सोमवार, 3 मार्च 2014

वर्धा हिंदी शब्दकोश




वर्धा हिंदी शब्दकोश

संपादन - राम प्रकाश सक्सेना

हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह अग्रतालव्य, सघोष, अल्पप्राण स्पर्शसंघर्षी है।
ज़ उच्चारण की दृष्टि से यह वर्त्स्य, सघोष संघर्षी है। अरबी-फ़ारसी और इंग्लिश से आगत शब्दों में ही इसका प्रयोग होता है। हिंदी वर्णमाला में यह अभी तक सम्मिलित नहीं किया गया है।
जँगरा [सं-पु.] 1. उर्द, मूँग आदि के वे डंठल जो दाना निकाल लेने के बाद शेष रह जाते हैं; जेंगरा 2. शारीरिक बल या शक्ति।
जँगरैत [वि.] 1. किसी कार्य के निष्पादन में अपनी पूरी क्षमता लगाने वाला; जाँगरवाला 2. परिश्रमी; मेहनती।
जँचना [क्रि-अ.] 1. जाँचने का काम होना; जाँचा जाना; परखा जाना 2. जाँच में ख़रा उतरना 3. उचित तथा अच्छा ठहरना; सुंदर या अच्छा लगना; शोभना; शोभित होना 4. रुचि के अनुकूल होना 5. मेल खाना 6. उचित या अच्छा प्रतीत होना; ठीक या अच्छा जान पड़ना 7. प्रतीत होना; निश्चय होना; मन में बैठना।
जँचा [वि.] 1. जँचा हुआ; सुपरीक्षित 2. जो जाँच करने में अभ्यस्त हो या जिसे जाँच का अभ्यास हो 3. सटीक; अचूक।
जँतसर [सं-पु.] वह गीत जो जाँता में गेहूँ पीसते समय स्त्रियाँ गाती हैं; जाँते का गीत।
जँतसार [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ पर जाँता या चक्की गड़ी रहती है।
जँभाई (सं.) [सं-स्त्री.] वह शारीरिक क्रिया जिसमें मुँह खोलकर अंदर की ओर गहरी साँस लेते हैं; निद्रा या आलस्य के कारण होने वाली उबासी; ऊँघ; ऊब।
जँभाना (सं.) [क्रि-अ.] 1. जँभाई लेना 2. निद्रा या आलस्य के कारण मुँह खोल कर गहरी साँस लेना; उबासी लेना।
जँवाई (सं.) [सं-पु.] दामाद; जामाता; बेटी का पति।
जंक्शन (इं.) [सं-पु.] 1. वह रेलवे स्टेशन जहाँ दो से अधिक दिशाओं से गाड़ियाँ आती-जाती हों 2. दो या दो से अधिक रेलमार्गों, सड़कों, रास्तों के मिलने का स्थान 3. संधि; जोड़।
जंग (फ़ा.) [सं-पु.] 1. हवा और नमी आदि के प्रभाव से लोहे आदि पर जमने वाला काला अंश; मोरचा 2. अफ़्रीका का जंजीबार प्रदेश। [सं-स्त्री.] 1. शत्रुतावश दो दलों के बीच हथियारों से की जाने वाली लड़ाई; युद्ध 2. वह जो ख़तरनाक हो, उसकी समाप्ति के लिए एक सम्मिलित अभियान 3. विकट और विपरीत परिस्थितियों से निकलकर आगे बढ़ने के लिए होने वाला प्रयत्न या प्रयास; संघर्ष।
जंगम (सं.) [सं-पु.] 1. लिंगायत शैव संप्रदाय के गुरुओं की उपाधि 2. एक प्रकार के साधु। [वि.] 1. चलने-फिरने वाला; चर 2. जो एक स्थान से चलकर दूसरे स्थान पर जाता हो; 'स्थावर' का विलोम।
जंगल (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान, जहाँ घने पेड़, लता-झाड़ियों के साथ जीव-जंतुओं की बहुतायत होती है 2. वन; अरण्य; कानन 3. जीवन का स्रोत 4. झाड़-झंखाड वाला प्रदेश; अविकसित और निर्जन क्षेत्र 5. एकांत या उजाड़ स्थान। [वि.] 1. जो पिछड़ा और असभ्य हो (क्षेत्र विशेष) 2. जो उजाड़ और वीरान हो।
जंगला (पुर्त.) [सं-पु.] 1. खिड़की; जालीदार झरोखा 2. वह दरवाज़ा जिसमें लोहे की पतली छड़ें लगी होती हैं; वह शोभावर्धक रचना या नक्काशी जिसमें एक दूसरे को काटती हुई बेलें आदि बनी होती हैं।
जंगली (सं.) [सं-पु.] 1. जो जंगल का हो; जंगल से संबंधित 2. असभ्य; अशिष्ट; उजड्ड 3. जो जंगल से प्राप्त होता हो 4. जंगल में निवास करने वाला 5. जो पालतू न हो। [सं-पु.] 1. वनवासी; जंगल में रहने वाला व्यक्ति 2. अशिष्ट व्यक्ति।
जंगलीपन [वि.] जंगली पशुओं की तरह का व्यवहार; असभ्यता; क्रूरता; विवेकहीन क्रिया-कलाप।
ज़ंगार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ताँबे का कसाव; तूतिया 2. जंग से निर्मित एक प्रकार की औषधि; मंडूर 3. एक रंग।
ज़ंगारी (फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें ज़ंगार पड़ा हो; ज़ंगारयुक्त 2. ज़ंगार डालकर बनाई गई औषधि 3. ज़ंगार के रंग का।
ज़ंगाल (फ़ा.) [वि.] दे. ज़ंगार।
जंगी (फ़ा.) [वि.] 1. युद्ध संबंधी 2. सेना संबंधी; सैनिक 3. बहुत बड़ा; दीर्घकाय 4. लड़ने-झगड़ने वाला; झगड़ालू।
जंघा (सं.) [सं-पु.] 1. जाँघ 2. पिंडली। [सं-स्त्री.] 1. पैर के घुटने और पेड़ू के बीच का भाग 2. कैंची का दस्ता।
जंघाल (सं.) [सं-पु.] 1. धावन; धावक 2. दूत 3. मृग; हिरण।
जंघिल (सं.) [वि.] 1. तेज़ दौड़ने वाला 2. फुरतीला।
जंजबील (अ.) [सं-स्त्री.] सोंठ।
जंजाल [सं-पु.] 1. सांसारिक व्यापार जिसमें मनुष्य फँसा रहता है 2. झंझट; प्रपंच; बखेड़ा 3. उलझन 4. पानी का भँवर 5. मछलियाँ पकड़ने का बड़ा जाल।
जंजालिया [वि.] दे. जंजाली।
जंजाली [वि.] 1. सांसारिक बंधनों में फँसा हुआ; जंजाल में फँसा हुआ 2. जंगजाल या जंजाल रचने वाला; बखेड़ा करने वाला 3. झगड़ालू; उपद्रवी; फ़सादी।
ज़ंजीर (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. धातु की बहुत-सी कड़ियों को आपस में जोड़कर बनाई गई लड़ी 2. कैदियों के पैरों में बाँधी जाने वाली लोहे की बेड़ी 3. दरवाज़े की साँकल; कुंडी; सिकड़ी 4. गले में पहना जाने वाला एक प्रकार का आभूषण 5. शृंखला 6. {ला-अ.} वह बात जो घटनाओं को मिलाती है 7. {ला-अ.} बंधन।
ज़ंजीरा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ज़ंजीर की शकल में बँटा हुआ डोरा 2. कशीदे की सिलाई जिसमें कपड़े आदि पर काढ़ी या निकाली गई ज़ंजीर की बनावट; लहरिया 3. लहरियादार कपड़ा।
ज़ंजीरी (फ़ा.) [वि.] 1. कैदी; बंदी 2. पागल 3. ज़जीर से संबंधित। [सं-पु.] 1. गले में पहनने की सिकड़ी; माला 2. हथेली के पिछले भाग पर पहना जाने वाला एक प्रकार का गहना; जेवर।
जंतर (सं.) [सं-पु.] 1. यंत्र; तावीज़ 2. गले आदि में पहनने का धातु का वह छोटा आधान जिसके अंदर कोई तांत्रिक यंत्र यानी झाड़-फूँक का या टोटके की वस्तु भरी रहती है 3. ऐसा यंत्र जिससे तेल या आसव आदि तैयार किया जाता है 4. वाद्य-यंत्र; बाजा।
जंतर-मंतर [सं-पु.] 1. जादू-टोना; टोना-टोटका; तंत्र-मंत्र 2. वेधशाला 3. आकाशलोचन, जहाँ तारों-नक्षत्रों की गति और स्थिति आदि का निरीक्षण करते हैं।
जंतरा [सं-स्त्री.] वह रस्सी जो गाड़ी के ढाँचे पर कसी, तानी या बाँधी जाती है।
जंतरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुनारों द्वारा तैयार किया हुआ एक उपकरण जिससे तार खींचकर लंबा और पतला किया जाता है 2. पंचांग; तिथिपत्र 3. तावीज़ 4. वाद्य यंत्र; छोटा बाजा।
जंता [सं-पु.] 1. यंत्र; कल 2. सुनारों का तार खींचने का उपकरण। [वि.] 1. दंड देने वाला 2. यंत्रणा देने वाला।
जंती [सं-स्त्री.] छोटा जंता जिससे सोनार बारीक तार खींचते हैं; जंतरी।
जंतु (सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसका जन्म हुआ हो; जीवात्मा; प्राणी 2. पशु; जानवर 3. कीड़े-मकोड़े।
जंतुघ्न (सं.) [वि.] (औषधि या पदार्थ) जंतुओं को नष्ट करने वाला।
जंतुमती (सं.) [सं-स्त्री.] धरती।
जंतुला (सं.) [सं-स्त्री.] काँस नामक घास; काशतृण।
जंतुविज्ञान (सं.) [सं-पु.] वह विज्ञान जिसमें जीव-जंतुओं या प्राणियों की उत्पत्ति, विकास, स्वरूप और विभागों आदि का विवेचन होता है; प्राणिविज्ञान; (ज़ूलॉजी)।
जंत्र (सं.) [सं-पु.] 1. यंत्र 2. तावीज़ 3. ताला।
जंत्रित (सं.) [वि.] 1. यंत्र द्वारा बाँधा या रोका हुआ 2. बंद किया या बँधा हुआ 3. जो किसी के वश में हो; परवश।
ज़ंद (फ़ा.) [सं-पु.] 1. पारसियों का प्रसिद्ध धर्मग्रंथ 2. वह भाषा जिसमें यह धर्मग्रंथ है; जंदअवेस्ता। [सं-स्त्री.] आर्यों की ईरानी शाखा की प्राचीन भाषा जो वैदिक संस्कृत से बहुत मिलती है।
जंप (इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) किसी समाचार के कुछ अंश को किसी एक पृष्ठ अथवा कॉलम से किसी अन्य पृष्ठ अथवा कॉलम में ले जाना; शेषांश; (कैरी ओवर)।
जंपस्टोरी (इं.) [सं-स्त्री.] प्रथम पृष्ठ या किसी अन्य पृष्ठ पर प्रकाशित समाचार का शेष भाग दूसरे पन्ने पर प्रकाशित करना।
जंबीर (सं.) [सं-पु.] 1. जँबीरी नीबू 2. मरुवा; वनतुलसी।
ज़ंबील (अ.) [सं-स्त्री.] साधुओं या फ़कीरों की झोली जिसमें वे भिक्षा से प्राप्त वस्तुएँ रखते हैं; पिटारी।
जंबु (सं.) [सं-पु.] दे. जंबू।
जंबुक (सं.) [सं-पु.] 1. बड़ा जामुन; फरेंदा 2. शृगाल; गीदड़ 3. केवड़ा 4. वरुण 5. नीच या धूर्त आदमी।
जंबुद्वीप (सं.) [सं-पु.] दे. जंबूद्वीप।
जंबुमान (सं.) [सं-पु.] पहाड़।
जंबुल (सं.) [सं-पु.] 1. जामुन 2. केतकी का पेड़ 3. कर्णपाली नामक रोग जिसमें कान की लौ पक जाती है; सुपकनवा।
जंबू (सं.) [सं-पु.] 1. जामुन का वृक्ष 2. जामुन का फल।
जंबूका (सं.) [सं-स्त्री.] सुखाया हुआ अंगूर; किशमिश।
जंबूद्वीप (सं.) [सं-पु.] (पुराण) सात द्वीपों में से एक जिसमें भारतवर्ष की भी स्थिति मानी गई है।
ज़ंबूरक (तु.) [सं-स्त्री.] 1. छोटे आकार की तोप 2. भँवर कली।
ज़ंबूरची (तु.) [सं-पु.] तोपची।
ज़ंबूरा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार की छोटी तोप 2. भँवर कली 3. मस्तूल पर आड़ा बँधा रहने वाला डंडा 4. सँड़सी।
जंभ (सं.) [सं-पु.] 1. जबड़ा 2. दाढ़ 3. जँभाई 4. तरकश 5. जँबीरी नीबू 6. महिषासुर का पिता जिसका वध इंद्र ने किया था।
जंभका (सं.) [सं-स्त्री.] निद्रा या आलस्य के कारण मुँह के खुलने की एक स्वाभाविक क्रिया; जँभाई; उबासी।
जंभन (सं.) [सं-पु.] 1. जँभाना 2. खाना; भक्षण 3. रति; मैथुन।
जई [सं-स्त्री.] 1. जौ की तरह का एक अनाज जो अक्सर घोड़ों को खिलाया जाता है 2. खीरे, कुंहड़े आदि की फूल लगी बतिया 3. किसी पौधे का नया अंकुर 4. जौ का छोटा अंकुर।
ज़ईफ़ (अ.) [वि.] 1. बुड्ढा; बूढ़ा; वृद्ध 2. दुर्बल।
ज़ईफ़ी (अ.) [सं-पु.] 1. ज़ईफ़ अर्थात वृद्ध होने की अवस्था या भाव 2. बुढ़ापा; वृद्धावस्था।
जक1 [सं-स्त्री.] 1. ज़िद; हठ; अड़ 2. रट; धुन। [मु.] -पकड़ना : जिद या हठ करना।
ज़क2 (अ.) [सं-स्त्री.] चैन; आराम; सुख।
ज़कंद (फ़ा.) [सं-स्त्री.] उछाल; छलांग।
जकड़ [सं-पु.] 1. कड़ा बंधन 2. पकड़ 3. तनाव। [सं-स्त्री.] 1. जकड़ने की क्रिया, ढंग या भाव 2. चारोंओर से दृढ़ बंधन में होने की अवस्था या स्थिति।
जकड़न [सं-स्त्री.] 1. बँधने की अवस्था 2. संकीर्णता 4. तंगी; तनाव 5. कसावट; सघनता 6. सरदी आदि से होने वाला कष्ट।
जकड़ना [क्रि-स.] 1. कसकर बाँधना या पकड़ना 2. इस प्रकार से नियम, बंधन आदि का बनाना या लागू करना कि उनसे किसी का बच सकना संभव न हो। [क्रि-अ.] 1. जकड़ा जाना 2. चारों-ओर से कसकर बाँधा जाना 3. शीत आदि के कोप से शरीर अथवा शरीर के किसी अंग का इस प्रकार ऐंठ या तन जाना कि वह हिल-डुल न सके 4. शरीर में तनाव या सूजन आना 5. नियमों या बंधनों से घिर जाना।
जकड़बंद [वि.] 1. कसकर बाँधा हुआ 2. किसी की जकड़ में आया हुआ।
जकना [क्रि-अ.] 1. भौचक्का होना; चकित या स्तंभित होना 2. व्यर्थ बोलना; बकना 3. रटना।
ज़कर (अ.) [सं-पु.] 1. पुरुषेंद्रिय; लिंग 2. नर।
जकाजक [सं-पु.] ज़ोरों की लड़ाई; घोर युद्ध। [क्रि.वि.] ख़ूब ज़ोरों से; वेगपूर्वक।
ज़कात (अ.) [सं-स्त्री.] 1. कर; महसूल (यातायात से संबंधित) 2. ख़ैरात; दान 3. वार्षिक आय का वह चालीसवाँ भाग जिसे दान करना मुस्लिम समाज में ज़रूरी माना जाता है।
ज़काती (अ.) [वि.] 1. कर या महसूल उगाहने वाला 2. ज़कात वसूल करने वाला।
जकी [वि.] 1. ज़िद्दी; हठी 2. चकित; स्तंभित।
जकुट (सं.) [सं-पु.] 1. मलयाचल 2. बैंगन के पौधे में लगने वाला फूल 3. जोड़ा; युग्म 4. कुत्ता।
जक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. भक्षण; खाना 2. भोजन।
ज़ख़नी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. यक्ष की स्त्री 2. यक्षिणी 3. दुर्गा की एक अनुचरी।
ज़ख़म (फ़ा.) [सं-पु.] दे. ज़ख़्म।
ज़ख़ीरा (अ.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ एक ही प्रकार की बहुत सी चीज़ों का संग्रह हो; कोष; ख़ज़ाना; भंडार 2. संग्रह; ढेर; समूह; अंबार 3. बीज का काम देने वाले पौधों की क्यारी या खेत 4. वह स्थान जहाँ बिक्री के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और बीज आदि मिलते हों 5. वह प्रदेश जहाँ कोई वस्तु बहुतायत से प्राप्त होती है।
ज़ख़ीरेबाज़ (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. ज़ख़ीरेबाज़ी करने वाला 2. अन्न आदि का अपसंचय करने वाला; ज़माख़ोर।
ज़ख़ीरेबाज़ी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] उपयोग में आने वाली और बिकने वाली वस्तुओं का इस विचार से संचय करना कि जब ये महँगी होगीं तब इसे बेचेंगे।
ज़ख़्म (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह चोट जिसमें शरीर का कोई अंग कट-फट जाए; घाव; क्षत; फोड़ा 2. हानि 3. मानसिक ठेस या आघात 4. पुराना दुख। [मु.] ‌-हरा हो आना : पिछला कष्ट याद आना।
ज़ख़्मी (फ़ा.) [वि.] जिसे ज़ख़्म लगा हो; घायल; चुटैला।
जग (सं.) [सं-पु.] 1. संसार; जगत; दुनिया; विश्व 2. चैतन्य सृष्टि; संसृति 3. दुनिया के लोग 4. पानी भरने का लंबा पात्र। [वि.] जाग्रत।
जगजगाना [क्रि-अ.] कांति या आभा से युक्त होना; चमकना; जगमगाना; दमकना।
जगजगाहट [सं-स्त्री.] जगमगाने की अवस्था या भाव।
जगजाहिर (सं.) [वि.] 1. जिसे संसार जानता हो; जगत प्रसिद्ध 2. सर्वविदित।
जगज्जननी (सं.) [सं-स्त्री.] आदि शक्ति; परमेश्वरी; मातेश्वरी।
जगज्जयी (सं.) [वि.] जिसने जगत या विश्व को जीत लिया हो; विश्वविजेता।
जगझंप [सं-पु.] 1. एक प्राचीन बाजा 2. युद्ध क्षेत्र में बजाया जाने वाला एक प्रकार का ढोल।
जगण (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) पिंगल में एक गण जिसमें मध्य का अक्षर गुरु और आदि तथा अंत के अक्षर लघु होते हैं।
जगत (सं.) [सं-पु.] 1. संसार; विश्व; दुनिया 2. पृथ्वी का वह खंड जिसमें जीव निवास करते हैं; चेतना-संपन्न सृष्टि 3. किसी विशिष्ट प्रकार के कार्य-क्षेत्र से संबद्ध जीवों का समूह या वर्ग। [वि.] 1. चेतन; जागता हुआ; सचेत 2. जो गतिमान हो या जो चलता-फिरता हो। [सं-स्त्री.] कुएँ के ऊपर का चबूतरा।
जगतपिता (सं.) [सं-पु.] जगत का पालक या रखवाला; ईश्वर; परमेश्वर।
जगतप्रसिद्ध (सं.) [वि.] जो पूरे विश्व में विख्यात हो; विश्वविख्यात; विश्वप्रसिद्ध; लोकप्रसिद्ध; जगज़ाहिर।
जगतप्राण (सं.) [सं-पु.] 1. जगत को जीवित रखने वाला तत्व 2. समीर; वायु; हवा 3. ईश्वर।
जगतारण (सं.) [वि.] 1. जगत या संसार को तारने वाला 2. जगत की रक्षा करने वाला।
जगती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धरती; पृथ्वी 2. दुनिया; संसार 3. जीवन 4. (काव्यशास्त्र) एक वैदिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में बारह अक्षर होते हैं 5. जंबुयुक्त स्थान।
जगत्साक्षी (सं.) [सं-पु.] भानु; सूर्य।
जगदंतक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो जगत का नाश करता हो; मृत्यु; काल 2. यमराज 3. शिव।
जगदंबा (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) जगत की माता; दुर्गा।
जगदगौरी (सं.) [सं-स्त्री.] दुर्गा, मनसादेवी।
जगदात्मा (सं.) [सं-पु.] ईश्वर; परमात्मा।
जगदीश (सं.) [सं-पु.] जगत का स्वामी; भगवान; ईश्वर।
जगद्गुरु (सं.) [सं-पु.] 1. व्यक्ति जो संसार में गुरु या श्रेष्ठ माना जाए 2. परमेश्वर 3. शंकराचार्य की गद्दी पर बैठने वाले धर्मगुरु की उपाधि 4. नारद 5. त्रिदेव; शिव।
जगद्वंद्य (सं.) [वि.] जिसकी वंदना सारा जगत करे; संसार भर में पूज्य।
जगद्व्यापी (सं.) [वि.] 1. संसार भर में व्याप्त; हर जगह मिलने वाला 2. वैश्विक; जो सर्वत्र हो।
जगना [क्रि-अ.] 1. जागना; नींद से उठना 2. जाग्रत होना; सावधान या सचेत होना 3. अग्नि आदि का प्रज्वलित होना या जलना 4. चमकना 5. आवेशित या उत्तेजित होना 6. साहस का परिचय देना 7. उभरना; उत्पन्न होना।
जगन्नाथ (सं.) [सं-पु.] 1. ईश्वर; जगत के नाथ 2. ओडीशा के पुरी नामक शहर में स्थापित मूर्ति।
जगन्नु (सं.) [सं-पु.] 1. अग्नि 2. कीड़ा 3. जंतु।
जगन्माता (सं.) [सं-स्त्री.] दुर्गा; लक्ष्मी।
जगबीती [सं-स्त्री.] 1. जग में घटित कोई बात या घटना का ब्योरा 2. संसार या सुख-दुख का अनुभव 2. लोकवृत्त 3. किस्सा; कथा-कहानी।
जगमग [सं-स्त्री.] जगमगाहट। [वि.] 1. जो प्रकाश पड़ने पर चमकता हो; चमकीला 2. जहाँ बहुत से दीपक या चमकते हुए पदार्थ हों।
जगमगाना [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ का प्रकाश में चमकना; जगमग होना; प्रकाशित होना 2. दमकना; दीप्त होना; चमचमाना 2. वैभवयुक्त होना; शान दिखाना 3. मेधावी या प्रतिभावान होना। [क्रि-अ.] 1. प्रकाश से ख़ूब चमकाना; प्रज्वलित करना 2. वैभव प्रदान करना; तेजोमय करना।
जगमगाहट [सं-स्त्री.] 1. जगमगाने की अवस्था या भाव; दमक 2. प्रकाश में होने वाली चमक; चमचमाहट।
जगर [सं-पु.] ज़िरह; कवच।
जगवाना [क्रि-स.] 1. किसी को जाग्रत करना 2. जगाने का काम कराना।
जगह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु या व्यक्ति विशेष का नियत स्थान; स्थल 2. इलाका; क्षेत्र 3. अवसर; मौका 2. पद; नौकरी; ओहदा 5. गुंजाइश; समाई 7. अवकाश का अंश विशेष। [क्रि.वि.] स्थान पर। [मु.] -देना : सम्मिलित करना।
जगह-जगह [अव्य.] स्थान-स्थान पर।
जगाना [क्रि-स.] 1. सोते से उठाना 2. जागने को प्रेरित करना 3. सजग; सावधान करना 4. होश या चेत में लाना 5. उत्पन्न करना 6. तंबाकू, गाँजा आदि सुलगाना 7. ऐसा साधन करना कि यंत्र-मंत्र अपना प्रभाव दिखलाए।
जगीला [वि.] जागने के कारण थका और आलस्य से भरा हुआ; उनींदा।
जघन (सं.) [सं-पु.] 1. पेड़ू (विशेषतः स्त्रियों का) 2. चूतड़; नितंब 3. जंघा, जाँघ 4. सेना का पिछला हिस्सा।
जघन्य (सं.) [वि.] 1. नितंब के पास का (भाग) 2. घृणित; घिनौना; अत्यंत बुरा 3. अधम; क्षुद्र; नीचा 4. सबसे पीछे का; अंतिम सीमा पर का; चरम 5. हेय; निंदनीय 6. गर्हित।
जघ्नि (सं.) [सं-पु.] 1. वध करने या मारने का अस्त्र 2. हत्या करने वाला व्यक्ति।
जघ्रि (सं.) [वि.] सूँघने वाला।
ज़चगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. प्रसव 2. प्रसव की अवस्था।
ज़च्चा (फ़ा.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसको हाल ही में बच्चा हुआ हो; प्रसूता।
ज़च्चाख़ाना (फ़ा.) [सं-पु.] प्रसवगृह; सूतिकागृह; सौरी।
जज (इं.) [सं-पु.] 1. किसी प्रकार का निर्णय करने वाला; निर्णायक 2. वह अधिकारी जिसे मुकदमे सुनकर उनका फ़ैसला करने का अधिकार हो 3. न्यायाधीश 4. विचारक।
जजमान (सं.) [सं-पु.] धार्मिक अनुष्ठान कराने वाला व्यक्ति; यजमान।
जजमानी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. यजमान होने की अवस्था पद या भाव 2. ऐसी वृत्ति जो यजमानों के कृत्य कराने से चलती हो।
जजमेंट (इं.) [सं-पु.] फ़ैसला; निर्णय।
जज़ा (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बदला; प्रतिकार 2. मान्यतानुसार परलोक में मिलने वाला अच्छा या बुरा फल।
जज़िया (अ.) [सं-पु.] 1. दंड 2. इस्लामी हुकूमत में रहने वाले अन्य धर्मावलम्बियों पर लगने वाला कर।
जजी (इं.) [सं-स्त्री.] 1. जज होने की अवस्था पद या भाव 2. जज की कचहरी।
जज़ीरा (अ.) [सं-पु.] जल से घिरा स्थल; टापू; द्वीप।
जज़्ब (अ.) [सं-पु.] 1. बर्दाश्त या सहन करना; शोषण; सोखना 2. आकर्षण; खिंचाव; कशिश 3. गबन। [वि.] 1. जो सोखा गया हो 2. जो हड़पा गया हो 3. शोषित।
जज़्बा (अ.) [सं-पु.] 1. भावना; आवेग; मनोविकार 2. उत्साहपरक भाव; कुछ कर गुज़रने का विचार; उमंग; जोश; हौसला 3. चेतना; बोध।
जज़्बात (अ.) [सं-पु.] भाव; भावनाएँ।
जज़्बाती (अ.) [वि.] 1. भाव संबंधी; भावात्मक 2. भावुक।
जटना (सं.+हिं) [क्रि-स.] 1. धोखा देकर किसी की कोई चीज़ ले लेना; ठगना 2. जड़ना।
जटा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सिर के बहुत लंबे, उलझे, आपस में चिपके या गुथे हुए बाल; लट 2. बालों की बनावट वाली गूथी हुई चीज़ 3. पेड़-पौधों की जड़; पेड़ों की जड़ों के आपस में मिले हुए रेशों का समूह; जड़ के पतले सूत, जैसे- बरगद की जड़; झकरा 4. पटसन; जूट 5. केवाँच 6. शतावर 7. जटामासी 8. वेद का पाठ करने की एक पद्धति।
जटाजूट (सं.) [सं-पु.] लंबे बालों या जटा को समेटकर बनाया जाने वाला जूड़ा।
जटाधारी (सं.) [वि.] जिसके सिर पर जटा हो। [सं-पु.] शिव; महादेव।
जटाना [क्रि-अ.] जटा जाना; ठगाना। [क्रि-स.] जटने के लिए प्रेरित करना।
जटामासी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. औषधि के काम आने वाली एक प्रकार की सुगंधित वनस्पति; बालछड़।
जटायु (सं.) [सं-पु.] (रामायण) एक गिद्ध जिसने सीता को हरकर ले जाते हुए रावण से युद्ध किया था।
जटाल [वि.] जटा से युक्त; जटाधारी। [सं-पु.] 1. बरगद 2. कचूर; मोखा।
जटित (सं.) [वि.] जड़ा या मढ़ा हुआ।
जटिल (सं.) [वि.] 1. उलझा हुआ; कठिन; दुर्बोध; जो आसानी से सुलझ न सके 2. जो जटादार हो; जटाधारी 3. जिसमें हेर-फेर हो 4. क्रूर; दुष्ट 5. पेचीदा; दुरूह; (इंट्रिकेट; कॉम्पलेक्स)।
जटिलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जटिल होने की अवस्था या भाव 2. पेचीदगी; दुरूहता 3. कठिनाई 4. उलझन।
जटिला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ब्रह्मचारिणी 2. जटामासी 3. पिप्पली; पीपल 4. दौना।
जटुल (सं.) [सं-पु.] 1. त्वचा पर पड़ा हुआ पैदाइशी दाग; लच्छन 2. शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाले चिह्न जो सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार शुभ और अशुभ फलदायक माने जाते हैं।
जट्ट [सं-पु.] एक प्रसिद्ध खेतिहर जाति।
जठर (सं.) [सं-पु.] 1. पेट 2. पेट का भीतरी भाग 3. कुक्षि 4. जरायु 5. एक पुराणोक्त पर्वत 6. महाभारत आदि प्राचीन ग्रंथों में वर्णित एक देश। [वि.] 1. वृद्ध; बूढ़ा 2. कठिन 3. बँधा या बाँधा हुआ।
जठराग्नि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पेट की अग्नि या ताप; पेट में खाने को पचाने वाली अग्नि 2. जठर या पेट के अंदर की वह शारीरिक अवस्था जिससे खाया हुआ अन्न पचता है।
जठरामय (सं.) [सं-पु.] 1. अतिसार रोग 2. जलोदर।
जड़ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पेड़-पौधों का वह भाग जो ज़मीन के अंदर रहता है; मूल 2. आधार स्थल; बुनियाद; नींव 3. आश्रय 4. किसी चीज़ का नीचे वाला भाग 5. वह भाग जिसमें कोई वस्तु गड़ी या फँसी होती है 6. किसी समस्या या विवाद की मुख्य वजह, कारण या सबब 7. वह अवस्था अथवा स्थिति जिसमें कोई स्पंदन न हो; अचेतन अवस्था। [सं-पु.] 1. पर्वत 2. जल 3. सीसा 4. बरफ़। [वि.] 1. जिसमें जीवन के लक्षण न हों; निर्जीव 2. जिसमें कोई स्पंदन न हो; स्थिर; अचेतन; निश्चेष्ट 3. जिसमें व्यवहारिक समझ न हो 4. (काव्यशास्त्र) एक संचारी भाव (आश्चर्य एवं भय के कारण होने वाली स्तब्धता) 5. जो वेद न पढ़ सकता हो 6. ठंडा; सरदी में ठिठुरा या अकड़ा हुआ 7. गूँगा; बहरा 8. मूर्ख; मूढ़; अनजान। [मु.] -उखाड़नाः समूल नष्ट करना; -काटनाः तबाह करने या भारी हानि पहुँचाने की कोशिश करना; -में मट्ठा डालनाः समूल नष्ट करना।
जड़ता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जड़, निर्जीव या स्थिर होने की अवस्था, गुण या भाव; चेतनता का विपरीत भाव; अचेतनता 2. बहुत अधिक मूर्ख होने का भाव 3. चेष्टा न करने या स्तब्ध रहने की दशा 4. (काव्यशास्त्र) एक संचारी भाव।
जड़ताई [सं-स्त्री.] जड़ होने की अवस्था, गुण या भाव; जड़ता।
जड़त्व (सं.) [सं-पु.] 1. जड़ या स्थिर होने की अवस्था, गुण या भाव; जड़ता; स्थिरता 2. {ला-अ.} अकर्मण्यता।
जड़ना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को दूसरी वस्तु में बिठाने की क्रिया; स्थिर करना; जमाना; ठोंकना; पच्ची करना 3. आघात या प्रहार करना; मारना; लगाना 4. किसी से कोई बात चोरी से करना; चुगली करना; किसी के कान भरना 5. एक चीज़ को दूसरी चीज़ के साथ इस तरह जोड़ना कि वह अपने स्थान से इधर-उधर न हो सके; ठोंककर बिठाना, जैसे- नाल आदि को जड़ना।
जड़-पदार्थ (सं.) [सं-पु.] 1. अचेतन पदार्थ 2. भौतिक जगत का उपादान रूप द्रव्य।
जड़वत (सं.) [वि.] 1. चेतनाशून्य; स्थिर 2. चेतनारहित; बेहोश 3. कठोर 4. निश्चल; स्पंदनहीन।
जड़वाद [सं-पु.] (दार्शनशास्त्र) एक सिद्धांत जिसके अनुसार चेतन आत्मा का अस्तित्व नहीं माना जाता और सब कुछ जड़ता का ही विकार माना जाता है।
जड़हन [सं-पु.] 1. धान की एक प्रजाति 2. वह धान जिसके पौधे को एक जगह से उखाड़कर दूसरी जगह पर रोपा जाता है; अगहनी धान।
जड़ाई [सं-स्त्री.] जड़ने का काम, भाव या मज़दूरी।
जड़ाऊ [वि.] 1. जिसमें नग, रत्न और मोती इत्यादि जड़ें हों 2. जो गढ़ा गया हो; ठुका हुआ 3. जड़ाववाला; पच्चीकारी किया हुआ।
जड़ाना [क्रि-स.] 1. जड़ने या नक्काशी का काम कराना 2. किसी वस्तु, फर्नीचर आदि को नक्काशी, अभिकल्प तथा चित्र के जरिए सजाना या सुंदर बनाना। [क्रि-अ.] सरदी अनुभव करना; जाड़ा लगना; ठिठुरना।
जड़ाव [सं-पु.] 1. जड़ने की क्रिया या भाव 2. ऐसा काम या चीज़ जिसपर दूसरी छोटी चीज़ें जड़ी हुई हों; जड़ाऊ काम; पच्चीकारी।
जड़ावट [सं-स्त्री.] 1. जड़ने की क्रिया या भाव 2. ऐसा काम या चीज़ जिसपर दूसरी छोटी चीज़ें जड़ी हुई हों; जड़ाऊ काम; पच्चीकारी।
जड़ावर [सं-पु.] 1. जाड़े में पहनने का वस्त्र 2. वे वस्त्र जो जाड़े के दिनों में कर्मचारी और मज़दूरों को पहनने के लिए दिए जाता हैं।
जड़ित (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह बैठाया या जड़ा हुआ 2. जकड़ा हुआ 3. जिसमें नगीने जड़े हों।
जड़िमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जड़ता; जड़त्व 2. ऐसी अवस्था जिसमें मनुष्य किसी स्थिति के कारण इस तरह जड़वत हो जाता है कि उसे अच्छे-बुरे का ख़याल ही नहीं रहता।
जड़िया [सं-पु.] वह सुनार जो गहनों पर नग आदि जड़ने का काम करता हो; कुंदनसाज़।
जड़ी [सं-स्त्री.] 1. वनौषधि; बूटी 2. वह औषधि जिसकी जड़ दवा के काम लाई जाए।
जड़ी-बूटी [सं-स्त्री.] विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ उनकी जड़ या कंद जिनका प्रयोग औषधियों में होता है; आयुर्वेदिक औषधि।
जड़ीभूत (सं.) [वि.] 1. जो जड़ की तरह स्थिर या अचेतन हो; निश्चल; सुन्न 2. चकित; स्तंभित 3. जो हिलने-डुलने लायक न हो; निस्पंद।
जड़ैया [वि.] गहनों पर नगीने जड़ने का काम करने वाला; जड़िया। [सं-पु.] जाड़ा देकर आने वाला ज्वर; जूड़ी।
जत (सं.) [सं-पु.] ढोलक, तबले आदि में एक प्रकार का ठेका या ताल। [वि.] जितना; जिस मात्रा का। [क्रि.वि.] जिस मात्रा में।
जतन [सं-पु.] कोशिश; प्रयास; यत्न।
जतलाना [क्रि-स.] 1. किसी को किसी बात की जानकारी देना 2. बताना या आगाह करना; अवगत कराना 3. पूर्व सूचना देना।
जताना (सं.) [क्रि-स.] 1. अवगत कराना; अहसास कराना; व्यक्त करना 2. ज्ञात कराना 3. परिचित कराना 4. बतलाना; पहले से सूचित करना 5. सचेत करना; चेताना 6. आगाह करना।
जतुक (सं.) [सं-पु.] 1. हींग 2. लाख 3. त्वचा पर का जन्मजात चिह्न।
जत्था (सं.) [सं-पु.] 1. एक ही वर्ग, संप्रदाय या विचार के लोगों का समूह, जैसे- सेवादारों का जत्था 2. संगठित दल; समूह; झुंड 3. गिरोह; वर्ग 4. फ़िरका।
जत्थेदार [सं-पु.] 1. किसी संगठित दल या समूह का प्रमुख, मुखिया या दलनायक 2. सिख धर्म की उपाधि या ओहदा 2. वह व्यक्ति जो जत्था तैयार करता है।
जत्थेबंदी [सं-स्त्री.] 1. जत्था बनाने की क्रिया; दलबंदी 2. समूह में होने की अवस्था; गिरोहबंदी 3. किसी धार्मिक यात्रा के लिए एकत्र होना।
जत्रु (सं.) [सं-पु.] धड़ के ऊपरी भाग में गले के नीचे और छाती के ऊपर दोनों ओर की अर्द्ध-चंद्राकार हड्डियाँ; हँसली।
जद (सं.) [अव्य.] 1. यदि 2. जिस समय 3. जब कभी।
ज़द (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. आघात; चोट 2. लक्ष्य; निशाना 3. हानि; नुकसान।
ज़दनी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] मारने की क्रिया या भाव। [वि.] मारने के काबिल; बाध्य।
ज़दल (अ.) [सं-पु.] 1. युद्ध; लड़ाई 2. झगड़ा; बखेड़ा।
ज़दवार (अ.) [सं-पु.] निर्विषी नामक औषधि; एक प्रकार की घास जिसके सेवन से साँप बिच्छू का ज़हर दूर होता है; निर्विसी।
ज़दा (फ़ा.) [वि.] जिसपर किसी प्रकार का ज़द या आघात हुआ हो। [परप्रत्य.] किसी शब्द के अंत में जुड़कर किसी मनोभाव को व्यक्त करता है, जैसे- गमज़दा, दहशतज़दा आदि।
जदीद (अ.) [वि.] 1. नया; नवीन; नूतन 2. आधुनिक; हाल का 3. पाश्चात्य; प्रतीच्य।
