गुरुवार, 25 अगस्त 2016

लगातार बढ़ता मूर्ति का आकार



 

Kanipakam Vinayaka Temple History in Hindi : वैसे तो गणपति बप्पा के कई रूप है और देश में अनेकों ऐसे गणेश मंदिर हैं जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। चित्तूर का विघ्नहर्ता कनिपक्कम गणपति मंदिर भी एक ऐसा ही धाम है। यह मंदिर बाकि सब मंदिरों से अपने आप में अनूठा है क्योंकि, एक तो ये विशाल मंदिर नदी के बीचों बीच स्थित है और दूसरा यहाँ स्तिथ गणपति की मूर्ति का आकार लगातार बढ़ रहा है। कहा जाता है यहां आने वाले हर भक्त के पाप को विघ्नहर्ता हर लेते हैं। आस्था और चमत्कार की ढेरों कहानियां खुद में समेटे कनिपक्कम विनायक का ये मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में मौजूद है।
Kanipakam Ganesh Mandir Story in Hindi
मंदिर बनने की कहानी
मंदिर के बनने की कहानी भी बेहद रोचक है कहा जाता है कि तीन भाई थे। उनमें से एक गूंगा, दूसरा बहरा और तीसरा अंधा था। तीनों ने मिलकर अपने जीवन व्यापन के लिए जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा खरीदा। जमीन पर खेती के लिए पानी की जरुरत थी। इसलिए तीनों ने उस कुंए को खोदना शुरू किया जो सूख चुका था। काफी खोदने के बाद पानी निकला।
उसके बाद थोड़ा और खोदने पर एक पत्थर दिखाई दिया। जिसे हटाने पर खून की धारा निकलने लगी। थोड़ी ही देर में पूरे कुंए का पानी लाल हो गया। यह चमत्कार होते ही तीनों भाई जो कि गूंगे, बेहरे या अंधे थे वे एकदम ठीक हो गए। जब ये खबर उस गांव में रहने वाले लोगों तक पहुंची तो वे सभी यह चमत्कार देखने के लिए एकत्रित होने लगे। तभी सभी को वहां प्रकट स्वयं भू गणेशजी की मूर्ति दिखाई दी, जिसे वहीं पानी के बीच ही स्थापित किया गया। इसकी स्थापना 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने की थी। मंदिर का विस्तार 1336 में विजयनगर साम्राज्य में किया गया।
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Kanipakam Vinayaka Temple
ये भी है मान्यता
कहते हैं कि इस मंदिर में मौजूद विनायक की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। इस बात से आपको भी हैरानी हो रही होगी, लेकिन यहां के लोगों का मानना है कि प्रतिदिन गणपति की ये मूर्ति अपना आकार बढ़ा रही है।इस बात का प्रमाण उनका पेट और घुटना है, जो बड़ा आकार लेता जा रहा है। कहा जाता है कि विनायक की एक भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने उन्हें एक कवच भेंट किया था, लेकिन प्रतिमा का आकार बढऩे की वजह से अब उसे पहनाना मुश्किल हो गया है।
​नदी से जुड़ी भी है एक अनोखी कहानी
विनायक मंदिर जिस नदी में है उससे जुड़ी भी एक अनोखी कहानी है। कहते हैं संखा और लिखिता नाम के दो भाई थे। वो दोनों कनिपक्कम की यात्रा के लिए गए थे। लंबी यात्रा की वजह से दोनों थक गए थे। चलते-चलते लिखिता को जोर की भूख लगी। रास्ते में उसे आम का एक पेड़ दिखा तो वो आम तोडऩे लगा। उसके भाई संखा ने उसे ऐसा करने से बहुत रोका लेकिन वो नहीं माना।
Kanipakam Vinayaka Temple, Chittor, Andhra Pradesh
इसके बाद उसके भाई संखा ने उसकी शिकायत वहां की पंचायत में कर दी, जहां बतौर सजा उसके दोनों हाथ काट लिए गए। कहते हैं लिखिता ने बाद में कनिपक्कम के पास स्थित इसी नदी में अपने हाथ डाले थे, जिसके बाद उसके हाथ फिर से जुड़ गए। तभी से इस नदी का नाम बहुदा रख दिया गया, जिसका मतलब होता है आम आदमी का हाथ। ये इस नदी का महत्व ही है कि कनिपक्कम मंदिर को बाहुदा नदी के नाम से भी जाना जाता है।
धुल जाते हैं सारे पाप
कहा जाता है कि कोई इंसान कितना भी पापी हो यदि वह कनिपक्कम गणेश जी के दर्शन कर ले तो उसके सारे पाप खत्म हो जाते हैं। इस मंदिर में दर्शन से जुड़ा एक नियम है। माना जाता है कि इस नियम का पालन करने पर ही पाप नष्ट होते हैं।
नियम यह है कि जिस भी व्यक्ति को भगवान से अपने पाप कर्मों की क्षमा मांगनी हो। उसे यहां स्थित नदी में स्नान कर ये प्रण लेना होगा कि वह फिर कभी उस तरह का पाप नहीं करेगा, जिसके लिए वह क्षमा मांगने आया है। ऐसा प्रण करने के बाद गणेश जी के दर्शन करने से सारे पाप दूर हो जाते हैं।
Kanipakam Vinayaka Temple, Chittor, Andhra Pradesh
​कैसे पहुंचे
चित्तूर जिला रायलसीमा क्षेत्र आंध्रप्रदेश में स्थित है। चित्तूर जिला तिरूपति, कनिपक्कम मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। हवाई मार्ग से हैदराबाद पहुंचकर वहां से सड़क मार्ग से चित्तूर पहुंचा जा सकता है।
भारत के अन्य मंदिरों के बारे में यहाँ पढ़े –   भारत के अदभुत मंदिर
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