शनिवार, 5 फ़रवरी 2022

रानी अवंतीबाई

 

अवंतीबाई

महान वीरांगना क्रांतिकारी रानी अवंतीबाई लोधी

रानी अवन्तीबाई लोधी भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रथम महिला शहीद वीरांगना थीं। 1857 की क्रांति में रामगढ़ की रानी अवंतीबाई रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थी। 1857 के मुक्ति आंदोलन में इस राज्य की अहम भूमिका थी, जिससे भारत के इतिहास में एक नई क्रांति आई।[1]

2001 के एक डाक टिकट पर अवन्तीबाई का चित्र
रानी अवन्तीबाई
(16 अगस्त 1831 - 20 मार्च 1858)
जन्मस्थल :ग्राम मनकेड़ीजिला सिवनीमध्य प्रदेश
मृत्युस्थल:देवहारगढ़मध्य प्रदेश
आन्दोलन:भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

1817 से 1851 तक रामगढ़ राज्य के शासक लक्ष्मण सिंह थे। उनके निधन के बाद विक्रमाजीत सिंह ने राजगद्दी संभाली। उनका विवाह बाल्यावस्था में ही मनकेहणी के जमींदार राव जुझार सिंह की कन्या अवंतीबाई से हुआ। विक्रमाजीत सिंह बचपन से ही वीतरागी प्रवृत्ति के थे अत: राज्य संचालन का काम उनकी पत्नी रानी अवंतीबाई ही करती रहीं। उनके दो पुत्र हुए-अमान सिंह और शेर सिंह। अंग्रेजों ने तब तक भारत के अनेक भागों में अपने पैर जमा लिए थे जिनको उखाड़ने के लिए रानी अवंतीबाई ने क्रांति की शुरुआत की और भारत में पहली महिला क्रांतिकारी रामगढ़ की रानी अवंतीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध ऐतिहासिक निर्णायक युद्ध किया जो भारत की आजादी में बहुत बड़ा योगदान है जिससे रामगढ़ की रानी अवंतीबाई उनका नाम पूरे भारत मैं अमरशहीद वीरांगना रानी अवंतीबाई के नाम से हैं।

रानी अवंतीबाई की मूर्ति, बालाघाट जिला, मध्य प्रदेश

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