ज़द्द (फ़ा.) [वि.] प्रचंड; प्रबल।
जद्द-बद्द [सं-पु.] 1. बुरी बात; ख़राब बात 2. किसी से न कहने योग्य बात; अकथनीय या अश्लील बात।
जद्दी (अ.) [वि.] 1. (वह अधिकार या संपत्ति) जो बाप-दादाओं से उत्तराधिकार में मिलती हो 2. बाप-दादाओं के समय से चला आने वाला। [सं-स्त्री.] कोशिश; प्रयत्न।
जद्दोजेहद (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रयत्न; संघर्ष 2. दौड़-धूप 3. आंदोलन।
जन (सं.) [सं-पु.] 1. व्यक्ति; मनुष्य 2. सर्वसाधारण लोग; मनुष्य समूह; लोक; जनता; प्रजा 3. अनुचर; अनुयायी 4. दास; नौकर 5. कल्पित सात लोकों में पाँचवाँ लोक।
ज़न (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. स्त्री; नारी 2. पत्नी; बीवी; जोरू।
जन आंदोलन (सं.) [सं-पु.] 1. व्यवस्था परिवर्तन हेतु जनता द्वारा जारी अभियान 2. किसी उद्देश्य की सिद्धि के लिए जनता द्वारा चलाया गया आंदोलन।
जनक (सं.) [सं-पु.] 1. पिता; बाप 2. (रामायण) सीता के पिता 3. मिथिला राज्य में रामायणकालीन राजवंश की उपाधि 4. एक वृक्ष का नाम। [वि.] जनने वाला; जन्म देने वाला; जन्मदाता; उत्पादक; स्रष्टा।
जनकजा (सं.) [सं-स्त्री.] सीता; जानकी।
जनकपुर [सं-पु.] (रामायण) प्राचीन काल में मिथिला की राजधानी।
ज़नख़ा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. हिजड़ा; नपुंसक 2. वह व्यक्ति जिनमें शारीरिक अक्षमता के कारण बच्चे उत्पन्न करने की शक्ति न हो 3. वह व्यक्ति जिसका हाव-भाव, क्रिया-कलाप स्त्रियों जैसा हो।
जनगणना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक निश्चित अवधि में होने वाली लोगों की गिनती 2. किसी देश या राष्ट्र के समस्त जनों की गणना; (सेंसस) 3. किसी राज्य या क्षेत्र के समस्त निवासियों की गिनती की प्रकिया।
जनजाति [सं-स्त्री.] 1. आदिवासी 2. आदिम संस्कारों को बचाकर रखने वाली मानव जाति 3. संविधान में उल्लिखित कुछ विशेष जातियों के समूह जो आदिमानव के वंशज हैं और आज भी आधुनिक सभ्यता से लगभग दूर हैं 4. जंगलों, पहाड़ों आदि पर रहने वाली मनुष्य जाति 5. ऐसे लोगों का समूह जो शिक्षा, सभ्यता आदि में समीपवर्ती स्थानों के लोगों से कुछ पिछड़े हुए हों।
जनजीवन (सं.) [सं-पु.] 1. लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी 2. सार्वजनिक जीवन 3. समाज की गतिविधियाँ 4. जनता के रहन-सहन का ढंग।
जनतंत्र (सं.) [सं-पु.] ऐसी शासन प्रणाली जिसमें देश या राज्य का शासन जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा चलाया जाता है; लोकतंत्र; प्रजातंत्र; जनता का शासन।
जनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आम नागरिक; सर्वसाधारण; जन; (पब्लिक) 2. लोक; जनसमूह 3. किसी देश या क्षेत्र के समस्त निवासी 4. जन का भाव।
जनतांत्रिक (सं.) [वि.] जनतंत्र संबंधी; जनतंत्र का।
जनधर्म (सं.) [सं-पु.] 1. जनता में प्रचलित आचार, लोकाचार 2. प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य।
जनन (सं.) [सं-पु.] 1. उत्पत्ति; उद्भव 2. जन्म 3. आविर्भाव 4. कुल; वंश।
जननगति [सं-स्त्री.] किसी एक वर्ष में किसी एक स्थान पर बसे हुए एक हजार व्यक्तियों के पीछे जन्मे हुए बच्चों की संख्या; (बर्थरेट)।
जनना (सं.) [क्रि-स.] 1. बच्चे को जन्म देना; प्रसव करना; गर्भ से बाहर करना 2. पैदा करना; उत्पन्न करना 3. ब्याना (पशुओं का)।
जननांग (सं.) [सं-पु.] शरीर के वे अंग जो संतान को जनने या जनाने का कार्य करते हैं; गुप्तांग, जैसे- योनि, लिंग।
जननिर्देश (सं.) [सं-पु.] 1. आधुनिक राजनीति में जनता के प्रतिनिधियों, विधान सभाओं आदि के द्वारा प्रस्तावित कार्यों आदि के संबंध में की जाने वाली वह व्यवस्था जिसके द्वारा यह जाना जाता है कि मतदाता वर्ग उस बात के पक्ष में है या नहीं 2. जनता की आज्ञा 3. निर्वाचन में जनता के मतदान से ज्ञात किसी विषय में जनता की इच्छा; जनमत संग्रह 4. सत्ता द्वारा जनता के लिए जारी निर्देश; (रेफरेंडम)।
जननी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जन्म देने वाली स्त्री; उत्पन्न करने वाली; माँ; माता 2. दया; कृपा 3. चमगादड़ 4. जूही नामक लता 5. मजीठ 6. कुटकी 7. जटामासी 8. पपड़ी।
जननेंद्रिय (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संतान की उत्पत्ति करने वाली (पुरुष या स्त्री की) इंद्रिय; जननांग 2. उपस्थ।
जनपद (सं.) [सं-पु.] किसी राज्य या मंडल का निश्चित सीमा वाला वह भाग या खंड जो किसी प्रशासनिक अधिकारी के अधीन होता है।
जनपाल [सं-पु.] 1. राजा 2. सेवक 3. मनुष्यों का पालन करने वाला व्यक्ति।
जनप्रिय (सं.) [वि.] 1. सबका प्यारा; लोकप्रिय 2. जिसे जनसाधारण उचित या वांछनीय समझते हों (वस्तु, बात या विचार)।
जनप्रियता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समाज या जनता में प्रिय होने का भाव या स्थिति 2. सर्वप्रियता; लोकप्रियता; लोगों की पसंद होना।
जनबल (सं.) [सं-पु.] जनता की शक्ति; समूह का आवेग।
जनभाषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जनसाधारण की भाषा; लोकभाषा 2. आमजन द्वारा बोली जाने वाली भाषा 3. वह भाषा जो जन को रुचिकर हो।
जनम (सं.) [सं-पु.] दे. जन्म। [मु.] -हारना : सारा जीवन बेकार बिताना।
जनमत (सं.) [सं-पु.] 1. आम लोगों की राय या विचार 2. लोकमत; लोकवाणी; जनवाणी 3. किसी राजनीतिक निर्णय या शासन की स्थिति के संबंध में किसी स्थान या प्रदेश के वयस्क निवासियों का मत; (प्लेबिसाइट)।
जनमानस (सं.) [सं-पु.] जनता का मन; आम व्यक्ति की धारणा या मनःस्थिति।
ज़नमुरीद (फ़ा.) [वि.] अपनी पत्नी से बहुत प्यार करने वाला (व्यक्ति)।
जनमेजय (सं.) [सं-पु.] (पुराण) राजा परीक्षित के पुत्र जिन्होंने सर्प-यज्ञ किया था।
जनयिता (सं.) [सं-पु.] पिता; बाप।
जनयित्री (सं.) [सं-स्त्री.] माता; जननी।
जनरल (इं.) [सं-पु.] 1. सेना का बड़ा अधिकारी 2. सेनानायक; सेनापति।
जनरव [सं-पु.] 1. लोगों का कोलाहल; शोर 2. लोकापवाद; अफ़वाह 3. जनश्रुति 4. जनवाद।
जनरेटर (इं.) [सं-पु.] बिजली उत्पन्न या पैदा करने वाला यंत्र।
जनलोक (सं.) [सं-पु.] (पुराण) सात लोकों में से एक।
जनवरी [सं-स्त्री.] 1. ईसवी सन का पहला माह 2. अँग्रेज़ी कलेंडर का पहला महीना।
जनवाई [सं-स्त्री.] 1. जनवाने अर्थात प्रसव में मदद करने की क्रिया या भाव 2. प्रसव में सहायक होने का पारिश्रमिक या नेग।
जनवाद (सं.) [सं-पु.] 1. जनता में फैली बात; जनरव; लोकापवाद; कहावत 2. जनता की इच्छा को सर्वोपरि मानने वाला सिद्धांत।
जनवादिक (सं.) [वि.] जनवाद संबंधी; जनवाद का।
जनवादी (सं.) [वि.] 1. जनता को महत्व देने वाला 2. जनवाद का समर्थक या अनुयायी।
जनवाना [क्रि-स.] 1. बच्चा जनाना; जनने में सहायता करना 2. जानने या ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होना।
जनवासा (सं.) [सं-पु.] 1. बारातियों के ठहरने का स्थान; वह स्थान जहाँ बरात टिकती है 2. कई लोगों के एक साथ ठहरने का स्थान।
जनवृत (सं.) [सं-पु.] किसी स्थान विशेष में बसे लोगों का समूह; जनसंकुल; (सेक्टर)।
जनश्रुति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह बात जिसे लोग परंपरा से सुनते चले आ रहे हों 2. कहावत; किंवदंती; प्रवाद।
जनसंकुल (सं.) [सं-पु.] किसी स्थान विशेष में बसे लोगों का समूह; जनवृत; (सेक्टर)।
जनसंख्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले कुल व्यक्ति 2. उक्त स्थान में रहने वाले लोगों का संख्या; आबादी 3. किसी देश की समस्त जनता; (पॉपुलेशन)।
जनसंघ (सं.) [सं-पु.] 1. जनसमुदाय; लोगों का समूह 2. भारत में एक राजनीतिक दल।
जनसंचार (सं.) [सं-पु.] 1. लोगों तक पहुँचने वाले संचार के साधन 2. जन-जन तक समाचार और सूचना को पहुँचाने के माध्यम; (मासमीडिया), जैसे- पत्र-पत्रिकाएँ, रेडियो, दूरदर्शन, फ़िल्म, नाटक आदि।
जनसंपत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जनता की संपत्ति; सार्वजनिक संपत्ति 2. प्राकृतिक संपदा।
जनसंपर्क (सं.) [सं-पु.] 1. जनता और किसी संस्थान के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान 2. सरकार या शासकों द्वारा जनता से होने वाला संपर्क 3. संचार माध्यमों और विज्ञापन के सहयोग से उत्पादक और उपभोक्ता के बीच पारस्परिक सहयोग और विश्वास उत्पन्न करने का माध्यम; (पब्लिक रिलेशन)।
जनसभा (सं.) [सं-स्त्री.] लोगों की सभा; एकत्रित जनसमुदाय।
जनसमुदाय (सं.) [सं-पु.] भीड़; मजमा।
जनसेवक (सं.) [सं-पु.] 1. जनता की सेवा करने वाला व्यक्ति; सामाजिक कार्यकर्ता 2. वह जो जन साधारण या जनता के काम आता हो।
जनसेवा (सं.) [सं-स्त्री.] ऐसा काम जो जन साधारण या जनता के हित अथवा उपकार के लिए हो; (पब्लिक सर्विस)।
जनसेविका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जनता की सेवा करने वाली स्त्री; समाजसेविका 2. लोगों को जागरूक करने वाली स्त्री।
जनस्थान (सं.) [सं-पु.] 1. वर्तमान नासिक का प्राचीन नाम 2. दंडकारण्य या दंडकवन का एक पुराना प्रदेश।
जनांकिकी (सं.) [सं-स्त्री.] जनता के विभिन्न वर्गों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति से संबंधित आँकड़ों का संकलन या अध्ययन करने वाली विधा; मानव जनसंख्या की विशेषताओं का जनसांख्यिकीय अध्ययन या विश्लेषण; (डेमोग्राफ़ी)।
जनांत [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ मनुष्य न रहते हों 2. वह प्रदेश जिसकी सीमा निश्चित हो 3. यम। [वि.] मनुष्यों का अंत या नाश करने वाला।
जनांतिक (सं.) [सं-पु.] 1. (नाटक) ऐसी सांकेतिक बात-चीत जिसका आशय औरों की समझ में न आता हो 2. मनुष्य का सामीप्य।
जनाई [सं-स्त्री.] 1. प्रसव कराने की क्रिया या भाव 2. प्रसव कराने का नेग या मज़दूरी 3. बच्चा जनाने का काम करने वाली स्त्री; दाई।
जनाकीर्ण (सं.) [वि.] 1. लोगों से भरा हुआ 2. अत्यधिक घनी आबादीवाला।
जनाज़ा (अ.) [सं-पु.] 1. शव; लाश 2. अर्थी या वह संदूक जिसमें शव रखकर कब्रिस्तान या श्मशान घाट गाड़ने या जलाने के लिए ले जाते हैं 3. शवयात्रा।
जनाधार (सं.) [सं-पु.] 1. लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी राजनेता या दल की जनता में छवि 2. किसी प्रसिद्ध व्यक्ति का समर्थक वर्ग।
जनाधिकार (सं.) [सं-पु.] 1. जनता का मूल अधिकार 2. लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता को प्राप्त होने वाले अधिकार।
ज़नानख़ाना (फ़ा.) [सं-पु.] घर का वह भाग जहाँ प्रायः स्त्रियाँ रहती हैं; अंतःपुर; हरम; ज़नाना।
जनाना [क्रि-स.] 1. जानने में प्रवृत्त करना 2. किसी बात या घटना की जानकारी किसी को देना 3. जताना; ज्ञात कराना; अवगत कराना 4. बच्चा जनाने का काम कराना; प्रसव कराना।
ज़नाना (फ़ा.) [वि.] 1. स्त्रियों का-सा; स्त्रियों जैसा हाव-भाव; स्त्रियोचित 2. स्त्री संबंधी, स्त्री का, जैसे- ज़नाना अस्पताल 3. स्त्रियों में होने वाला 4. केवल स्त्रियों के लिए प्रयुक्त होने वाला, जैसे- ज़नाना रूप। [सं-स्त्री.] 1. स्त्री 2. पत्नी; जोरू। [सं-पु.] 1. ज़नानख़ाना; अंतःपुर; हरम 2. डरपोक आदमी 3. नपुंसक; हिजड़ा।
ज़नानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. स्त्री; औरत 2. पत्नी; बीवी। [वि.] 1. जिसमें ज़नानापन हो; स्त्रियोचित 2. केवल स्त्रियों द्वारा प्रयुक्त होने वाला।
जनाब (अ.) [सं-पु.] बड़ों के लिए आदरसूचक शब्द; महाशय; श्रीमान; माननीय; महोदय।
जनाब-आली (अ.) [सं-पु.] 1. श्रीमान; महोदय; हुज़ूर 2. सम्माननीय; महाशय; महापुरुष।
जनार्दन (सं.) [सं-पु.] 1. सभ्य मनुष्य 2. उचित आचरण या व्यवहार करने वाला व्यक्ति 3. (पुराण) विष्णु; परमात्मा।
जनाशन (सं.) [सं-पु.] भेड़िया। [वि.] मनुष्यों का भक्षण करने वाला।
जनाश्रय (सं.) [सं-पु.] 1. मनुष्यों को आश्रय देने वाला स्थान 2. धर्मशाला 3. सराय 4. घर; मकान 5. किसी विशेष कार्य के लिए बनाया हुआ मंडप।
जनि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उत्पत्ति; जन्म; पैदाइश 2. स्त्री; नारी 3. माता 4. पत्नी 5. पुत्र-वधू।
जनिक (सं.) [वि.] 1. जन्म देने वाला 2. उत्पादक।
जनित (सं.) [वि.] 1. पैदा या जना हुआ 2. उपजा हुआ 3. किसी कारण या परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाला।
जनित्र (सं.) [सं-पु.] 1. जन्मस्थान 2. स्रोत 3. वह यंत्र जो एक प्रकार की ऊर्जा को दूसरे प्रकार की ऊर्जा में बदलता है; (जेनरेटर)।
जनित्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. माता; माँ 2. वह जो किसी को जन्म दे; जननी।
जनित्व (सं.) [सं-पु.] पिता; बाप।
जनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रकृति 2. जन्म देने वाली माता 3. दासी; अनुचरी 4. बेटी 5. स्त्री। [वि.] 1. जिसे जना गया हो 2. पैदा की हुई।
जनून (अ.) [सं-पु.] पागलपन; उन्माद।
जनूब (अ.) [सं-पु.] दक्षिण दिशा; दक्खिन।
जनेऊ (सं.) [सं-पु.] 1. सूत के धागे की माला 2. हिंदुओं में किया जाने वाला बालकों का यज्ञोपवीत संस्कार 3. उक्त संस्कार में पहनने का सूत का तेहरा धागा; यज्ञोपवीत; ब्रह्मसूत्र।
जनेश (सं.) [सं-पु.] 1. ईश्वर 2. राजा।
जनेष्टा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. हल्दी 2. वृद्धि नामक औषधि 3. चमेली का पेड़ 4. पपड़ी।
जनोक्ति (सं.) [सं-पु.] 1. लोगों के द्वारा कही गई उक्ति; लोकोक्ति 2. लोक में प्रचलित बात।
जनोत्तेजक (सं.) [वि.] 1. जनता को उत्तेजित करने वाला 2. लोकोत्तेजक।
जनोन्मुख (सं.) [वि.] जन की ओर रूख किए हुए।
जनोपयोगी (सं.) [वि.] 1. जन के लिए उपयोगी; लोकोपयोगी 2. जनसाधारण के लिए हितकर।
जनौध (सं.) [सं-पु.] 1. मनुष्यों का मजमा 2. भीड़।
जन्नत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. स्वर्ग; बहिश्त 2. {ला-अ.} उद्यान; वाटिका; बाग 4. {ला-अ.} वह स्थान जहाँ हर प्रकार की सुख-सुविधा हो।
जन्नती (अ.) [वि.] 1. जन्नत या स्वर्ग में रहने वाला; स्वर्गवासी 2. जन्नत या स्वर्ग संबंधी; स्वर्ग का।
जन्म (सं.) [सं-पु.] 1. गर्भ से उत्पन्न होने की क्रिया; गर्भ से निकलकर जन्म लेना 2. उत्पत्ति; पैदाइश 3. अस्तित्व में आना 4. आविर्भाव।
जन्मकुंडली [सं-स्त्री.] ज्योतिष में वह चक्र जिसमें जन्मकाल के ग्रहों की स्थिति बताई जाती है।
जन्मजात (सं.) [वि.] 1. पैदाइशी; जन्म से ही, जैसे- जन्मजात गायक 2. किसी के जन्म के समय से उसके साथ लगा हुआ, जैसे- शरीर का कोई जन्मजात चिह्न या निशान 3. जन्म से ही प्राप्त।
जन्मतः (सं.) [क्रि.वि.] जन्म से।
जन्मतिथि (सं.) [सं-स्त्री.] जन्मदिन; जन्म लेने की तारीख़।
जन्मदाता (सं.) [वि.] 1. जन्म देने वाला; जनक; पिता 2. जीवन देने वाला; उत्पन्न करने वाला।
जन्मना (सं.) [क्रि.वि.] 1. जन्म की दृष्टि से 2. जन्म के विचार से।
जन्मपत्रिका (सं.) [सं-स्त्री.] दे. जन्मपत्री।
जन्मपत्री (सं.) [सं-स्त्री.] किसी के जन्म-काल के समय के ग्रहों की स्थिति, दशा, अंतर्दशा आदि का विस्तार से उल्लेख करने वाला पत्र; जन्मपत्रिका।
जन्म प्रमाणक (सं.) [सं-पु.] इस बात का आधिकारिक प्रमाण-पत्र कि अमुक व्यक्ति का जन्म अमुक तिथि को अमुक स्थान पर हुआ था; (बर्थ सर्टिफ़िकेट)।
जन्मभूमि (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्थान, प्रदेश या देश जहाँ किसी का जन्म हुआ हो; जन्मस्थान।
जन्म-संस्कार (सं.) [सं-पु.] 1. जातकर्म 2. शिशु के जन्म पर किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान।
जन्मा (सं.) [सं-पु.] वह जिसका जन्म हुआ हो; उत्पन्न; पैदा हुआ।
जन्मांतर (सं.) [सं-पु.] 1. परलोक 2. पिछला जन्म; पूर्वजन्म 3. अगला जन्म; भावी जन्म।
जन्मांतरवाद (सं.) [सं-पु.] पुनर्जन्म, परलोक आदि में विश्वास रखने वाला मत या सिद्धांत; पुनर्जन्मवाद।
जन्मांध (सं.) [वि.] जो जन्म से ही अंधा हो; पैदाइशी अंधा।
जन्माधिप (सं.) [सं-पु.] 1. जन्म राशि का स्वामी 2. जन्म लग्न का स्वामी 3. (पुराण) शिव का एक नाम।
जन्माष्टमी (सं.) [सं-स्त्री.] कृष्ण के जन्म की याद में मनाया जाने वाला पर्व; भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी का त्योहार; कृष्ण-जन्माष्टमी।
जन्मोत्सव (सं.) [सं-पु.] 1. किसी के जन्म लेने की ख़ुशी में मनाया जाने वाला उत्सव 2. जन्मदिन पर होने वाला उल्लासपूर्ण आयोजन या उत्सव।
जन्य (सं.) [वि.] 1. जन संबंधी 2. जातीय; राष्ट्रीय 3. जो किसी से उत्पन्न हुआ हो।
जप (सं.) [सं-पु.] 1. जपने की क्रिया 2. किसी पद या वाक्य का भक्तिभाव से किया जाने वाला बारंबार उच्चारण 3. पूजा-पाठ इत्यादि में मंत्रों का संख्यापूर्वक पाठ।
जपजी [सं-पु.] 1. सिक्खों का प्रसिद्ध ग्रंथ 2. सिक्ख-समुदाय में पढ़ा जाने वाला ग्रंथ।
जप-तप [सं-पु.] 1. जप और तप 2. अर्चना; उपासना; पूजा-पाठ।
जपना (सं.) [क्रि-स.] 1. श्रद्धापूर्वक बार-बार किसी देवता आदि का नाम लेना; जप करना 2. यज्ञ करना 3. {ला-अ.} किसी की कोई चीज़ हजम करना; हड़पना।
जपनी [सं-स्त्री.] 1. वह माला जिसे जप करते समय फेरा जाता है; जपमाला 2. वह थैली जिसमें माला रखकर जपा जाता है; गोमुखी; गुप्ती 3. जपने की क्रिया या भाव 4. किसी बात को बार-बार आग्रहपूर्वक कहना।
जपनीय (सं.) [वि.] जपे जाने योग्य।
जपमाला (सं.) [सं-स्त्री.] जप करने के लिए प्रयुक्त माला; जपनी।
जपा [सं-पु.] जप करने वाला व्यक्ति। [सं-स्त्री.] जवा; गुड़हल।
जप्य (सं.) [सं-पु.] जपा जाने वाला मंत्र। [वि.] 1. जपने योग्य; जपनीय 2. जपा जाने वाला।
ज़फ़र1 (अ.) [सं-स्त्री.] 1. विजय; जीत 2. सफलता; कामयाबी।
ज़फ़र2 (फ़ा.) [सं-पु.] तावीज़, यंत्र आदि बनाने की कला या काम।
ज़फ़रयाब (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसे विजय प्राप्त हुई हो 2. विजयी; विजेता।
जफ़ा (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अन्यायपूर्ण कार्य या व्यवहार 2. अत्याचार; ज़ुल्म; सितम 3. अनीति।
जफ़ाकश (फ़ा.) [वि.] 1. अन्याय सहन करने वाला; सहनशील 2. देह पर कष्ट उठाने वाला 3. मेहनती; कर्मठ; परिश्रमी।
जफ़ातलब (फ़ा.) [वि.] परिश्रमी; कर्मठ।
ज़फ़ीर (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. कठोरता 2. सख़्ती 3. बला; कोप 4. गधे की आवाज़।
ज़फ़ीरी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मुँह से सीटी या उससे किया जाने वाला शब्द 2. मुँह में दो उँगलियाँ रखकर बजाई जाने वाली सीटी 3. मिस्र देश में पैदा होने वाली एक प्रकार की कपास।
जब (सं.) [अव्य.] 1. जिस समय; जिस वक्त 2. जिस अवस्था में; जिस हालत में 3. यदा।
जबकि [अव्य.] जैसे ही; यदि; यद्यपि।
जबड़ा (सं.) [सं-पु.] मुँह में नीचे-ऊपर की हड्डी जिसमें दाँत जमे होते हैं; कल्ला।
ज़बर (अ.) [सं-पु.] अरबी-फ़ारसी लिखावट में हृस्व आकार का चिह्न। [वि.] 1. बलवान; बली 2. पक्का; दृढ़ 3. मज़बूत।
ज़बरजद (फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक तरह का रत्न 2. पुखराज।
ज़बरदस्त (फ़ा.) [वि.] 1. प्रभावी; ज़ोरदार 2. जो बहुत शक्तिशाली और स्वभाव से कठोर हो 3. मज़बूत; दृढ़ 4. ताकतवर; शक्तिशाली; बली 5. अत्यधिक 6. प्रचंड; अति तीव्र; बहुत तेज़ 7. बहुत कठिन।
ज़बरदस्ती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बलपूर्वक; बलात 2. ज़बरदस्त होने की अवस्था या भाव 3. ज़ुल्म; अत्याचार 4. बलात्कार 5. ज्यादती; सीनाजोरी 6. बलप्रयोग; ऐसा काम जिसमें सख़्ती की जाए। [क्रि.वि.] 1. बलपूर्वक; ताकत का इस्तेमाल करते हुए 2. दबाव पड़ने पर; इच्छा के विरुद्ध।
जबरन (अ.) [अव्य.] 1. बलपूर्वक; ज़बरदस्ती; बलात 2. दबाव देकर 3. विवश होकर; मजबूरन।
जबर्रा [सं-पु.] एक प्रकार का पक्षी; जुर्रा पक्षी।
ज़बह (अ.) [सं-पु.] 1. गला काटकर जान या प्राण लेने का कार्य 2. मंत्र पढ़ते हुए पशु-पक्षियों का गला काटने की क्रिया 3. कत्ल; हत्या 4. हिंसा।
जबहा [सं-पु.] साहस; जीवट।
ज़बाँ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जिह्वा; जीभ; रसना 2. किसी को दिया हुआ वचन 3. किसी देश की बोली-भाषा 4. करार; कथन 5. प्रतिज्ञा।
ज़बाँज़द (फ़ा.) [वि.] 1. जो लोगों की ज़बान पर रहे 2. लोकप्रसिद्ध।
ज़बाँदराज़ (फ़ा.) [वि.] 1. बहुत बोलने वाला 2. बदज़बान 3. गुस्ताख़ 4. दुर्मुख 5. न कहने वाली बातें भी बढ़-चढ़कर बोलने वाला।
ज़बाँबंदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. भाषण-प्रतिबंध 2. बोलने की मनाही 3. मौन; चुप्पी 4. चुप रहने की आज्ञा 5. किसी घटना के संबंध में लिखी जाने वाली किसी साक्षी या गवाह की गवाही।
ज़बान (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जीभ; जिह्वा; रसना 2. भाषा; बोली 3. बोल; वाणी 4. बोलचाल; बात 5. वचन; प्रण; वादा; कौल। [मु.] -खींच लेना : ऐसा कठोर दंड देना की व्यक्ति बोलने लायक न रह जाए। -पर आना : मुँह से निकलना। -पर लगाम देना : सोच-समझ कर बोलना।
ज़बानदराज़ (फ़ा.) [वि.] 1. अनुचित बातों को बढ़ा-चढ़ाकर कहने वाला 2. अशिष्टता या धृष्टता के साथ बड़ों से बातें करने वाला।
ज़बानदराज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बदज़बानी 2. व्यर्थ में बहस करना 3. वाचालता; बहस 4. धृष्टता; अशिष्टता 7. गुस्ताख़ी।
ज़बानी (फ़ा.) [वि.] 1. जो केवल मुँह या ज़बान से कहा गया हो लेकिन व्यवहृत न हो; जो आचरण में न हो 2. मौखिक; (ओरल) 3. ज़बान संबंधी; ज़बान का 4. कंठस्थ 5. मुखाग्र 6. अलिखित।
जबीं (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. माथा; ललाट 2. भाल; पेशानी।
ज़बीह (अ.) [वि.] 1. वधित 2. ज़बह या गला काटकर वध किया हुआ।
ज़बीहा (अ.) [सं-पु.] 1. वह पशु जिसका ज़बह या वध किया गया हो 2. ज़बह; वध।
ज़ब्त (अ.) [सं-पु.] 1. बरदाश्त; सहनशीलता 2. सरकारी आज्ञा से किसी वस्तु के विक्रय आदि का निषेध या उपलब्ध वस्तुओं पर कब्ज़ा 3. राज्य द्वारा किया गया अधिकार। [वि.] 1. दबाया या रोका हुआ 2. जिसपर राज्य का कब्ज़ा हो 3. सरकार द्वारा छीना हुआ 4. अपनाया हुआ।
ज़ब्तशुदा (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. ज़ब्त किया हुआ 2. सरकार द्वारा छीना हुआ।
ज़ब्ती (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ज़ब्त होने की अवस्था, क्रिया या भाव 2. किसी चीज़ का ज़ब्त किया जाना; कुर्की।
जब्बार (अ.) [वि.] 1. ज़बरदस्ती करने वाला 2. यातनाएँ देने वाला 3. अत्याचार करने वाला 4. बलवान; शक्तिशाली।
जब्र (अ.) [सं-पु.] 1. किसी बात के लिए मजबूर करना; हठ 2. ज़बरदस्ती; बलप्रयोग 3. सख़्ती 4. ज़ुल्म; अत्याचार।
जब्रीया (अ.) [सं-पु.] मुसलमानों का एक फ़िरका जो मानता है कि मनुष्य अपने कर्मों में सर्वथा नियति या ईश्वरेच्छा के अधीन है। [क्रि-अ.] मजबूर करके; ज़बरदस्ती।
जब्रील (अ.) [सं-पु.] मान्यतानुसार ख़ुदा का एक फ़रिश्ता।
जमकातर (सं.) [सं-पु.] पानी का भँवर। [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की तलवार; खाँड़ा 2. यम का खाँड़ा।
जमघट [सं-पु.] 1. लोगों का जमावड़ा; मजमा 2. भीड़; समूह; ठट्ट।
ज़मज़म (अ.) [सं-पु.] मक्का या काबा के पास का एक कुआँ जिसका पानी बहुत पवित्र माना जाता है; उक्त कुएँ का पानी।
ज़मज़मा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गाना; राग 2. संगीत; गीत 3. पक्षियों की चहचहाहट; कलरव।
जमडाढ़ (सं.) [सं-स्त्री.] शरीर में भोंकने का कटारी की तरह का एक हथियार।
जमदग्नि (सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक ऋषि जो सप्तर्षियों में गिने जाते हैं और परशुराम के पिता माने जाते हैं।
जमना [क्रि-अ.] 1. तरल पदार्थ का ठोस रूप में परिवर्तित हो जाना या ठोस रूप में आना 2. दृढ़ता के साथ स्थिर होना 3. काम करने का पूरा अभ्यास होना 4. किसी कार्य में उत्तमता हासिल होना; किसी काम में स्थापित होना, जैसे- रोज़गार जमना 5. जमा होना; इकट्ठा होना 6. ख़ूब चोट पड़ना, जैसे- थप्पड़ या लाठी जमना 7. स्थापित होना, जैसे- धाक जमना 8. पसंद होना। [क्रि-स.] 1. उगना; उपजना 2. उत्पन्न करना। [सं-स्त्री.] यमुना नदी। [सं-पु.] पहली वर्षा के बाद पैदा होने वाली घास।
जमनिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. यवनिका 2. परदा 3. काई।
जमवट (सं.) [सं-स्त्री.] जामुन की लकड़ी का वह चक्कर या घिर्री जो कुआँ बनाने के समय उसके तल में रखी जाती है।
जमहूर (अ.) [सं-पु.] 1. लोक; जनता; रियाया 2. जन-समूह; लोग-बाग 3. राष्ट्र; देश।
जमहूरियत (अ.) [सं-स्त्री.] लोकतंत्र; जनतंत्र; प्रजातंत्र; (डेमोक्रेसी)।
जमहूरी (अ.) [वि.] 1. जिसका संबंध संपूर्ण राष्ट्र या सभी लोगों से हो 2. लोकतंत्र या प्रजातंत्र संबंधी; लोकतांत्रिक; प्रजातांत्रिक।
जमा (अ.) [वि.] 1. संग्रह किया हुआ (धन अथवा वस्तु); जोड़कर रखा गया रुपया-पैसा 2. इकट्ठा; एकत्र 3. किसी खाते के आय पक्ष में लिखा गया धन। [सं-स्त्री.] 1. पूँजी; मूलधन 2. किसी व्यक्ति के पास का रुपया-पैसा 3. लगान; मालगुज़ारी; ज़मीन का कर 4. किसी खाते में आयपक्ष में किसी के द्वारा लिखाया गया या जमा किया गया धन 5. (गणित) जोड़।
ज़माँ (अ.) [सं-पु.] जमाना का वह संक्षिप्त रूप जो उसे यौगिक शब्दों के अंत में प्राप्त होता है।
जमाअंदाज़ (फ़ा.) [वि.] 1. लक्ष्यभेदी; निशानची 2. बहुत अच्छा निशाना लगाने वाला।
जमाई1 [सं-पु.] दामाद; जामाता।
जमाई2 (सं.) [सं-स्त्री.] जमने या जमाने की क्रिया, भाव या मज़दूरी।
जमाख़र्च (फ़ा.) [सं-पु.] 1. आय और व्यय; आमदनी और ख़र्च 2. आय-व्यय का हिसाब और ब्योरा 3. किसी के यहाँ से आई हुई रकम जमा करके उसके नाम पड़ी हुई रकम का पूरा हिसाब करना।
जमाखाता (फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] वह खाता जिसमें रुपया जमा हो।
जमाख़ोर (फ़ा.) [सं-पु.] अवैध माल जमा करने वाला व्यक्ति।
जमाख़ोरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अवैध माल जमा करना 2. काला बाज़ारी।
जमात (अ.) [सं-स्त्री.] 1. कक्षा; दरजा; श्रेणी (विद्यार्थियों की) 2. मनुष्यों का समूह, गिरोह या दल 3. नमाज़ियों की पंक्ति 4. संघ; समुदाय।
जमाती [सं-पु.] 1. जमात या कक्षा में साथ रहने वाला; सहपाठी 2. साधुओं की संगति में रहने वाला व्यक्ति।
जमाद (अ.) [सं-स्त्री.] 1. चेतन रहित या जड़ पदार्थ; निर्जीव 2. वह स्थान जहाँ वर्षा न हो; मरुस्थल 3. कंजूस या लोभी व्यक्ति।
जमादार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. सैनिकों या सफ़ाई कर्मियों का सरदार; (हेडकांस्टेबल) 2. छोटे कर्मचारियों के कार्यों का निरीक्षक या अधिकारी 3. सफ़ाई करने वाला कर्मचारी।
जमादारनी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जमादार की स्त्री 2. साफ़-सफ़ाई करने वाली स्त्री; मेहतरानी।
जमादारिन (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] जमादारनी।
जमादारी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जमादार का पद 2. साफ़-सफ़ाई का कार्य।
ज़मानत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी व्यक्ति या कार्य की विश्वसनीयता 2. मुहज़बानी या रुपए जमा करके किसी व्यक्ति के संबंध में ली गई ज़िम्मेदारी 3. वह रकम जो किसी की ज़िम्मेदारी लेते समय अधिकारी के पास जमा की जाती है; (सिक्योरिटी)।
ज़मानतदार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] ज़मानत लेने वाला।
ज़मानतनामा (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह कागज़ या पत्र जो किसी की ज़मानत पर लिखा जाता है 2. ज़ामिन होने की लिखित स्वीकृति।
ज़मानती (अ.) [सं-पु.] 1. वह जो ज़मानत करे 2. ज़िम्मेदार 3. ज़ामिन। [वि.] 1. ज़मानत संबंधी 2. जो ज़मानत के रूप में हो।
जमाना [क्रि-स.] 1. स्थापित करना; किसी वस्तु को दूसरी वस्तु पर मज़बूती से टिकाना 2. तरल पदार्थ को ठोस में परिवर्तित करना 3. मन में बैठाना 4. चुनाई करना; बैठाना 5. सजाकर रखना 6. चलने लायक बनाना; स्थापित करना 7. अच्छी तरह चोट करना; प्रहार करना 8. असरदार ढंग से काम कराना 9. उगाना; उपजाना।
ज़माना (अ.) [सं-पु.] 1. युग; दौर 2. समय; काल; वक्त 3. मुद्दत; बहुत ज़्यादा समय; अरसा 4. अवधि 5. दुनिया; संसार 6. उत्कर्ष या गौरव के दिन; राज्यकाल 7. सौभाग्यकाल; उन्नति का दौर 8. कार्यकाल।
ज़मानासाज़ (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. समय और परिस्थितियों के अनुकूल व्यवहार करने वाला; अवसरवादी; दुनियासाज़ 2. बनावटी प्रेम दिखाने वाला 4. चालाक; धूर्त।
