प्रस्तुति - ममता शरण
*🌳 भोगे बिना छुटकारा नहीं (बोध कथा) 🌳*
🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾🐾
*गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है*
*अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्।*
शंख और लिखित दो सगे भाई थे। दोनो ने साथ मे गुरु और माता-पिता के द्वारा शिक्षा पाई थी, पूजनीय आचार्यों से प्रोत्साहन पाया था, मित्रों द्वारा सलाह पाई थी।
उन्होंने कई वर्षों के अध्ययन, चिंतन, अन्वेषण, मनन, के पश्चात जाना था, कि दुनिया में सबसे बड़ा काम जो मनुष्य के करने का है वह यह है कि, अपनी आत्मा का उद्धार करें।
वे दोनों भाई शंख और लिखित इस तत्व को भली प्रकार जान लेने के बाद, तपस्या करने लगे। पास पास ही दोनों के कुटीर थे। मधुर फलों के वृक्षों से वह स्थान और भी सुंदर और सुविधाजनक बन गया था। दोनों भाई अपनी-अपनी तपोभूमि में तप करते और यथा अवसर आपस में मिलते जुलते।
एक दिन लिखित भूखे थे। भाई के आश्रम में गए और वहां से कुछ फल तोड़ लाए। उन्हें खा ही रहे थे कि शंख वहां आ पहुंचे। उन्होंने पूछा- यह फल तुम कहां से लाए?
लिखित ने उन्हें हंसकर उत्तर दिया- तुम्हारे आश्रम से।
शंख यह सुनकर बड़े दुखी हुए। फल कोई बहुत मूल्यवान वस्तु नही थी। दोनों भाई आपस में फल लेते देते भी रहते थे, किंतु चोरी से बिना पूछे नहीं।
शंख ने कहा भाई यह तुमने बुरा किया। किसी की वस्तु बिना पूछे लेने से तुम्हें चोरी का पाप लग गया।
लिखित को अब पता चला कि वास्तव में उन्होंने पाप किया और पाप के फल को बिना भोगे छुटकारा नहीं हो सकता।
*गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा भी है*
*अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्।*
*प्रत्येक जीव को अपने किये हुए अच्छे एवं बुरे कर्मों के फल को भोगना ही पड़ता है।*
दोनों इस समस्या पर विचार करने लगे कि, अब क्या करना चाहिए।
पाप का फल तुरंत मिल जाए तो ठीक, वरना प्रारब्ध में जाकर वह बढ़ता ही रहता है और आगे चलकर ब्याज समेत चुकाना पड़ता है।
निश्चय हुआ कि इस पाप का फल शीघ्र भोग लिया जाए।
दंड देने का अधिकार राजा को होता है, इसलिए लिखित अपने कार्य का दंड पाने के लिए राजा सुद्दुम्न के पास पहुंचे।
इस तेजमूर्ति तपस्वी को देखकर राजा सिंहासन से उठ खड़े हुए और बड़े आदर के साथ उन्हें उच्च आसन पर बिठाया, तदुपरांत राजा ने हाथ जोड़कर तपस्वी से पूछा -"महाराज मेरे योग्य क्या आज्ञा है?"
लिखित ने कहा-" राजन मैंने अपने भाई के पेड़ से चोरी करके फल खाए हैं, तो मुझे दंड दीजिए! इसलिए आपके पास आया हूं।"
राजा बड़े असमंजस में पड़ गए। इस छोटे से अपराध पर इतने बड़े तपस्वी को वह क्या दंड दें! और वह भी ऐसे समय जबकि वह स्वयं अपना अपराध स्वीकार करते हुए दंड पाने के लिए आये हैं।
राजा कुछ भी उत्तर ना दे सके। तपस्वी ने उनके मन की बात जान ली और उन्होंने न्यायाधिपथी से स्वयं ही पूछा कि-" बताइए शास्त्र के अनुसार चोरों को क्या दंड दिया जाता है?"
