गुरुवार, 17 जून 2021

सेवा परमो धर्म :"

 "बात साल 1978 की है, 

जब जर्मनी की एक युवती भारत घूमने आई थी, उसके पिता भारत में जर्मनी के राजदूत थे। 

युवती का नाम फ्रेडरिक इरीना ब्रूनिंग था, 

जो देश के कई हिस्सों को घूमते हुए कृष्ण की धरती मथुरा वृंदावन पहुंच गई...


जहां  उसकी दुनियां बदल गई, 

नाम बदल गया, धर्म बदल गया, 

अब वो सुदेवी दासी के नाम से जानी जाती हैं। उनका एक और नाम भी है- 

‘‘हजार बछड़ों की मां।“ 


मथुरा में  गोवर्धन परिक्रमा करते हए 

राधा कुंड से कौन्हाई गाँव की तरफ 

आगे बढ़ने पर गाय-बछड़ों के 

रंभाने की आवाज आती है। 

यहां पर धुंधले अक्षरों में -

"सुरभि गौसेवा निकेतन" लिखा है। 


ये वही जगह है जहां इस  वक्त करीब 

2500 गाय और बछड़े रखे गए हैं। 

देश की दूसरी गोशालाओं से अलग 

यहां की गाय ज्यादातर विकलांग, 

चोटिल, अंधी, घायल और बेहद बीमार हैं। 

इस गोशाला  की संचालक सुदेवी दासी हैं। 


सुदेसी दासी 40 साल पहले 

टूरिस्ट वीजा पर भारत घूमने आईं थीं, 

फिर मथुरा में एक घायल गाय को देखकर 

वो उसे बचाने में जुट गईं। 

इसके बाद गोसेवा उनके जीवन का 

अभिन्न अंग हो गया। 

वो पिछले चार दशकों में 

हजारों गायों को नया जीवन दे चुकी हैं।

   

धर्म क्या है, यह इनसे जानिए...

आप लोगों ने पैसों के पीछे भागने वाले 

फिल्मी सितारों, नेताओं, 

खेल सेलिब्रिटी को शेयर करके 

बहुत फेमस किया। 

आइए सब मिलकर इनको भी प्रसिद्ध करते हैं! और इन्हें इनका उचित सम्मान दिलाते हैं !


🙏🙏 जय श्री राधे🙏🙏

🙏🙏जय श्री राधे कृष्णा🙏🙏

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