जमापूँजी [सं-स्त्री.] इकट्ठा किया गया धन; संचित धन या निधि।
जमाबंदी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पटवारी का बही-खाता जिसमें काशतकारों के लगान का हिसाब और ब्योरा लिखा जाता है 2. ज़मीन के कर या लगान का हिसाब।
जमामार [वि.] दूसरों की संपत्ति अनुचित रूप से हड़पने वाला।
जमाल (अ.) [सं-पु.] 1. ख़ूबसूरती; सौंदर्य 2. बहुत सुंदर रूप 3. शोभा 4. छवि 5. माधुर्य 6. ऐश्वर्य।
जमालगोटा (सं.) [सं-पु.] 1. एक पौधे का बीज जो बहुत दस्तावर होता है 2. जयपाल; दंतीफल; तिंतिड़ीफल।
जमालिस्तान (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. सौंदर्य स्थल; परीलोक; सौंदर्यलोक 2. वह जो सुंदरता की खान हो।
जमाली (अ.) [वि.] 1. सुंदर रूपवाला; सौंदर्ययुक्त; स्वरूपवान 2. रूप से संबंधित।
जमालीयात (अ.) [सं-पु.] रूप या सौंदर्य संबंधी बातें।
जमाव [सं-पु.] 1. एक स्थान पर बहुत-सी वस्तुओं या व्यक्तियों के इकट्ठे या जमा होने की अवस्था या भाव; मजमा; भीड़ 2. जमने या जमाने की क्रिया; जमे होने की अवस्था या भाव 3. संकुलन।
जमावट [सं-स्त्री.] 1. जमने या जमाने की क्रिया या भाव; जमाव 2. जमा या इकट्ठे होने की क्रिया।
जमावड़ा [सं-पु.] 1. एक स्थान पर इकट्ठा हुए लोगों का समूह; भीड़; मजमा 2. एकत्रीकरण।
जमी (सं.) [सं-स्त्री.] यम की बहन; यमी। [वि.] इंद्रियनिग्रही।
ज़मीं (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ज़मीन; भूमि 2. देश; मुल्क 3. पृथ्वी; धरा 4. पेशबंदी 5. गज़ल की रदीफ़।
ज़मींकंद (फ़ा.+सं.) [सं-पु.] एक कंद जो शाक के रूप में खाया जाता है; सूरन; ओल।
ज़मींदार (फ़ा) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसे किसी विशेष भूमि पर स्वामित्व प्राप्त हो; ज़मीन का मालिक; भू-स्वामी 2. अँग्रेज़ी राज्य में ज़मीन का स्वामी जो छोटे किसानों या काश्तकारों को लगान के आधार पर ज़मीन जोतने-बोने को देता था।
ज़मींदारी (फ़ा) [सं-स्त्री.] 1. ज़मीदार होने की अवस्था या भाव 2. ज़मीदार का पद या पेशा 3. ज़मीदार की वह भूमि जिसका लगान वह काश्तकारों से वसूल करता है 4. ज़मीन को छोटे काश्तकारों को लगान पर देने की प्रथा।
ज़मींदोज़ (फ़ा.) [वि.] 1. ज़मीन पर गिरा हुआ 2. जो उखड़कर या गिरकर ज़मीन के बराबर हो गया हो 3. ज़मीन के भीतर का; ज़मीन के नीचे से संबंधित। [सं-पु.] एक प्रकार का खेमा।
ज़मीन (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. भूमि; खेत 2. पृथ्वी; धरती 3. धरातल का कोई भाग; ठोस तल 4. भूमि का टुकड़ा; भूखंड 5. वह तेल जिसमें किसी इत्र को तैयार किया जाता है 6. आधार 7. नदी और तालाब का तल 8. वह कागज़, कपड़ा, आभूषण आदि का तल जिसपर चित्रकारी, छपाई, नक्काशी आदि की जाए 9. किसी कार्य की पहले से तय की हुई प्रणाली; उपक्रम; आयोजन; डौल 10. गज़ल के रदीफ़, काफ़िया और छंद। [मु.] -आसमान एक करना : घोर प्रयत्न करना। -बाँधना : आधार तैयार करना। नई ज़मीन तोड़ना : किसी नए क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम करना।
ज़मीनी (फ़ा.) [वि.] 1. भूमि या ज़मीन संबंधी; ज़मीन का 2. देश संबंधी; देश का 3. ज़मीन पर होने वाला 4. यथार्थ से परिचित; व्यवहारिक 5. जो स्पष्ट रूप से दिखाई पड़े।
ज़मीनेरज़्म (फ़ा.) [सं-स्त्री.] लड़ाई का मैदान; युद्धस्थल; रणभूमि।
ज़मीमा (अ.) [सं-पु.] 1. पूरक 2. परिशिष्ट 3. अतिरिक्त पत्र; क्रोड़पत्र।
ज़मीर (अ.) [सं-पु.] 1. अंतरात्मा; अंतःकरण; मन; दिल 2. सर्वनाम (व्याकरण) 3. विवेक।
जमील (अ.) [वि.] अत्यधिक सुंदर; ख़ूबसूरत।
जमुनिया [सं-पु.] 1. जामुन का रंग 2. काला रंग 3. यम का भय; यमपाश। [वि.] जामुन के रंग का; काला।
जमुरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. चिमटी के आकार का नाल-बंदों का एक औज़ार जिससे वे घोड़ों के नाल काटते हैं 2. सँड़सी 3. घोड़ों के नाख़ून काटने का यंत्र या उपकरण।
ज़मुर्रद (अ.) [सं-पु.] पन्ना नामक रत्न।
ज़मुर्रदी (फ़ा.) [वि.] 1. नीलापन लिए हरे रंग का 2. पन्ना के रंग का।
जमूरा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. तमाशा दिखाने वाले का शागिर्द या सहायक 2. घोड़े या ऊँट पर चलने वाली पुराने समय की एक तोप।
जमैयत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. समुदाय 2. सभा; परिषद; गोष्ठी 3. दल; समूह; जमात।
जमोग [सं-पु.] 1. जमोगने अर्थात स्वीकार करने की क्रिया 2. किसी दूसरे की बात का किसी तीसरे के द्वारा समर्थन 3. चित्रकला में बेल-बूटे आदि को एक-दूसरे से नियत दूरी और अपने-अपने ठीक स्थान पर बैठाने की क्रिया या भाव 4. सामने का निश्चय; तसदीक 5. ऋण चुकाने की एक प्रथा जिसमें ऋणी व्यक्ति अपने ऋण का भार किसी और पर डाल देता है।
जमोगना [क्रि-स.] 1. आय-व्यय का हिसाब लगाना 2. ब्याज को मूलधन में जोड़ना 3. ऋण का भार दूसरे पर सौंपकर ऋणमुक्त करने की स्वीकृति दिलाना; (एसाइन्मेंट) 4. किसी बात का दूसरे से समर्थन कराना।
जम्हाई (सं.) [सं-स्त्री.] दे. जँभाई।
जय (सं.) [सं-पु.] 1. विजय; जीत 2. लाभ 3. इंद्र का पुत्र 4. अरणी या अग्निमंथ नामक एक वृक्ष 5. विष्णु के एक पार्षद का नाम 6. महाभारत नामक महाकाव्य का पुराना नाम 7. संगीत में एक प्रकार का ताल 8. मार्ग 9. वशीकरण 10. एक नाग। [सं-स्त्री.] 1. विवाद आदि में विपक्षियों का पराभव 2. किसी बड़े कार्य में मिलने वाली महत्वपूर्ण सफलता। [मु.] -बोलना : विजय या समृद्धि की कामना करना।
जयंत (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) रुद्र, इंद्र के पुत्र, कार्तिकेय, अक्रूर के पिता, दशरथ के मंत्री आदि लोगों का नाम 2. संगीत में ध्रुवक जाति का एक ताल 3. (ज्योतिष) एक योग जिसमें युद्ध के समय यात्रा करने पर विजय निश्चित मानी जाती है। [वि.] 1. जय प्राप्त करने वाला; विजयी 2. भिन्न-भिन्न वेश बनाने वाला; बहुरूपिया।
जयंतिका (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसने विजय प्राप्त कर ली हो; जयंती।
जयंती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्त्री जिसने विजय प्राप्त कर ली हो 2. दुर्गा; पार्वती 3. ध्वजा; पताका 4. हल्दी 5. एक बड़ा पेड़ जिसे जैंत या जैंता कहते हैं 6. ज्योतिष का एक योग 7. किसी महापुरुष की जन्मतिथि पर मनाया जाने वाला उत्सव। [वि.] विजय प्राप्त करने वाली; विजयनी।
जयकंकण (सं.) [सं-पु.] विजय का सूचक कंकण जो प्राचीन समय में विजयी व्यक्ति को पहनाया जाता था।
जयकरी (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) चौपाई नामक एक छंद का दूसरा नाम।
जयकार (सं.) [सं-पु.] 1. किसी की जय कहने की क्रिया या भाव 2. वह वाक्य या पद जिसमें किसी की जय बोली जाए या संकेतित हो 3. जयघोष; जयध्वनि।
जयगान (सं.) [सं-पु.] 1. जय या विजय का गीत 2. युद्ध आदि में विपक्षियों के पराभव के बाद गाया जाने वाला गीत।
जयगीत (सं.) [सं-पु.] 1. विजय कामना के लिए गाया जाने वाला गान 2. जीत के उल्लास का गीत 3. किसी की प्रतिष्ठा या ख्याति का वृत्तांत।
जयघोष (सं.) [सं-पु.] 1. ज़ोर से कही जाने वाली किसी की जय 2. जय ध्वनि 3. विजय का ढिंढोरा।
जयचंद (सं.) [सं-पु.] 1. कन्नौज का एक प्रसिद्ध राजा 2. {ला-अ.} देशद्रोही।
जय जयकार (सं.) [सं-स्त्री.] जयकार; सामूहिक रूप से बार-बार प्रशंसा करने की क्रिया।
जयजीव (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का अभिवादन जिसका अर्थ है- तुम चिरंजीवी हो, तुम्हारी विजय हो 2. आशीर्वाद के रूप में प्रयुक्त वाक्य।
जयति (सं.) [सं-पु.] एक संकर राग जिसे कुछ लोग गौरी और ललित तथा कुछ लोग पूरिया और कल्याण के योग से बना हुआ मानते हैं।
जयतु (सं.) [क्रि-अ.] जय हो; आशीर्वाद।
जयत्कल्याण (सं.) [सं-पु.] एक संकर राग जो रात्रि के पहले पहर में गाया जाता है।
जयत्सेन (सं.) [सं-पु.] (महाभारत) विराट नगर में अज्ञातवास करते समय नकुल ने अपना नाम रखा था।
जयदेव (सं.) [सं-पु.] संस्कृत के एक प्रसिद्ध कवि; गीतगोविंद के रचयिता। [वि.] 1. देवों को जीतने वाला 2. जिसकी भक्ति से देवता जीत लिए गए हों।
जयद्रथ (सं.) [सं-पु.] (महाभारत) सिंधुसौवीर या सौराष्ट्र का राजा जो दुर्योधन का बहनोई था।
जयन (सं.) [सं-पु.] 1. जय; जीत 2. जय करना 3. घोड़े आदि पर बाँधने का जिरह। [वि.] विजयी।
जयनी (सं.) [सं-स्त्री.] इंद्र की कन्या।
जयपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. न्यायालय द्वारा दिया गया मुकदमें की जीत से संबंधित पत्र 2. वह राजाज्ञा जो अर्थी-प्रत्यर्थी के बीच विवाद के निबटारे के लिए लिखी जाए 3. अश्वमेघ के घोड़े के माथे पर बँधा हुआ विजय-पत्र।
जयफर (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का सुगंधित फल जो मसाले या औषधि निर्माण में प्रयुक्त होता है।
जयमाल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विजेता को पहनाई जाने वाली माला; विजयहार 2. विवाह के समय वधू द्वारा वर को पहनाई जाने वाली माला; वरमाला।
जयमाला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विजेता को पहनाई जाने वाली माला या हार 2. वह माला जो विवाह में वर और वधू एक-दूसरे के गले में पहनाते हैं; मांगलिक माला।
जयश्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विजय की अधिष्ठात्री देवी 2. विजय 3. एक रागिनी।
जयस्तंभ (सं.) [सं-पु.] 1. किसी देश पर विजय के स्मारक रूप में संस्थापित स्तंभ 2. विजय सूचक स्तंभ 3. विजय स्मृति में बनाई गई वास्तु रचना।
जयहिंद [सं-पु.] 1. भारतीयों द्वारा आपस में किया जाने वाला अभिवादन 2. एक नारा।
जया (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्गा 2. ध्वजा; पताका 3. भाँग 4. हरी दूब 5. शमी 6. अड़हुल का फूल 7. एक प्राचीन बाजा जिसमें बजाने के लिए तार लगे होते हैं। [वि.] जय दिलाने वाली; विजय दिलाने वाली।
जयाजय (सं.) [सं-स्त्री.] जीत और हार; विजय और पराजय।
जयावती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक संकर रागिनी जो धवलश्री, विलावल और सरस्वती के योग से बनती है 2. कार्तिकेय की एक मातृका का नाम।
जयावह (सं.) [वि.] जय प्राप्त कराने वाला।
जयावहा (सं.) [सं-स्त्री.] भद्रदंती का वृक्ष।
जयाश्रया (सं.) [सं-स्त्री.] जरडी नामक घास।
जयिष्णु (सं.) [वि.] 1. जय दिलाने वाला 2. जयशील 3. जो जीतता हो 4. जो बराबर जीतता रहता हो।
ज़र (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सोना; स्वर्ण 2. धन; दौलत।
जरकटी [सं-स्त्री.] एक शिकारी चिड़िया।
ज़रकश (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कलाबत्तू के तार खींचने वाला 2. वह कपड़ा जिसपर सुनहले या रूपहले तार, ज़री आदि लगे हों या उनसे बेल-बूटे बने हों।
ज़रकशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सोने-चाँदी के तारों का काम 2. ज़री या कलाबत्तू का काम 3. ज़री की कशीदाकारी।
ज़रकोब (फ़ा.) [वि.] 1. सोने-चाँदी के पत्तर बनाने वाला; वरकसाज़ 2. वह चीज़ जिसपर सोने के पत्र चढ़े हों।
ज़रख़रीद (फ़ा.) [वि.] 1. नकद दाम देकर ख़रीदा हुआ या मोल लिया हुआ; क्रीत (ज़मीन या गुलाम) 2. जिसपर ख़रीददार का पूरा अधिकार हो।
ज़रख़ेज़ (फ़ा.) [वि.] उपजाऊ; उर्वरा (भूमि)।
ज़रख़ेज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] उपजाऊपन।
ज़रगर (फ़ा.) [सं-पु.] सोने-चाँदी के ज़ेवर बनाने वाला व्यक्ति; सुनार।
ज़रगरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सोने-चाँदी का काम करना; सुनारगीरी; सुनारी 2. सोने-चाँदी के ज़ेवर बनाना।
जरगा1 [सं-स्त्री.] एक प्रकार की घास जो क्यारियों आदि में लगाई जाती है तथा जिसे पशु खाते हैं।
जरगा2 (तु.) [सं-पु.] 1. जनसमूह; भीड़; मजमा 2. पठानों का वह दल या वर्ग जो जाति के रूप में होता है 3. इस प्रकार के दलों की सामूहिक सभा या बैठक।
ज़रगूनी (अ.) [सं-स्त्री.] एक यूनानी दवा।
जरठ (सं.) [सं-पु.] बुढ़ापा। [वि.] 1. वृद्ध; बुड्ढा 2. जीर्ण 3. कठोर; कठिन 4. निर्दय।
जरडा (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की घास।
जरण (सं.) [सं-पु.] 1. बुढ़ापा 2. हींग 3. जीरा 4. काला नमक। [वि.] 1. पुराना 2. जीर्ण।
जरणा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वृद्धावस्था 2. काला जीरा 3. मोक्ष; मुक्ति 4. स्तुति।
जरतई [सं-स्त्री.] 1. किसी के प्रति उत्पन्न ईर्ष्या 2. डाह; जलन।
जरतिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बूढ़ी स्त्री 2. जीर्ण स्त्री।
जरती (सं.) [सं-स्त्री.] बूढ़ी महिला।
ज़रद (फ़ा.) [वि.] 1. पीला; पीत 2. पीले रंग का।
ज़रदक (फ़ा.) [सं-पु.] ज़रदा या पीलू नाम का एक पक्षी।
जरदष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वृद्धावस्था; बुढ़ापा 2. दीर्घ जीवन। [वि.] 1. दीर्घजीवी 2. बुड्ढा; वृद्ध।
ज़रदा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. पान के साथ खाया जाने वाला सुगंधित तंबाकू 2. पीलापन; पीलिया 3. केसर के साथ पकाए गए मीठे चावल 4. एक प्रकार की स्वर्णमुद्रा; मोहर 5. पीले रंग का घोड़ा 6. पीलू नाम का पक्षी जिसके पैर और कनपटी पीले होते हैं।
ज़रदार (फ़ा.) [वि.] 1. जिसके पास धन हो 2. अमीर; धनवान 3. दौलतमंद; मालदार।
ज़रदारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ज़रदार होने की अवस्था या भाव 2. धनसंपन्नता; अमीरी 3. मालदारी; दौलतमंदी।
ज़रदालू (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ख़ूबानी नाम की मेवा 2. एक प्रकार का फल 3. आम की एक प्रजाति।
ज़रदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ज़रद अर्थात पीले होने की अवस्था या भाव 2. अंडे का पीला अंश 3. पिलाई; पीलापन।
ज़रदुश्त (फ़ा.) [सं-पु.] फ़ारस देश के प्राचीन पारसी धर्म के प्रवर्तक तथा आचार्य।
ज़रदोज़ (फ़ा.) [वि.] ज़रदोजी का काम करने वाला; सलमा-सितारा और ज़री का काम करने वाला; कारचोब।
ज़रदोज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कपड़ों पर सलमा-सितारों का काम या कसीदाकारी 2. सोने-चाँदी के तारों से वस्त्रों पर बेल-बूटे बनाने का काम। [वि.] वह जिसपर ज़रदोज़ी का काम हुआ हो।
ज़रदोस्त (फ़ा.) [वि.] 1. धन का लोभी या लोलुप 2. कंजूस; कृपण; लोभी; लालची।
ज़रनिगार (फ़ा.) [वि.] 1. जिसपर सोने का पानी चढ़ा हो 2. सोने के काम से सजा हुआ 3. सुनहरे रंग का 4. स्वर्णखचित; स्वर्णमंडित।
ज़रपरस्त (फ़ा.) [वि.] 1. धन का उपासक; केवल धन को सब कुछ समझने वाला; रुपए की पूजा करने वाला; अर्थपिशाच 2. अत्यंत कंजूस; लोभी; लोलुप।
ज़रब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. चोट; आघात 2. प्रहार; हमला 3. तबले, मृदंग आदि पर किया जाने वाला आघात 4. कपड़े आदि पर छपी हुई बेल।
ज़रबफ़्त (फ़ा.) [सं-पु.] एक रेशमी कपड़ा जिसपर कलाबत्तू के बेल-बूटे का काम किया गया हो।
ज़रबाफ़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो कपड़े पर ज़रबफ़्त का काम करता हो 2. ज़रदोज़ या ज़रबफ़्त बनाने वाला व्यक्ति।
ज़रबाफ़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] सोने-चाँदी के तारों से कपड़ा बनाना; ज़रदोज़ी। [वि.] ज़रबाफ़ के काम का; जिसपर ज़रबाफ़ का काम बना हो।
जरबीला [वि.] 1. भड़कीला; चमक-दमकवाला 2. चकाचौंध उत्पन्न करने वाला 3. आकर्षक।
ज़रर (अ.) [सं-पु.] 1. नाश; क्षति; हानि 2. आघात; चोट 3. क्लेश; पीड़ा।
ज़रवारा (फ़ा.+हिं.) [वि.] संपन्न; धनी; समृद्ध।
जरसी (इं.) [सं-स्त्री.] 1. गाय की एक नस्ल जो अधिक दूध देती है 2. एक प्रकार का ऊनी स्वेटर 3. चुस्त ऊनी पहनावा।
जरा (सं.) [सं-स्त्री.] वृद्धावस्था; बुढ़ापा।
ज़रा (अ.) [अव्य.] 1. तनिक; थोड़ा; बिलकुल कम 2. अदना; मामूली 3. हेय; तुच्छ 4. किसी बात की न्यूनता या अल्पता पर बल देने में प्रयोग होने वाला शब्द।
जराग्रस्त (सं.) [वि.] 1. बूढ़ा; वृद्ध 2. कमज़ोर; जीर्ण।
जरातुर (सं.) [वि.] 1. जरा से जर्जर; जराग्रस्त 2. बूढ़ा; वृद्ध।
ज़राफ़त (अ.) [सं-स्त्री.] 1. परिहास; हास्य; हँसी-मज़ाक 2. व्यंग्य; तंज 3. विनोदप्रियता 4. हँसोड़पन; मसखरी।
ज़राब (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सोने का पानी; पानी की शक्ल में सोना 2. पीले रंग की मदिरा।
जराबोध (सं.) [सं-पु.] वह अग्नि जो स्तुति करके प्रज्वलित की गई है; वैदिक अग्नि।
जरायम (अ.) [सं-पु.] 1. अनेक प्रकार के अपराध या गुनाह 2. दोष; पाप।
जरायु (सं.) [सं-पु.] 1. वह पारदर्शी झिल्ली जिसमें माँ के गर्भ में या जन्म के समय बच्चा लिपटा रहता है; एक प्रकार की पारदर्शी झिल्ली जिसमें कोई जीव या उसका अंशविशेष लिपटा रहता है; खेड़ी; आँवल 2. गर्भाशय 3. केंचुली 4. समुद्र फल।
जरायुज (सं.) [सं-पु.] वह प्राणी जिसका जन्म गर्भाशय से हो; वह प्राणी जो खेड़ी या जरायु में लिपटा हुआ पैदा हो; पिंडज।
ज़रारत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नुकसान करना 2. हानि पहुँचाना 3. अंधा होना।
जरासंध (सं.) [सं-पु.] (महाभारत) मगध देश का एक पराक्रमी राजा।
ज़रासीम (अ.) [सं-पु.] 1. छोटे-छोटे कीड़े 2. कीटाणु समूह।
ज़रिया (अ.) [सं-पु.] 1. कारण; सबब; हेतु 2. साधन; तदबीर; उपाय 3. लगाव; संबंध।
जरिश्क (फ़ा.) [सं-पु.] दारुहल्दी; एक हल्दी जो दवा के काम आती है।
ज़री (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सोने का पानी चढ़ाया हुआ चाँदी का तार 2. ताश नामक कपड़ा जो बादले से बुना जाता है। [वि.] 1. सोने का बना हुआ; स्वर्णिम 2. सुनहरे तारों का बना हुआ।
ज़रीफ़ (अ.) [वि.] 1. परिहास या मजाक करने वाला; दिल्लगीबाज़; हँसोढ़; मसखरा; ख़ुश मिज़ाज; विनोदप्रिय 2. प्रतिभाशाली; बुद्धिमान।
जरीब (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. खेत या भूमि नापने की ज़ंजीर या डोरी जो लगभग साठ गज़ लंबी होती है 2. रेशम की वह रस्सी जिससे शाही जुलूस के साथ रास्ता नापा करते थे।
ज़रीबाफ़ (फ़ा.) [वि.] 1. ज़री के कपड़े आदि बुनने वाला 2. सुनहरी गोट बनाने वाला (कारीगर)।
ज़रीबाफ़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ज़री के कपड़े आदि बुनने का काम।
ज़रूर (फ़ा.) [वि.] 1. अवश्य; निश्चित रूप से 2. बेशक; निश्चित ही 3. निस्संदेह।
ज़रूरत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. आवश्यकता; चाह; आकांक्षा 2. सबब; कारण; प्रयोजन 3. हाजत 4. तंगी।
ज़रूरतमंद (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसे आवश्यकता हो 2. अभावग्रस्त; दीन; दरिद्र 3. इच्छुक; आकांक्षी 4. भिखारी; भिक्षुक।
ज़रूरी (अ.) [वि.] 1. जो आवश्यक हो; महत्वपूर्ण 2. प्रयोजनीय; अनिवार्य 3. जो अवश्य होना चाहिए; जिसकी अवहेलना न की जा सके; जिसके बिना काम न चले।
ज़रूरीयात (अ.) [सं-स्त्री.] 1. (ज़रूरी का बहुवचन) ज़रूरतें; आवश्यकताएँ 2. आवश्यक वस्तुएँ।
जरौट [वि.] जिसमें नग आदि जड़े गए हों या बैठाया गया हो; जड़ा हुआ; जड़ने योग्य; जड़ाऊ।
जर्जर (सं.) [वि.] 1. जीर्ण-शीर्ण; टूटा-फूटा 2. जो पुराना होने के कारण उपयोगी न रह गया हो 3. खंडित; क्षत 4. {ला-अ.} जिसका सामयिक महत्व न रह गया हो, जैसे- पारंपरिक मान्यताएँ। [सं-पु.] इंद्र की ध्वजा।
जर्जरता (सं.) [सं-स्त्री.] जर्जर होने की अवस्था या भाव; जीर्णता; पुरानापन।
जर्जरित (सं.) [वि.] 1. जो जर्जर हो गया हो; जीर्ण 2. वृद्ध 3. टूटा फूटा हुआ; खंडित 4. अभिभूत।
जर्जरीक (सं.) [वि.] 1. अनेक छिद्रवाला 2. बहुत वृद्ध; बुड्ढा 3. पुराना।
जर्तिल (सं.) [सं-पु.] जंगली तिल।
ज़र्द (फ़ा.) [वि.] पीत वर्ण (रंग) का; पीला।
ज़र्दरू (फ़ा.) [वि.] 1. लज्जित; शर्मिंदा 2. दुबला; कमज़ोर; अल्परक्त।
ज़र्दा (फ़ा.) [सं-पु.] दे. ज़रदा।
ज़र्दी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ज़र्द या पीले होने की अवस्था या भाव; पीलापन; पीतिमा 2. अंडे के अंदर का पीला भाग। [मु.] -छाना : बीमारी आदि से पीला पड़ना।
जर्नल (इं.) [सं-पु.] विभिन्न विषयों में प्रकाशित होने वाले शोध पत्र-पत्रिकाएँ।
जर्नलिज़म (इं.) [सं-पु.] 1. पत्रकारिता; पत्र-पत्रकारिता में लेखन से संबंधित व्यवसाय 2. पत्र-पत्रिकाओं में समाचार एकत्रीकरण या समाचार लेखन आदि का कार्य।
जर्नलिस्ट (इं.) [सं-पु.] पत्र-पत्रिकाओं के लिए कार्य करने वाला व्यक्ति; वह जो समाचार एकत्र करने या लिखने का कार्य करता है; पत्रकार; संवाददाता।
ज़र्फ़ (अ.) [सं-पु.] 1. बरतन; भाजन; पात्र 2. सहनशीलता; गंभीरता; समाई 3. काबिलियत; योग्यता।
ज़र्ब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रहार; चोट; आघात 2. तबले या मृदंग आदि पर किया जाने वाला आघात।
ज़र्रा (अ.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु का बहुत छोटा अंश; अणु 2. तौल की पुरानी प्रणाली में एक जौ का सौवाँ भाग 3. धूल आदि का कण जो प्रकाश में उड़ता दिखाई देता है।
जर्राह (अ.) [सं-पु.] 1. चीरफाड़ करने वाला व्यक्ति 2. विकृत अंगों की शल्य-चिकित्सा करने वाला चिकित्सक; (सर्जन)।
जल (सं.) [सं-पु.] 1. पानी; नीर 2. पूजा-अर्चना के लिए लाया जाने वाला किसी नदी-सरोवर आदि का पानी।
जलंधर (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक प्रसिद्ध राक्षस जिसका वध विष्णु ने किया था 2. नाथ संप्रदाय के एक योगी 3. एक प्रकार का रोग जिसमें सूजन के साथ पेट में पानी भर जाता है; जलोदर; (ड्राप्सी)।
जलक (सं.) [सं-पु.] शंख; कौड़ी।
जलकंडु (सं.) [सं-पु.] ज़्यादा समय तक पानी में रहने के कारण पैरों में उत्पन्न होने वाला खुजली का रोग।
जलकर (सं.) [सं-पु.] 1. स्थानीय निकाय द्वारा दैनिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराये गय जल पर लगने वाला कर 2. वह कर जो किसानों से नहर या नलकूप आदि से सिंचाई के लिए जल देने के बदले लिया जाता है 3. जलाशय में उत्पन्न होने या की जाने वाली चीज़ों पर लगने वाला कर।
जलकल (सं.) [सं-स्त्री.] पानी का नल; वह पाईप जिससे दैनिक उपयोग का पानी आता है; शहर में घर-घर पानी पहुँचाने वाला एक विभाग।
जलकुंभी [सं-स्त्री.] तालाबों या नदियों के रुके हुए पानी में पैदा होने वाली एक वनस्पति, जलकुकुही; समुद्रसोख।
जलकुकुही [सं-स्त्री.] जल में होने वाला एक प्रकार का पौधा; समुद्रसोख; जलकुंभी।
जलक्रीड़ा (सं.) [सं-स्त्री.] नदी, समुद्र या ताल के पानी में होने वाले खेल; जलाशय में नहाते समय एक-दूसरे पर पानी के छींटे उछालना तथा नहाना आदि क्रियाएँ; जल-विहार।
जलखरी [सं-स्त्री.] रस्सी या मोटे धागे के जाल से बनाई जाने वाली थैली या झोली जिसमें लोग फल आदि रखकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं।
जलचर (सं.) [सं-पु.] जल में रहने वाले प्राणी; जलजंतु।
जलज (सं.) [वि.] जो जल से उत्पन्न हो; जल में जन्म लेने वाला। [सं-पु.] 1. कमल; जलकुंभी 2. मोती; शंख 3. मछली।
जलजंतु (सं.) [वि.] पानी में रहने वाले जीव-जंतु; जलचर।
जलजमाव [सं-पु.] आस-पास के स्थान की तुलना में किसी नीची भूमि या गड्ढों में वर्षा, बाढ़ आदि के जल का एकत्र होना; जलभराव।
ज़लज़ला (अ.) [सं-पु.] भूकंप; भूचाल; सैलाब; तूफ़ान।
जलडमरूमध्य (सं.) [सं-पु.] (भूगोल) दो समुद्रों या खाड़ियों आदि को मिलाने वाली जल की धारा या जलप्रणाली।
जलतरंग (सं.) [सं-स्त्री.] पानी की लहर या धारा। [सं-पु.] (संगीत) एक वाद्ययंत्र या बाजा जिसमें जल से भरी हुई प्यालियों पर छड़ी से आघात करके सात स्वर निकाले जाते हैं।
जलत्रास [सं-पु.] कुत्ते आदि के काटने से होने वाला घातक रोग; जलातंक; (हाइड्रोफ़ोबिया)।
जलद (सं.) [सं-पु.] 1. बादल; मेघ 2. {ला-अ.} वह वंशज जो पितरों को जल देकर तृप्त करता है। [वि.] जल प्रदान करने वाला।
जलदस्यु (सं.) [सं-पु.] समुद्र में रहने वाले डाकू; समुद्री लुटेरे; (पाइरेट)।
जलदेवता (सं.) [सं-पु.] (पुराण) वरुण देवता।
जलद्वार (सं.) [सं-पु.] नहर, नदी आदि में बनाया गया द्वार जिससे धारा को नियंत्रित किया जा सके; (वाटर गेट)।
जलधर (सं.) [सं-पु.] 1. मेघ; बादल 2. सागर; समुद्र 3. तालाब; जलाशय।
जलधरी (सं.) [सं-स्त्री.] पत्थर या धातु से बना वह आधान जिसमें शिवलिंग स्थापित रहता है; अर्घा; जलहरी।
जलधारा (सं.) [सं-स्त्री.] किसी स्थान पर जल का प्रवाह या स्रोत; पृथ्वी तल पर प्रवाहवान कोई जलराशि; किसी नदी या झरने का तेज़ी से बहने वाला जल।
जलधि (सं.) [सं-पु.] सागर; समुद्र; अंबुधि।
जलन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जलने की अवस्था या भाव; जलने पर होने वाली पीड़ा या कष्ट 2. रोग आदि के कारण शरीर के किसी अंग में होने वाली चुनचुनाहट 3. {ला-अ.} मानसिक वेदना या ताप; ईर्ष्या; डाह।
जलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. आग प्रज्वलित होना; दग्ध होना 2. किसी वस्तु या पदार्थ का आग पकड़ना; बलना; धधकना; भस्म होना 3. झुलसना; सूखना; मुरझा जाना, जैसे- पानी की कमी से फ़सल जल गई 4. बुख़ार आदि के कारण शरीर का तपना 5. किसी गरम चीज़ से शरीर के किसी अंग को कष्ट पहुँचना 6. {ला-अ.} किसी से द्वेष करना; कुढ़ना; नफ़रत करना। [मु.] जल मरना : जलने से मृत्यु होना। जले पर नमक छिड़कना : किसी दुखी को और दुखी करना।
जलनाथ (सं.) [सं-पु.] 1. जलदेवता; वरुण; इंद्र 2. समुद्र।
जलनिधि (सं.) [सं-पु.] समुद्र; सागर।
जलपक्षी (सं.) [सं-पु.] वह पक्षी जो जल के आस-पास रहता हो।
जलपति (सं.) [सं-पु.] 1. जल के देवता 2. वरुण 3. समुद्र।
जलपान (सं.) [सं-पु.] नाश्ता; कलेवा; हलका भोजन।
जलपूर्ति (सं.) [सं-स्त्री.] गाँव, नगर आदि में की जाने वाली जल की आपूर्ति; (वाटर सप्लाई)।
जलपोत (सं.) [सं-पु.] पानी का जहाज़; जलयान; (शिप)।
जलप्रदूषण (सं.) [सं-पु.] जल का गंदा या अशुद्ध हो जाना; जलस्रोतों या नदियों आदि का कारखानों, दैनिक उपयोग से निकले अवशिष्ट, मलमूत्र तथा रासायनिक पदार्थों आदि से दूषित हो जाना; (वाटर पल्यूशन)।
जलप्रपात (सं.) [सं-पु.] 1. पहाड़ या किसी ऊँचे स्थान से गिरती हुई जल की विशाल धारा 2. नदी आदि के जल का ऊँचे पहाड़ या चट्टान से नीचे स्थान पर गिरना।
जलप्रवाह (सं.) [सं-पु.] 1. पानी का बहाव; ऊँचे स्थान से नीचे की ओर तेज़ी से बहता हुआ पानी 2. किसी चीज़ को नदी में बहाना 3. शव को नदी में प्रवाहित करना।
जलप्लावन (सं.) [सं-पु.] 1. आस-पास की भूमि का बाढ़ आदि के जल में डूब जाना 2. बहुत बड़े क्षेत्र में भरा हुआ जल; बाढ़; जलप्रलय।
जलभराव (सं.) [सं-पु.] किसी स्थान या क्षेत्र में पानी भरे होने की अवस्था; जलजमाव; जलप्लावन।
जलभीति (सं.) [सं-स्त्री.] जल से उत्पन्न होने वाला भय; वह घातक रोग जिसमें पानी देख कर डर लगता है; (हाइड्रोफ़ोबिया)।
जलभीरु (सं.) [वि.] पानी से डरने वाला।
जलभू (सं.) [सं-पु.] 1. मेघ 2. एक प्रकार का कपूर 3. जलचौलाई नामक पौधा। [वि.] जलीय; जल में उत्पन्न।
जलभृत (सं.) [सं-पु.] 1. वह पात्र जिसमें जल रखा जाता हो 2. बादल; मेघ 3. एक प्रकार का कपूर।
जलभौंरा [सं-पु.] पानी पर चलने वाला एक प्रकार का काले रंग का कीड़ा; भौंतुआ।
जलमग्न (सं.) [वि.] (स्थान) जो पानी में डूबा हो; जलप्लावित; जो अपार जलराशि में स्थित हो।
जलमय (सं.) [वि.] जल से पूर्ण या जलनिर्मित। [सं-पु.] 1. चंद्रमा 2. शिव की मूर्ति।
जलमापक (सं.) [सं-पु.] पानी पहुँचाने वाले नलों में पानी की मात्रा की जानकारी देने का यंत्र; (हाइड्रोमीटर)।
जलमार्ग (सं.) [सं-पु.] नहर, नदी, समुद्र आदि में निर्धारित किया गया वह मार्ग या रास्ता जिसमें नाव, जहाज़ या पोत आते-जाते हैं; (वाटरवेज़)।
जलयान (सं.) [सं-पु.] पानी पर चलने वाला यान या नाव, जलपोत; जहाज़।
जलराशि (सं.) [सं-पु.] 1. किसी स्थान पर संचित या एकत्रित अथाह जल 2. समुद्र; सागर 3. (ज्योतिष) कर्क, मकर, कुंभ और मीन राशियाँ।
जलरोधी (सं.) [वि.] जल को रोकने वाला; जिसमें पानी न जा सके; (वाटरप्रूफ़)।
जलवा (अ.) [सं-पु.] 1. शोभा; दीप्ति 2. तड़क-भड़क; सौंदर्य 3. छवि; छटा।
जलवाना [क्रि-स.] 1. जलने में प्रवृत्त करना; किसी वस्तु में आग लगवाना; जलाना; सुलगाना; दहकाना 2. किसी चीज़ को झुलसवाना 3. आग पर चढ़ाकर भाप आदि के रूप में पानी को सुखाना 4. प्रज्वलित करवाना (दीपक आदि)।
जलवायु (सं.) [सं-पु.] किसी स्थान या क्षेत्र विशेष की प्राकृतिक स्थिति जिसमें वहाँ प्राणियों और पेड़-पौधों का विकास होता है; गरमी-सरदी को सूचित करने वाली प्राकृतिक दशा जिसका प्रभाव जीवों-वनस्पतियों पर पड़ता है; आबोहवा; मौसम; (क्लाइमेट)।
