गुरुवार, 28 जनवरी 2021

आख़िरकार साला ही क्यों?

 धर्मपत्नी के भाई को साला क्यों कहते हैं ?


जानिए साला शब्द की रोचक जानकारी।

हम प्रचलन की बोलचाल में साला शब्द को एक गाली के रूप में देखते हैं साथ ही धर्मपत्नी के भाई/भाइयों को भी साला, सालेसाहब के नाम से इंगित करते हैं। 

पौराणिक कथाओं में समुद्र मंथन का जिक्र मिलता है। मंथन से जो 14 दिव्य रत्न प्राप्त हुए थे वो :

कालकूट (हलाहल), ऐरावत, कामधेनु, उच्चैःश्रवा, कौस्तुभमणि, कल्पवृक्ष, रंभा (अप्सरा), महालक्ष्मी, शंख (जिसका नाम पांचजन्य साला शंख था), वारुणी, चन्द्रमा, शारंग धनुष, धन्वंतरि वैद्य और अंत में अमृत। 


लक्ष्मीजी के बाद जब साला शंख निकला तो उसे लक्ष्मीजी का भाई कहा गया।

दैत्य और दानवों ने कहा कि अब देखो लक्ष्मीजी का भाई साला (शंख) आया है ।

तभी से ये प्रचलन में आया कि नव विवाहिता , जिसे हम गृहलक्ष्मी भी कहते हैं, उसके भाई को बहुत ही पवित्र नाम साला कह कर पुकारा जाता है।

समुद्र मंथन के दौरान पांचजन्य साला शंख प्रकट हुआ, इसे भगवान विष्णु ने अपने पास रख लिया।

इस शंख को विजय का प्रतीक माना गया है।साथ ही इसकी ध्वनि को भी बहुत शुभ माना गया है।

विष्णु पुराण के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्रराज की पुत्री हैं तथा शंख उनका सहोदर भाई है।

अतः यह भी मान्यता है कि जहाँ शंख है वहीं लक्ष्मी का वास होता है।

इन्हीं कारणों से हिन्दुओं द्वारा पूजा के दौरान शंख को बजाया जाता है।

पूजन स्थल पर शंख को लक्ष्मीजी के चित्र या प्रतिमा के नजदीक रखा जाता है।

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