शनिवार, 1 अक्तूबर 2022

पश्चिमीकरण ओर भारतीयकरण AQ

 पश्चिमीकरण ओर भारतीयकरण की प्रतिस्पर्धा जिसमे दोनों स्वेच्छिक है मगर एक भौतिकवाद से प्रेरित है एक आध्यात्मिकवाद से प्रेरित है एक दिशाहीन अंधानुकरण है दूसरा  अंतरात्मा की आवाज और अभिष्टमय है.

 एक का नेतृत्व बॉलीवुड हॉलीवुड व नारीवादी करते है दूसरा नेतृत्वहीन है  पश्चिमीकरण गरीबी से अमीरी की और बढ़ती युवापीढ़ी में ज्यादा पाई जाता है भारतीयकरण अमीरी से सादगी की ओर बढ़ते लोगो में ज्यादा दिख रहा है पश्चिमीकरण का सम्बंध जीवन के सभी पक्षों से मगर भारत में इसका प्रभाव भौतिक ज्यादा वैचारिक कम है जबकि भारतीयकरण वैचारिक ज्यादा भौतिकवादी कम है दोनों प्रकिया  पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में ज्यादा नजर आ रही है.

 भारतीय नारी पूर्णपरिधान से अर्द्धनग्नता की बढ़ रही है पश्चिम की नारी नग्नता से पूर्णतया की ओर बढ़ रही है आज से 20 साले पहले भारत आने वाले विदेशी अर्द्ध नग्न घूमते थे मगर आज अधिकतर भारतीय परिधानों में ही नजर आते है विशेषकर विदेशी महिलाओं को सूट में देखा जा सकता है वही भारतीय पर्यटक भारत या विदेशों में अर्द्ध नग्न होकर भृमण करते देख सकते है 

ऋषिकेश जैसी तपोभूमि पर हमारी लड़कियों बेशर्मीता के साथ अर्द्ध नग्न परिधानों में घूमती दिखती है उनके परिजन बड़े गौरवान्वित होकर उनके साथ चलते है और विदेशी महिलाओं को उनको देखकर कुटिल हंसी करते जब हम देखते है तो वो  बहुत कुछ बयान कर जाती है वो सब सूट व सौम्य परिधानों में होने के साथ उस तीर्थ की पावनता का सम्मान करती है मगर हमारे बच्चे तीर्थ की पावनता को तिलांजलि देते देखा जा सकता पर्यटक स्थलों पर पश्चिमीकरण ओर भारतीयता की प्रतिस्पर्धा स्पष्ट नजर  आती है भारतीय भारतीयता के विध्वंसक के रूप में ओर विदेशी भारतीयता के रक्षक के रूप में देखा जा सकता है  पश्चिमी लोग यह देखकर खुश है कि उनकी झूठन भारत में पल्लवित है और हम यह देखकर खुश है कि चलो हमारे देश में ना सही विदेशों में तो हमारी संस्कृति पल्लवित हो रही है ।


डॉ राजेन्द्र जोशी

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