जलवास (सं.) [सं-पु.] 1. उशीर; खस नामक वनस्पति 2. विष्णुकंद।
जलवाह (सं.) [सं-पु.] 1. मेघ; बादल 2. वह व्यक्ति जो जल ढोता हो 3. एक प्रकार का कपूर।
जलविज्ञान (सं.) [सं-पु.] पृथ्वी तल पर मौजूद जलराशियों या उनमें प्रवाहित होने वाले जल से संबंधित विज्ञान; (हाइड्रोलॉजी)।
जलविद्युत (सं.) [सं-पु.] जल की शक्ति से उत्पन्न की गई विद्युत; (हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी)।
जलविहार (सं.) [सं-पु.] 1. नाव से नदी, तालाब आदि में की जाने वाली सैर या मौजमस्ती 2. जल में किया जाने वाला हास-परिहास और स्नान।
जलशायी (सं.) [सं-पु.] (पुराण) वह जो जल या समुद्र में शयन करता है अर्थात विष्णु; लक्ष्मीपति।
जलशाला (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ जल में उत्पन्न होने वाले (जलीय) पौधों तथा जीवों का पालन-पोषण किया जाता है।
जलशुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] पानी में रहने वाली सीप।
जलसंत्रास (सं.) [सं-पु.] एक घातक रोग जिसमें जल से भय लगता है; जलभीति; जलातंक; (हाइड्रोफ़ोबिया)।
जलसमाधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वेच्छा से जल में प्रवेश कर प्राण त्याग देना 2. नदी आदि के जल में मुद्रा विशेष में बैठने की क्रिया 3. पानी में डूबने से हुई मौत 4. नदी या समुद्र में किसी वस्तु या स्थान आदि का डूब जाना।
जलसा (अ.) [सं-पु.] 1. आनंद और उल्लास से मनाया जाने वाला समारोह; उत्सव; आयोजन 2. खान-पान और नाच-गान की महफ़िल 2. किसी संस्था या संगठन आदि का अधिवेशन; बैठक; गोष्ठी 4. नमाज़ पढ़ने के बाद सिजदा करके समूह में एक साथ बैठना।
जलसागाह (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ जलसा होता है 2. {ला-अ.} दुनिया; जहान।
जलसेना (सं.) [सं-स्त्री.] किसी राष्ट्र की सेना का वह विभाग जो समुद्री सीमा की निगरानी तथा रक्षा का कार्य करता है; सागर में रह कर जलपोत से युद्ध करने वाली सेना; नौसेना; (नेवी)।
जलस्रोत (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ से पानी की आपूर्ति होती है; सोता (झील, तालाब आदि) 2. जलप्रवाह; जलधारा।
जलांजलि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जल से भरी हुई हाथों की अंजुली 2. पितरों के तर्पण के उद्देश्य से धार्मिक अनुष्ठान आदि में दी जाने वाली जल की अंजलि।
जलाऊ [वि.] 1. जिसे जलाया जा सकता हो; जिसे जलाना हो, जैसे- जलाऊ लकड़ी 2. जो जला सकता हो।
जलाकाश (सं.) [सं-पु.] 1. जल में प्रतिबिंबित आकाश 2. जल का ऐसा रूप जिससे आकाश जुड़ा हुआ दिखता हो।
जलाक्षी (सं.) [सं-स्त्री.] जलपीपल या जलपिप्पली।
जलाजल (सं.) [वि.] जल में डूबा हुआ; जलमय; जलमग्न।
जलातंक (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का घातक रोग जिसमें कुत्ते आदि के काटने के बाद जल से भय लगने लगता है; जलभीति; (हइड्रोफ़ोबिया)।
जलाना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु या पदार्थ को आग में झोंकना; किसी वस्तु को जलने में प्रवृत्त करना; आग लगाना; दहकाना 2. ताप या आँच पैदा करने के लिए ईंधन को सुलगाना; प्रज्वलित करना; बालना 3. भस्म करना 4. {ला-अ.} किसी के मन में द्वेष या संताप उत्पन्न करना; किसी को चुभने या अपमानित करने वाली बात कहना; व्यथित या संतृप्त करना।
जलार्णव (सं.) [सं-पु.] समुद्र; वर्षाकाल।
जलार्द्र (सं.) [वि.] पानी से भीगा हुआ; गीला; तर।
जलाल (अ.) [सं-पु.] 1. गौरव; रौब; प्रभाव 2. तेज; प्रकाश 3. महत्ता 4. प्रभाव; ताकत; अख़्तियार 5. दबदबा; आतंक।
ज़लालत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बेइज्ज़ती; अपमान; अनादर 2. दुर्गति 3. तिरस्कार।
जलाली (अ.) [वि.] जिसमें जलाल हो; रौबीला; गौरवशाली। [सं-पु.] 1. मुसलमान फ़कीरों में एक संप्रदाय 2. ईश्वर के जलाली रूप का उपासक; जलालिया।
जलालुका (सं.) [सं-स्त्री.] जोंक।
जलावतरण (सं.) [सं-पु.] 1. जल में उतरने की क्रिया 2. निर्माण के बाद जलयान आदि को पानी में उतारना।
जलावन [सं-पु.] 1. लकड़ी, कंडे आदि जो जलाने के काम आते हैं; ईंधन 2. किसी वस्तु का वह अंश जो जलकर विकृत या नष्ट हो गया हो।
जलावर्त (सं.) [सं-पु.] 1. जल में उत्पन्न होने वाला भँवर; नाल 2. एक प्रकार का बादल; मेघ।
जलाशय (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहां बहुत सारा पानी एकत्र हो; तालाब, झील 2. वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए बनाया गया बड़ा गड्ढा।
जलाश्रय (सं.) [सं-पु.] 1. जलाशय 2. वह जो जल पर आश्रित हो; सारस; बक।
जलाहल [वि.] जल से भरा हुआ; जलमय।
जली-कटी [वि.] अपशब्दों से भरी हुई या जो क्रोध में कही जाए (बात)। -सुनाना : ईर्ष्या या क्रोध के कारण कड़वी बातें कहना।
जलीय (सं.) [वि.] 1. जल में उपजने, रहने या होने वाला, जैसे- जलीय जीव-जंतु या वनस्पति 2. जिसमें जल का अंश हो, जैसे- जलीय लवण 3. जल से संबंधित।
जलील (अ.) [वि.] पूज्य; महान; गौरवशाली; बड़ा; प्रतिष्ठित।
ज़लील (अ.) [वि.] 1. जिसका अपमान हुआ हो; बेइज़्ज़त; तिरस्कृत 2. तुच्छ; नीच; अधम 3. जिसकी बेकद्री की गई हो।
जलीस (अ.) [सं-पु.] 1. पार्श्ववर्ती; बगल का 2. सखा; पास बैठने वाला।
ज़लूम (अ.) [वि.] बहुत बड़ा ज़ालिम; निर्दयी; अत्याचारी।
जलूस (अ.) [सं-पु.] 1. प्रचार, प्रदर्शन आदि के लिए गलियों या सड़कों आदि पर लोगों का समूह में निकलना 2. किसी सवारी आदि से निकाली जाने वाली शोभायात्रा; जनयात्रा।
जलेंद्र (सं.) [सं-पु.] 1. जल का स्वामी; जलदेवता 2. महासागर।
जलेबी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रसिद्ध मिठाई जो खमीर उठी हुई मैदा से बनाई जाती है 2. एक प्रकार की आतिशबाज़ी।
जलेश्वर (सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र 2. (पुराण) वरुण; इंद्र।
जलोका [सं-स्त्री.] पानी में पाया जाने वाला एक मोटा कीट जो जीवों के शरीर में चिपक कर उनका खून चूसता है; जोंक।
जलोढ़ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (भूगोल) मिट्टी का एक प्रकार; बाढ़ आदि के द्वारा बहा कर लाई गई मिट्टी 2. कछारी भूमि।
जलोदर (सं.) [सं-पु.] एक रोग जिसमें पेट में पानी जमा हो जाता है।
जल्द (अ.) [क्रि.वि.] 1. फुरती से; तेज़ी से; अविलंब 2. त्वरित; शीघ्र; झटपट 3. तुरंत; फ़ौरन।
जल्दबाज़ (फ़ा.) [वि.] 1. उतावला; आतुर 3. किसी काम में आवश्यकता से अधिक जल्दबाज़ी करने वाला; हर काम या बात में जल्दी मचाने वाला।
जल्दबाज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जल्दबाज़ होने की अवस्था या भाव; उतावलापन 3. शीघ्रता; तेज़ी 4. तुरंत काम हो जाने की इच्छा।
जल्दी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शीघ्रता; फुरती; तेज़ी; उतावलापन। [अव्य.] 1. जल्द; शीघ्रता से 2. कम समय में; आसानी से।
जल्लाद (अ.) [सं-पु.] 1. कानून व्यवस्था से मृत्युदंड पाए अपराधी को फाँसी देने वाला व्यक्ति 2. किसी को निर्दयता से मारने वाला व्यक्ति; वधिक; हत्यारा 3. मध्यकाल में अपराधियों का सिर काटने वाला कर्मचारी 4. क्रूर व्यक्ति। [वि.] बेरहम; निर्दयी।
जल्वत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अपने आपको लोगों के सामने प्रकट करना; आत्म-प्रदर्शन 2. भीड़; जमाव।
जव (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध अनाज; जौ 2. अंतरिक्ष 3. ज़मीन और आसमान के बीच की जगह; क्षितिज 4. वेग; तेज़ी; फुरती। [वि.] वेगवान; जल्दी या शीघ्रता करने वाला।
जवन [सं-पु.] 1. वेग; तेज़ी; फुरती 2. युद्ध की शिक्षा पाया हुआ घोड़ा; फुरतीला घोड़ा। [वि.] वेगवान; तेज़; फुरतीला।
जवा (सं.) [सं-पु.] 1. जौ के आकार का दाना 2. लहसुन की कली।
जवाँ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जवान; युवक 2. वयस्क; बालिग। [वि.] यौगिक पदों के आरंभ में लगने वाला 'जवान' शब्द का संक्षिप्त रूप, जैसे- जवाँमर्द, जवाँदिल।
जवाँबख़्त (फ़ा.) [वि.] बहुत भाग्यशाली; किस्मतवाला।
जवाँमर्द (फ़ा.) [वि.] 1. वीर; शूर; बहादुर; मर्दाना 2. साहसी; हिम्मतवाला।
जवाँमर्दी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जवान होने की अवस्था या भाव 2. शूरता; बहादुरी; साहस; हिम्मत।
जवाज़ (अ.) [सं-पु.] 1. औचित्यपूर्ण; जायज़; ठीक 2. पारपत्र।
जवान (फ़ा.) [वि.] 1. युवा; तरुण 2. जो अपने पूर्ण विकास या यौवन पर हो, जैसे- उत्सव के दिनों में रात जवान हो जाती है 3. {ला-अ.} बलवान; बहादुर; वीर। [सं-पु.] 1. पुरुष; युवा व्यक्ति 2. सिपाही; सैनिक।
जवानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. युवावस्था; तरुणाई; यौवन 2. {ला-अ.} सुंदरता; लावण्य; मस्ती 3. युवावस्था का जोश; उत्साह।
जवाब (अ.) [सं-पु.] 1. किसी बात या प्रश्न का उत्तर; समाधान; हल 2. पत्र लिखने वाले को उत्तर में लिखा गया पत्र 3. इनकार; मनाही; मना करना, जैसे- रोगी को डॉक्टर ने जवाब दे दिया 4. ऐसा कार्य जो बदला चुकाने के लिए किया जाए, जैसे- हमले का जवाब दिया जाएगा 5. मुकाबले या बराबरी की चीज़, जोड़ 6. किसी वस्तु के सामने रखी जाने वाली उसी की तरह की दूसरी वस्तु 7. अभियोग के खिलाफ़ या उत्तर में कही गई बात 8. नौकरी आदि से निकाल दिया जाना। [मु.] -तलब करना : किसी से आधिकारिक तौर पर जवाब माँगना।
जवाबदार (फ़ा.) [वि.] 1. जवाब देने वाला; जवाबदेह; उत्तरदायी 2. {ला-अ.} जिसपर किसी बात की पूरी जिम्मेदारी हो; ज़िम्मेदार।
जवाबदावा (अ.) [सं-पु.] वह लिखित पत्र जो वादी के अभियोगों के उत्तर में प्रतिवादी न्यायालय में देता है; प्रतिवादी द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत किया गया प्रत्युत्तर।
जवाबदेह (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जवाब देने वाला; जवाबदार; उत्तरदायी 2. {ला-अ.} जिसपर किसी बात की पूरी ज़िम्मेदारी हो; ज़िम्मेदार।
जवाबदेही (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] किसी बात, कार्य या उसके परिणाम के प्रति जवाब देने की स्थिति; उत्तरदायित्व; ज़िम्मेदारी; जवाबदारी।
जवाबी (फ़ा.) [वि.] जवाब संबंधी; जिसका जवाब देना हो; जो किसी के जवाब के रूप में हो।
जवार (अ.) [सं-पु.] 1. आस-पास का स्थान; पड़ोस 2. मार्ग; रास्ता।
जवारा [सं-पु.] 1. जौ का नया निकला हुआ अंकुर 2. नवरात्र की नवमी को होने वाला एक उत्सव 3. जौ के हरे-हरे छोटे पौधे जिन्हे लोग दशहरे के दिन अपने बंधु-बाँधवों या परिचितों के कानों पर खोंसते हैं।
जवारी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की माला जो जौ, छुहारे और तालमखाने के बीज आदि को गूँथ कर बनाई जाती है 2. रेशम या ऊन का वह धागा जो तंबूरे के तार के नीचे उस अंश पर लपेटा जाता है जो घोड़ी पर रहता है। [वि.] प्रतिवेशी; पड़ोसी।
ज़वाल (अ.) [सं-पु.] 1. अवनति; उतार; ह्रास 2. आफत; समस्या 3. जंजाल; झंझट।
जवाशीर (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का गंधाविरोजा (चीड़ या शाल नामक वृक्ष से निकलने वाला गोंद)।
जवासा (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का औषधीय गुणों वाला पौधा जिसके बीजों से खाद्य तेल निकाला जाता है।
जवाहर (अ.) [सं-पु.] रत्न; मणि।
जवाहरात (अ.) [सं-पु.] हीरे-मोती आदि रत्नों की राशि, समूह, ढेर।
जवाहिरनिगार (अ.‌+फ़ा.) [वि.] रत्नजटित; रत्न जड़ा हुआ।
जवी (सं.) [सं-पु.] घोड़ा; ऊँट। [वि.] वेगयुक्त; वेगवान।
जश्न (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बहुत ख़ुशी का अवसर; उत्सव; समारोह; जलसा 2. किसी महफ़िल आदि की धूमधाम; गाना-बजाना; नाच 3. {ला-अ.} हर्ष; आनंद।
जस (सं.) [अव्य.] जैसा; यथा, जैसे- जस का तस (जैसा पहले था वैसा ही)।
ज़साना [क्रि-स.] बिछाना; किसी वस्तु को फैलाना।
जसामत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु की लंबाई, चौड़ाई, मोटाई और गहराई 2. शरीर का आकार-प्रकार; डौल 3. स्थूलता।
जसीम (अ.) [वि.] भारी-भरकम शरीरवाला; स्थूल देहवाला; मोटा-ताज़ा।
जस्टिस (इं.) [सं-पु.] 1. न्याय; इंसाफ़ 2. वह जिसे न्याय करने के लिए नियुक्त किया गया हो; न्यायाधीश; न्यायमूर्ति।
जस्ता (सं.) [सं-पु.] एक नरम धातु जो मटमैले रंग की होती है और जिसे ताँबे के साथ मिलाने पर पीतल बनता है; (जिंक)।
ज़ह (फ़ा.) [सं-पु.] 1. भ्रूण 2. वीर्य 3. बच्चा; शिशु।
जहका (सं.) [सं-स्त्री.] नेवले की तरह का एक जंतु।
जहद (अ.) [सं-स्त्री.] 1. उद्योग; प्रयत्न 2. परिश्रम; मेहनत।
जहद्दम (अ.) [सं-पु.] नरक; दोज़ख; जहन्नुम।
ज़हन (अ.) [सं-पु.] समझ; बुद्धि।
ज़हनियत (अ.) [सं-स्त्री.] समझदारी; बुद्धिमानी; अकलमंदी।
जहन्नुम (अ.) [सं-पु.] 1. इस्लाम धर्म के अनुसार पहला नरक; दोज़ख 2. {ला-अ.} यंत्रणा देने वाली परिस्थितियाँ या स्थान; बहुत कष्टप्रद या गंदी जगह 3. बहुत गहरा कुआँ। [मु.] -में जाना : बहुत कष्ट में पड़ना बरबाद होना।
जहन्नुमी (अ.) [वि.] नरक संबंधी; नरक में जाने वाला; नारकीय।
ज़हब (अ.) [सं-पु.] सोना; कुंदन; कनक।
ज़हमत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. विपत्ति; मुसीबत; कष्ट 2. झंझट; बखेड़ा।
ज़हर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह पदार्थ या रसायन जिसका सेवन प्राणियों के लिए घातक होता है; विष; गरल; (पॉइज़न) 2. {ला-अ.} बहुत अप्रिय अनुभूति कराने वाली बात या काम। [वि.] 1. विषैला; अत्यंत कटु 2. ख़राब; घातक। [मु.] -उगलना : बहुत कड़वी बातें करना। -का घूँट पीकर रह जाना : बहुत ज़्यादा क्रोध आने पर भी चुप रह जाना। -पीना : अपमान को सह लेना। -का बुझा : बहुत दुष्ट व्यक्ति।
ज़हरबाद (फ़ा.) [सं-पु.] बहुत ज़हरीला फोड़ा।
ज़हरी [वि.] वह जिसमें ज़हर हो; ज़हरवाला; विषैला।
ज़हरीला (फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसमें ज़हर हो; विषयुक्त; विषैला 2. जिसके डंक या दंश में ज़हर हो 3. {ला-अ.} बहुत अप्रिय बात करने वाला; दुष्ट; कटु।
जहाँ1 (फ़ा.) [सं-पु.] संसार; दुनिया; जहान; लोक।
जहाँ2 [अव्य.] जिस जगह पर; जिस स्थान पर।
जहाँगीर (फ़ा.) [वि.] दुनिया पर हुकूमत या शासन करने वाला; विश्वविजेता। [सं-पु.] एक प्रसिद्ध मुगल बादशाह।
जहाँगीरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. भूमंडल का शासन या राजत्व; विश्वविजय 2. कलाई पर पहना जाने वाला एक प्रकार का गहना। [वि.] जहाँगीर से संबंद्ध; जहाँगीर का।
जहाँ-तहाँ [अव्य.] 1. यहाँ-वहाँ; इधर-उधर; अनेक स्थानों पर 2. जगह-जगह; प्रायः हर जगह।
जहाँदार (फ़ा.) [वि.] बादशाह; राजा; सम्राट।
जहाँपनाह (फ़ा.) [वि.] वह जो सारे संसार को शरण देता हो; शरणदाता। [सं-पु.] 1. मध्यकाल में मुगल बादशाहों के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक संबोधन 2. ईश्वर।
जहाज़ (अ.) [सं-पु.] समुद्र या गहरी नदी आदि में इंजन द्वारा चलने वाली बड़ी नाव; जलपोत।
जहाज़रान (अ.) [सं-पु.] जहाज़ चलाने वाला व्यक्ति।
जहाज़रानी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] जहाज़ चलाने का काम।
जहाज़ी (अ.) [सं-पु.] 1. जहाज़ का कर्मचारी; खलासी; लश्करी 2. जहाज़ पर यात्रा करने वाला व्यक्ति। [सं-स्त्री.] पुराने ढंग की तलवार। [वि.] जहाज़ संबंधी; जहाज़ का; जहाज़ से होने वाला (व्यवसाय)।
जहाज़ी बेड़ा [सं-पु.] समुद्र में एक साथ चलने वाले समुद्री जहाज़ों का समूह।
ज़हादत (अ.) [सं-स्त्री.] संयम; निग्रह।
जहान (फ़ा.) [सं-पु.] संसार; जगत; दुनिया; लोक।
जहालत (फ़ा.) [सं-स्त्री.] जाहिलपन; अज्ञान; मूर्खता; नासमझी।
ज़हीन (अ.) [वि.] जिसका ज़ेहन तेज़ हो; तीक्ष्णबुद्धि; मेधावी; प्रतिभावान; समझदार; बुद्धिमान।
ज़हीर (अ.) [वि.] सहायक; मददगार; मित्र।
जह्नु (सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक ऋषि जिन्होंने गंगा नदी का पान कर लिया था और राजा भगीरथ की प्रार्थना पर बाहर निकाल दिया था इसी कारण गंगा को जाह्नवी कहा गया।
जह्नुतनया (सं.) [सं-स्त्री.] गंगा नदी; भागीरथी; जाह्नवी।
जा1 (सं.) [परप्रत्य.] 1. उत्पन्न करने वाली 2. किसी से या किसी में उत्पन्न, जैसे- आत्मजा। [सं-स्त्री.] माता; अम्मा।
जा2 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] स्थान; जगह। [वि.] सही; ठीक; मुनासिब।
जाँ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] जान; प्राण; ज़िंदगी।
जाँग [सं-पु.] घोड़ों की एक प्रजाति।
जाँगर [सं-पु.] 1. श्रमशीलता; शरीर का बल 2. पौरुष 3. शरीर; देह।
जाँगरा [सं-पु.] राजाओं की स्तुति करने वाला; बंदी; भाट; चारण।
जाँघ (सं.) [सं-स्त्री.] मनुष्य या पशुओं में घुटने एवं कमर के बीच का भाग; जंघा; रान; उरु। [मु.] अपनी जाँघ उघाड़ना : अपनी बदनामी स्वयं करना।
जाँघिया [सं-स्त्री.] जाँघों तक पहनने का वस्त्र; नेकर; लँगोट; कच्छा।
जाँघिल [वि.] 1. बहुत तेज़ दौड़ने वाला 2. जिसका पैर चलने पर कुछ लचक खाता हो।
जाँघिला [सं-पु.] एक प्रकार की चिड़िया।
जाँच (सं.) [सं-स्त्री.] जाँचने की क्रिया; किसी बात या विषय से संबंधित तथ्यों का पता लगाने का कार्य; निरीक्षण-परीक्षण; परख; परीक्षा; मूल्यांकन; पूछताछ; छानबीन; तहकीकात; (इनवेस्टिगेशन)।
जाँच आयोग [सं-पु.] किसी बात, घटना या भ्रष्टाचार आदि की जाँच करने वाला आयोग; तथ्यों का अन्वेषण करने वाला आयोग; (इनक्वायरी कमीशन)।
जाँचक [वि.] जाँच करने वाला; परीक्षा या आलोचना करने वाला।
जाँचकर्ता (सं.) [सं-पु.] जाँच करने वाला व्यक्ति; मूल्यांकन कर्ता।
जाँचना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी बात या लेख आदि के गुण-दोषों का पता लगाना; परखना 2. सिद्धांत की सत्यता का पता लगाना; अनुसंधान करना 3. पूछताछ करना 4. किसी व्यक्ति की योग्यता, क्षमता का पता लगाना 5. काट-छाँट करना।
जाँच-पड़ताल [सं-स्त्री.] छानबीन; तफ़्तीश।
जाँचसमिति [सं-स्त्री.] 1. किसी विषय की गहन जाँच-पड़ताल करने वाला दल 2. तहकीकात करने वाली समिति; (इनक्वायरी कमेटी)।
जाँचा-परखा [वि.] अच्छी तरह से परखा हुआ; देखा-भाला हुआ; कसौटी पर खरा; निरीक्षण-परीक्षण किया हुआ।
जाँत [सं-स्त्री.] गेहूँ आदि अनाज पीसने की चक्की।
जाँता [सं-पु.] 1. गेहूँ, चना आदि अनाज या मसाले पीसने की हाथ से चलाई जाने वाली बड़ी चक्की 2. सुनारों, तरकशों आदि का जंती नामक औज़ार।
जाँनवाज़ (फ़ा.) [वि.] 1. जान बख़्शने वाला; प्राणों पर दया करने वाला; दयालु; कृपालु 2. मन को ख़ुश करने वाला; मनोरम।
जाँनिसार (फ़ा.) [वि.] जान कुरबान या निसार करने वाला; मर-मिटने वाला; जान की बाज़ी लगाने वाला।
जाँपनाह (फ़ा.) [वि.] जान बचाने वाला; प्राणों का रक्षक।
जाँफ़िज़ा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. अमृत 2. किसी तत्व का सार। [वि.] जीवन-शक्ति या प्राणों को बढ़ाने वाला; आयुवर्धक।
जाँबलब (फ़ा.) [वि.] जिसके प्राण होठों तक आ गए हों; मरणासन्न; मरणोन्मुख।
जाँबाज़ (फ़ा.) [वि.] 1. जान पर खेल जाने वाला; जान देने तक को तैयार रहने वाला; वीर; योद्धा 2. बहुत अधिक परिश्रम करने वाला; जुझारू।
जाँबाज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] किसी महान कार्य या उद्देश्य के लिए लगाई जाने वाली प्राणों की बाज़ी; वीरता; बहादुरी; हिम्मत।
जांगलिक (सं.) [वि.] जो जंगल से संबंध रखता हो; जंगली।
जांतव (सं.) [वि.] 1. प्राणी संबंधी; जीव-जंतु संबंधी 2. जीव-जंतुओं में मिलने वाला या उत्पन्न होने वाला (कस्तूरी, विष आदि)।
जांबव (सं.) [सं-पु.] जामुन का वृक्ष और उसका फल। [वि.] जामुन संबंधी; जामुन के रस से बना हुआ।
जांबवान (सं.) [सं-पु.] (रामायण) राम की सहायता करने वाला सुग्रीव का एक मंत्री।
जांबीर (सं.) [सं-पु.] जंबीरी नीबू।
ज़ाइद (अ.) [वि.] खूब सारा; प्रचुर; अधिक; फालतू।
ज़ाइरीन (अ.) [सं-पु.] ज़ियारत या हज करने वाले व्यक्ति (ज़ाइर का बहुवचन)।
जाकड़ [सं-पु.] 1. ख़रीदारी करने का एक तरीका; दुकान से कोई सामान या माल इस शर्त पर लाना कि पसंद न आने पर उसे वापस किया जा सके 2. शर्त पर लाया हुआ माल।
ज़ाकिर (अ.) [वि.] 1. ज़िक्र करने वाला; चर्चा या वर्णन करने वाला 2. (इस्लाम) इमाम हुसैन की शहादत का हाल बयान करने वाला।
जाखन [सं-स्त्री.] पहिए के आकार का गोल चाक या चक्कर जिसे कुएँ की नींव में रखा जाता है; जमवट।
जाग [सं-स्त्री.] जागने की क्रिया, भाव या दशा; जागरण।
जागता [वि.] 1. जागा हुआ; जो जाग रहा हो 2. {ला-अ.} सावधान; सतर्क 3. जो अपने अस्तित्व, शक्ति आदि का परिचय दे रहा हो।
जागतिक (सं.) [वि.] 1. संसार से संबंध रखने वाला; जगत संबंधी; संसार का 2. जगत केरूपमें होने वाला।
जागना (सं.) [क्रि-अ.] 1. मनुष्य तथा पशु आदि का निद्रा त्यागना; सोकर उठना 2. {ला-अ.} जाग्रत या सावधान होना; चेतन होना; उदय होना; बढ़ना; उठना 3. {ला-अ.} उत्तेजित होना; प्रदीप्त होना।
जागर (सं.) [सं-पु.] 1. जाग जाने की क्रिया 2. अंतःकरण की वह अवस्था जिसमें उसकी सब वृत्तियाँ (मन, बुद्धि, अहंकार आदि) प्रकाशित या जाग्रत हो जाते हैं।
जागरण (सं.) [सं-पु.] 1. जागते रहने की अवस्था या भाव; नींद न आना; जागना 2. किसी उत्सव, पर्व आदि के अवसर पर रात भर जागते रहने की अवस्था या भाव; रतजगा 3. {ला-अ.} रूढ़ियों या पिछड़ेपन से मुक्त होने के लिए किया गया प्रयास; आगे बढ़ने की आकांक्षा।
जागरूक (सं.) [वि.] 1. जागता हुआ; जो जाग्रत अवस्था में हो; जागरणशील 2. {ला-अ.} जिसे अपने कर्तव्य, अधिकार या दायित्व आदि का बोध हो; सचेत; सावधान।
जागरूकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जागरूक होने की अवस्था या भाव 2. सतर्कता; सावधानी 3. किसी विषय में सचेत या चौकन्ना होने की स्थिति या भाव।
जागीर (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मध्यकाल में राजा या राज्य की ओर से विशेष सेवा के बदले या पुरस्कार स्वरूप मिलने वाली भूमि या प्रदेश 2. संपत्ति 3. {अ-अ.} पुराने समय में गाँव में नाई, कुम्हार और कहार आदि को जोतने-बोने के लिए दी जाने वाली ज़मीन।
जागीरदार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जिसके पास जागीर हो; जागीर का मालिक 2. सामंत; सरदार; अमीर।
जागीरदारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] जागीरदार का पद या जागीरदार होने का भाव; रईसी।
जागृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जाग्रत होने की अवस्था या भाव 2. {ला-अ.} पिछड़ेपन की स्थिति, दोषों या कमियों आदि का होने वाला अहसास; अपने अवगुणों या कमज़ोरियों से मुक्त होने के लिए किया गया प्रयास।
जाग्रत (सं.) [सं-पु.] वह अवस्था जिसमें समस्त तथ्यों या बातों का ज्ञान हो। [वि.] 1. जो जाग रहा हो; जागा हुआ 2. जो क्रियाशील हो (शक्ति, गुण आदि) 3. {ला-अ.} सावधान; सजग; सचेत।
जाजिम (तु.) [सं-स्त्री.] फ़र्श आदि पर बिछाने का छपा हुआ सूत का मोटा और रंगीन बिछावन; मोटीदरी।
जाज़िब (अ.) [वि.] 1. जज़्ब करने या सोखने वाला; अपने अंदर मिला लेने वाला 2. जो किसी में जज़्ब हो जाता हो; घुलनशील 3. {ला-अ.} आत्मसात करने वाला।
जाज़िबीयत (अ.) [सं-स्त्री.] आकर्षण; कशिश।
जाज्वल्यमान (सं.) [वि.] 1. प्रज्वलित; दीप्तिमान; प्रकाशित; प्रकाशमान 2. {ला-अ.} तेजपूर्ण; तेजोमंडित; तेजस्वी 3. जिसे सब देख सकते हों।
जाट [सं-पु.] 1. उत्तर-पश्चिम भारत की एक प्रसिद्ध जाति या समुदाय जिसका प्रमुख व्यवसाय खेती है 2. उक्त जाति या समुदाय का व्यक्ति।
जाटली (सं.) [सं-स्त्री.] पलाश की जाति का एक वृक्ष जिसे मोरवा या ढाक भी कहते हैं।
जाटू [सं-स्त्री.] हरियाणा राज्य के करनाल, रोहतक, हिसार आदि जिलों में जाटों की प्रमुख बोली; बाँगड़ू; हरियाणवी।
जाठ (सं.) [सं-पु.] 1. तालाब के बीच में गाड़ा गया लकड़ी का खंभा 2. ईख, तिलहन आदि की पिराई करने वाले कोल्हू के बीच घूमने वाला लकड़ी का छोटा खंभा।
जाठर (सं.) [सं-पु.] 1. पेट; उदर 2. पेट की वह अग्नि जिसकी सहायता से खाया हुआ अन्न पचता है; जठराग्नि। [वि.] जठर या पेट संबंधी; जठर का।
जाठराग्नि (सं.) [सं-स्त्री.] दे. जठराग्नि।
जाड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. छह ऋतुओं में से एक जिसमें ठंड पड़ती है; शीत ऋतु; सरदी का मौसम; हेमंत और शिशिर ऋतुओं का काल 2. आधे कातिक से आधे फागुन तक का समय।
जाड्य (सं.) [सं-पु.] 1. जड़ता; निश्चेष्टता; कठोरता 2. {ला-अ.} बुद्धि की मंदता; मूर्खता।
जात (सं.) [सं-पु.] 1. जीव; प्राणी 2. पुत्र; बालक 3. वर्ग; समूह। [वि.] 1. उत्पन्न; जन्मा हुआ; जनन या प्रसव से संबंध रखने वाला 2. व्यक्त; प्रकट 3. जो घटना के रूप में हुआ हो; घटित 4. एकत्र किया हुआ; संगृहीत।
ज़ात (अ.) [सं-स्त्री.] 1. कुल; वंश; नस्ल; कौम 2. व्यक्तित्व 4. अस्तित्व 5. शरीर।
जातक (सं.) [सं-पु.] 1. नवजात शिशु; बच्चा; बालक 2. बौद्धभिक्षु 3. जातकर्म 4. महात्मा बुद्ध के पूर्वजन्मों की कथाओं पर आधारित एक प्रसिद्ध बौद्धग्रंथ 5. (ज्योतिष) वह शाखा जिसमें शिशु का भविष्य देखा जाता है।
जातकर्म (सं.) [सं-पु.] 1. हिंदुओं में बालक के जन्म के समय किया जाने वाला एक संस्कार 2. सोलह संस्कारों में से एक।
जातपाँत (सं.) [सं-स्त्री.] किसी समाज में जातियों और उपजातियों की व्यवस्था; जातिगत भेदभाव।
जातरूप (सं.) [वि.] सुंदर; रूपवान।
जाता (सं.) [सं-स्त्री.] कन्या; पुत्री; बेटी।
जाति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जन्म; पैदाइश; जन्म के अनुसार अस्तित्व का रूप 2. समाज व्यवस्था में वह श्रेणी जो जन्म के आधार पर निश्चित होती है; समुदाय; समूह 3. जन्म के आधार पर किया जाने वाला सामाजिक विभाग; (कास्ट) 4. राष्ट्र, भौगोलिक परिस्थितियों, वंश-परंपरा आदि के विचार से किया गया मानव समाज का विभाग 5. स्वभाव, रंग-रूप, संस्कृति और आकृति आदि की समानता रखने वाला मानव समूह; (रेस), जैसे- मंगोल जाति 6. भाषा, संस्कृति और इतिहास आदि की समानता रखने वाला मानव समुदाय; देश; (नेशन) 7. पदार्थों या जीवों की आकृति, गुण-धर्म आदि की समानता के आधार पर किया हुआ विभाजन; वर्ग; कोटि; श्रेणी; (क्लास) 8. एक ही प्रकार की आजीविका से जुड़े लोग या समुदाय 9. (काव्यशास्त्र) मात्रिक छंद का एक प्रकार।
जातिगत (सं.) [वि.] जाति के आधार पर; जाति संबंधी।
जातिच्युत (सं.) [वि.] वर्ण व्यवस्था के आधार पर निश्चित की गई जाति विशेष से अलग किया हुआ; जाति से बहिष्कृत (व्यक्ति)।
जाति परिवर्तन (सं.) [सं-स्त्री.] एक जाति से दूसरी जाति में जाना; जाति में किया जाने वाला बदलाव।
जातिपाँति [सं-स्त्री.] किसी समाज का जाति और उपजाति के रूप में किया गया विभाजन; जातपाँत।
जातिवर्ग (सं.) [सं-पु.] एक जाति विशेष का वर्ग; जातियों का वर्ग या समूह।
जातिवाचक (सं.) [वि.] जाति या नस्ल को बताने वाला; जाति का सूचक, जैसे- जातिवाचक संज्ञा।
जातिवाद (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जाति को महत्व या स्वीकृति देने का सिद्धांत या मत 2. किसी जाति विशेष को दूसरी जातियों से श्रेष्ठ बताने या मानने की पारंपरिक संस्कृति या अवैज्ञानिक विचारधारा 3. किसी जाति विशेष का पक्ष लेने की क्रिया, प्रवृत्ति या मानसिकता 4. जाति विशेष के उत्थान या समृद्धि के लिए प्रतिबद्धता।
जातिवादी (सं.) [वि.] 1. जातिवाद का समर्थक; जाति के आधार पर भेदभाव करने वाला; ऊँच-नीच का समर्थक 2. जाति विशेष के पक्ष में प्रवृत्ति, विचारधारा और मान्यता आदि पर बल देने वाला।
जाति व्यवस्था [सं-स्त्री.] 1. जाति के आधार पर बनाई गई वह सामाजिक व्यवस्था जिसमें किसी व्यक्ति को उसी जाति का माना जाता है जिसमें उसने जन्म लिया हो 2. वह व्यवस्था जिसमें सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यताएँ एवं आदर्श जाति के आधार पर तय किए जाते हैं।
जाति संहार [सं-पु.] किसी जाति या समुदाय विशेष को मारने या समूल नाश करने की क्रिया; सामूहिक संहार।
जाती1 (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का पुष्प; चमेली; मालती।
जाती2 (अ.) [वि.] 1. निज का; अपना; व्यक्तिगत; (प्राइवेट) 2. वस्तुगत; वास्तविक।
जातीपत्री (सं.) [सं-स्त्री.] जावित्री; जायफल।
जातीय (सं.) [वि.] 1. जाति संबंधी; जाति का 2. अंतरराष्ट्रीय संदर्भों में राष्ट्र या समाज विशेष का; (नेशनल) 3. जाति के अंतर्गत।