न्यायाधीश अपनी ओर से बिना कुछ कहे, शास्त्र का चोर प्रकरण निकाल लाए। उसमें लिखा था कि, चोर के हाथ काट लिए जाएं।
"यही दंड मुझे मिलना चाहिए, तपस्वी ने कहा, न्याय दंड किसी के साथ पक्षपात नहीं करता। व्यक्तियों का ख्याल किए बिना निष्पक्ष भाव से जो व्यवहार किया जाता है वही सच्चा न्याय है।
राजन तुमने मुझसे आते समय यह पूछा था मेरे योग्य क्या आज्ञा है! मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं कि शीघ्र ही मेरे दोनों हाथ कटवा डालो!"
राजा को विवश हो तपस्वी की आज्ञा पालन करना पड़ा।
अपने अपराध का दंड पाकर तपस्वी लिखित प्रसन्नता पूर्वक आश्रम को लौट आए।
अपने भाई की कर्तव्य परायणता और कष्ट सहनशीलता को देखकर शंख का गला भर आया और वे उनके गले से लिपट गए।
बशंख ने कहा -"अपराधी हाथों को लेकर जीने की अपेक्षा, बिना हाथों के जीना अधिक श्रेष्ठ है, लिखित! पाप का फल पाकर अब तुम विशुद्ध हो गए हो।"
शंख की आज्ञा अनुसार लिखित ने पास की नदी में जाकर स्नान किया। स्नान करते ही उनके दोनों हाथ फिर वैसे ही उग आए।
वे दौड़े हुए भाई के पास गए और उन्हें हाथों को आश्चर्य पूर्वक दिखाया।
शंख ने कहा- भैया! "इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। हम लोगों की तपस्या के कारण ही आज छतिपूर्ति हुई है।"
तब लिखित ने और अधिक अचंभित होकर पूछा -"यदि हम लोगों की इतनी तपस्या है, तो क्या उस के बल से इस छोटे से पाप को दूर नहीं किया जा सकता था?"
शंख ने कहा- "नहीं! पाप का परिणाम भोगना ही पड़ता है। उसे बिना छुटकारा नहीं मिल सकता।"
*_प्रेषक:- SriBhushan (प्रेरक)_*
*_व्यवस्थापक:- श्री गौरी गिरधर गौशाला-श्रीधाम वृंदावन_*
*सदस्य:-"ग्वाला गद्दी" गैर मिलावटी समाज*
*पंचकूला (हरियाणा)*
*भारतीय देसी गाय का वैश्विक वैदिक बिलोना पद्धत्ति हाथ से बना हुआ बद्री हिम् गौरी (पहाड़ी गाय) का A2 शुद्ध देसी गाय का घी एवं मैदानी देसी गाय गिर, साहीवाल राठी इत्यादि गाय का शुद्ध देसी घी एवं प्राकृतिक शहद, स्पेशल पलाश की गोंद अपने यहां मंगाने के लिए सम्पर्क करें:- हेमन्त शर्मा-9811106208*
*प्रतिदिन दो सुंदर, रौचक, पौराणिक, आध्यात्मिक, सिक्षास्पद, प्रेरणास्त्रोत कहानियों के लिए ग्रुप से जुड़े रहिए और अपने मित्रों परिजनों या अन्य किसी को भी आप इस ग्रुप से जोड़ना चाहते हैं तो उनके यह कहानी लिंक सहित शेयर करें नीचे जॉइन का ऑप्शन है जिस पर क्लिक करते ही वह स्वतः ग्रुप में जॉइन हो जाएंगे...🙏*
https://srimangalampoojasamgribharat.com
*श्रीमंगलम पूजा सामाग्री भारत*
*शुद्ध ख़रीदें शुद्ध प्रयोग करें*
*हमारे यहां प्योर कश्मीरी केसर, हिमालयन शिलाजीत, ईरानी हींग, प्रकार्तिक शहद, प्योर भीमसेनी कपूर एवं फैन्सी इलेक्ट्रिक कपूरदानी, गुग्गल, लोबान और उससे बनी विशेष धूप जो घर से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर कर घर मे सकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश कराती है जिस से घर मे कुछ अमंगल नही होता शुभ ही शुभ होने लगता है गुग्गल की दुकान ऑफिस में धुनि करने से व्यापार में भी वृद्धि होती है गुग्गल धूप एवं अगरबत्ती मंगाने के लिए सम्पर्क करें:- भूषण शर्मा-9990304099, 9268304099*