा भारत के औपनिवेशिककाल से लेकर आज के समय के अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए| सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफ़ेसर राजेश गिरि ने की| उन्होने कहा की शैक्षणिक संस्थानों की अनुवाद विषय की बहुत ही महत्ता है। ज्ञान विज्ञान के हर क्षेत्र में अनुवाद आज बहुत हद तक अध्ययन अध्यापन अनुवाद द्वारा ही संभव हो रहा है। इस दौरान महाविद्यालय की प्रोफेसर वर्षा गुप्ता व संगोष्ठी के संयोजक डॉ वेद मित्र शुक्ल ने भी अपने विचार रखे|



संगोष्ठी के एक अन्य महत्वपूर्ण सत्र में महाविद्यालयी कक्षाओं में अनुवाद की भूमिका को लेकर गहन चिंतन-मनन किया गया| इस दौरान अध्यक्ष के रूप में डॉ बरुन मिश्र और मुख्य वक्ता के रूप में बनारस हिंदु विश्वविद्यालय से डॉ उमेश कुमार, दिल्ली विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय कोलेज से डॉ ललित कुमार और राजधानी महाविद्यालय से शफीकुल आलम उपस्थित रहे| विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता और संयोजक की भूमिका में डॉ रचना सेठी, डॉ दिव्या बाजपेयी झा, डॉ युमी कपाई, डॉ अनुभा अनुश्री, डॉ शेफाली राठोर, डॉ अदिति शर्मा, नेहा राणा, डॉ सच्चिदानन्द झा आदि विद्वान प्राध्यापक़गण मौजूद रहे| एक दिवसीय संगोष्ठी का संचालन महाविद्यालय के विद्यार्थी स्तुति व महिमा द्वारा किया गया| इस दौरान अर्चित, सक्षम, शुभम, पूजा, कामदेव अविनाशी, हर्षिता पाठक, याशिका, ईशा रानी, ध्रुव मल्होत्रा, आशुतोष राज आदि की विशेष सहभागिता रही|  


                 

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