जातीयता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जाति विशेष से संबंधित होने का भाव; कौमियत 2. जातीय संस्कृति, आदर्शों आदि का सामूहिक भाव 3. जाति विशेष का होने का अभिमान 4. राष्ट्रीयता।
जातुज (सं.) [सं-पु.] गर्भवती स्त्री के मन में उठने वाली इच्छा; दोहद।
जातुधानी (सं.) [वि.] 1. राक्षसों का-सा; राक्षसी स्वभाववाला 2. आसुरी।
जातुष (सं.) [वि.] 1. जातु या लाख का बना हुआ; लाख संबंधी 2. चिपकने वाला; लसदार।
जात्य (सं.) [वि.] 1. रिश्तेदार; नातेदार; सजातीय 2. उत्तम; श्रेष्ठ 3. {ला-अ.} सुंदर; सुरूप; मनोहर।
जात्यंध (सं.) [वि.] जो जन्म से ही अंधा हो; जन्मांध।
जात्रा (सं.) [सं-स्त्री.] तीर्थयात्रा; धार्मिक उद्देश्य से किया जाने वाला सैर-सपाटा; भ्रमण; पर्यटन।
ज़ाद (फ़ा.) [परप्रत्य.] किसी से उत्पन्न; किसी के द्वारा जन्मा हुआ; जात, जैसे- परीज़ाद; आदमज़ाद। [सं-पु.] पीढ़ी; संतति।
ज़ादा (फ़ा.) [परप्रत्य.] 1. उत्पन्न; जात 2. संतान रूप में किसी से उत्पन्न, जैसे- साहबज़ादा; रईसज़ादा आदि।
जादुई [वि.] 1. जिसमें जादू हो; जादू-टोना संबंधी 2. जो तेज़ी से या जादू की तरह असर करती हो, जैसे- जादुई औषधि 3. चमत्कारी।
जादुई छड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जादूगरों द्वारा प्रयोग की जाने वाली एक छड़ी; करिश्माई छड़ी 2. {ला-अ.} वह युक्ति या तरकीब जिससे कोई कठिन काम भी सरलता से हो जाए।
जादू (फ़ा.) [सं-पु.] 1. हाथ की सफ़ाई; ऐसा काम या खेल जिसका रहस्य दर्शक न समझ कर आश्चर्यचकित हों; अलौकिक या अमानवीय समझा जाने वाला कार्य; बाज़ीगरी; नज़रबंदी; इंद्रजाल; (मैजिक) 2. दूसरों को मोहित करने या लुभाने की शक्ति; वशीकरण; मोहिनी; माया; जंतर-मंतर; टोना। [मु.] -करना : किसी को चमत्कृत करना; वश में करना। -चलना : जादू का प्रभाव होना; किसी बात का असर होना। -डालना : जादू करना; मोहित करना; प्रभाव डालना।
जादूगर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जादू का खेल दिखाने वाला व्यक्ति; बाज़ीगर; मदारी; (मैजिशियन) 2. {ला-अ.} ऐसा व्यक्ति जो आश्चर्यजनक रूप से कोई कठिन या विलक्षण कार्य कर दिखाता हो। [वि.] जादू करने वाला; मायावी; दृष्टिबंधक; ऐंद्रजालिक।
जादूगरनी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जादू दिखाने वाली स्त्री 2. {ला-अ.} मायावी स्त्री; मोहित करने या लुभाने वाली स्त्री।
जादूगरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जादूगर का काम या वृत्ति 2. किसी को बहलाने की रीति-नीति; मायाजाल; जादू का काम; दृष्टिबंध 3. {ला-अ.} लुभाने वाली बात या कार्य।
जादू-टोना [सं-पु.] 1. तंत्र-मंत्र या जादुई तरकीबों द्वारा किया जाने वाला कोई काम; जादू करने की कला 2. (अंधविश्वास) टोटका; झाड़-फूँक।
जादूमंतर (फ़ा.+सं.) [सं-पु.] जादू का काम या खेल; जंतर-मंतर।
ज़ादेराह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] रास्ते का खाना और ख़र्च; मार्ग व्यय; पाथेय।
जान1 [सं-स्त्री.] 1. जानकारी; ज्ञान; समझ 2. परिचय 3. अनुमान; ख़याल; राय।
जान2 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी प्राणी या वस्तु को गतिमान या संचालित करने वाला तत्व या शक्ति; प्राणशक्ति; शारीरिक क्षमता; जीवन; प्राण 2. जीवंतता; प्रेरणा; स्फूर्ति 3. शक्ति; बल; सामर्थ्य; दम; बूता 4. आधारभूत गुण 5. {ला-अ.} सौंदर्य; लालित्य; रस का गुण 6. किसी प्रिय के लिए किया जाने वाला संबोधन; 'जाँ' के रूप में समासांत में भी प्रयुक्त 7. प्रेयसी; प्रिय; प्रेमी; पत्नी 8. बहुत प्यारी चीज़ 9. किसी वस्तु या कृति आदि की शोभा बढ़ाने वाला तत्व; सार-तत्व, जैसे- अलंकारिकता और मुहावरेदार भाषा इस ग्रंथ की जान है। [मु.] -के लाले पड़ना : जान संकट में फँसना। -खाना : तंग करना या परेशान करना। -छुड़ाना : किसी झंझट से पीछा छुड़ाना। -देना : अत्यधिक प्यार करना। -में जान आना : मुसीबत से निकलने पर निश्चिंत होना। -पर खेलना : अपना जीवन संकट में डालना। -साँसत में रहना : किसी चिंता या परेशानी से दुखी रहना। -से जाना : मरना। -आना : मन खिल उठना।
जानकार [वि.] जानने वाला; ज्ञाता; विज्ञ; चतुर।
जानकार सूत्र [सं-पु.] 1. किसी घटना या बात के संबंध में सही सूचना देने वाला कोई व्यक्ति या संस्था 2. किसी घटना या आयोजन की जानकारी देने वाला अधिकारी या नागरिक।
जानकारी [सं-स्त्री.] 1. जानकार होने की अवस्था; गुण या भाव; भिज्ञता 2. ज्ञान; बोध; समझ 3. सूचना।
जानकी (सं.) [सं-स्त्री.] (रामायण) जनक की पुत्री; सीता।
जानदार (फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें जीवन हो; प्राणवान; सजीव 2. हिम्मतवाला; शक्तिशाली; प्रबल 3. बहुत अहम; महत्वपूर्ण।
जानना (सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी कार्य की विधि या पद्धति को समझना; किसी विषय का ज्ञान प्राप्त करना; जानकार होना; सीखना 2. पहचानना; परिचित होना 3. अनुमान करना; मालूम करना; सूचना या ख़बर रखना; अवगत होना।
जाननिसारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जान निसार करने या जान देने की भावना 2. {ला-अ.} वफ़ादारी; समर्पण।
जान-पहचान [सं-स्त्री.] दो या अधिक व्यक्तियों का आपसी परिचय या मेलमिलाप; परस्पर मैत्री; पहचानना; परिचय।
जान-बूझकर [अव्य.] 1. सब कुछ जानते हुए; अच्छी तरह समझते हुए; संज्ञान में रखकर; सोच-समझकर 2. निश्चयपूर्वक; संकल्पपूर्वक।
जान-माल (फ़ा.+अ.) [सं-पु.] 1. लोगों की ज़िंदगी और धन-संपत्ति आदि 2. जन-धन।
जानलेवा (फ़ा+हिं.) [वि.] 1. जो जान लेने पर आमादा हो; मार डालने वाला; जानीदुश्मन; घातक; मारक; कष्टदायक 2. जिसका इलाज न होता हो; लाइलाज, जैसे- जानलेवा रोग।
जानवर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मानव के अलावा समस्त जीव; पशु; चौपाया 2. जिसमें जान हो; जीव; प्राणी 3. {ला-अ.} असभ्य या निर्दयी व्यक्ति; उजड्ड या मूर्ख व्यक्ति 4. {ला-अ.} जानवरों जैसा व्यवहार करने वाला; हैवान; बर्बर व्यक्ति; जंगली।
जानशीन (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जो किसी की जगह पर बैठा हो; स्थानापन्न 2. उत्तराधिकारी; वारिस।
जाना (सं.) [क्रि-अ.] 1. एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए रवाना होना; गमन करना; हरकत करना 2. यात्रा करना; कहीं अग्रसर होना; किसी ओर बढ़ना 3. नष्ट होना; मरना; समाप्त होना 4. दूर होना; विदा होना 5. जगह छोड़कर परे होना 6. गुजर होना 7. मुद्दे पर आना; विश्वास करना 8. अधिकार या प्रभुत्व से निकल जाना 9. उन्मुख होना; आकर्षित होना; प्रवृत्त होना, जैसे- बगीचे की तरफ़ ध्यान जाना 10. प्रसारित या संचारित होना, जैसे- टीवी या मोबाइल गाँवों तक जा चुका है 11. बहना या रिसाव होना, जैसे- आँखों से पानी जाना 12. खोना; चोरी होना, जैसे- भीड़भाड़ में जेब से रुपए निकल जाना। [मु.] जा पहुँचना : संयोगवश कहीं उपस्थित होना।
जानाँ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. माशूक 2. प्रिय; प्रेमी 3. प्रेमपात्र। [सं-स्त्री.] प्रेमिका; प्रेयसी; महबूबा; माशूका।
जाना-पहचाना [वि.] 1. जिसके बारे में जानकारी हो; परिचित 2. प्रसिद्ध; लोकप्रिय।
जाना-माना [वि.] 1. प्रसिद्ध; ख्यात; मशहूर; जिसको आम जनता अच्छी तरह से जानती हो; प्रतिष्ठित 2. स्थापित; प्रमाणित।
जानिब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ओर; तरफ़; दिशा 2. पार्श्व; पहलू; पक्ष।
जानिबदार (अ.+फ़ा.) [वि.] तरफ़दारी करने वाला; पक्षपात करने वाला; पक्षपाती।
जानी (फ़ा.) [वि.] 1. जान या प्राणों से संबंध रखने वाला 2. {ला-अ.} जान या प्राणों के समान परम प्रिय; घनिष्ठ; गहरा 3. जान का, जैसे- जानीदोस्त, जानीदुश्मन। [सं-पु.] जान से प्यारा व्यक्ति; प्रियतम; प्रेमी। [सं-स्त्री.] प्रिया; प्रेयसी; महबूबा।
जानीदुश्मन (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जो जान लेने या मार डालने पर उतारू हो; प्राण घातक 2. मरने का-सा कष्ट देने वाला शत्रु।
जानीदोस्त (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जान की तरह प्यारा दोस्त; घनिष्ठ मित्र 2. परम प्रिय स्त्री या पुरुष।
जानी-बूझी [वि.] जानी-समझी; परिचित।
ज़ानू (फ़ा.) [सं-पु.] जाँघ।
जाने-अनजाने [क्रि.वि.] जान कर या बिना जाने हुए, जैसे- जाने-अनजाने में जो गलती हुई उसे माफ़ कीजिए।
जाने-जहाँ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सारी दुनिया का प्राण; विश्वजनीन 2. ईश्वर 3. प्रेयसी; नायिका।
जाने-जाँ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जीवन का सहारा; प्राणाधार 2. प्रेयसी।
जाने-जाना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जीवन का सहारा; जाने-जाँ 2. (संबोधन में प्रयुक्त) मेरे प्यार।
जानेमन (फ़ा.) [सं-पु.] प्रिय; जीवनसाथी; प्राण। [सं-स्त्री.] 1. प्रिया; माशूका; जीवनसंगिनी 2. प्रिय के लिए एक संबोधन।
जानो [क्रि.वि.] मानो; जैसे।
जाप (सं.) [सं-पु.] किसी शब्द या मंत्र का बार-बार किया जाने वाला उच्चारण; जप। [सं-स्त्री.] नाम, मंत्र आदि जपने की माला; जपमाला।
जापक (सं.) [वि.] जाप करने वाला; जपने वाला।
जापा (सं.) [सं-पु.] 1. स्त्री का संतान उत्पन्न करना; प्रसव 2. प्रसूति कराने का स्थान; सौरी।
जाप्य (सं.) [वि.] जप के योग्य; जो जपा जाने वाला हो।
ज़ाफ़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बेहोशी; मूर्छा; चक्कर 2. बुढ़ापा; वृद्धावस्था।
ज़ाफ़त (अ.) [सं-स्त्री.] 1. दावत; भोजन आदि से किया जाने वाला सत्कार; सगे-संबंधियों, मित्रों आदि को दिया जाने वाला प्रीतिभोज 2. आतिथ्य; ज़ियाफ़त।
जाफ़र (अ.) [सं-पु.] 1. नहर; नदी 2. सिंदूरी लाल रंग के फूलों वाला एक पौधा; केसर 3. (इस्लाम) चौदह इमामों में से एक।
ज़ाफ़रानी (अ.) [वि.] 1. ज़ाफ़रान या केसर मिला हुआ; केसरिया 2. केसर संबंधी; केसर का।
ज़ाफ़री (अ.) [सं-स्त्री.] 1. चीरे हुए बाँसों की बनाई हुई टट्टी या परदा 2. एक प्रकार का गेंदा फूल। [वि.] पीला।
ज़ाब (अ.) [सं-पु.] थूहड़ के समान एक वृक्ष। [वि.] प्यासा; पिघला हुआ।
ज़ाबह (अ.) [वि.] ज़िबह या वध करने वाला; वधिक।
जाबा [सं-पु.] पतली रस्सी की बनी हुई जाली जो बैलों आदि के मुँह पर पहनाई जाती है; मुसका; मुसीका।
जाबालि (सं.) [सं-पु.] (रामायण) 1. महाराज दशरथ के एक मंत्री का नाम जो उनके गुरु भी थे 2. एक उपस्मृतिकार मुनि।
ज़ाबित (अ.) [वि.] 1. ज़ब्त करने वाला; रखने वाला 2. नियामक; रक्षक; प्रबंधक; मुंतजिम।
ज़ाबिता (अ.) [सं-पु.] विधि; पद्धति; नियम; कायदा; दस्तूर; व्यवहार।
ज़ाबिता दीवानी [सं-पु.] दीवानी अदालत का आर्थिक व्यवहार या लेन-देन से संबंध रखने वाला कानून; दीवानी अदालतों की कार्यविधि।
ज़ाबिता फ़ौजदारी [सं-पु.] फ़ौजदारी अदालत का दंडनीय अपराधों से संबंध रखने वाला विधान; फ़ौजदारी अदालत की कार्यविधि।
जाबिर (अ.) [वि.] 1. जब्र करने वाला; अत्याचारी; अनीतिकर; अनुचित दबाव डालने वाला; ज़ालिम; ज़बरदस्ती करने वाला 2. प्रचंड; उग्र।
जाबी [सं-स्त्री.] बैलों के मुँह पर बाँधने की एक छोटी जाली जो पतली रस्सी से बनी होती है; छोटा जाबा।
ज़ाबेज़ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] जलती हुई लकड़ी से निकली हुई बूँद।
ज़ाब्ता (अ.) [सं-पु.] दे. ज़ाबिता।
जाम1 (इं.) [सं-पु.] भीड़भाड़, वाहनों आदि की अधिकता और अव्यवस्था के कारण होने वाला मार्ग-अवरोध; रुका हुआ या बाधित रास्ता, जैसे- वह जाम में फँसा है।
जाम2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शराब पीने का पात्र; प्याला; कटोरा 2. एक प्रकार का अच्छा स्वादिष्ट फल, अमरूद; जामफल। [मु.] -चलना : शराब पीना।
जामगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बंदूक का तोड़ा 2. तोप में आग देने का फलीता।
जामदग्न्य (सं.) [सं-पु.] 1. जमदग्न्य ऋषि 2. उक्त ऋषि के पुत्र परशुराम। [वि.] जमदग्नि ऋषि से संबंधित; जमदग्न्य का।
जामदानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पहनने के कपड़े रखने की पेटी या बॉक्स; संदूकची 2. ऐसी पेटी जिसमें बच्चों का सामान रखा जाता है 3. कपड़े पर की गई एक प्रकार की कढ़ाई।
जामन (अ.) [सं-पु.] 1. दही जमाने के लिए दूध में डाला जाने वाला थोड़ा दही या खट्टा पदार्थ; जावन 2. आलूबुखारे की जाति का एक वृक्ष।
जामा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कमीज़ या कुरते की तरह का शरीर के ऊपरी भाग पर पहनने का वस्त्र; पहनावा; पोशाक 2. दूल्हे को पहनाई जाने वाली घुटनों तक लंबी पोशाक जिसका घेरा चुन्नटदार होता है।
जामाता (सं.) [सं-पु.] पुत्री या भतीजी आदि का पति; दामाद।
जामा मस्ज़िद (अ.) [सं-स्त्री.] किसी नगर की सबसे बड़ी और प्रमुख मस्ज़िद।
जामिआ (अ.) [सं-स्त्री.] विश्वविद्यालय; (यूनिवर्सिटी)।
जामिईयत (अ.) [सं-स्त्री.] योग्यता; विद्वत्ता; काबिलियत।
जामिक [सं-पु.] पहरेदार; पहरुआ; चौकीदार।
ज़ामिन (अ.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो अभियुक्त की जमानत करे 2. ज़िम्मा लेने वाला व्यक्ति 3. वह पदार्थ जो किसी चीज़ को सहेजने के लिए साथ में रखा जाता है। [वि.] ज़मानत करने वाला; प्रतिभू।
जामुन (सं.) [सं-पु.] 1. जामुन का वृक्ष 2. उक्त वृक्ष पर लगने वाला एक प्रकार का खट्टा-मीठा तथा गुठलीदार फल; जंबूफल।
जामुनी [सं-पु.] जामुन के फल की तरह का नीलापन लिए काला रंग। [वि.] 1. जामुन का वृक्ष या फल से संबंध रखने वाला; जामुन के रंग का 2. कालापन लिए बैंगनी।
जामेवार [सं-पु.] 1. एक प्रकार का दुशाला जिसपर बेल-बूटे कढ़े रहते हैं 2. उक्त प्रकार की छपी हुई छींट।
जामे-शराब (फ़ा.) [सं-पु.] शराब पीने का प्याला; शराब से भरा हुआ प्याला।
ज़ायका (अ.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण खाए जाने वाले पदार्थ स्वादिष्ट या रुचिकर लगते हैं; ऐसा स्वाद जो विशेषतः खाने-पीने की चीज़ों का होता है 2. रसेंद्रिय की शक्ति।
ज़ायकेदार (अ.+फ़ा.) [वि.] जिसमें अच्छा स्वाद या ज़ायका हो; स्वादिष्ट; मज़ेदार।
जायचा (फ़ा.) [सं-पु.] जन्मपत्री; रमल में बनाई गई कुंडली।
जायज़ (अ.) [वि.] उचित; मुनासिब; विहित; जो नियम या विधान से सही हो; ठीक; वाज़िब; वैध; मानने लायक; मान्य; अधिकृत।
जायज़ा (अ.) [सं-पु.] 1. निरीक्षण; परख 2. हिसाब-किताब की पड़ताल; परीक्षा 3. निपटाए गए कामों का ब्योरा; कैफ़ियत 4. रोजाना लिखाई जाने वाली हाज़िरी; उपस्थिति 5. किसी चीज़ का अनुमान।
ज़ायद (अ.) [वि.] 1. जो ज़्यादा हो; फ़ाज़िल; अधिक; अतिरिक्त 3. निरर्थक; व्यर्थ का।
ज़ायद फ़सल (फ़ा.) [सं-स्त्री.] वर्ष की दो प्रमुख फ़सलों रबी और ख़रीफ़ के बीच उगाई जाने वाली अतिरिक्त फ़सल, जैसे- तरबूज़, खरबूज़ा आदि।
जायदाद (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. संपत्ति; मिल्कियत; (प्रॉपर्टी) 2. चल और अचल संपत्ति; माल-असबाब 3. जगह; ज़मीन।
जायपत्री [सं-स्त्री.] जायफल (जातीफल) के ऊपर का सुगंधित छिलका जो मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है; जावित्री।
जायफल (सं.) [सं-पु.] ऐसा फल जो औषधि और मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है; जावित्री।
ज़ायल (फ़ा.) [वि.] जो नष्ट हो चुका हो; विनष्ट; बरबाद।
जायस [सं-पु.] उत्तर प्रदेश राज्य के रायबरेली जिले के प्रसिद्ध कवि जायसी का गाँव।
जायसी [वि.] 1. जायस से संबंधित; जायस का 2. भक्तिकालीन निर्गुण धारा की प्रेममार्गी शाखा के प्रमुख कवि जिन्हें लोग जायसी के नाम से जानते हैं।
जाया (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पत्नी; शादीशुदा स्त्री; जोरू 2. वह स्त्री जिसने बच्चे को जन्म दिया हो। [सं-पु.] 1. पुत्र; बेटा 2. जो प्रसव द्वारा उत्पन्न किया गया हो।
ज़ाया (अ.) [क्रि.वि.] 1. बेकार; व्यर्थ; वृथा; बरबाद; नष्ट 2. जो उपयोग या उपभोग में ठीक प्रकार से न लाया गया हो।
जायु (सं.) [सं-पु.] औषधि; दवा। [वि.] जीतने वाला; विजेता।
जाये (फ़ा.) [क्रि.वि.] व्यर्थ; बेकार; बरबाद। [वि.] ठीक; उचित; वाज़िब। [सं-स्त्री.] स्थान; जगह।
जार (सं.) [सं-पु.] 1. परस्त्री से प्रेम करने वाला व्यक्ति 2. किसी अन्य स्त्री के साथ अनुचित संबंध रखने वाला व्यक्ति; आशना।
ज़ार (फ़ा.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ कोई चीज़ बहुतायत में हो, जैसे- गुलज़ार; सब्ज़ज़ार।
जारक (सं.) [वि.] 1. जलाने वाला 2. क्षीण या नष्ट करने वाला 3. क्षय करने वाला 4. पाचक शक्ति बढ़ाने वाला।
जारकर्म (सं.) [सं-पु.] किसी स्त्री या पुरुष द्वारा किया जाने वाला व्यभिचार; अवैध रूप से बनाया जाने वाला यौनसंबंध।
जारज (सं.) [सं-पु.] वह संतान जो विवाहेतर संबंधों से उत्पन्न हुई हो; जार से उत्पन्न संतान।
ज़ार-ज़ार (फ़ा.) [अव्य.] अत्यधिक; बहुत ज़्यादा, जैसे- ज़ार-ज़ार रोना।
जारजेट (इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बढ़िया महीन कपड़ा।
जारणी (सं.) [सं-स्त्री.] सफ़ेद जीरा।
जारशाही (रू.+फ़ा) [सं-स्त्री.] 1. रूस में जार की उपाधि धारक राजाओं का शासन 2. {ला-अ.} क्रूर तथा निर्दय शासन।
जारिणी (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जो किसी अन्य पुरुष से प्रेम करती हो।
जारी1 (अ.) [वि.] 1. जो चलन में हो; चलता हुआ; संचालित; प्रचलित; निरंतर होता हुआ 2. बहता हुआ; जिसका प्रवाह बराबर हो रहा हो 3. लागू; चालू (नियम, कानून आदि) 4. क्रियाशील; जो प्रयोग में हो; बना हुआ। [मु.] -करना : निकालना या प्रकाशित करना (आदेश आदि)।
ज़ारी2 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] रोना-धोना; विलाप; रुदन। [सं-पु.] मुहर्रम में ताज़ियों के सामने गाया जाने वाला गीत।
जारोब (फ़ा.) [सं-स्त्री.] झाड़ू; बुहारी।
जारोबकश (फ़ा.) [सं-पु.] झाड़ू लगाने या सफ़ाई करने वाला व्यक्ति।
जाल1 (सं.) [सं-पु.] 1. आपस में गुँथे तथा फैले हुए सूत या धागों का समूह 2. सूत, पटसन या प्लास्टिक की जालीदार वस्तु जिसका प्रयोग मछली आदि पकड़ने में होता है 3. जालीदार खिड़की; जाली; झरोखा 4. फैलाव; किसी बनावट या संरचना का देश या राज्यव्यापी विस्तार, जैसे- सड़कों, रेल की पटरियों अथवा नहरों का जाल 5. झूठी कार्रवाई 6. गलतफ़हमी; भ्रांति 7. किसी संस्था या संगठन की शाखाओं का व्यापक विस्तार; समूह 8. मकड़ी का जाला 9. आँखों का एक रोग।
जाल2 (अ.) [सं-पु.] 1. षड्यंत्र; धोखा; फ़रेब; छल 2. किसी को ठगने या फँसाने की तरकीब। [मु.] -बिछाना : किसी को फँसाने की कोशिश करना। -में फँसना : धोखे में आना।
जालंधर (सं.) [सं-पु.] 1. एक ऋषि; एक दैत्य का नाम 3. एक योग मुद्रा।
जालसाज़ (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. वह जो दूसरे को धोखा देने के उद्देश्य से असली चीज़ की जगह वैसी ही नकली चीज़ तैयार कर देता है; धोखेबाज़; कूटकार 2. जाली या नकली दस्तावेज़ बनाने वाला; फ़रेबी।
जालसाज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] नकली दस्तावेज़ या हस्ताक्षर आदि के माध्यम से किसी को ठगने का कार्य; धोखाधड़ी।
जाला (सं.) [सं-पु.] 1. मकड़ी द्वारा बनाया गया पतले तंतुओं का जाल जिसमें वह कीड़े-मकोड़ों को फँसाती है 2. घास-भूसा आदि बाँधने की जाली 3. आँख की पुतली के सामने झिल्ली पड़ जाने का रोग।
जालाक्ष (सं.) [सं-पु.] झरोखा; गवाक्ष।
जालिक (सं.) [सं-पु.] 1. पक्षियों को जाल में फँसाने वाला व्यक्ति; बहेलिया 2. मदारी 3. मछुआरा 4. मकड़ा 5. बाज़ीगर; इंद्रजालिक।
जालिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जाली का बना हुआ कवच 2. चेहरे पर डालने वाली जाली 3. पाश; फंदा।
ज़ालिम (अ.) [वि.] ज़ुल्म करने वाला; निर्दयी; आततायी; अत्याचारी; क्रूर; दुष्ट।
जालिया [सं-पु.] वह व्यक्ति जो जाल में जीव-जंतुओं को फँसाकर अपनी जीविका चलाता हो; शिकारी; जालसाज़; ठग।
जाली [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ में बने हुए छेद या कटाव, जैसे- दीवार आदि में बनी जाली 2. बहुत से छोटे-छोटे छेदों वाला कपड़ा 3. कच्चे आम की गुठली का रेशा। [वि.] 1. नकली; बनावटी; झूठा; जो धोखा देने के लिए रचा गया हो 2. जिसमें जाल हो।
जालीदार [वि.] 1. जिसमें जाली बनी हुई हों 2. जिसमें जाली कटी हुई हो 3. जिसमें छोटे-छोटे छेद बने हों।
जाल्य (सं.) [वि.] जो जाल में फँसाए जाने योग्य हो।
जावक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विभाग या कार्यालय से किसी अन्य कार्यालय आदि में भेजे जाने वाले पत्र 2. मेंहदी; आलता; महावर; अलक्तक।
जावन [सं-पु.] 1. खट्टा दही जो दूध को जमाने के लिए डाला जाता है 2. जन्म लेने की क्रिया या भाव 3. आलूबुखारे की जाति का एक वृक्ष।
जावर [सं-पु.] 1. गन्ने के रस में चावल को पकाकर तैयार की जाने वाली खीर 2. चावल के साथ पकाए हुए कद्दू के टुकड़े।
जावा [सं-पु.] पूर्वी एशिया का एक बड़ा द्वीप।
जावित्री [सं-स्त्री.] जायफल का सुगंधित छिलका जो दवा या मसाले आदि बनाने के काम आता है।
जावेद (फ़ा.) [वि.] शाश्वत; नित्य।
जासूस (अ.) [सं-पु.] 1. भेदिया; गुप्तचर 2. वह व्यक्ति जो प्रायः प्रतिपक्षियों आदि की बात छिपकर सुनता है या गतिविधियों का पता लगाता है 3. अपराध आदि का पता लगाने वाला व्यक्ति।
जासूसी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. गुप्त रूप से किसी वस्तु या बात आदि का पता लगाना 2. जासूस का काम; मुख़बिरी। [वि.] जासूस संबंधी; जिसमें जासूसों का किस्सा हो, जैसे- जासूसी उपन्यास।
जाह (फ़ा.) [सं-पु.] 1. प्रतिष्ठा; पद; प्रभाव 2. इज़्ज़त 3. सत्कार 4. कद्र 5. मर्यादा।
जाहक (सं.) [सं-पु.] 1. जोंक 2. घोंघा 3. गिरगिट 4. बिछौना; बिस्तर।
ज़ाहिद (अ.) [सं-पु.] 1. सांसारिक प्रपंचों से दूर नियम से जप-तप करने वाला व्यक्ति 2. जितेंद्रिय 3. विरक्त 4. संयमी।
ज़ाहिर (अ.) [वि.] 1. ज्ञात; विदित 2. प्रकट 3. जो स्पष्ट रूप से सामने हो; प्रत्यक्ष 4. उज्ज्वल; प्रकाशमान 5. बुलंद; ऊँचा 6. प्रसिद्ध; मशहूर।
ज़ाहिरदार (अ.+फ़ा.) [वि.] अवसरवादी; दिखावटी।
ज़ाहिरन (अ.) [वि.] 1. देखने में 2. प्रकट रूप में; प्रकटतः 3. ज़ाहिर में।
ज़ाहिरा (अ.) [क्रि.वि.] प्रत्यक्ष में; प्रकटतः; बाहर से देखने में।
ज़ाहिरी (अ.) [वि.] 1. जो प्रत्यक्ष हो 2. ऊपर या बाह्य रूप में दिखाई देने वाला 3. दिखावटी; बनावटी।
जाहिल (अ.) [वि.] 1. मूर्ख; अज्ञानी; बेइल्म; नासमझ 2. अपढ़; निरक्षर; अशिक्षित 3. उद्दंड; अक्खड़ 4. गँवार; असभ्य 5. अशिष्ट; बदमिज़ाज।
जाहिली (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अज्ञानता; मूर्खता 2. निरक्षरता 3. उद्दंडता; अक्खड़ता 4. गँवारपन; असभ्यता 5. अशिष्टता; बदमिज़ाजी।
जाहिलीयत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मूर्खता; मूढ़ता; अज्ञान 2. जाहिल होना 3. अरब में इस्लाम की स्थापना के पहले का काल।
जाह्नवी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जह्नु ऋषि से उत्पन्न 2. गंगा नदी।
जिंक (इं.) [सं-स्त्री.] एक धात्विक तत्व जो नीलापन लिए हुए सफ़ेद होता है; जस्ता; श्वेतपटल; (लोहे और इस्पात को ज़ंग से बचाने वाली धातु)।
ज़िंदगानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जीवन; प्राण 2. जीवनकाल; आयु 3. जीवित होना 4. सजीवता 5. जीवित रहने की अवस्था।
ज़िंदगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जीवन; जीवन-काल 2. सजीवता; जीवंतता 3. आयु; उम्र। [मु.] -के दिन पूरे करना : जैसे-तैसे कष्ट से जीवन बिताना।
ज़िंदा (फ़ा.) [वि.] 1. जीवित; सजीव; जीता हुआ 2. जिसमें जीवनशक्ति हो 3. सक्रिय; क्रियाशील 4. हरा-भरा; प्रफुल्लित 5. {ला-अ.} जो अभी काम में न लिया गया हो, जैसे- ज़िंदा बम या कारतूस।
ज़िंदादिल (फ़ा.) [वि.] 1. ख़ुशमिज़ाज; प्रसन्नचित 2. हँसमुख; हँसने-हँसाने वाला 3. उत्साही 4. शौकीन; रसिक 5. सहृदय।
ज़िंदादिली (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ज़िंदादिल होना; ख़ुशमिज़ाजी; सहृदयता 2. उत्साह; प्रसन्नता 3. रसिकता 4. हँसोढ़पन 5. विनोदप्रियता।
जिंस (अ.) [सं-स्त्री.] 1. वर्ग; किस्म; लिंग; जाति 2. वस्तु; पदार्थ; चीज़ 3. गल्ला; अन्न।
जिंसवार (फ़ा.) [सं-पु.] पटवारी का वह कागज़ जिसमें खेतों में बोई हुई फ़सलों का विवरण लिखा जाता है।
जिंसी (फ़ा.) [वि.] 1. जिंस संबंधी; जिंस का 2. जिंस या अनाज के रूप में होने वाला।
जिंसी लगान [सं-पु.] खेत का वह लगान जो रुपए-पैसे के रूप में नहीं बल्कि गेहूँ, चावल आदि पैदावारों के रूप में हो।
जिउतिया [सं-स्त्री.] 1. आश्विन-कृष्णा अष्टमी को होने वाला एक व्रत 2. जीवित्पुत्रिका व्रत।
ज़िक्र (अ.) [सं-पु.] 1. चर्चा; वर्णन; उल्लेख 2. ईश्वर का नाम लेते हुए स्मरण 3. किसी घटना या विषय का विवेचनात्मक वर्णन 4. भाषण, लेख आदि में होने वाला किसी असंबद्ध या गौण घटना या विषय का उल्लेख; संक्षिप्त कथन।
जिगर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. यकृत; कलेजा; (लीवर) 2. साहस; हिम्मत; जीवट 3. किसी चीज़ का सार 4. गूदा 5. बहुत प्रिय; लाडला। [मु.] -का टुकड़ा : अत्यंत प्रिय (संतान के लिए प्रयुक्त)।
जिगरबंद (फ़ा.) [सं-पु.] {ला-अ.} बेटा।
जिगरसोज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गम उठाना; हृदय जलाना 2. सहानुभूति प्रकट करना।
जिगरा [सं-पु.] 1. साहस 2. वह मनोभाव जिसके कारण मनुष्य बिना डरे बहुत बड़ा, विकट काम करने के लिए उद्यत होता है 3. कठिन काम करने का हौसला; जीवट।
जिगरी (फ़ा.) [वि.] 1. गहरा; बेहद करीबी; अंतरंग (मित्र) 2. जिगर संबंधी; जिगर का 3. हार्दिक; दिली 4. अभिन्न; घनिष्ठ।
जिगीषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रयत्न; उद्योग 2. लड़ने-भिड़ने या युद्ध करने की इच्छा 3. जीतने की इच्छा 4. जय की अभिलाषा 5. उद्यम; प्रकर्ष 6. किसी को अपने अधीन और वशीभूत करने की चाहत।
जिगीषु (सं.) [वि.] 1. जय की इच्छा रखने वाला 2. विजय का इच्छुक 3. युद्ध की चाहत रखने वाला; युयुत्सु।
जिघत्नु (सं.) [वि.] वध का इच्छुक; शत्रु।
जिघत्सा (सं.) [सं-स्त्री.] भूख; भोजन की इच्छा।
जिघत्सु (सं.) [वि.] भोजन की इच्छा करने वाला; भूखा।
जिघांसक (सं.) [वि.] 1. क्रूरतापूर्वक मारने वाला 2. अमानवीय कार्य करने वाला।
जिघांसा (सं.) [सं-स्त्री.] मार डालने की इच्छा; प्रतिहिंसा।
जिच [सं-स्त्री.] 1. मज़बूरी; बेबसी 2. शतरंज के खेल की वह अवस्था जिसमें किसी एक पक्ष को कोई मोहरा चलने की जगह न मिले।
जिजीविषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जीने की इच्छा या उत्कट कामना; जीवटता 2. जीवन की चाह।
जिजीविषु (सं.) [वि.] जो अधिक समय तक जीना चाहता हो।
जिज्ञासा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उत्सुकता; जानने की इच्छा 2. ज्ञान की चाह 2. कौतूहल 3. खोज; पूछताछ।
जिज्ञासु (सं.) [वि.] 1. जो जानना चाहता हो; जिज्ञासा रखने वाला; मुमुक्षु; ज्ञानार्थी 2. खोजी; अनुसंधान करने वाला; अनुसंधाता 3. उत्सुक।
जिठानी [सं-स्त्री.] पति के बड़े भाई की पत्नी; जेठानी।
जित (सं.) [वि.] 1. जिसने किसी को जीत लिया हो 2. जेता; जीतने वाला।
जितना [वि.] 1. जिस कदर; जिस तरह 2. जिस मात्रा या परिणाम का।
जितवाना [क्रि-स.] 1. जीत में समर्थ होना 2. दूसरे को जितवाना 3. जीतने का कारण होना।
जितवैया [वि.] जीतने वाला; विजय प्राप्त करने वाला।
जिताऊ [वि.] जिताने वाला।
जितात्मा (सं.) [वि.] 1. जिसने अपने ऊपर विजय प्राप्त कर ली हो 2. जिसने इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली हो; जितेंद्रिय।
जिताना [क्रि-स.] जितवाना।
जितुम (सं.) [सं-पु.] मिथुन राशि।
जितेंद्रिय (सं.) [वि.] जिसने अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली हो।
जितैया [वि.] जीतने या विजय प्राप्त करने वाला।
जित्य (सं.) [सं-पु.] 1. बड़ा हल 2. पाटा; हेंगा। [वि.] जेय; जीतने योग्य।
जित्वर (सं.) [वि.] जयशील; जीतने वाला।
ज़िद (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बात पर अड़े रहने का भाव; हठ 2. किसी अनुचित बात के लिए किया जाने वाला दुराग्रह; अड़ 3. दृढ़ता; अवस्थिति 4. प्रयास। [सं-पु.] विपरीत गुणों वाली वस्तु। [वि.] उलटा।
जिद्दत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. आविष्कार; खोज 2. नयापन; नवीनता 3. अनोखापन; अद्भुतता।
