रविवार, 28 अगस्त 2016

झूलते पीलरो वाले मंकिर


By
Manish
भारत को अगर हम चमत्कारों वाला देश कहें तो कुछ गलत नहीं होगा. यहां आपको गांव-गांव में चमत्कार नज़र आ जायेंगे. यहां चमत्कारों का आधार होती है आस्था. वो आस्था जो हर अनजान को भी अपना बना देती है. वो आस्था जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक पाई जाती है. वो आस्था जो अजमेर की दरगाह शरीफ़ से केदारनाथ के पहाड़ों तक फैली है.


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इस आस्था में वो शक्ति है, जो असीम ताकत को जन्म देती है. वो ताकत जिससे चमत्कार होते हैं. ऐसा ही एक चमत्कार आपको देखने को मिलेगा आंध्रप्रदेश के लेपाक्षी मन्दिर में. लेपाक्षी मन्दिर को 'हैंगिंग टेम्पल' भी कहा जाता है. यह विशाल मन्दिर 70 खम्भों पर टिका हुआ है, जिसमें से एक खम्भा हवा में लटका हुआ है.

मन्दिर के नाम से जुड़ी है रोचक घटना



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इस मन्दिर के लेपाक्षी नाम के पीछे एक रोचक कहानी है. भगवान श्री राम अपने वनवास के दौरान लक्ष्मण और माता सीता के साथ यहां आए थे. जब रावण मां सीता का अपहरण करके लंका ले जा रहा था, उसी समय जटायु ने रावण को रोककर उससे युद्ध किया था. जटायु युद्ध में घायल होकर इसी स्थान पर गिरा था. जब सीता की तलाश में राम यहां पहुंचे, तो उन्होंने 'ले पाक्षी' कहते हुए घायल जटायु को अपने गले लगा लिया था. ले पाक्षी एक तेलुगु शब्द है, जिसका मतलब होता है 'उठो पक्षी'. बाद में इस स्थान पर भगवान शिव, विष्णु और वीरभद्र के लिए मन्दिर बनाये गये.


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इतिहासकारों के अनुसार, इस मन्दिर को 1583 में विजयनगर साम्राज्य के राजा की सेवा में काम करने वाले दो भाइयों विरुपन्ना और वीरन्नाने ने बनाया था. प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक, इस चमत्कारिक मन्दिर को ऋषि अगस्तय ने बनवाया था.

रामपदम



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मन्दिर में रामपदम भी एक विशेष आकर्षण है. मान्यता के अनुसार, यह भगवान श्री राम के पांव के निशान हैं. कुछ लोग इन्हें माता सीता के पांव के निशान भी मानते हैं.

अंग्रेजों ने की थी इस मन्दिर का रहस्य जानने की कोशिश



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एक अंग्रेज इंजीनियर ने इस मन्दिर का रहस्य जानने के लिए इसे तोड़ने का प्रयास भी किया था. उस समय इस मन्दिर के खंभों के हवा में झूलने की खूब चर्चा हुई थी. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि इन झूलते हुए खम्भों के नीचे से कपड़ा निकालने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.

कई अन्य आकर्षण भी है यहां



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इस मन्दिर में एक ही पत्थर से बनी नंदी की विशाल प्रतिमा भी है.


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इसके अलावा यहां ग्रेनाइट से बनी विशाल नागलिंग प्रतिमा भी है. इस प्रतिमा में एक शिवलिंग के ऊपर सात फन वाला नाग अपना फन फैलाये बैठा है.


यहां शिवकाल में प्रयोग में लिए गये बर्तनों के निशान भी मौजूद है.
इस मन्दिर में और भी अनेक आकर्षण है, कला के कद्रदानों के लिए भी यह जगह विशेष महत्त्व रखती है. आस्था के साथ कला का संगम कम ही जगह देखने को मिलता है. मेरा तो मानना है, आप भी एक बार इस मन्दिर में हो ही आइये.


Source: rajasthanpatrika
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2 टिप्‍पणियां:

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