ज़िद्दन (अ.) [वि.] 1. हठ से; हठ के कारण 2. ज़िद की वजह से।
ज़िद्दी (अ.) [वि.] 1. ज़िद करने वाला; हठी; आग्रही 2. जिसने ठान लिया हो 3. स्वेच्छाचारी; दुराग्रही; अड़ियल 3. दृढ़।
ज़िद्दीपन (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ज़िद्दी होने की अवस्था या भाव 2. हठीपन।
जिधर [अव्य.] जहाँ; जिस ओर; जिस तरफ़।
जिन1 (सं.) [सं-पु.] 1. जैनों के तीर्थंकर 2. बहुत बुज़ुर्ग आदमी। [वि.] 1. जय करने वाला 2. राग-द्वेष को जीतने वाला 3. वृद्ध। [सर्व.] 'जिस' शब्द का बहुवचन रूप (जिनको; जिनसे), जैसे- जिन छात्रों को; जिन लोगों को।
जिन2 (फ़ा.) [सं-पु.] भूत या प्रेतात्मा; दैत्य।
जिन3 (इं.) [सं-पु.] एक प्रकार की विलायती शराब।
ज़िना (अ.) [सं-पु.] 1. व्यभिचार 2. परपुरुष या परस्त्री से होने वाला अनैतिक संबंध।
ज़िनाकार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] ज़िना या व्यभिचार करने वाला व्यक्ति।
जिनेंद्र (सं.) [सं-पु.] एक जैन तीर्थंकर।
जिन्न (अ.) [सं-पु.] भूत-प्रेत जैसा एक प्राणी जिसकी उत्पत्ति अग्नि से मानी जाती है; दैत्य।
जिन्नात (अ.) [सं-पु.] 1. भूत-प्रेत और जिन्न आदि; दैत्य; असुर 2. 'जिन्न' का बहुवचन 2. जिन्नों की दुनिया।
जिन्नाती (अ.) [वि.] जिन्न या जिन्नात का; जिन्न संबंधी।
जिन्नी (अ.) [वि.] जिन्न या भूत-प्रेत संबंधी। [सं-पु.] जिन्न को वश में करने वाला; जिन्न का साधक।
जिन्हें (सं.) [अव्य.] जिसे; जिसको।
जिन्होंने (सं.) [सर्व.] जिन लोगों ने।
जिप (इं.) [सं-स्त्री.] कपड़े आदि के दो भागों को आपस में मिलाने और अलग करने वाला एक छोटा उपकरण; (चेन)।
जिप्सी (इं.) [सं-पु.] 1. भारतीय मूल की एक भ्रमणशील जाति जो पहले मिस्र देश में पाई जाती थी और अब संसार के अनेक हिस्सों में पाई जाती है 2. उक्त जाति का व्यक्ति।
ज़िबह (अ.) [सं-पु.] 1. पशु-पक्षियों को हलाल करना 2. गला काटना।
जिबाल (अ.) [सं-पु.] 1. पर्वतमाला 2. बहुत से पहाड़।
जिब्रील (अ.) [सं-पु.] 1. ईश्वर का दूत 2. एक फ़रिश्ता, जो पैगंबरों के पास ईश्वर का आदेश पहुँचाया करता था।
जिभला [वि.] चटोरा; जिह्वालोलुप।
जिम (इं.) [सं-पु.] व्यायामशाला; जिमख़ाना।
जिमख़ाना (इं.+फ़ा.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ खिलाड़ी इकट्ठा होकर व्यायाम करते हैं एवं खेलों का अभ्यास करते हैं; व्यायामशाला।
जिमनास्टिक (इं.) [सं-पु.] 1. खेलों का वह वर्ग जिसमें शारीरिक लोच, फुरती और संतुलन का प्रदर्शन किया जाता है 2. व्यायाम; कसरत का एक प्रकार।
ज़िम्मा (अ.) [सं-पु.] 1. उत्तरदायित्व; कार्यभार; ज़िम्मेदारी 2. किसी के संरक्षण का भार; देखरेख; संरक्षा; प्रतिज्ञा 3. सुपुर्दगी 4. किसी परिणाम के प्रति जवाबदेही का भाव 5. ज़मानत।
ज़िम्मेदार (अ.) [सं-पु.] ऐसा व्यक्ति जिसके ऊपर किसी कार्य या वस्तु की जवाबदेही हो। [वि.] 1. जो उत्तरदायी हो; अपने दायित्व को भली-भाँति निभाने वाला 2. जवाबदेह।
ज़िम्मेदारी (अ.) [सं-स्त्री.] उत्तरदायित्व; जवाबदेही।
ज़िम्मेवार (अ.) [वि.] दे. ज़िम्मेदार।
ज़िम्मेवारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ज़िम्मेदार होने की अवस्था या भाव।
जिय (सं.) [सं-पु.] चित्त; मन; जी; जीव।
जियरा [सं-पु.] हृदय; जीव; मन; जी।
ज़िया (अ.) [सं-स्त्री.] 1. चमक; प्रकाश; आभा; ज्योति 2. रत्न की कांति 3. सूर्य का प्रकाश।
ज़ियादत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बहुतायत; अधिकता 2. ज़ुल्म; ज़बरदस्ती 3. अत्याचार; अनीति 4. हठधर्मिता।
ज़ियादती (अ.) [सं-स्त्री.] दे. ज़ियादत।
ज़ियाफ़त (अ.) [सं-स्त्री.] 1. भोजन से सत्कार 2. आतिथ्य 3. अतिथि की पूजा; मेहमानदारी 4. दावत।
ज़ियारत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी मज़ार (कब्र) आदि के दर्शनार्थ किया जाने वाला सफ़र या यात्रा 2. तीर्थयात्रा 3. धार्मिक रूप से पवित्र माने जाने वाले किसी स्थान की यात्रा 4. किसी बुज़ुर्ग का रोज़ा आदि।
जियॉमेट्री (इं.) [सं-स्त्री.] 1. ज्यामिति; रेखागणित 2. क्षेत्रगणित; भूगणित; भूमिति।
जिरगा (तु.) [सं-पु.] 1. झुंड; समूह; मंडली; जमात 2. सरहदी पठानों की सभा या पंचायत 3. उक्त प्रकार के लोगों की सामूहिक सभा या सम्मेलन।
जिरण (सं.) [सं-पु.] जीरा।
जिरह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बहस; दलील 2. तकरार; हुज्जत; व्यर्थ का तर्क 3. किसी बात या तथ्य की सत्यता के लिए की जाने वाली पूछताछ; न्यायालय में प्रतिपक्षी और वकील के बीच होने वाले सवाल-जवाब।
ज़िरह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] लोहे की कड़ियों से बना कवच जो युद्ध के समय पहना जाता है; वर्म; बख़्तर।
ज़िरहपोश (फ़ा.) [वि.] जो कवच पहने हो; कवचधारी।
ज़िरही (फ़ा.) [सं-पु.] कवचधारी सैनिक। [वि.] कवचधारी।
ज़िराअत (अ.) [सं-स्त्री.] खेती; कृषि; किसानी।
ज़िराफ़ (इं.) [सं-पु.] अफ़्रीका के जंगलों में पाया जाने वाला एक जानवर जिसकी गरदन और टाँगें लंबी होती हैं।
ज़िराफ़तन (अ.) [सं-पु.] हँसी में; मज़ाक में; दिल्लगी से।
ज़िराफ़ा (अ.) [सं-पु.] दे. ज़िराफ़।
जिर्म (अ.) [सं-पु.] देह; पिंड; आकाशीय अथवा जड़ पदार्थों के लिए प्रयुक्त शब्द।
जिला (अ.) [सं-स्त्री.] 1. रगड़कर या माँजकर चमकाना 2. पॉलिश या रोगन आदि से चमकाने की क्रिया 3. चमक-दमक।
ज़िला (अ.) [सं-पु.] 1. राज्य या प्रांत की एक प्रशासनिक इकाई जिसका प्रशासन ज़िलाधिकारी (क्लेक्टर) या उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर) की देखरेख में होता है; एक ज़िले में कई तहसीलें होती हैं 2. जनपद; (डिस्ट्रिक्ट) 3. प्रदेश; प्रांत 4. किसी प्रदेश का छोटा विभाग।
ज़िला जज (अ.+इं.) [सं-पु.] न्याय विभाग का वह अधिकारी जिसे ज़िले भर की दीवानी और फ़ौजदारी मुकदमों की अपील सुनने का अधिकार होता है; (डिस्ट्रिक्ट जज़)।
जिलाट (सं.) [सं-पु.] प्राचीनकाल का एक बाजा।
ज़िलादार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] दे. ज़िलेदार।
ज़िलाधिकारी (अ.+सं.) [सं-पु.] वह जिसके ऊपर ज़िले का भार हो; ज़िले का अधिकारी; (कलेक्टर); डी.एम. (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट)।
ज़िलाधीश (अ.+सं.) [सं-पु.] दे. ज़िलाधिकारी।
जिलाना [क्रि-स.] 1. जीवन देना; जीवित रहने में सहायता करना 2. पालना; पोसना 3. किसी को मरने से बचाना; मृतप्राय प्राणी को जीवित करना 4. वह प्रयास या उपाय जिससे किसी को जीवित रखा जा सके।
ज़िला बोर्ड (अ.+इं.) [सं-पु.] किसी ज़िले के चुने हुए प्रतिनिधियों का वह बोर्ड या संस्था जिसके जिम्मे पूरे ज़िले के देहातों की शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात आदि की व्यवस्था रहती है; (डिस्ट्रिक्ट बोर्ड)।
ज़िलेदार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी ज़िले का अधिकारी या कर्मचारी 2. मध्यकाल में राजा या बड़े ज़मींदार का वह अधिकारी या कर्मचारी जो किसी ज़िले या इलाके से कर या लगान वसूल करता था; ज़मींदार का कारिंदा 3. नहर विभाग का कर्मचारी।
ज़िलेवार [वि.] ज़िलों के अनुसार होने वाला।
जिल्द (अ.) [सं-स्त्री.] 1. पुस्तक या दस्तावेज़ों के ऊपर लगाया जाने वाला मोटे कागज़, प्लास्टिक या चमड़े का आवरण; जिल्द की गई पुस्तक की दफ़ती 2. किसी पुस्तक का कोई पृथक भाग; खंड; (वॉल्यूम) 3. पुस्तक की प्रति, जैसे- यह पुस्तक चार जिल्दों में है 4. खाल; चमड़ा 5. ऊपर की त्वचा।
जिल्दबंद (अ.) [सं-पु.] जिल्द बाँधने वाला।
जिल्दसाज़ (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. पुस्तक की जिल्द बाँधने वाला 2. कारीगर।
जिल्दसाज़ी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] पुस्तक की जिल्द बनाने का काम।
जिल्दी (अ.) [वि.] त्वचा या खाल का (रोग)।
ज़िल्लत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्गति 2. अपमानित, तिरस्कृत और तुच्छ या दुर्दशाग्रस्त होने का भाव 3. हीनता; बेइज़्ज़ती 4. पतन; चूक; त्रुटि।
जिष्णु (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. विष्णु 3. इंद्र 4. अर्जुन। [वि.] विजय पाने वाला; विजयी।
जिस (सं.) [वि.] हिंदी विशेषण 'जो' का वह रूप जो उसे विभक्ति से युक्त विशेष्य के पहले लगने पर प्राप्त होता है।
जिसिम (अ.) [सं-पु.] जिसमें लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई या मोटाई हो।
जिसे [सर्व.] 1. जिसको 2. संबोधन के लिए प्रयुक्त शब्द।
जिस्म (अ.) [सं-पु.] देह; शरीर; काया; बदन।
जिस्मानी (अ.) [वि.] 1. शारीरिक; जिस्म की; जिस्म से संबंधित 2. शरीर में होने वाली; दैहिक (पीड़ा, भूख आदि)।
जिस्मी [वि.] जिस्मानी; शारीरिक।
ज़िह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] धनुष का किनारा; कोना; चिल्ला।
ज़िहनीयत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. आदत 2. धारणा; गुमान 3. स्वभाव; प्रकृति।
ज़िहमत (अ.) [सं-स्त्री.] असहनीय दुर्गंध।
जिहाद (अ.) [सं-पु.] 1. नैतिक मूल्यों के संरक्षण के लिए की जाने वाली ज़द्दोज़हद या संघर्ष 2. किसी जायज़ माँग के लिए भरपूर कोशिश करने वाला या आंदोलन करने वाला व्यक्ति 3. धर्मयुद्ध।
जिहादी (अ.) [वि.] 1. जिहाद करने वाला 2. जिहाद संबंधी।
जिहालत (अ.) [सं-स्त्री.] अज्ञानता; मूर्खता।
जिहासा (सं.) [सं-स्त्री.] त्याग की इच्छा।
जिहासु (सं.) [वि.] त्याग की इच्छा रखने वाला व्यक्ति।
जिहेज़ (फ़ा.) [सं-पु.] दहेज़।
जिह्य (सं.) [सं-पु.] 1. तगर का फूल 2. अधर्म। [वि.] 1. दुष्ट; पाजी 2. टेढ़ा; वक्र 3. निर्दय; क्रूर 4. मंद; धीमा 5. दुखी; खिन्न।
जिह्याक्ष [वि.] 1. भेंगा; ऐंचा 2. टेढ़ी या तिरछी आँख वाला व्यक्ति।
जिह्यित (सं.) [वि.] 1. टेढ़ा 2. चकित; विस्मित 3. घूमा हुआ।
जिह्वल (सं.) [वि.] जिभला; चटोरा।
जिह्वा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जीभ; ज़बान 2. रसना 3. आग की लपट।
जिह्वामूलीय (सं.) [वि.] 1. (वर्ण) जिसका उच्चारण जिह्वा के मूल से किया जाता है 2. जो जिह्वा के मूल से संबंध रखता हो।
जी (सं.) [सं-पु.] 1. चित्त; मन; दिल; हृदय 2. साहस; बहादुरी; जीवट 3. जीव; जान; अंतर्मन 4. तबियत; मनोदशा 5. विचार 6. संकल्प। [अव्य.] 1. किसी के नाम, पदवी, अल्ल या धार्मिक स्थानों के साथ जोड़ा जाने वाला आदरसूचक शब्द 2. किसी वरिष्ठ या सम्मानित व्यक्ति के कथन या प्रश्न के उत्तर में संक्षिप्त प्रतिसंबोधन 3. किसी के बुलाने या पूछने पर उत्तर में कहा जाने वाला स्वीकृतिपरक शब्द 4. जीवन और प्राण से संबंधित शब्द। [मु.] -दहलना : मन में कुछ भय का संचार होना। -अच्छा होना : शरीर स्वस्थ होना। -खट्टा होना : विरक्त होना। -चलना : इच्छा होना। -चुराना : कुछ करने से भागना। -पर आ बनना : प्राणों पर संकट आना। -पर खेलना : ख़तरनाक काम करना। -बहलना : चिंता से मुक्त होकर प्रसन्न होना। -मिचलाना : उलटी महसूस करना। -में आना : मन में विचार पैदा होना। -रखना : किसी को प्रसन्न करने के लिए उसके मन के अनुकूल काम करना।
ज़ीक (अ.) [वि.] 1. कठिनता; अड़चन 2. तंगी; संकीर्णता 3. मानसिक कष्ट।
जीजा [सं-पु.] बड़ी बहन का पति; बहनोई।
जीजी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दीदी 2. जेठानी 3. बड़ी बहन।
जीत (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतियोगिता आदि जीतने का भाव या अवस्था 2. विजय; जय; फ़तह 3. युद्ध; मुकदमा या किसी बाज़ी में जीत हासिल करने की क्रिया या भाव 4. किसी प्रतियोगिता में मिलने वाली सफलता 5. फ़ायदा; लाभ।
जीतना [क्रि-स.] 1. विजयी होना; शत्रु या विपक्षी को हराना 2. लाभ प्राप्त करना; हासिल करना 3. दमन करना; अधिकार करना 4. वश में करना (मन या इंद्रियों आदि को)।
जीता [वि.] 1. जिसमें जीवन या जान हो; जीवित; ज़िंदा 2. नाप, तौल आदि के प्रसंग में जो आवश्यकता से थोड़ा अधिक हो।
जीता-जागता [वि.] 1. जीवंत; जीवित 2. सजीव; सचेत; जीवन-शक्ति से युक्त 3. भला-चंगा 4. तेजवान; सशक्त।
जी-तोड़ [क्रि.वि.] 1. कठिन मेहनत करना 2. श्रम करना।
जीन (इं.) [सं-पु.] (जीवविज्ञान) कोशिका केंद्रक में गुणसूत्र पर स्थित तथा डी.एन.ए. निर्मित वह अति सूक्ष्म रचनाएँ जो अनुवांशिक लक्षणों का धारण एवं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में उनका स्थानांतरण करती हैं।
ज़ीन (फ़ा.) [सं-पु.] 1. घोड़े की पीठ पर रखी जाने वाली गद्दी; चारजामा; काठी 2. एक प्रकार का मोटा और बढ़िया सूती कपड़ा।
ज़ीनत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शृंगार; सजावट 2. शोभा।
ज़ीनपोश (फ़ा.) [सं-पु.] घोड़े के ज़ीन के नीचे बिछाया जाने वाला कपड़ा।
ज़ीनसाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] घोड़े की ज़ीन आदि बनाने वाला।
जीना [क्रि-अ.] 1. जीवित रहना; जिंदा होना 2. शरीर में प्राण होना 3. किसी मनचाही वस्तु के प्राप्त होने पर हर्षित होना; ख़ुश होना 4. किसी रोग आदि से मुक्त होना 5. अस्तित्व बनाए रखना।
ज़ीना (फ़ा.) [सं-पु.] सीढ़ी; सोपान; (स्टेयर्स)।
जीप (इं.) [सं-स्त्री.] एक तरह की हलकी मोटरगाड़ी जो कच्चे मार्ग पर भी आसानी से चलती है।
जीभ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मुँह में तालू के नीचे का वह चपटा, लंबा तथा लचीला टुकड़ा जिससे रसों का आस्वादन और ध्वनियों का उच्चारण होता है 2. जीभ के आकार की कोई लंबी वस्तु। [मु.] -चलना : स्वाद लेने की इच्छा होना; अनावश्यक बढ़-चढ़कर बातें करना। -हिलाना : कुछ कहना।
जीभी [सं-स्त्री.] 1. धातु का पतला पत्तर जिससे जीभ साफ़ करते हैं 2. कलम की निब 3. छोटी जीभ।
जीमट (सं.) [सं-पु.] पेड़-पौधों का धड़ या टहनी का गूदा।
जीमना (सं.) [क्रि-स.] कहीं बैठकर अच्छी तरह भोजन करना।
जीमूत (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत 2. इंद्र 3. बादल 4. सूर्य 5. विराट की सभा का एक मल्ल 6. नागरमोथा।
जीर (सं.) [सं-पु.] 1. जीरा 2. तलवार 3. फूलों का केसर। [वि.] जल्दी या तेज़ चलने वाला।
ज़ीर (फ़ा.) [सं-पु.] (संगीत) बहुत धीमा या मंद स्वर।
जीरक (सं.) [सं-पु.] जीरा।
ज़ीरक (फ़ा.) [वि.] समझदार; बुद्धिमान।
जीरा (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का पौधा जिसके सुगंधित और छोट-छोटे बीज मसालों तथा औषधि में काम आते हैं 2. फूल का केसर 3. जीरे के आकार की कोई चीज़।
जीरिका (सं.) [सं-स्त्री.] वंशपत्री नामक घास।
जीर्ण (सं.) [वि.] 1. बदहाल; अत्यधिक पुराना 2. फटा-पुराना; टूटा-फूटा और पुराना 3. ठीक प्रकार से पचा हुआ; हज़म 4. बूढ़ा 5. जर्जर; क्षीण; जरायुक्त; बहुत दिनों का। [सं-पु.] 1. बुढ़ापा 2. जीरा 3. बूढ़ा आदमी।
जीर्णक (सं.) [वि.] 1. सूखा या मुरझाया हुआ 2. जो प्रयोग में लाया न जा सके।
जीर्णता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुढ़ापा 2. जीर्ण होने की अवस्था या भाव।
जीर्ण-शीर्ण (सं.) [वि.] 1. जर्जर; फटा-पुराना 2. जो क्षीण अवस्था में हो 3. सड़ा-गला।
जीर्णावस्था (सं.) [सं-पु.] वृद्ध या बूढ़े होने की अवस्था।
जीर्णोद्धार (सं.) [सं-पु.] 1. सुधार या मरम्मत 2. किसी वास्तु-रचना का फिर से किया जाने वाला सुधार 3. टूटी हुई चीज़ को फिर से उपयोग लायक बनाना 4. पुरानी चीज़ों को दुरुस्त कर फिर से नया बनाना।
जील (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. संगीत में नीचा या मध्यम स्वर 2. धीमी या हलकी ध्वनि 3. तबले आदि के बाएँ भाग की आवाज़।
जीलानी (अ.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का लाल रंग। [वि.] लाल रंगवाला।
जीव (सं.) [सं-पु.] 1. प्राणी; जीवधारी 2. प्राणियों को चेतन करने वाला तत्व 3. वह जिसमें चेतना और प्राण हो 4. जीवन; प्राण; जान 5. आत्मा; देह स्थित चैतन्य; जीवात्मा 6. बकायन का वृक्ष 7. कौल-साधना में स्वीकृत छत्तीस तत्वों में से तेरहवाँ तत्व।
जीवंत (सं.) [वि.] 1. सजीव; जीता-जागता 2. जिसमें प्राण हो। [सं-पु.] 1. जीवनी शक्ति 2. जीवन; प्राण 3. औषधि 4. जीव नामक वनस्पति।
जीवंतक (सं.) [सं-पु.] जीवशाक; जीव नामक साग।
जीवंतता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जीवंत होने की स्थिति या भाव 2. सजीवता।
जीवंतिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी वनस्पति जो दूसरे वृक्षों पर रहकर उसी के संसर्ग से विकसित होती है 2. गुडूची; गुरुच 3. जीव नामक साग 4. जीवंती लता 5. शमी वृक्ष।
जीवंती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की पीली हर्र 2. शमी वृक्ष 3. ऐसी वनस्पति जिसकी टहनियों में दूध होता है, जो दवा के काम आती है 4. एक विशेष प्रकार की औषधि 5. परगाछा।
जीवक (सं.) [सं-पु.] 1. प्राणी; जीव 2. भिक्षु 3. सूद-ब्याज के भरोसे जीने वाला व्यक्ति; महाजन 4. सपेरा 5. सेवक 6. मनुष्य द्वारा किए गए वे सभी काम जो उसकी उन्नति और अवनति के सूचक होते हैं।
जीवट (सं.) [सं-पु.] 1. साहस; हिम्मत; दम 2. दृढ़ता; पराक्रम।
जीवड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. जीव 2. जीवन; जीवट 3. नाई, धोबी आदि को उनके कार्य सेवाओं के बदले दिया जाने वाला अनाज।
जीवथ (सं.) [सं-पु.] 1. प्राण; जीवनीशक्ति 2. मेघ; बादल 3. मोर 4. कछुआ। [वि.] 1. दीर्घजीवी 2. धर्मनिष्ठ।
जीवदान (सं.) [सं-पु.] 1. अपने वश में आए हुए शत्रु या अपराधी को बिना उसके प्राण लिए छोड़ देना; प्राणदान 2. किसी मरते हुए प्राणी की रक्षा करके उसे मरने से बचाना।
जीवद्रव्य (सं.) [सं-पु.] 1. ऑक्सीजन, हाइड्रोजन कार्बन तथा नाइट्रोजन से बना उदजन, कार्बन के मेल से बना अत्यंत जटिल संरचना का कोलाइडी पदार्थ जिसमें प्रोटीन सदृश यौगिक मौज़ूद होते हैं 2. उक्त द्रव्य सभी प्रकार की कोशिकाओं में अनिवार्य रूप से पाया जाता है; (प्रोटोप्लाज़्म)।
जीवधातु (सं.) [सं-स्त्री.] विशिष्ट रासायनिक तत्वों से बना हुआ पारदर्शी तत्व या धातु जिसमें जीवनी शक्ति होती है और जो जंतुओं, वनस्पतियों आदि के भौतिक स्वरूप का मूलाधार है; (प्रोटोप्लाज़्म)।
जीवधारी (सं.) [सं-पु.] प्राणी। [वि.] जिसमें जीव अर्थात जीवनीशक्ति हो; जीव युक्त।
जीवन (सं.) [सं-पु.] 1. ज़िंदगी; जीवित दशा 2. जन्म और मृत्यु के बीच का भाग; जीवनचक्र 3. जीवित रखने वाली आधारभूत चीज़ें, जैसे- हवा, पानी, अनाज आदि 4. अस्तित्व। [वि.] प्राणदायक; जीवनदाता।
जीवनकथा (सं.) [सं-पु.] जीवन की कथा या कहानी; जीवनचरित; जीवनी।
जीवनकाल (सं.) [सं-पु.] 1. जन्म से मरण तक की अवधि 2. जीना-मरना 3. ज़िंदगी-मौत।
जीवनक्रम (सं.) [सं-पु.] नित्य किए जाने वाले कार्यों का क्रम।
जीवनगत (सं.) [वि.] जीवन से मिला हुआ; जीवन से अर्जित; जीवन से संबंधित।
जीवनचरित (सं.) [सं-पु.] पूरे जीवन में किसी के किए हुए कार्यों आदि का वर्णन; ज़िंदगी भर का हाल; (बायोग्राफ़ी)।
जीवनचर्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जीवन या ज़िंदगी जीने की शैली 2. रहन-सहन का तरीका।
जीवनदाता (सं.) [सं-पु.] 1. जीवन देने वाला व्यक्ति 2. प्राण बचाने वाला व्यक्ति।
जीवनदान (सं.) [सं-पु.] 1. नया जीवन मिलना 2. जिंदा छोड़ना; जान बख़्श देना 3. किसी शत्रु या अपराधी को मृत्युदंड से मुक्त करना; माफ़ी देना 4. देश या समाज के लिए जीवन अर्पित करना 5. किसी संस्था या उद्देश्य के लिए पूरी तरह से समर्पित होने का भाव; सेवा में जीवन समर्पित कर देना।
जीवनदायिनी (सं.) [सं-स्त्री.] माँ; माता; जन्म अथवा जीवन देने वाली स्त्री। [वि.] 1. जीवन देने वाली; जान बचाने वाली 2. जिसमें जीवनी शक्ति हो 3. मानव समाज का कल्याण करने वाली।
जीवन-दृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] जीवन के प्रति सोच या विचार; जीवनदर्शन।
जीवनधन (सं.) [सं-पु.] सबसे प्रिय वस्तु; प्रिय व्यक्ति। [वि.] प्राणप्रिय; प्राणाधार।
जीवनधर (सं.) [वि.] 1. जीवनदायक 2. जीवनदाता 3. जीवन का आधार। [सं-पु.] जलधर; बादल।
जीवननौका (सं.) [सं-स्त्री.] वह छोटी नौका जो बड़े जहाज़ों पर इसलिए रखी रहती है कि जब जहाज़ डूबने लगे तब लोग उस पर चढ़कर अपनी जान बचा सकें; (लाइफ़ बोट)।
जीवनपरक (सं.) [वि.] जीवन से प्रेरित; जीवन से संबंधित।
जीवनपर्यंत (सं.) [क्रि.वि.] 1. जीवन भर; उम्र भर 2. जीवित रहने तक; जीते जी।
जीवनप्रद (सं.) [वि.] जीवन देने वाला।
जीवनप्रमाणक (सं.) [सं-पु.] इस बात का प्रमाण-पत्र कि अमुक व्यक्ति अमुक दिन या तिथि तक जीवित था अथवा इस समय जीवित है; (लाइफ़ सर्टिफ़िकेट)।
जीवनबीमा [सं-पु.] 1. ठेके के रूप में होने वाली वह व्यवस्था जिसमें बीमा कराने वाले को कुछ समय तक किस्त के रूप में धन देना पड़ता है 2. ऐसी धन व्यवस्था जिसमें बीमा करने वाले व्यक्ति के मरने के बाद उसके उत्तराधिकारी को अथवा उसके जीवित रहने पर नियत धन उसे प्राप्त होता है; (लाइफ़ इंश्योरेंस)।
जीवनबूटी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह कल्पित जड़ी-बूटी जिसके संबंध में प्रसिद्ध है कि वह मरे हुए इंसान को जीवित कर देती है 2. पुनर्जीवित करने वाली बूटी; संजीवनी बूटी 3. {ला-अ.} वह चीज़ जो किसी के जीवन का आधार हो 4. प्राणप्रिय वस्तु।
जीवनबोध (सं.) [वि.] जीवन के बारे में ज्ञान; जीवन से संबंधित चिंतन।
जीवनमुक्त (सं.) [वि.] 1. (जीव) जिसने आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया हो 2. जो जन्म-मरण के आवागमन के बंधन से मुक्त हो गया हो।
जीवनयापन (सं.) [सं-पु.] 1. जीवन का निर्वाह 2. जीवन बिताने या गुज़ारने की क्रिया।
जीवनवृत्त (सं.) [सं-पु.] 1. जीवन का वृत्तांत; जीवन संबंधी विवरण; जीवन कथा 2. जीवन चरित 3. किसी व्यक्ति विशेष के जीवन भर के क्रियाकलापों का वर्णन; (बायोग्राफ़ी)।
जीवनवृत्तांत (सं.) [सं-पु.] 1. जीवनचरित; जीवनी 2. किसी जीव या प्राणी की घटनाओं का वर्णन या इतिहास; (लाइफ़ हिस्ट्री)।
जीवनशैली (सं.) [सं-पु.] जीवनचर्या; जीवन पद्धति।
जीवनसंगिनी (सं.) [सं-स्त्री.] ज़िंदगी भर साथ निभाने वाली स्त्री; पत्नी।
जीवनसंघर्ष (सं.) [सं-पु.] किसी विकट या प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित बने रहने या जीविका उपार्जन करने के लिए किया जाने वाला कठिन प्रयत्नः (स्ट्रगल फॉर एक्ज़िस्टेंस)।
जीवनसाथी (सं.) [सं-पु.] जीवन भर साथ निभाने वाला पुरुष; पति।
जीवनांत (सं.) [सं-पु.] जीवन का अंत अर्थात मृत्यु।
जीवनार्ह (सं.) [सं-पु.] 1. अन्न 2. दूध।
जीवनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जीवन का वृत्तांत; ज़िंदगीनामा 2. किसी के जन्म से मृत्युपर्यंत तक के कार्यों और उपलब्धियों का पूरा विवरण 3. साहित्य की एक प्रसिद्ध विधा 4. जीवन; जिदंगी 5. जीवंती नामक वनस्पति। [वि.] 1. जीवन से संबंधित 2. जीवन की प्रेरक।
जीवनीय (सं.) [सं-पु.] जल; ताजा दूध। [वि.] 1. जी सकने वाला 2. जीवनी शक्ति देने वाला 3. अपनी जीविका स्वयं चलाने वाला।
जीवनीशक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जीवों की वृद्धि और विकास में निहित विशेष शक्ति 2. जीवित रहने की शक्ति।
जीवनोपयोगी (सं.) [वि.] जीवन के लिए उपयोगी।
जीवनोपाय (सं.) [सं-पु.] 1. जीवन के निर्वाह और रक्षा का उपाय या साधन; जीविका 2. रोज़ी-रोटी का प्रबंध।
जीवमंडल (सं.) [सं-पु.] 1. जीवों का परिसर 2. जीवों का घेरा।
जीवरसायन (सं.) [सं-पु.] रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवित वस्तुओं में होने वाले रासायनिक प्रक्रमों और वस्तुओं का अध्ययन होता है।
जीवलोक (सं.) [सं-पु.] 1. संसार 2. मर्त्यलोक 3. प्राणीजगत।
जीवविज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा विज्ञान जिसमें जीवों की उत्पत्ति, विकास उसकी शारीरिक रचना तथा उसके रहन-सहन के संबंध में विचार किया जाता है 2. वनस्पति विज्ञान तथा प्राणिविज्ञान का संयुक्त अध्ययन; (बायोलॉजी)।
जीवा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (ज्यामिति) एक छोर से दूसरे छोर तक जाने वाली सीधी रेखा 2. जीविका 3. जीवन 4. धनुष की डोरी 5. जीवंती नामक लता 6. भूमि; ज़मीन।
जीवांतक (सं.) [सं-पु.] 1. वधिक; ज़ल्लाद 2. बहेलिया; चिड़ीमार। [वि.] 1. जीवनाशक 2. जीवों या उनके जीवन का अंत करने वाला।
जीवाणु (सं.) [सं-पु.] 1. अतिसूक्ष्म; एककोशीय तथा विभिन्न आकृतियों वाले आसाधारण जीव 2. ऐसे सूक्ष्म जीव जो जल, मिट्टी, वायु, प्राणियों और पादपों में पाए जाते हैं 3. जीवयुक्त अणु जो प्रायः अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं; (बैक्टीरिया) 4. जीवों का वह सूक्ष्म रूप जो विकसित होकर एक नए जीव का रूप धारण करता है।
जीवात्मा (सं.) [सं-पु.] 1. प्राण 2. वह तत्व जो प्राणियों की चेतनवृत्ति या जीवन का मूल कारण हो 3. वह शक्ति जिसके कारण प्राणी जीवित रहते हैं 4. हृदय।
जीवादान (सं.) [सं-पु.] मूर्छा; बेहोशी।
जीवाधार (सं.) [सं-पु.] हृदय जो आत्मा का आधार या आश्रय माना जाता है।
जीवावशेष (सं.) [सं-पु.] प्राचीन काल के जीव-जंतुओं, वनस्पतियों आदि के वे अवशिष्ट रूप जो ज़मीन खोदने पर उसके भीतरी स्तरों में दबे हुए मिलते हैं; (फ़ॉसेल)।
जीवाश्म (सं.) [सं-पु.] बहुत प्राचीन काल के जीव-जंतुओं, वनस्पतियों आदि के वे अवशिष्ट रूप जो ज़मीन की खुदाई पर निकलते हैं; पुराजीव; (फ़ॉसेल)।
जीवाश्म विज्ञान (सं.) [सं-पु.] वह विज्ञान जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि भिन्न-भिन्न प्राचीन युगों में कहाँ-कहाँ और किस प्रकार के जीव होते थे; पुराजैविकी; (पैलिऑन्टॉलॉजी)।
जीवास्तिकाय (सं.) [सं-पु.] 1. जीव या आत्मा का एक प्रकार 2. जीवों का समूह 3. जीव-राशि 4. (जैन दर्शन) विशिष्ट कर्म करने और उनके फल भोगने वाले जीवों का एक वर्ग।
जीविका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भरण-पोषण का साधन; जीवन के लिए आवश्यक साधन या धन जुटाने की क्रिया या काम-धंधा; रोज़ी; वृत्ति 2. जीवन निर्वाह के लिए किया जाने वाला काम; वह व्यापार जिससे जीवन निर्वाह हो 3. पेशा; व्यवसाय।
जीविकोपार्जन (सं.) [सं-पु.] 1. जीविका चलाने के लिए धन अर्जित करना 2. रोज़ी कमाने की प्रक्रिया।
जीवित (सं.) [वि.] 1. ज़िंदा; प्राणयुक्त 2. जिसमें श्वाँस हो 3. जीवनयुक्त; जीवंत 4. जिसमें क्रियात्मक शक्ति हो; (एलाइव) 5. जिसे फिर से जीवन मिला हो।
जीवितेश (सं.) [सं-पु.] 1. जीवन का स्वामी 2. पति या प्रेमी 3. यमराज 4. सूर्य 5. इंद्र 6. एक जीवनदायक औषधि।
जीवी (सं.) [सं-पु.] जीवधारी; प्राणी। [वि.] 1. जीवित; जीने वाला 2. किसी विशेष प्रकार की जीविकावाला।
जीवीय (सं.) [वि.] जीवसंबंधी।
जीवेश (सं.) [सं-पु.] 1. जीवों का स्वामी 2. परमप्रिय व्यक्ति।
जीवेषणा (सं.) [सं-स्त्री.] जीवन की इच्छा; जिजीविषा।
जीवोपाधि (सं.) [सं-स्त्री.] जीव की तीन उपाधियाँ- स्वप्न, सुषुप्ति और जाग्रत।
ज़ुंद (अ.) [सं-पु.] फ़ौज; सेना।
जुंबाँ (फ़ा.) [वि.] जुंबिश करने वाला; काँपता हुआ; हिलता हुआ।
जुंबिश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. हिलना-डुलना; हरकत; इधर-उधर होने की क्रिया 2. गति; चाल; स्पंदन।
जुआ1 (सं.) [सं-पु.] 1. वह खेल जिसमें हारने वाले को कुछ धन देना पड़ता है; (गैंबलिंग) 2. हार-जीत का खेल; द्यूत क्रीड़ा।
जुआ2 [सं-पु.] गाड़ी के आगे की वह लकड़ी जो बैलों के कंधे पर रहती है।
जुआँ [सं-स्त्री.] ऐसा सूक्ष्म जीव जो कपड़ों और बालों में अक्सर पाया जाता है; जूँ।
जुआख़ाना (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] जहाँ जुआ होता है; जुआघर; जुए का अड्डा जहाँ पर लोग शर्त में धन आदि लगा कर खेल खेलते हैं।
जुआघर [सं-पु.] वह स्थान जहाँ बैठकर जुआ खेलने वाले जुआ खेलते हैं; जुआ खेलने का अड्डा; द्यूतशाला; जुआख़ाना।
जुआठा [सं-पु.] गाय, बैल, भैंस आदि के मुँह पर बाँधी जाने वाली जाली।
जुआर [वि.] 1. जुए के खेल में लिप्त रहने वाला 2. जुआ खेलने वाला।
जुआरी [सं-पु.] वह व्यक्ति जो जुआ खेलने का व्यसनी हो।
जुई [सं-स्त्री.] 1. बहुत छोटी जूँ (कीड़ा) या उसका बच्चा 2. मटर, सेम आदि की फलियों में लगने वाला छोटा कीड़ा।
ज़ुकाम (अ.) [सं-पु.] ऐसा रोग जिसमें नाक और गले से कफ़ निकलता है; प्रतिश्याय; सरदी; (कोल्ड)।
जुग (सं.) [सं-पु.] 1. जोड़ा; युग्म 2. चौसर के खेल में दो गोटियों का एक ही घर में बैठ जाना 3. ताने के सूत को अलग-अलग रखने के लिए करघे में प्रयुक्त होने वाला डोरा 4. पीढ़ी; पुश्त।
जुगजुगाना [क्रि-अ.] 1. रुक-रुककर चमकना; टिमटिमाना 2. अपना अस्तित्व दिखाना 3. हीन दशा से उबरना।
जुगजुगी [सं-स्त्री.] 1. शकरखोरा नामक एक चिड़िया 2. जुगनूँ जैसा आभूषण जो गले में पहना जाता है 3. ऐसा गहना जो पान के पत्ते के आकार का होता है।
जुगत (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी काम को करने की तरकीब; युक्ति; उपाय; तदबीर 2. चतुराई 3. जुगाड़; ढब 4. आचार-व्यवहार का कौशल 5. हथकंडा।
जुगतबंदी (हिं+फ़ा.) [सं-स्त्री.] जुगत या उक्ति लगाने की क्रिया।
जुगती [सं-पु.] 1. अनेक प्रकार से तरह-तरह की युक्तियाँ निकालने वाला व्यक्ति 2. किफ़ायत से घर का ख़र्च चलाने वाला व्यक्ति। [वि.] जोड़-तोड़ लगाने वाला; चतुर; चालाक।
जुगनूँ [सं-पु.] 1. एक ऐसा कीड़ा जिसका पिछला भाग रात्रि में चमकता है और यह प्रायः बरसात में ज़्यादा मात्रा में पाया जाता है; खद्योत 2. गले में पहनने वाले आभूषण के नीचे लटकने वाला खंड।
जुगल (सं.) [सं-पु.] युगल; जोड़ा।
जुगवना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को बहुत अच्छे ढंग से संचित करना; जोड़ना 2. सँभालकर रखना 3. युक्तिपूर्वक बचाकर रखना।
जुगाड़ [सं-पु.] 1. किसी कठिन कार्य की सिद्धि के लिए अपनाई जाने वाली युक्ति 2. साधन; तरकीब 3. विधि; तरीका।
जुगालना (सं.) [क्रि-अ.] 1. चौपाए पशुओं का पागुर किया जाना 2. जुगाली करना 3. नष्ट करना।
जुगाली [सं-स्त्री.] सींग वाले मवेशियों द्वारा खाए या निगले गए चारे को गले से निकालकर फिर से मुँह में लाकर थोड़ा-थोड़ा चबाने की क्रिया; पागुर।
जुगुप्सक (सं.) [वि.] दूसरे की निंदा करने वाला; निंदक।
जुगुप्सा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुराई; निंदा 2. घृणा; अश्रद्धा; अरुचि 3. वीभत्स रस का स्थायी भाव 4. घृणास्पद कार्य 5. उपेक्षापूर्वक की जाने वाली बात।
जुगुप्सित (सं.) [वि.] 1. जो निंदा के योग्य हो; निंदनीय 2. घृणित 3. जिसकी जुगुप्सा हुई हो।
जुझाऊ [वि.] 1. युद्धसंबंधी; युद्ध का 2. प्रायः किसी से जूझने और लड़ते रहने वाला; लड़ाका 3. लड़ाई में काम आने वाला।
जुझाना [क्रि-स.] किसी को जूझने की क्रिया में प्रवृत्त करना।
जुझारू [वि.] 1. संघर्षशील 2. जूझने वाला; लड़ने वाला; योद्धा 3. वीर; बहादुर; लड़ाका।
जुट (सं.) [सं-पु.] 1. दल; मंडली; जत्था; समूह; गुट 2. किसी के मुकाबले वैसी ही दूसरी चीज़; जोड़ा 3. एक साथ काम आने वाली कई वस्तुएँ 4. एक साथ बँधी हुई चीज़ों का समूह या गुच्छा।
जुटना (सं.) [क्रि-अ.] 1. बहुत समीप या मिला हुआ होना; जुड़ना 2. किसी काम में पूर्णतया मन लगाना 3. एक या एक से अधिक वस्तुओं या व्यक्तियों का एक जगह इकट्ठा होना 4. लिपटना; गुथना 5. मिलना।
जुटाना [क्रि-स.] 1. इकट्ठा करना 2. जुटने में प्रवृत्त करना 3. बहुत पास से मिलाना; सटाना।
जुठारना [क्रि-स.] 1. बहुत थोड़ा खाकर छोड़ देना 2. जूठा करके छोड़ देना।
जुड़ना [क्रि-अ.] 1. जोड़ना का अकर्मक रूप; जोड़ा जाना 2. इकट्ठा होना; एकत्र होना 3. ठंडा होना 4. संचित होकर एक ही जगह पर मिलना 5. गाड़ी, घोड़े, बैल आदि के संबंध में जोता जाना 6. एक-दूसरे से संबद्ध होना।
जुड़वाँ [वि.] 1. एक माता से एक साथ जन्मे हुए बच्चे 2. जिनका जन्म एक ही समय कुछ आगे-पीछे हुआ हो 3. जो आपस में एक साथ सटे, जुड़े या लगे हों।
जुड़वाना [क्रि-स.] 1. एक वस्तु को दूसरी वस्तु से मिलवाना 2. किसी वस्तु को ठंडा या शीतल करना 3. किसी संतप्त या असंतुष्ट को शांत करना।
जुड़ा [वि.] 1. गुँथा हुआ 2. मिला हुआ।
जुड़ाई [सं-स्त्री.] 1. ठंडे होने की क्रिया या भाव; शीतलता; ठंडक 2. तृप्ति।
जुड़ाना [क्रि-स.] 1. जुड़ने या जोड़ने में प्रवृत्त करना 2. (ज्योतिष) योग और फल का मिलान करना 3. ठंडा करना 4. शीतल करना 5. शांत करना 6. संतुष्ट करना। [क्रि-अ.] 1. ठंडा होना 2. शांत और सुखी होना 3. तृप्त होना।
जुड़ाव [सं-पु.] जुड़ने की क्रिया या भाव।
जुतना (सं.) [क्रि-अ.] 1. बैल, घोड़े आदि पशुओं का हल, गाड़ी आदि में लगना; नथना; जोता जाना 2. किसी काम में लगन और परिश्रमपूर्वक लगना 3. खेत आदि का जोता जाना।
जुतवाना [क्रि-स.] 1. जोतने का काम करवाना 2. ऐसा काम करना जिससे घोडे, बैल आदि के द्वारा खेत जोतने का काम हो।
जुताई [सं-स्त्री.] खेत जोतने की क्रिया; जोतने की मज़दूरी।
जुताना [क्रि-स.] 1. जोतने का काम दूसरे से करवाना 2. ऐसा काम करना जिसमें घोड़े, बैल आदि के द्वारा खेत जोता जाए।
जुतियाना [क्रि-स.] 1. जूते लगाना 2. बुरी तरह अपमानित करना 3. किसी को बहुत खरी-खोटी सुनाकर लज्जित करना।
जुदा (फ़ा.) [वि.] 1. अलग; पृथक 2. भिन्न; निराला 3. आकार, गुण, महत्व, रंग-रूप आदि की दृष्टि से भिन्न प्रकार का 4. अन्य; दूसरा।
जुदाई (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जुदा या अलग होने का भाव 2. वियोग; विछोह 3. अलगाव; भिन्नता; पृथकता।
जुनून (अ.) [सं-पु.] 1. पागलपन; उन्माद; विक्षिप्तता 2. नशा; लगन।
जुनूनी (अ.) [वि.] 1. पगलाया हुआ 2. उन्मत्त; पागल।
ज़ुन्नार (अ.) [सं-पु.] 1. जनेऊ; यज्ञोपवीत 2. ऐसा डोरा जो अमूमन कमर और गले में बाँधा जाता है।
ज़ुन्नारदार (अ.+फ़ा.) [वि.] जनेऊ धारण करने वाला; यज्ञोपवीतधारी।
जुन्हाई (सं.) [सं-स्त्री.] चाँदनी; चंद्रिका; चाँद का प्रकाश।
जुफ़्त (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जोड़ा; युग्म 2. ऐसी संख्या जो दो से बँट जाए; समसंख्या 3. जूता; पादुका। [वि.] 1. कंजूस 2. बुरे स्वभाव वाला।
जुफ़्ता (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बल; शिकन; रेखा 2. कपड़े के सूतों का अपने स्थान से बढ़ जाना; जिस्ता।
जुबली (इं.) [सं-स्त्री.] 1. उत्सव; जयंती 2. वर्षगाँठ का उत्सव 3. किसी महापुरुष या संस्था की जन्मतिथि या वार्षिक तिथि पर होने वाला आयोजन।
जुबाद (अ.) [सं-पु.] 1. एक तरह की कस्तूरी 2. एक तरह का तरल गंध द्रव्य जो गंधमार्जार या मुश्कबिलाव के अंडकोश से निकलता है।
ज़ुबान (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ज़बान।
ज़ुबाह (अ.) [सं-स्त्री.] लोमड़ी की आवाज़।
जुमला (अ.) [सं-पु.] 1. कुल जोड़; सारी जमा 2. पूरा वाक्य। [वि.] कुल; सब; पूरा।
जुमा (अ.) [सं-पु.] शुक्रवार।
जुमिल [सं-पु.] एक प्रकार का घोड़ा।
जुमूद (अ.) [सं-पु.] 1. खिन्नता; उदासी 2. गतिरोध 3. जमना।
जुमेरात (अ.) [सं-स्त्री.] गुरुवार या बृहस्पतिवार।
जुयाँग [सं-पु.] सिंहभूमि के पास पाई जाने वाली एक जंगली जाति जो कोलों से मिलती-जुलती है।
जुराब (तु.) [सं-स्त्री.] जुर्राब; मोजा।
जुर्म (अ.) [सं-पु.] 1. अपराध 2. वह अनुचित काम या हरकत जिसमें राजकीय विधान से दंड का प्रावधान हो 3. वह गलती जिसके लिए सजा मिलती हो 4. त्रुटि; भूल।
जुर्माना (अ.) [सं-पु.] 1. ऐसा दंड जिसमें अपराधी द्वारा अपने रिहाई के लिए धन देना पड़ता है 2. अर्थदंड; (फ़ाइन)।
जुर्रत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. दुस्साहस; धृष्टता 2. साहस; बहादुरी; हिम्मत।
जुर्रा (फ़ा.) [सं-पु.] नर बाज़ जो प्रायः पक्षियों का शिकार करने के लिए पाला जाता है।
जुर्राब (तु.) [सं-स्त्री.] 1. धागों आदि से बना हुआ पैरों का पहनावा; मोजा 2. पायताबा।
जुल (सं.) [सं-पु.] 1. धोखा देने वाली बात 2. झाँसा 3. चकमा 4. धोखे से काम निकलवाने वाली बात।
जुलजुल [वि.] अत्यंत जर्जर; जीर्ण-शीर्ण।
जुलना [क्रि-अ.] 1. मेल-मिलाप करना या रखना 2. (मिलना के साथ प्रयुक्त शब्द) मिलना-जुलना।
जुलपित्ती [सं-स्त्री.] 1. एक ऐसा रोग जिससे शरीर में लाल-लाल चकत्ते पड़ जाते हैं 2. ऐसा रोग जिससे शरीर में खुजली के बाद चकत्ते पड़ते हैं 3. पित्ती।
जुलाई (इं.) [सं-स्त्री.] वर्ष (ईसवी सन) का सातवाँ महीना।
जुलाब (फ़ा.) [सं-पु.] 1. दस्त; रेचन 2. दस्त लाने वाली दवा 3. विरेचक औषधि।
जुलाहा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. करघे पर कपड़ा बुनने वाला शिल्पी 2. तंतुवाय 3. योग साधना में साधक 4. पानी पर तैरने वाला एक कीड़ा 5. बरसाती कीड़ा।
जुलूस (अ.) [सं-पु.] 1. उत्सव या समारोह के लिए निकलने वाली यात्रा; जनयात्रा; (रैली) 2. लोगों का वह विशाल समूह जो विरोध या उल्लास प्रदर्शित करने के लिए निकलता हो 3. किसी अवसर पर धूमधाम की सवारी 4. किसी मंत्री या राजनेता की शोभायात्रा या नगर-भ्रमण।
ज़ुल्फ़ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. केशों की लट; अलक 2. सिर के वे लंबे बाल जो पीठ पर और इधर-उधर लटों के रूप में लटकते रहते हैं 3. कनपटी के साथ वाले बाल; काकुल 4. पट्टा 5. गेसू।
ज़ुल्फ़िकार (अ.) [सं-स्त्री.] एक तलवार का नाम।
ज़ुल्म (अ.) [सं-पु.] 1. अत्याचार; प्रताड़ना; अन्याय 2. कठोर आचरण; दुर्व्यवहार 3. शोषण; ज़बरदस्ती 4. अंधेरगर्दी; आफ़त।
ज़ुल्मत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अंधकार; अँधेरा 2. अंधकार की कालिमा 3. तम; तिमिर।
ज़ुल्मपेशा (अ.) [वि.] ज़ुल्म करने वाला।
ज़ुल्मी (अ.) [वि.] 1. ज़ुल्म करने वाला 2. बहुत अधिक उग्र; तीव्र; विकट 3. प्रबल; प्रचंड 4. ज़ालिम; अत्याचारी।
ज़ुल्मो-सितम (अ.) [सं-पु.] 1. अत्याचार; यातना 2. उत्पीड़न; अन्याय 3. शोषण 4. गज़ब।
जुवार [सं-स्त्री.] ज्वार नामक अनाज।
जुष्ट [सं-पु.] 1. जूठन; उच्छिष्ट 2. किसी के खाने के बाद बचा हुआ भोजन। [वि.] प्रसन्न; सेवित; जूठा।
जुष्य (सं.) [वि.] 1. पूजक 2. सेव्य।
जुसाँदा (सं.) [सं-पु.] छालों, जड़ों आदि से बना काढ़ा।
जुस्तजू (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. खोज; तलाश; ढूँढ़ 2. अन्वेषण।
जुहद (अ.) [सं-पु.] 1. विरक्ति 2. संसार के सब सुखों का त्याग 2. परहेज़गीरी।
जुहाना (सं.) [क्रि-स.] 1. एकत्र करना; संचित करना 2. इमारत आदि के निर्माण के लिए लकड़ी, पत्थर आदि यथास्थान बैठाना 3. इकट्ठा करना; संयोजन करना 4. चित्र आदि में प्रभाव लाने के लिए आकृतियों को उचित और सटीक जगह बैठाना।
जुहार (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का प्रचलित अभिवादन 2. प्रणाम।
जुहारना [क्रि-स.] 1. जुहार या अभिवादन करना 2. प्रणाम करना।
जुही (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चमेली की तरह का एक प्रसिद्ध पौधा 2. उक्त पौधे का फूल 3. ऐसा पौधा जिसका फूल छोटा, सुकुमार और भीनी गंध वाला होता है 4. एक आतिशबाज़ी 5. मटर आदि में लगने वाला एक कीड़ा।
जुहू (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पलाश की लकड़ी का बना हुआ एक प्रकार का अर्धचंद्राकार यज्ञ-पात्र 2. पूर्व दिशा।
ज़ुहूर (अ.) [सं-पु.] 1. प्रकट या प्रत्यक्ष होने की क्रिया अवस्था या भाव 2. आविर्भाव; अवतार 3. ज़ाहिर होना 4. उत्पत्ति; पैदाइश।
जुहूवान (सं.) [सं-पु.] अग्नि।
जू1 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सरस्वती 2. वातावरण; वायुमंडल 3. घोड़े, बैल आदि पशुओं के मस्तक पर का टीका।
जू2 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नदी; दरिया 2. जलाशय; नहर।
जूँ (सं.) [सं-स्त्री.] काले रंग का सूक्ष्म कीड़ा जो बालों में हो जाता है। [मु.] कानों पर जूँ तक न रेंगना : कुछ भी प्रभाव न पड़ना।
जूजू [सं-पु.] 1. एक कल्पित जीव जिसका नाम लेकर बच्चों को डराया जाता है 2. हौआ।
जूझना (सं.) [क्रि-अ.] 1. डटकर मुकाबला करना; संघर्ष करना 2. लड़ना; लड़ते हुए मरना 3. विषम परिस्थितियों का सामना करना 4. तकरार करना 5. ताकत लगाकर कुछ करने की कोशिश करना।
जूट1 (सं.) [सं-पु.] 1. उलझे हुए और आपस में चिपटे, घने और बड़े बालों की जटा 2. गाँठ; जूड़ा 3. लट।
जूट2 (इं.) [सं-पु.] 1. पटसन 2. पटसन का बना कपड़ा।
जूठन [सं-स्त्री.] 1. खाकर छोड़ा हुआ भोजन 2. बचा हुआ; उच्छिष्ट 3. इस्तेमाल की हुई चीज़।
जूठा (सं.) [वि.] 1. ऐसी चीज़ या भोजन इत्यादि जो किसी ने खाकर या चखकर छोड़ दिया हो; खाने का बचा हुआ भाग 2. भोग किया हुआ; भुक्त 3. जिसमें खाया गया हो (बरतन आदि) 4. जिसमें जूठन लगी हो 5. जिसको अपवित्र कर दिया गया हो 6. प्रयोग की गई चीज़।
जूड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. सिर के बाल जो लपेटकर गोलाई में बाँधे गए हों; खोपा; जूट 2. मूँज का पूला 4. कलगी।
जूड़ी [सं-स्त्री.] तेज़ कँपकँपी के साथ होने वाला ज्वर; विषम ज्वर; शीत ज्वर।
जूडो (इं.) [सं-पु.] कुश्ती की तरह का एक खेल।
जूता (सं.) [सं-पु.] 1. जूतों का जोड़ा 2. पैरों की रक्षा के लिए कपड़े, चमड़े आदि का बना पैरों का पहनावा; पदत्राण; पनही। [मु.] -उठाना : किसी की सेवा करना, ख़ुशामद करना। -चलना : मारपीट होना, झगड़ा होना। -खाना : अपमानित होना, मार सहना।
जूताख़ोर (हिं+फ़ा.) [वि.] जो बार-बार अपमानित और तिरस्कृत होने पर भी अपना निंदनीय आचरण न छोड़ता हो; बुरे आचरणवाला; बेशर्म; बेहया; लतख़ोर।
जूताछिपाई [सं-स्त्री.] 1. विवाह की एक रस्म जिसमें वधू की बहनें और सहेलियाँ वर से मज़ाक करने के लिए जूता छिपा देती हैं 2. उक्त रस्म के बाद मिलने वाला धन।
जूतिका (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का कपूर।
जूती [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का हलका जूता 2. जनाना जूता। [मु.] जूतियाँ चटकाना : इधर-उधर मारा-मारा फिरना।
जूती-पैज़ार (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. आपस में होने वाली जूतों की मारपीट 2. बहुत ही अनुचित शब्दों का प्रयोग करके होने वाली लड़ाई।
जून1 (सं.) [सं-पु.] 1. बेला; वक्त 2. दिन का अर्धभाग 3. तृण; घास।
जून2 (इं.) [सं-पु.] वर्ष (ईसवी सन) का छठा महीना।
जूना (सं.) [सं-पु.] 1. नरम और रेशेदार घास या फूस की बटकर तैयार की गई मोटी रस्सी; उबसन 2. घास का पूला 3. बरतन माँजने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली मूँज; फूस; प्लास्टिक की झीनी बुनावट का पुलिंदा। [वि.] 1. पुराना; फटा हुआ 2. जो घिस गया हो 3. वृद्ध।
जूनियर (इं.) [वि.] 1. कनिष्ठ; छोटा 2. पद आदि में छोटा (सहकर्मी या अधिकारी)।
जूप (सं.) [सं-पु.] 1. जुआ; द्यूत 2. विवाह के बाद एक रस्म जिसमें वर-वधू द्वारा जुआ खेला जाता है 3. खंभा; स्तंभ।
ज़ूम (इं.) [क्रि-स.] कैमरे के विशेष लेंस से किसी व्यक्ति या दृश्य को पास या बड़ा करके दिखाना।
जूमना (अ.) [क्रि-अ.] 1. इकट्ठा होना 2. जुटना। [क्रि-स.] 1. इकट्ठा करना 2. जुटाना।
ज़ूमानी (अ.) [वि.] 1. दो अर्थ रखने वाला; द्वयर्थक 2. श्लेषात्मक; श्लिष्ट।
जूर [सं-पु.] संचय की हुई चीज़ों का समूह या ढेर; राशि।
ज़ूर (अ.) [सं-पु.] 1. अभिमान; दंभ 2. मिथ्या तत्व; झूठापन 3. छल; कपट 4. फ़रेब 5. ठगी; धोखा।
जूरी [सं-स्त्री.] 1. घास या पत्तों का पूला; जुट्टी 2. एक प्रकार का पकवान।
जूर्ण (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का तृण या तिनका।
जूर्णि (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. ब्रह्मा। [सं-स्त्री.] 1. देह; शरीर 2. वेग; तेज़ी 3. स्त्रियों का एक रोग। [वि.] 1. वेगवान 2. स्तुतिकुशल 3. ख़ुशामद करने वाला 4. तपाने वाला।
जूल (इं.) [सं-पु.] 1. विद्युत ऊर्जा की एक इकाई; ऊर्जा का मात्रक 2. एक भौतिकविज्ञानी जिन्होंने थर्मोडायनमिक्स के प्रथम नियम की खोज की थी।
जूषण (सं.) [सं-पु.] 1. धाय का पेड़ जो फूलों के लिए लगाया जाता है 2. उक्त पेड़ का फूल।
जूस (इं.) [सं-पु.] 1. पके हुए फल का निचोड़ा हुआ रस 2. दाल या सब्ज़ी को उबालकर उसमें से निकाला गया पानी 3. रोगी को दिया जाने वाला हलका पेय पदार्थ 4. पथ्य; रसा।
जूसी [सं-स्त्री.] ईख के रस को उबालकर गाढ़ा करते समय उसमें से निकलने वाली गाढ़ी तलछट; चोटा।
जृंभ (सं.) [सं-पु.] 1. जँभाई; आलस्य 2. फैलाव; खिलना।
जृंभक (सं.) [सं-पु.] 1. रुद्र या शिव का एक गण 2. एक प्राचीन अस्त्र। [वि.] 1. जँभाई लेने वाला 2. सुस्त रहने वाला।
जृंभण (सं.) [सं-पु.] 1. जँभाई लेना 2. खिलना; फैलना।
जृंभा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जँभाई 2. आलस्य 3. (साहित्य) एक सात्विक अनुभाव जो आलस्य से उत्पन्न माना जाता है।
जृंभिका (सं.) [सं-स्त्री.] आलस्य; जम्हाई (जँभाई)।
जृंभित (सं.) [वि.] 1. वह जिसने जँभाई ली हो 2. प्रसारित 3. प्रस्फुटित 4. चेष्टित।
जेंगना [सं-पु.] एक बरसाती कीड़ा जिसका पिछला भाग रात को खूब चमकता है; जुगनूँ; खद्योत; भगजोगनी।
जेंटल (इं.) [वि.] 1. सज्जन 2. सभ्य; प्रतिष्ठित 3. सौम्य; सुशील 4. कोमल; हलका।
जेट1 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समूह; ढेर; संचयन 2. एक ही प्रकार की चीज़ों को एक के ऊपर एक रख कर बनाई गई तह, जैसे- मिट्टी के बरतन या कसोरों-हाँड़ियों की जेट।
जेट2 (इं.) [सं-पु.] 1. जेट सिद्धांत पर आधारित इंजन 2. एक प्रकार का जहाज़; जेट विमान 3. किसी चीज़ या द्रव की तीव्र धारा।
जेट विमान (इं.) [सं-पु.] अपेक्षाकृत तीव्र गति वाला वायुयान जो तेज़ी से हवा फेंकते हुए आगे बढ़ता है।
जेटी (इं.) [सं-पु.] समुद्र तट पर पानी के ऊपर बना लकड़ी का वह चबूतरा या स्थान जहाँ जहाज़ों पर माल लादा और उतारा जाता है।
जेठ (सं.) [सं-पु.] 1. बैसाख और आषाढ़ के बीच का माह 2. पति का बड़ा भाई; ज्येष्ठ।
जेठरा (सं.) [वि.] 1. जेठा; अग्रज; बड़ा 2. सर्वोत्तम; सबसे अच्छा।
जेठा (सं.) [वि.] जेठरा।
जेठाई [सं-स्त्री.] 1. ज्येष्ठ या बड़ा होने का भाव; जेठा 2. बड़प्पन; महत्व।
जेठानी [सं-स्त्री.] पति के बड़े भाई की पत्नी।
जेठी [सं-स्त्री.] एक तरह का कपास। [वि.] 1. जेठ संबंधी; ज्येष्ठ मास का 2. जेठ मास में होने वाला।
जेठीमधु (सं.) [सं-स्त्री.] एक औषधीय वनस्पति; यष्टिमधु; मुलेठी।
जेठौत [सं-पु.] जेठ का पुत्र; पति के बड़े भाई का पुत्र।
जेनरल (इं.) [सं-पु.] दे. जनरल।
जेनरेटर (इं.) [सं-पु.] विद्युत उत्पादन करने वाला यंत्र।
जेन्य (सं.) [वि.] कुलीन; अभिजात्य।
जेपी [सं-पु.] एक संकेताक्षर जो भारत में संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश के लिए प्रयुक्त होता है।
जेब (अ.) [सं-पु.] 1. पहनने के कपड़े में रुपए-पैसे, घड़ी, रूमाल या ऐसी ही छोटी-मोटी वस्तुएँ रखने की थैली; खीसा; (पॉकेट) 2. कैरमबोर्ड के तख़्ते या बिलियर्ड की मेज़ में लगी छोटी थैली।
ज़ेब (फ़ा.) [सं-स्त्री.] सुंदरता; शोभा; सौंदर्य; सजावट।
जेबकट (अ.+हिं.) [सं-पु.] जेब काटकर धन आदि की चोरी करने वाला व्यक्ति; जेबकतरा; गिरहकट; जेबतराश; पॉकेटमार।
जेबकतरा (फ़ा.) [वि.] जेब काटने वाला; पॉकेटमार।
जेबख़र्च (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. निजी ख़र्च 2. भोजन के अतिरिक्त निजी कार्यों में व्यय के लिए मिलने वाली धनराशि।
जेबघड़ी (अ.+हिं.) [सं-स्त्री.] जेब में रखने की छोटी घड़ी।
ज़ेबरा (इं.) [सं-पु.] अफ़्रीका में पाया जाने वाला एक पशु जो घोड़े या खच्चर से मिलता-जुलता है तथा जिसके बदन पर धारियाँ होती हैं।
ज़ेबाइश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] सजावट; सुंदरता; शोभा।
जेबी (फ़ा.) [वि.] 1. जेब संबंधी 2. जो जेब में रखा जा सके 3. वह जिसका आकार-प्रकार सामान्य से छोटा हो।
जेय (सं.) [परप्रत्य.] जीतने योग्य; जिसे जीता जा सके, जैसे- अजेय, अपराजेय आदि।
जेर [सं-स्त्री.] वह मज़बूत झिल्ली जो मादा पशुओं के बच्चे के जन्म के समय उनकी नाभि से जुड़ी होती है; आँवल; खेड़ी।
ज़ेर (फ़ा.) [सं-स्त्री.] अरबी-फ़ारसी लिखावट 'इ', 'ई' और 'ए' की मात्रा। [वि.] 1. दबा हुआ; कमज़ोर 2. निर्धन; निर्बल 3. परास्त; पराजित 4. बेकस; अधीन 5. निःसहाय; निराश्रय। [क्रि-अ.] नीचे; तले।
ज़ेरअंदाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ की सुरक्षा के लिए उसके नीचे बिछाया जाने वाला कपड़ा 2. फ़र्श पर बिछाया जाने वाला कालीन।
ज़ेरजामा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कमर से नीचे पहनने का कपड़ा; अधोवस्त्र 2. वह कपड़ा जो ज़ीन के नीचे घोड़े की पीठ पर डाला जाता है
ज़ेरदस्त (फ़ा.) [वि.] 1. अधीन; मातहत 2. पराजित; परास्त।
ज़ेरबंद (फ़ा.) [सं-पु.] घोड़े के पेट में बाँधा जाने वाला पट्टा या बंद।
ज़ेरबार (फ़ा.) [वि.] 1. दुखी; परेशान; तंग 2. ऋण या व्यय के भार से दबा हुआ 3. कर्ज़दार; ऋणी 4. अहसानमंद; आभारी 5. परास्त 6. विपत्ति में फँसा हुआ।
ज़ेरबारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ऋण या व्यय के भार से दबे होने की अवस्था या भाव 2. कृतज्ञता; अहसान का बोझ 3. अधिक व्यय या आर्थिक हानि।
जेरी [सं-स्त्री.] 1. आँवल; खेड़ी (नाल) 2. खेती का एक औज़ार 3. चरवाहे का डंडा।
ज़ेरीं (फ़ा.) [वि.] 1. नीचेवाला; निम्नगत 2. निचला; अधोवर्ती।
ज़ेरेनज़र (फ़ा.) [वि.] विचाराधीन; जिसपर विचार किया जा रहा हो।
ज़ेरेहुकूमत (फ़ा.) [क्रि.वि.] शासनाधीन; अधीन।
ज़ेरोज़बर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. संसार का ऊँच-नीच 2. ज़माने का उलटफेर। [वि.] 1. अस्त-व्यस्त; उलट-पुलट 2. तहोंवाला। [अव्य.] नीचे-ऊपर।
जेल (इं.) [सं-पु.] 1. कैदख़ाना; कारागार; बंदीगृह; ऐसी जगह जहाँ किसी को बंधक बना कर रखा जाए 2. ऐसा स्थान जहाँ कोई बँधा हुआ-सा महसूस करे।
जेलख़ाना (इं.+फ़ा.) [सं-पु.] कारागार; बंदीगृह; अपराधियों आदि को रखने की जगह; (जेल)।
जेलर (इं.) [सं-पु.] जेल का प्रमुख अधिकारी या प्रबंधक।
जेलाटिन (इं.) [सं-पु.] मांस, हड्डी और खाल से निकाला जाने वाला सरेस की तरह का एक पदार्थ।
जेली (इं.) [सं-स्त्री.] मुरब्बे जैसा एक खाद्य पदार्थ।
जेवड़ा [सं-पु.] मोटा रस्सा।
जेवड़ी [सं-स्त्री.] रस्सी; ऐंठा या बटा हुआ मोटा सूत; जीवा।
ज़ेवर (फ़ा.) [सं-पु.] आभूषण; गहना; अलंकार।
ज़ेवरात (फ़ा.) [सं-पु.] 1. आभूषणों का समूह 2. गहने या ज़ेवर।
ज़ेह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. धनुष की डोरी; प्रत्यंचा 2. तट; किनारा; कूल 3. सिरा 4. पार्श्व।
ज़ेहन (अ.) [सं-पु.] 1. जानने-समझने की क्षमता; समझ; दिमाग 2. बुद्धि; प्रतिभा; कौशल 3. समझने-बूझने की योग्यता; धारणाशक्ति 4. स्मरणशक्ति; याददास्त।
ज़ेहनी (अ.) [वि.] ज़ेहन संबंधी; बुद्धि विषयक; बौद्धिक।
जेहर [सं-स्त्री.] एक प्रकार का पैर में पहना जाने वाला ज़ेवर; पाज़ेब।
जेहादी (अ.) [वि.] जेहाद करने वाला; जेहाद संबंधी।
जै [सं-स्त्री.] दे. जय।
जैक (इं.) [सं-पु.] बहुत भारी वस्तु को ऊपर उठाने वाला यंत्र या उपकरण; उत्तंभ; उत्थापक; (क्रेन)।
जैकेट (इं.) [सं-स्त्री.] कमीज या सदरी की तरह का एक प्रकार का अँग्रेज़ी पहनावा; आस्तीनदार छोटा कोट।
जैत (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जय; जीत 2. जयंती वृक्ष।
जैतवार [सं-पु.] वह जो जीत गया हो; विजयी।
ज़ैतून (अ.) [सं-पु.] एक सदाबहार वृक्ष जिसके फल औषधि के काम आते हैं और उनका तेल स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।
जैतूनी (अ.) [वि.] जैतून से बना हुआ; जैतून संबंधी।
जैत्र (सं.) [सं-पु.] 1. विजय 2. श्रेष्ठता; उत्कृष्टता 3. औषधि। [वि.] 1. विजयी 2. जयशील 3. श्रेष्ठ; उत्कृष्ट।
जैन (सं.) [सं-पु.] 1. एक धार्मिक संप्रदाय 2. उक्त धर्म का अनुयायी व्यक्ति। [वि.] जिन से संबंधित; जिन का।
जैनी (सं.) [सं-पु.] जैन धर्म का अनुयायी। [वि.] 1. जैन धर्म से संबंधित 2. जैन व्यक्तियों का; जैनों से संबंधित।
जैम (इं.) [सं-पु.] फलों के गूदे को शक्कर में पकाकर बनाया गया खाद्य पदार्थ; मुरब्बा।
जैमिनी (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध ऋषि और आचार्य 2. पूर्वमीमांसा के प्रवर्तक।
जैयद (अ.) [वि.] 1. मज़बूत; बलवान 2. बड़ा; विशाल 3. उपजाऊ 4. अच्छा; उत्तम।
ज़ैल (अ.) [सं-पु.] 1. पल्ला; दामन 2. नीचे का अंश; भाग 3. आगे का अंश या भाग।
जैली (अ.) [वि.] 1. अधीनस्थ 2. जो किसी के साथ हो।
जैव (सं.) [वि.] 1. जीव से संबंधित; जीवन से संबंधित 2. जीवों और उनके शरीर के अंगों से संबंध रखने वाला 3. जिसमें जीवनीशक्ति हो 4. जिसमें इंद्रियाँ हों; (ऑर्गेनिक)।
जैवप्रौद्योगिकी [सं-स्त्री.] जीवविज्ञान की वह शाखा जिसमें सूक्ष्मजीवों का विशेष औद्योगिक प्रक्रिया के संपादन में उपयोग पर अध्ययन किया जाता है; अभियांत्रिकी की वह शाखा जिसमें कर्मचारी तथा उनके वातावरण के संबंध का अध्ययन करने के लिए जीव विज्ञान का उपयोग किया जाता है; (बायोटेक्नॉलॉजी)।
जैवभौतिकी [सं-स्त्री.] भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर जीवविज्ञान की व्याख्या करने वाला विज्ञान; (बायोफ़िज़िक्स)।
जैविक (सं.) [वि.] 1. जीव संबंधित 2. जीव संबंधी; जीवों का।
जैविकी (सं.) [सं-स्त्री.] ऐसा विज्ञान जिसमें जीव-जंतुओं का अध्ययन किया जाता है; जीवविज्ञान; (बायोलॉजी)।
जैविकीय (सं.) [वि.] 1. जो जीवों से संबंधित हो 2. जीव का, जैसे- जैविकीय प्रजनन।
जैसा (सं.) [वि.] 1. जिस तरह का; जिस प्रकार का; जिस आकार या रंग-रूप का 2. समान; समतुल्य; सदृश; बराबर 3. जितना; जिस कदर 4. सरीखा। [क्रि.वि.] जितना; जिस परिमाण या मात्रा में।
जैसी (सं.) [वि.] 1. जिस तरह की 2. जितनी।
जैसे [अव्य.] 1. मानो; जिस तरह; जिस रीति से; जिस प्रकार 2. उदाहरण के लिए; यथा 3. ज्यों।
जैसे-जैसे [अव्य.] 1. जिस क्रम से 2. ज्यों-ज्यों।
जैसे-तैसे [अव्य.] 1. किसी भी तरह; मुश्किल से या कठिनाई के साथ 2. बहुत साधारण रूप में।
जॉइंट (इं.) [सं-पु.] 1. संधि; जोड़; मिलाप 2. गाँठ 3. कब्ज़ा; चूल 4. चौपाल। [वि.] जोड़ा हुआ; मिलाया हुआ; संलिप्त।
जॉइंट फैमिली (इं.) [सं-स्त्री.] संयुक्त परिवार; अविभक्त परिवार।
जॉकी (इं.) [सं-पु.] 1. व्यावसायिक रूप में घुड़दौड़ में भाग लेने वाला घुड़सवार 2. क्लब आदि में संगीत कार्यक्रम पेश करने वाला व्यक्ति; (डीजे) 3. उद्घोषक; (एंकर)।
जॉगिंग (इं.) [सं-स्त्री.] 1. कूदकर चलना 2. कूद चाल; हलकी गति से होने वाली दौड़।
जॉन्डिस (इं.) [वि.] पीलिया; पांडु रोग।
जॉली (इं.) [वि.] 1. ख़ुश; प्रसन्न 2. ताज़ा 3. रसिक; विनोदी; आनंदमय 4. सुंदर।
जो (सं.) [सर्व.] एक संबंधवाचक सर्वनाम जिसका प्रयोग पहले कही हुई किसी बात अथवा पहले आई हुई संज्ञा, सर्वनाम या पद के संबंध में कुछ और कहने से पहले किया जाता है। [अव्य.] यदि; यद्यपि।
जोंक (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नदी या तालाब का एक कीड़ा जो जीवों के शरीर में लगकर ख़ून चूसता है 2. चीनी साफ़ करने की सेवार की चलनी 3. {ला-अ.} वह जो अपना स्वार्थ साधने के लिए किसी के पीछे पड़ जाए।
जोंग [सं-पु.] अगर या अगरु नाम की सुगंधित लकड़ी।
जोंधरी (सं.) [सं-स्त्री.] एक तरह की ज्वार जिसके दाने कुछ छोटे होते हैं।
जोकर (इं.) [सं-पु.] सरकस में हास्यास्पद क्रियाकलाप करके हँसाने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. हास्यास्पद क्रियाकलाप करके हँसाने वाला 2. हँसने-हँसाने वाला 3. उपहास करने वाला।
जोख [सं-स्त्री.] जोखने या तौलने की क्रिया या भाव।
जोखना (सं.) [क्रि-स.] 1. तौलना 2. भार मापना 3. वज़न करना।
जोखा [सं-पु.] 1. वज़न करने या तौलने की क्रिया या भाव 2. लेखा; हिसाब।
जोखिम (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य या व्यापार में नुकसान या घाटे की संभावना; अनिष्ट; हानि 2. विपदा की आशंका 3. ख़तरा 4. ऐसी वस्तु या काम जो संकट या विपत्ति का कारण बन सकता हो।
जोखिमपूर्ण [वि.] 1. जिसमें जोखिम या ख़तरा हो; ख़तरनाक; हानिकारक; असुरक्षित 2. चिंताजनक; विकट; संकटप्रद; अनिश्चित; अस्थिर; कठिन।
जोग (सं.) [सं-पु.] 1. योग 2. संयोग; मिलाप 3. जोड़ 4. एक प्रकार का गीत जो कन्या और वर दोनों पक्षों में विवाह के समय गाया जाता है। [वि.] योग्य।
जोगड़ा [सं-पु.] 1. जोगी; योगी 2. बना हुआ; नकली योगी 3. पाखंडी व्यक्ति।
जोगन [सं-स्त्री.] 1. स्त्री योगी 2. योगियों की तरह संसार से विरक्त रहने वाली स्त्री।
जोगिन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. योगसाधना करने वाली विरक्त स्त्री; योगिनी 2. जोगियों या योगियों की तरह आचार-विचार, गेरुए वस्त्र पहनने और नियम, व्रत आदि का पालन करते हुए संयमपूर्वक रहने वाली स्त्री 3. एक प्रकार की रण देवी 4. एक प्रकार का झाड़ीदार पौधा जिसमें नीले रंग के फूल लगते हैं।
जोगिया [वि.] 1. जोगी संबंधी 2. गेरू के रंग में रँगा हुआ; गैरिक।
जोगी (सं.) [सं-पु.] 1. संन्यासी 2. सारंगी आदि बजाकर माँगने-खाने वाला साधु; योगी।
जोगीड़ा [सं-पु.] 1. उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में होली के दिनों में मस्ती और उन्मुक्तता से गाए जाने वाले भदेस गीत और नाच-गान। इन सारे नाच-गानों के बीच-बीच में टेक की तरह 'जोगीड़ा सारा.. रारा.. रारा.. रारा.. रारा... रा रा' आता है 2. वसंत ऋतु में गाया जाने वाला चलता गाना 3. जोगीड़ा गाने वालों का दल या समाज।
जोगेश्वर (सं.) [सं-पु.] शिव; सिद्ध साधु; योगियों में श्रेष्ठ योगी; योगींद्र।
जोट (सं.) [सं-पु.] 1. नर और मादा का युग्म 2. राजनीतिक गठबंधन 3. दो व्यक्ति, वस्तु आदि जो एक-दूसरे के सहयोगी या संबद्ध हों 4. साथी 5. प्रतियोगिता। [वि.] बराबरी का; जो समप्रतियोगी हो।
जोटा (सं.) [सं-पु.] 1. दो वस्तुओं का युग्म (जोड़ा) 2. संगी; साथी 3. गोन या गोनी; पशुओं की पीठ पर लादा जाने वाला दोहरा थैला या बोरा।
जोड़ (सं.) [सं-पु.] 1. जुड़ाव की अवस्था या भाव 2. योग; मिलान 3. दो या दो से अधिक चीज़ों के हिस्से जुड़ने का स्थान; संधिस्थान; संधि; गाँठ 4. दो वस्तुओं का इस प्रकार जुड़ना कि वे एक ही प्रतीत हों 5. अनेक संख्याओं के जोड़ने से निकलने वाली संख्या; योगफल; (टोटल) 6. वह टुकड़ा या भाग जो कहीं जोड़ा जा सके 7. ऐसा मेल-मिलाप या संयोग जो उपयुक्त और सुंदर जान पड़े 8. वह जो किसी के समतुल्य या बराबर हो; मेल; जोड़ा 9. समानता; बराबरी 10. खेल में एक घर में आने वाली दो गोटें या मोहरे 11. सिर से पाँव तक पहनने के सब कपड़े; पूरा पहनावा या पोशाक 12. कुश्ती आदि खेल में मुकाबले के लिए तैयार दो पहलवान 13. दाँवपेंच; छल।
जोड़-तोड़ [सं-पु.] 1. दाँवपेंच 2. गुणा-भाग 3. कार्य साधन की विशेष युक्ति 4. छल-कपट।
जोड़ना (सं.) [क्रि-स.] 1. दो चीज़ों या उनके टुकड़ों को एक-दूसरे के साथ मिलाकर एक करना 2. संख्याओं का योग करना 3. किसी प्रकार का संबंध स्थापित करना, जैसे- दो संस्थाओं या परिवारों को संगठित करके एक करना; नाता या रिश्ता बनाना 4. संबद्ध करना; गाँठ लगाना 5. किसी पुस्तक, शोध या लेख आदि में वाक्य, अध्याय या परिशिष्ट आदि बढ़ाना 6. किसी वस्तु या पदार्थ के टुकड़ों को क्रम में लगाना; सलीके से रखना 7. (साहित्य) वाक्यों या पदों की रचना करना; कविता करना 8. प्रज्वलित करना; जलाना (दीपक या आग) 9. किसी वस्तु का कोई टूटा हुआ हिस्सा या अंश फिर से लगाना; बैठाना; तरतीब से लगाना 10. वृद्धि करना; बढ़ाना 11. एकत्र या संगृहीत करना 12. किसी काम के लिए पैसे आदि बचाना 13. बटोरना; संचय करना 14. मन में बना लेना; गढ़ना 15. बोगी, हल या गाड़ी आदि में बैल या घोड़े को आगे बाँधना; जोतना।
जोड़वाना [क्रि-स.] 1. जोड़ने का कार्य किसी अन्य से कराना 2. जोड़ने में किसी को प्रवृत्त करना।
जोड़ा [सं-पु.] 1. एक ही प्रकार की दो वस्तुएँ; जोड़ी; युगल; युग्म 2. एक साथ पहनी जाने वाली दो पोशाकें; साथ पहने जाने वाले दो कपड़े, जैसे- कुरता-पाजामा या लहँगा-दुपट्टा आदि 3. एक साथ काम में आने वाली दो वस्तुएँ 4. एक ही प्रकार के जीव-जंतुओं या पशु-पक्षियों में नर और मादा 5. स्त्री-पुरुष; वर-कन्या 6. ब्याह में दुल्हन के लिए ससुराल पक्ष से भेजा जाने वाला कपड़ा-लहँगा।
जोड़ी [सं-स्त्री.] 1. एक ही तरह की दो चीज़ें; जोड़ा 2. एक साथ जोते जाने वाले दो बैलों के युग्म या घोड़ों की जोड़ी 3. काँसे, पीतल आदि का बना हुआ एक प्रकार का बाजा जो दो छोटी कटोरियों के रूप में होता है और जिसमें एक कटोरी से दूसरी कटोरी पर आघात करके संगीत के समय ताल देते हैं; मँजीरा। [मु.] -मिलाना : तुलना करना; उपमा देना; बराबरी की चीज़ को सामने रखना।
जोड़ीदार [सं-पु.] जो सदा किसी के साथ रहता हो; सहयोगी। [वि.] ताकत, शानोशौकत आदि में बराबरी का।
जोड़ू [वि.] 1. (धन या वस्तु को) जोड़ने वाला; जोड़-जोड़ कर रखने वाला 2. जमाख़ोर; परिग्रही।
जोत1 [सं-स्त्री.] 1. ज़मीन को जोतने की क्रिया या भाव; काश्त 2. जोतने-बोने के एवज़ में असामी को उस ज़मीन पर मिलने वाला विशिष्ट अधिकार; (होल्डिंग) 3. वह ज़मीन जिसपर कोई काश्तकार या किसान जोतने-बोने और फ़सल उगाने का काम करता है 4. चमड़े का वह तस्मा जो जानवरों के गले में बाँधा जाता है; चमड़े की चौड़ी पट्टी या रस्सी जो एक तरफ़ जोते जाने वाले जानवर के गले में और दूसरा सिरा खींची जाने वाली चीज़, जैसे- हल या गाड़ी आदि में बँधा होता है जिससे खींचने वाला पशु उस चीज़ को चलाता है 5. तराज़ू के पलड़ों को डाँड़ी से बाँधने वाली रस्सी।
जोत2 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज्योति; रोशनी 2. देवी-देवता की मूर्ति के सामने जलाया जाने वाला दीया 3. चित्र में किसी महापुरुष या देवी-देवता के चेहरे के चारों ओर दिखाया जाने वाला प्रभामंडल; (ओरा) 4. शरीर या देह में रहने वाली आत्मा जो ईश्वर का अंश मानी जाती है।
जोतदार (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] वह असामी जो दूसरों की भूमि पर खेतीबारी करता हो; काश्तकार; कृषक; हलवाहा।
जोतनहार [सं-पु.] खेत जोतने वाला व्यक्ति; हलवाहा; जोतदार।
जोतना (सं.) [क्रि-स.] 1. खेत में हल चलाने के लिए बैलों को जुए में बाँधना 2. ज़बरदस्ती किसी को काम में लगाना 3. गाड़ी, कोल्हू आदि को चलाने के लिए घोड़े, बैल आदि बाँधना।
जोता [सं-पु.] 1. हल जोतने वाला व्यक्ति; हलवाहा 2. बैल की गरदन फँसाने हेतु जुए से लगी रस्सी 3. बड़ा शहतीर।
जोतिहा [सं-पु.] 1. वह मज़दूर जो खेत जोतता हो 2. किसान; कृषक; खेतिहर।
जोती [सं-स्त्री.] 1. घोड़े, बैल आदि की लगाम; रास 2. वह रस्सी जिससे तराज़ू के पल्ले बँधे रहते हैं 3. वह रस्सी जो खेत सींचने की दौरी में बँधी रहती है 4. चक्की की वह रस्सी जो उसके बीच वाली कीली और हत्थे में बँधी रहती है।
जोधा [सं-पु.] 1. योद्धा; वीर; साहसी 2. कुश्तीबाज़।
ज़ोनल (इं.) [वि.] 1. क्षेत्र से संबंधित; क्षेत्रीय; मंडल स्तरीय; मंडल या क्षेत्र का 2. आंचलिक।
ज़ोफ़ (अ.) [सं-पु.] 1. कमज़ोरी; निर्बलता 2. बेबसी; दीनता।
ज़ोम (अ.) [सं-पु.] 1. उत्साह; उमंग 2. जोश; आवेश 3. घमंड 4. तीव्रता; तीक्ष्णता।
ज़ोर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शरीर का बल; शक्ति; ताकत 2. किसी चीज़ का दबाव 3. धन या पद के कारण होने वाला दबदबा; रुतबा 4. उन्नति; बढ़त 5. प्रबलता; तेज़ी; वेग 6. बल-प्रयोग; ज़बरदस्ती शारीरिक बल के कारण प्रदर्शित किया जाने वाला उत्साह या सामर्थ्य आदि 7. वश; अधिकार; इख़्तियार 8. भरोसा; आसरा; सहारा 9. श्रम; मेहनत 10. व्यायाम; कसरत। [क्रि.वि.] 1. कार्य या परिणाम के विचार से बहुत अधिक 2. खूब; काफ़ी। [मु.] -आज़माना : अपनी ताकत का प्रयोग करके देखना; भिड़ना; मुकाबला करना; ज़ोर लगाना या डालना-दबाव डालना। [मु.] -देना : किसी बात को बहुत महत्वपूर्ण बताना। -लगाना : (किसी काम हेतु) पूरी कोशिश (पूर्ण प्रयास) करना।
ज़ोर-ज़ुल्म (फ़ा.+अ.) [सं-पु.] 1. घोर अत्याचार; अन्याय 2. दमन; दबाव 3. शोषण।
ज़ोरदार (फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें ज़ोर या शक्ति हो; ज़ोरवाला; बलशाली 2. तेज़; प्रबल; तीव्र 3. ज़बरदस्त; उत्साहवर्धक 4. आग्रहयुक्त, जैसे- ज़ोरदार अनुशंसा।
ज़ोरशोर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी काम को पूरा करने के लिए लगाया जाने वाला ज़ोर और दिखाया जाने वाला उत्साह तथा प्रयास 2. प्रबलता, तीव्रता या तेज़ी।
जोराजोरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ज़बरदस्ती। [क्रि.वि.] बलात; बलपूर्वक।
ज़ोरावर (फ़ा.) [वि.] बलवान; शक्तिशाली।
जोरू [सं-स्त्री.] 1. पत्नी; घरवाली; भार्या 2. स्त्री; औरत।
जोली [वि.] 1. साथी; दोस्त; संगी, जैसे- हमजोली 2. जिसके साथ मेलजोल हो 3. समवयस्क; बराबरी का।
जोश (फ़ा.) [सं-पु.] 1. अति उत्साह; आवेश; उत्तेजना 2. गरमी; उबाल; उफान 3. किसी आत्मीय या पारिवारिक रिश्ते के प्रति होने वाला उत्कट प्रेम या तत्परता; मनोवेग 4. क्रोध 5. तीव्रता।
जोश-ख़रोश (फ़ा.) [सं-पु.] अत्यधिक उत्साह; धूम; आवेश; शोरगुल।
जोशन (फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का आभूषण जो बाँह में पहनते हैं; बाज़ूबंद; केयूर 2. कवच 3. ज़िरहबख़्तर।
जोशांदा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. यूनानी चिकित्सा पद्धति से जड़ी-बूटियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा; क्वाथ (सरदी या कफ़ रोगों के लिए) 2. काढ़ा बनाने के लिए एक साथ मिलाकर दी जाने वाली औषधियाँ।
जोशी [सं-पु.] 1. जोषी; भारत और नेपाल में अपने मूल के साथ एक कुलनाम या सरनेम 2. ब्राह्मण समाज में एक कुलनाम या सरनेम 3. ज्योतिषी।
जोशीला (फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें अधिक जोश हो; उत्साह से भरा हुआ; ओजपूर्ण 2. जिसे जल्दी जोश आता हो 3. ऊर्जा या आवेश से युक्त; आवेगपूर्ण 4. जोश में आकर किया हुआ, जैसे- जोशीला गान।
जोषी (सं.) [सं-पु.] 1. गुजराती, महाराष्ट्री आदि ब्राह्मण समाज में एक कुलनाम या सरनेम 2. ज्योतिषी।
जोहना (सं.) [क्रि-स.] 1. प्रतीक्षा करना 2. देखना 3. पहरा देना 4. पता लगाना।
जोहार (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रणाम; अभिवादन; जुहार 2. क्षत्रियों में प्रचलित एक प्रकार का अभिवादन।
जोहारना [क्रि-अ.] जुहार या अभिवादन करना; नमस्ते करना।
जोहारी [सं-स्त्री.] नमस्कार; सलाम।
जौ (सं.) [सं-पु.] 1. गेहूँ की तरह का एक प्रसिद्ध खाद्यान्न जिसका आटा बनाकर उपयोग किया जाता है 2. यज्ञ तथा अन्य कर्मकांडों में प्रयोग किया जाने वाला हविष्यान्न; यव 3. छह राई की मात्रा या तौल 4. एक पौधा जिससे टोकरियाँ बनाई जाती हैं।
ज़ौक (अ.) [सं-पु.] 1. स्वाद; मज़ा 2. लुत्फ़ लेना; रसानुभव 3. मज़ाक; रसिकता; आनंद 4. शौक; रुचि।
जौतुक (सं.) [सं-पु.] 1. दहेज 2. यौतुक 3. विवाह में मिला हुआ धन 4. वह संपत्ति जो कन्या के पितृवर्ग की ओर से वरपक्ष को दी जाती है 5. चढ़ावा 6. उपहार।
जौदत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नेकी; अच्छाई 2. पवित्रता 3. मनोविनोद।
जौनाल [सं-स्त्री.] 1. जौ के पौधे का डंठल और बाल 2. वह भूमि जिसमें जौ की बुआई की जाए 3. रबी की कोई फ़सल उगाने का खेत।
जौफ़ (अ.) [सं-पु.] 1. भीतर का खाली भाग 2. पेट; उदर।
जौर (फ़ा.) [सं-पु.] अत्याचार; जुल्म।
जौशन (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बाँह में पहनने का एक गहना 2. कवच; जिरहबख़्तर।
जौहर1 (सं.) [सं-पु.] 1. मध्यकाल में राजपूतों में प्रचलित एक प्रथा जिसमें अपने राज्य या गढ़ की पराजय तथा शत्रु की विजय निश्चित होने पर स्त्रियाँ अपमान से बचने के लिए जलती हुई एक विशाल चिता में सामूहिक रूप से भस्म हो जाया करती थीं 2. जौहर करने के लिए बनाई गई बड़ी चिता 3. किसी स्त्री द्वारा आत्मसम्मान की रक्षा के लिए किया जाने वाला आत्मदाह; आत्महत्या।
जौहर2 (अ.) [सं-पु.] 1. रत्न; बहुमूल्य पत्थर, जैसे- हीरा, नीलम, पुखराज आदि 2. सार-तत्व; सारांश 3. गुणवत्ता; विशेषता; ख़ूबी 4. किसी वस्तु या व्यक्ति में निहित गुण-दोषों से संबंधित मौलिक गुण; श्रेष्ठता 5. धारदार शस्त्र जैसे तलवार की धारियाँ जिससे लोहे की उत्तमता का पता चलता है 6. दर्पण की चमक।
जौहरी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. रत्न बेचने वाला; रत्न परखने वाला; रत्न व्यवसायी 2. किसी वस्तु के गुण-दोष जानने वाला; पारखी 3. मणिकर 4. कुछ जातियों में प्रचलित कुलनाम या सरनेम।
ज्ञ यद्यपि यह संस्कृत में 'ज्+ञ्' का संयुक्त वर्ण है। आजकल हिंदी में इसका उच्चारण [ग्य] होता है।
ज्ञपित (सं.) [वि.] 1. जाना हुआ या जताया हुआ; ज्ञात 2. तृप्त या संतुष्ट किया हुआ 3. मारा हुआ; हत 4. प्रशंसित या स्तुत 5. शस्त्र आदि तेज़ किया हुआ।
ज्ञप्त (सं.) [वि.] ज्ञपित; सूचित; संप्रेषित।
ज्ञप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कोई बात जानने या जनाने की क्रिया या भाव 2. जानकारी; वह बात जो किसी को जतलाई या बतलाई जाए; (इनफॉरमेशन) 3. प्रशंसा; स्तुति 4. मार डालना; मारण 5. जलाना।
ज्ञात (सं.) [वि.] 1. जिसके विषय में सब जानकारी हो; विदित 2. जो जाना हुआ हो।
ज्ञातयौवना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (साहित्य) वह मुग्धा नायिका जिसमें लज्जा और भय पहले से कम हो गया हो और जो प्रेमी की ओर कुछ-कुछ आकृष्ट होने लगी हो; नवोढ़ा 2. वह नायिका जिसे अपने पूर्णयौवनागम का भान हो।
ज्ञातव्य (सं.) [वि.] 1. जो जाना जा सके; बोधगम्य 2. जो दूसरों को जतलाया जाने को हो 3. जानने योग्य; ज्ञेय।
ज्ञाता (सं.) [सं-पु.] 1. चतुर या जानकार व्यक्ति 2. परिचित 3. ज़मानत देने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. ज्ञान रखने वाला; ज्ञानवान 2. जिसे किसी विषय का पूरा ज्ञान हो; जानकार।
ज्ञाति (सं.) [सं-पु.] 1. गोत्र; जाति; वर्ण 2. एक ही गोत्र में उत्पन्न मनुष्य; गोती; भाई-बंधु; बांधव।
ज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. वस्तुओं या विषयों की वह जानकारी जो मन या विवेक को होती है; बोध; 2. लोकव्यवहार में, शरीर की वह चेतना-शक्ति जिसके द्वारा जीवों, प्राणियों आदि को अपनी आवश्यकताओं और स्थितियों के अनुसार अनेक प्रकार की अनुभूतियाँ और सब बातों का परिचय होता है; आत्मसाक्षात्कार।
ज्ञानचक्षु (सं.) [सं-पु.] 1. अंतर्दृष्टि 2. विद्वान 3. ज्ञानरूपी नेत्र 4. ज्ञानदृष्टि रखने वाला व्यक्ति।
ज्ञानतत्व (सं.) [सं-पु.] 1. संकेत रूप में जगत के वस्तुनिष्ठ गुणों और संबंधों, प्राकृतिक और मानवीय तत्त्वों के विषय में विचारों की अभिव्यक्ति व अनुभूति 2. निर्विकल्पात्मक बुद्धि का सार रूप 3. यथार्थ रूप; सत्यसार; स्वयं के स्वरूप स्थिति का बोध।
ज्ञानद (सं.) [सं-पु.] गुरु। [वि.] ज्ञान कराने या देने वाला; ज्ञानप्रद; ज्ञानदाता; बोधप्रद।
ज्ञानमय (सं.) [वि.] 1. ज्ञान से युक्त 2. ज्ञान से भरा हुआ 3. ज्ञानरूप।
ज्ञानमीमांसा (सं.) [सं-स्त्री.] ज्ञान का गंभीर मनन; ज्ञान की विवेचना।
ज्ञानयज्ञ (सं.) [सं-पु.] 1. ज्ञान रूपी यज्ञ 2. उत्तम ज्ञान के आदान-प्रदान का कार्य।
ज्ञानयोग (सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्म प्राप्ति के लिए की गई ज्ञाननिष्ठा वाली साधना 2. ब्रह्म के वास्तविक स्वरूप को जानने का योग।
ज्ञानराशि (सं.) [सं-स्त्री.] ज्ञानधाम; ज्ञान का भंडार; ज्ञानतीर्थ।
ज्ञानवर्धक (सं.) [वि.] ज्ञान बढ़ाने वाला; जानकारी देने वाला।
ज्ञानवान (सं.) [वि.] 1. जिसने आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया हो; ज्ञानी 2. योग्य तथा समझदार।
ज्ञानशून्य (सं.) [वि.] 1. ज्ञान से रहित; अज्ञानी 2. जिसे कुछ भी ज्ञान न हो; ज्ञानरहित।
ज्ञानसाधन (सं.) [सं-पु.] 1. इंद्रियाँ जिनकी सहायता से ज्ञान की प्राप्ति की जाती है; ज्ञान प्राप्त करने का साधन 2. ज्ञान प्राप्ति का प्रयत्न।
ज्ञानस्वरूप (सं.) [वि.] जिसका अपना स्वरूप ही ज्ञानयुक्त हो; ज्ञानमय; चिन्मय।
ज्ञानहीन (सं.) [वि.] 1. ज्ञान से रहित 2. जिसे ज्ञान प्राप्त न हुआ हो 3. मूर्ख; अज्ञानी।
ज्ञानाकर (सं.) [वि.] 1. ज्ञान का भंडार 2. महान ज्ञानी।
ज्ञानातीत (सं.) [वि.] जो ज्ञान की सीमा से परे हो; अज्ञेय।
ज्ञानात्मक (सं.) [वि.] 1. ज्ञान प्रदान करने वाला; बोधप्रद 2. ज्ञान संबंधी।
ज्ञानार्जन (सं.) [सं-पु.] ज्ञान प्राप्त करना; अध्ययन; ज्ञानोपलब्धि।
ज्ञानार्थी (सं.) [सं-पु.] जिज्ञासु; सीखने वाला; अध्ययन करने वाला; छात्र; शिष्य।
ज्ञानालय (सं.) [सं-पु.] 1. ज्ञान प्राप्त करने का स्थान या घर; शिक्षण संस्थान; विद्यालय 2. वह स्थान जहाँ ज्ञान संबंधी चर्चा हो।
ज्ञानालोक (सं.) [सं-पु.] 1. ज्ञान की उत्पत्ति की अवस्था या भाव; बोधोदय; ज्ञान का प्रकाश 2. संसार से या किसी व्यक्ति वस्तु के मूल स्वरूप को जान कर उससे मोहभंग।
ज्ञानावरण (सं.) [सं-पु.] 1. वह चीज़ या परदा जो ज्ञान की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करता है 2. वह पाप जिसका उदय होने पर ज्ञान प्राप्त नहीं होता; ज्ञान प्राप्ति में बाधक कर्म या मानसिकता।
ज्ञानाश्रयी (सं.) [वि.] 1. ज्ञान पर आश्रित 2. ज्ञान संबंधी 3. ज्ञान से ब्रह्म को प्राप्त करने के सिद्धांत पर बल देने वाला।
ज्ञानी (सं.) [सं-पु.] 1. ज्ञानवान व्यक्ति; समझदार; योग्य 2. ऋषि; दैवज्ञ 3. आत्मा और ब्रह्म के संबंध में ज्ञान प्राप्त कर चुका व्यक्ति। [वि.] 1. जिसे ज्ञान हो; ज्ञानवान; जानकार 2. आत्मज्ञानी; ब्रह्मज्ञानी।
ज्ञानेंद्रिय (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा नामक पाँच इंद्रियाँ जिनसे भौतिक विषयों का ज्ञान होता है 2. चेतन मन; विषय बोधन का साधन।
ज्ञानोदय (सं.) [सं-पु.] 1. किसी प्रकार के ज्ञान का चेतना में होने वाला उदय 2. ज्ञान का प्रकटीकरण।
ज्ञानोदीप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] ज्ञान का प्रकाश; ज्ञानालोक।
ज्ञानोपदेश (सं.) [सं-पु.] ज्ञान का उपदेश; शिक्षा।
ज्ञानोपार्जन (सं.) [सं-पु.] ज्ञान अर्जित करने का कार्य; ज्ञानार्जन।
ज्ञाप (सं.) [सं-पु.] 1. जताना; बताना; प्रकट करना 2. वह पत्र जिसमें याद दिलाने के लिए बातें संक्षेप में लिखी जाती हों; ज्ञापन; (मेमोरेंडम) 3. किसी घटना का वह संक्षिप्त अभिलेख जो बाद में प्रयोग में लिया जा सकता हो; स्मरण-पत्र; स्मारक।
ज्ञापक (सं.) [वि.] 1. ज्ञान प्राप्त कराने वाला; बोधक 2. बतलाने, जतलाने या परिचय देने वाला 3. सूचक या व्यंजक। [सं-पु.] गुरु या स्वामी।
ज्ञापन (सं.) [सं-पु.] 1. जतलाने, बतलाने या सूचित करने की क्रिया या भाव 2. बोधन 3. किसी घटना या सूचना को लिखकर दिया जाने वाला औपचारिक पत्र।
ज्ञापयिता (सं.) [वि.] ज्ञापन देने वाला; ज्ञापक; सूचना देने वाला; प्रवक्ता; संवाददाता।
ज्ञापित (सं.) [वि.] 1. जिसका ज्ञान या परिचय दिया गया हो 2. जिसकी जानकारी किसी को दी गई हो 3. बतलाया या जतलाया हुआ 4. प्रकाशित 5. सूचित।
ज्ञाप्य (सं.) [वि.] 1. जानने या जताने योग्य 2. जिसका ज्ञान प्राप्त किया या कराया जा सकता हो।
ज्ञेय (सं.) [वि.] 1. जानने के योग्य 2. जिसे जाना जा सके 3. जिसे जानना आवश्यक हो।
ज्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धनुष की डोरी; प्रत्यंचा 2. माता; जननी 3. पृथ्वी 4. (ज्यामिति) वह रेखा जो किसी वृत्त के व्यास तक गई हो।
ज़्यादती (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ज़्यादा या अधिक होने की अवस्था या भाव; अधिकता; अतिरेक 2. ज़ुल्म 3. ज़बरदस्ती; अत्याचार; कठोर व्यवहार।
ज़्यादा (अ.) [वि.] 1. मान या मात्रा में ज़रूरत से अधिक 2. अधिक; अतिरिक्त 3. बहुत; प्रचुर।
ज़्यादातर (फ़ा+सं.) [वि.] 1. अधिकतर; अधिकांशतः 2. प्रायः; बहुधा 3. अपेक्षाकृत अधिक।
ज्यामिति (सं.) [सं-स्त्री.] गणित की वह शाखा जिसमें पिंडों की नाप-जोख, रेखा, कोण, तल आदि का विवेचन होता है; रेखागणित; (ज्योमेट्री)।
ज्यामितिक (सं.) [वि.] ज्यामितीय; ज्यामिति विषयक।
ज्यामितीय (सं.) [वि.] ज्यामिति से संबंधित; ज्यामिति का।
ज्यारना [क्रि-स.] 1. जिलाना; जीवित करना 2. जीवित रहने में मदद करना 3. पालना-पोसना 4. साहस देना 5. सुधारना; बनाना; नया करना।
ज्यूरी (इं.) [सं-स्त्री.] 1. विधिक क्षेत्र में जन-साधारण में से चुने हुए वे लोग जो कुछ विशिष्ट फ़ौजदारी अभियोगों में न्यायाधीश के साथ बैठकर गवाहियाँ आदि सुनते और न्यायालय को अभियुक्त के दोषी अथवा निर्दोष होने के संबंध में अपना मत देते हैं 2. चुने हुए विशेषज्ञों का दल, जो खेलों आदि में हार-जीत का निर्णय करते और विजेता के लिए पुरस्कार आदि का निर्णय करते हैं। [सं-पु.] ज्यूरी के सदस्य।
ज्येष्ठ (सं.) [वि.] 1. अवस्था आदि में सबसे बड़ा 2. अधिक उम्रवाला; वृद्ध; बुड्ढा 3. पद, मर्यादा आदि में बढ़कर; (सीनियर)। [सं-पु.] 1. जेठ का महीना 2. परमेश्वर 3. एक प्रकार का सामगान 4. (ज्योतिष) ऐसा वर्ष जिसमें बृहस्पति का उदय ज्येष्ठा नक्षत्र में होता है।
ज्येष्ठक (सं.) [सं-पु.] प्राचीन काल में नगर का प्रधान अधिकारी।
ज्येष्ठता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज्येष्ठ होने की अवस्था या भाव 2. वरिष्ठता; श्रेष्ठता।
ज्येष्ठा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बड़ी बहन 2. (पुराण) लक्ष्मी की बड़ी बहन 3. एक प्रकार का नायिका भेद 4. मध्यमा उँगली 5. अठारहवाँ नक्षत्र जो तीन तारों का है।
ज्येष्ठी (सं.) [सं-स्त्री.] एक सरीसृप प्राणी जिसका छोटे-छोटे शल्कों से ढका शरीर सिर, गरदन, धड़ और पूँछ चार भागों में बँटा होता है; छिपकली; भित्तिका।
ज्यों (सं.) [अव्य.] 1. जैसे; जिस प्रकार 2. जिस तरह से 3. किसी और की तरह; दूसरे जैसा 4. किसी के अनुकरण पर 5. जिस पल या क्षण। [क्रि.वि.] 1. जिस प्रकार; जैसे 2. जिस तरह से या जिस ढंग से। [मु.] -का त्यों : 1. जैसा है वैसे ही; उसी तरह; उसी रूप में 2. पहले जैसा; पूर्ववत 3. जिसमें बदलाव न हुआ हो; अपरिवर्तित 4. ठीक; यथार्थ।
ज्योति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रकाश; उजाला; रोशनी; द्युति 2. पथ प्रशस्त करने वाला; आलोक 3. दृष्टि 4. किसी चीज़ के प्रज्वलित होने से उत्पन्न दीप्ति या चमक 5. आँख की पुतली के बीच का बिंदु 6. सूर्य 7. अग्नि 8. लपट; लौ 9. नक्षत्र 10. आत्मा; परमात्मा 11. चैतन्य।
ज्योतित (सं.) [वि.] 1. ज्योति से भरा हुआ 2. चमकता हुआ; प्रकाशमान 3. द्युतिमान।
ज्योतिपिंड (सं.) [सं-पु.] अनेक किरणों से निर्मित पुंज; प्रकाश पुंज; प्रकाश का गोला।
ज्योतिमान (सं.) [वि.] प्रकाश वाला; प्रकाशमान; ज्योतिष्मान; ज्योतिर्मय।
ज्योतिर्मंडल (सं.) [सं-पु.] अंतरिक्ष में तारों, नक्षत्रों आदि का मंडल या लोक; तारा मंडल; ज्योतिश्चक्र।
ज्योतिर्मय (सं.) [वि.] 1. ज्योति से युक्त; प्रकाशमय; प्रकाश से युक्त 2. जो आलोकित हो; चमकता हुआ; रोशन 3. परम प्रकाशमान।
ज्योतिर्लिंग (सं.) [सं-पु.] 1. शिव; महादेव 2. शिव के मुख्य बारह लिंग जो भारत के विभिन्न भागों में स्थापित हैं।
ज्योतिर्विज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. आकाश में ग्रहों, नक्षत्रों की गति, स्थिति आदि का विचार करने वाला विज्ञान या शास्त्र; ज्योतिर्विद्या; ज्योतिष 2. ग्रह-नक्षत्रों के परिणाम बताने वाला शास्त्र।
ज्योतिर्विद (सं.) [सं-पु.] 1. ज्योतिष शास्त्र का विशेषज्ञ; ज्योतिषी; खगोलविद 2. आधुनिक फलित ज्योतिष का जानकार।
ज्योतिर्विद्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंतरिक्ष में ग्रहों, नक्षत्रों की गति, स्थिति आदि का विवेचन करने वाला विज्ञान या शास्त्र; ज्योतिर्विज्ञान; ज्योतिष 2. ग्रह-नक्षत्रों के परिणाम बताने वाला शास्त्र।
ज्योतिश्चक्र (सं.) [सं-पु.] अंतरिक्ष में तारों, नक्षत्रों तथा राशियों आदि का मंडल या लोक; तारामंडल; ज्योतिर्मंडल; राशिचक्र।
ज्योतिश्चुंबी (सं.) [वि.] 1. आकाश स्थित ज्योति को चूमने वाला या उसके पास पहुँचने वाला; गगनचुंबी 2. बहुत ऊँचा।
ज्योतिष (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध विद्या या शास्त्र जिसमें आकाशीय ग्रह, नक्षत्रों आदि का विवेचन होता है 2. उक्त के आधार पर मनुष्यों आदि पर होने वाले शुभ-अशुभ प्रभावों का अध्ययन करने वाला शास्त्र।
ज्योतिषाचार्य (सं.) [सं-पु.] ज्योतिष का ज्ञाता; ज्योतिर्विद।
ज्योतिषिक (सं.) [सं-पु.] ज्योतिष जानने या पढ़ने वाला व्यक्ति। [वि.] ज्योतिष से संबंधित; ज्योतिष का।
ज्योतिषी (सं.) [सं-पु.] 1. ज्योतिष (फलित) की जानकारी देने वाला व्यक्ति; ज्योतिष का ज्ञाता; ज्योतिर्विद; गणक 2. भविष्य का अनुमान करने वाला; शुभाशुभ बताने वाला; दैवज्ञ।
ज्योतिष्क (सं.) [सं-पु.] 1. ग्रह, तारे, नक्षत्र आदि आकाश में रहने वाले पिंड जो रात के समय चमकते हुए दिखाई देते हैं 2. मेरु पर्वत की एक चोटी 3. चित्रक वृक्ष 4. चीता 5. मेथी 6. गनियारी।
ज्योतिष्का (सं.) [सं-स्त्री.] मालकंगनी नामक एक लता।
ज्योतिष्टोम (सं.) [सं-पु.] एक वैदिक यज्ञ जिसमें सोलह ऋत्विक होते हैं।
ज्योतिष्पथ (सं.) [सं-पु.] आकाश; अंतरिक्ष।
ज्योतिष्पिंड (सं.) [सं-पु.] ग्रह; नक्षत्र; तारा।
ज्योतिष्मती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रात्रि 2. मालकंगनी नामक लता। [वि.] ज्योतिर्मयी।
ज्योतिष्मान (सं.) [वि.] 1. जिसमें ज्योति हो; ज्योतिर्मय 2. अत्यंत चमकदार; कांतिमान।
ज्योतिस्तंभ (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो जीवन को आलोकित करता हो 2. ज्योति प्रदान करने वाला आधार 3. प्रकाश या उजाला करने वाली वस्तु।
ज्योत्स्ना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चाँदनी; चंद्रिका 2. चंद्रमा का प्रकाश 3. शुक्ल पक्ष की चाँदनी रात 4. दुर्गा 5. सौंफ।
ज्योत्स्नी (सं.) [सं-स्त्री.] पूर्णिमा; पूनम।
ज्योत्स्नेश (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा; शशि।
ज्योनार (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भोज; दावत; बहुत से निमंत्रित लोगों का एक साथ बैठकर होने वाला भोजन 2. पका हुआ खाना; रसोई।
ज्यौनार (सं.) [सं-पु.] दे. ज्योनार।
ज्वर (सं.) [सं-पु.] 1. अनेक प्रकार के शारीरिक विकारों के कारण होने वाला एक रोग जिसमें शरीर का तापमान सामान्य से बहुत बढ़ जाता है; बुख़ार; ताप 2. {ला-अ.} ऐसी स्थिति जिसमें मानसिक अंशाति, उत्तेजना और आवेग हो।
ज्वरघ्न (सं.) [वि.] ज्वर का अंत करने वाला; ज्वरनाशक।
ज्वरनाशक (सं.) [वि.] ज्वर का नाश करने वाला; ज्वर को दूर करने वाला।
ज्वरांकुश (सं.) [सं-पु.] 1. कुश की जाति की एक घास जिसकी जड़ में नीबू की-सी सुगंध होती है 2. वैद्यक में ज्वर की एक दवा जो गंधक, पारे आदि के योग से बनती है।
ज्वरांतक (सं.) [सं-पु.] 1. चिरायता (एक औषधि) 2. अमलतास 3. नीम की एक प्रजाति। [वि.] ज्वर का अंत या नाश करने वाला।
ज्वल (सं.) [सं-पु.] 1. ज्वाला; आग; अग्नि 2. प्रकाश; उजाला। [वि.] जलता हुआ; दीप्त; प्रकाशित।
ज्वलंत (सं.) [वि.] 1. चमकता हुआ; प्रकाशित; जलता हुआ 2. देदीप्यमान 3. स्पष्ट; साफ़; अच्छी तरह दिखाई देने वाला।
ज्वलका (सं.) [सं-स्त्री.] ज्वाला; आग की लपट; अग्निशिखा।
ज्वलन (सं.) [सं-पु.] 1. जलने की क्रिया या भाव; जलना; दहन 2. जलन; दाह। [वि.] 1. आसानी से जल उठने वाला 2. दहकता हुआ।
ज्वलनशील (सं.) [वि.] जो आसानी से जल जाए; जल्दी आग पकड़ने वाला; दहनशील; ज्वलनीय।
ज्वलनशीलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज्वलनशील होने की अवस्था, गुण या भाव 2. किसी पदार्थ का वह गुण है जिसके अनुसार वह पदार्थ कितनी आसानी से जल या सुलग कर आग अथवा दहन उत्पन्न कर सकता है।
ज्वलित (सं.) [वि.] 1. जलता या जलाया हुआ 2. अति चमकता हुआ 3. जला हुआ; दग्ध 4. स्पष्ट रूप से सामने दिखाई देने वाला 5. प्रकाशमान; दीप्ति 6. उज्ज्वल।
ज्वार (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ख़रीफ़ की फ़सल में होने वाला एक मोटा अनाज; एक प्रसिद्ध पौधा और उसके दाने या बीज, जिनकी गिनती अनाज में होती है 2. चंद्रमा के आकर्षण के कारण समुद्र के जल का ऊपर उठना 3. 'भाटा' का विलोम।
ज्वार-भाटा [सं-पु.] समुद्र में लहरों का वेगपूर्वक बहुत ऊँचे उठना और बराबर नीचे गिरना; (टाइडल वाटर्स)।
ज्वाल (सं.) [सं-पु.] 1. ज्वाला 2. मशाल। [वि.] जलता हुआ।
ज्वालक (सं.) [सं-पु.] दीपक, लैंप आदि का वह भाग जो बत्ती के जलने वाले अंश के नीचे रहता है और जिसके कारण दीपशिखा बत्ती के नीचे वाले अंश तक नहीं पहुँच पाती; (बर्नर)। [वि.] प्रज्वलित करने या जलाने वाला।
ज्वाला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आग की लपट या लौ; अग्निशिखा 2. ताप; गरमी; दाह 3. {ला-अ.} दुख आदि से होने वाली मानसिक पीड़ा; संताप।
ज्वालामुखी (सं.) [सं-पु.] 1. वह विशिष्ट स्थान या पहाड़ जिसकी चोटी से समय-समय पर धुआँ, राख और लावा निकलता है; (वोल्केनो) 2. आग का दहकता हुआ गोला। [वि.] 1. जिसमें से ज्वाला निकलती हो; जो दहकता (धधकता) हो 2. {ला-अ.} सदा क्रोधयुक्त मुखमुद्रा वाली (स्त्री)।
ज्वैलर (इं.) [सं-पु.] 1. सुनार; जौहरी 2. आभूषणों का व्यापारी।
ज्वैलरी (इं.) [सं-स्त्री.] सोने-चाँदी के गहने; आभूषण; ज़ेवर।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें