प्रस्तुति -- पंकज प्रजापति, विनय बिंदास
विकिपीडिया:आज का आलेख - पुरालेख/२०१०/ मई में खास
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
- इस वर्ष के अन्य महीनों के आलेख देखें।
अनुक्रम
- 1 १ मई २०१०
- 2 २ मई २०१०
- 3 ३ मई २०१०
- 4 ४ मई २०१०
- 5 ५ मई २०१०
- 6 ६ मई २०१०
- 7 ७ मई २०१०
- 8 ८ मई २०१०
- 9 ९ मई २०१०
- 10 १० मई २०१०
- 11 ११ मई २०१०
- 12 १२ मई २०१०
- 13 १३ मई २०१०
- 14 १४ मई २०१०
- 15 १५ मई २०१०
- 16 १६ मई २०१०
- 17 १७ मई २०१०
- 18 १८ मई २०१०
- 19 १९ मई २०१०
- 20 २० मई २०१०
- 21 २१ मई २०१०
- 22 २२ मई २०१०
- 23 २३ मई २०१०
- 24 २४ मई २०१०
- 25 २५ मई २०१०
- 26 २६ मई २०१०
- 27 २७ मई २०१०
- 28 २८ मई २०१०
- 29 २९ मई २०१०
- 30 ३० मई २०१०
- 31 ३१ मई २०१०
१ मई २०१०
बाईपास सर्जरी हृदय को रक्त पहुंचाने वाली ३ धमनियों की शल्य क्रिया को कहते हैं।हृदय की धमनी में कुछ बाधा होने को हृदय धमनी रोग कहते हैं। यह रुकावट वसा के जमाव होने से होती है, जिससे धमनी कठोर हो जाती है व रक्त के निर्बाध बहाव में रुकावट आती है। हृदय के वाल्व खराब होने, रक्तचाप बढ़ने, हृदय की मांसपेशी बढ़ने और हृदय कमजोर होने से हृदयाघात
हो जाता है। यदि समय पर इलाज हो तो बचा जा सकता है। धमनी के पूर्ण बंद
होने की स्थिति में हृदयाघात की आशंका बढ़ जाती हैं। हृदय की तीन मुख्य
धमनियों में से किसी भी एक या सभी में अवरोध पैदा हो सकता है। ऐसे में शल्य क्रिया
द्वारा शरीर के किसी भाग से नस निकालकर उसे हृदय की धमनी के रुके हुए
स्थान के समानांतर जोड़ दिया जाता है। यह नई जोड़ी हुई नस धमनी में रक्त
प्रवाह पुन: चालू कर देती है। इस शल्य-क्रिया तकनीक को बाईपास सर्जरी कहते हैं। विस्तार में...
२ मई २०१०
वाराणसी (बनारस या काशी) गंगा नदी के तट पर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में बसा शहर है। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र शहर माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म
में भी इसे पवित्र माना जाता है। ये संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से
एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना
वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक,
संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी
की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः मंदिरों का शहर, भारत की धार्मिक
राजधानी, भगवान शिव की नगरी, दीपों का शहर, ज्ञान नगरी आदि विशेषणों से
संबोधित किया जाता है। विस्तार में...
३ मई २०१०
संचिका स्थानांतरण प्रोटोकॉल (अंग्रेज़ी:फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल, लघु:एफटीपी) एक नेटवर्क प्रोटोकॉल होता है जिसके द्वारा इंटरनेट आधारित टीसीपी/आईपी नेटवर्क पर संचिकाओं का आदान-प्रदान किया जाता है। इसे उपयोक्ता आधारित कूट (यूजर बेस्ड पासवर्ड) या अनॉनिमस यूजर एक्सेस के द्वारा काम में लाया जाता है। अब लगभग हर संस्थान में एफटीपी सर्वर होने से, यह व्यवस्था काम में नहीं आती है। अनेक हाल के वेब ब्राउजर
और फाइल प्रबंधक एफटीपी सर्वरों से जुड़ सकते हैं। इससे दूर-दराज(रिमोट)
से आने वाली संचिकाओं पर लोकल फाइलों जैसा ही कार्य हो सकता है। इसमें
एफटीपी यूआरएल प्रयोग में लाया जाता है। संचिका भेजने के अन्य तरीके जैसे
एसएफटीपी और एससीपी एफटीपी से नहीं जुड़े होते। इनकी पूरी प्रक्रिया में
एसएसएच का प्रयोग होता है। विस्तार में...
४ मई २०१०
रक्तचाप रक्तवाहिनियों में बहते रक्त
द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर द्वारा डाले गये दबाव को कहते हैं।
धमनियां वह नलिका है जो पंप करने वाले हृदय से रक्त को शरीर के सभी ऊतकों और इंद्रियों तक ले जाते हैं। हृदय,
रक्त को धमनियों में पंप करके धमनियों में रक्त प्रवाह को विनियमित करता
है और इसपर लगने वाले दबाव को ही रक्तचाप कहते हैं। किसी व्यक्ति का
रक्तचाप, सिस्टोलिक/डायास्टोलिक रक्तचाप के रूप में अभिव्यक्त किया जाता
है। एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति का सिस्टोलिक रक्तचाप पारा के ९० और १२०
मिलिमीटर के बीच होता है। सामान्य डायालोस्टिक रक्तचाप पारा के ६० से ८०
मि.मि. के बीच होता है। रक्तचाप को मापने वाले यंत्र को रक्तचापमापी या स्फाइगनोमैनोमीटर कहते हैं। विस्तार में...
५ मई २०१०
चिट्ठा (अंग्रेज़ी:ब्लॉग), बहुवचन: चिट्ठे (अंग्रेज़ी:ब्लॉग्स), वेब लॉग (weblog) शब्द का सूक्ष्म रूप होता है। चिट्ठे एक प्रकार के व्यक्तिगत जालपृष्ठ (वेबसाइट) होते हैं जिन्हें दैनन्दिनी (डायरी) की तरह लिखा जाता है। हर चिट्ठे में कुछ लेख, फोटो और बाहरी कड़ियां होती हैं। इनके विषय सामान्य भी हो सकते हैं और विशेष भी। चिट्ठा लिखने वाले को चिट्ठाकार तथा इस कार्य को चिट्ठाकारी अथवा चिट्ठाकारिता
कहा जाता है। कई चिट्ठे किसी खास विषय से संबंधित होते हैं, व उस विषय से
जुड़े समाचार, जानकारी या विचार आदि उपलब्ध कराते हैं। एक चिट्ठे में उस
विषय से जुड़े पाठ, चित्र/मीडिया व अन्य चिट्ठों के लिंक्स मिल सकते हैं।
चिट्ठों में पाठकों को अपनी टीका-टिप्पणियां देने की क्षमता उन्हें एक
इंटरैक्टिव प्रारूप प्रदन प्रदान करती है। विस्तार में...
६ मई २०१०
विटामिन डी वसा-घुलनशील प्रो-हार्मोन का एक समूह होता है। इसके दो प्रमुख रूप हैं:विटामिन डी२ (या अर्गोकेलसीफेरोल ) एवं विटामिन डी३ (या कोलेकेलसीफेरोल
). सूर्य के प्रकाश, खाद्य एवं अन्य पूरकों से प्राप्त विटामिन डी
निष्क्रीय होता है। इसे शरीर में सक्रिय होने के लिये कम से कम दो
हाईड्रॉक्सिलेशन अभिक्रियाएं वांछित होती हैं। शरीर में मिलने वाला कैल्सीट्राईऑल (१,२५-डाईहाईड्रॉक्सीकॉलेकैल्सिफेरॉल)
विटामिन डी का सक्रिय रूप होता है। त्वचा जब धूप के संपर्क में आती है तो
शरीर में विटामिन डी निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होती है। यह मछलियों में भी
पाया जाता है। विटामिन डी की मदद से कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में
मदद मिलती है जो हड्डियों की मजबूती के लिए अत्यावश्यक होता है। इसके अभाव
में हड्डी कमजोर होती हैं व टूट भी सकती हैं, जिसे रिकेट्स या ओस्टीयोमलेशिया कहते हैं। विस्तार में...
७ मई २०१०
संस्कृत चिट्ठाजगत से आशय है संस्कृत भाषी चिट्ठों का ऑनलाइन समुदाय, जो कि बृहतर भारतीय चिट्ठाजगत का एक भाग है। शास्त्री नित्यगोपाल कटारे संस्कृत भाषा के प्रथम चिट्ठाकार माने जाते हैं। उनका चिट्ठा नेता महाभारतम्
संस्कृत का अब तक का प्रथम ज्ञात संस्कृत चिट्ठा है। आरम्भ में संस्कृत
टाइपिंग की जटिलताओं के चलते काफी कम लोग संस्कृत में लिखते थे। धीरे-धीरे
संस्कृत चिट्ठों की संख्या बढ़ने लगी। सन २००९ में संस्कृत चिट्ठों की संख्या कुछ बढ़ी। इसका कारण विविध ब्लॉगिंग सेवाओं में इण्डिक यूनिकोड का समर्थन आना, नए संस्कृत टंकण
औजारों का आना आदि रहा। वर्तमान में सक्रिय-निष्क्रिय मिलाकर लगभग १५ के
करीब संस्कृत चिट्ठे हैं। अधिकतर संस्कृत चिट्ठे संस्कृत भाषा के पठन-पाठन
सम्बन्धी प्रकृति के हैं। विस्तार में...
८ मई २०१०
भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली (अंग्रेज़ी:जियोग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम)
एक प्रकार की निर्देशांक प्रणाली होती है, जिसके द्वारा पृथ्वी पर किसी भी
स्थान की स्थिति तीन (३) निर्देशांकों के माध्यम से निश्चित की जा सकती
है। ये गोलाकार निर्देशांक प्रणाली द्वारा दिये जाते हैं। पृथ्वी पूर्ण रूप से गोलाकार नहीं है, बल्कि एक अनियमित आकार की है, जो लगभग एक इलिप्सॉएड आकार बनाती है। एक अक्षांश पर दी गईं सभी स्थान एकसाथ जुड़कर अक्षांश का वृत्त बनाते हैं। सभी देशांतर रेखाएं अर्ध-वृत्ताकार होती हैं। ये समांनांतर नहीं होती हैं व उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों पर मिलती हैं। सागर सतह पर एक गोलीय सतह पर, एल अक्षांशीय सेकंड बराबर ३०.८२ मीटर और एक रेखांशीय मिनट १८४९ मीटर होता है। विस्तार में...
९ मई २०१०
धन्वंतरी को हिन्दू धर्म
में देवताओं के वैद्य माना जाता है। ये एक महान चिकित्सक थे जिन्हें देव
पद प्राप्त हुआ। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये भगवान विष्णु के अवतार समझे जाते हैं। इनका पृथ्वी लोक में अवतरण समुद्र मंथन के समय धनतेरस हुआ था। इनकी चार भुजायें हैं, उपर की दोंनों भुजाओं में शंख और चक्र धारण किये हुये हैं। जबकि दो अन्य भुजाओं मे से एक में जलूका और औषध तथा दूसरे मे अमृत कलश लिये हुये हैं। इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है। इसीलिये धनतेरस को पीतल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है। इन्हे आयुर्वेद की चिकित्सा करनें वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं। इन्होंने ही अमृतमय औषधियों की खोज की थी। इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने 'शल्य चिकित्सा' का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाये गए थे। कार्तिक त्रयोदशी को धनतेरस को भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं। विस्तार में...
१० मई २०१०
टेस्टोस्टेरॉन एंड्रोजन समूह का एक स्टीरॉएड हार्मोन है। स्तनपाइयों में टेस्टॉस्टेरॉन प्राथमिक रूप से नरों में अंडकोष से व मादाओं में अंडाशय से स्रावित होता है। हालांकि कुछ मात्रा अधिवृक्क ग्रंथि से भी स्रवित होती है। यह प्रधान नर-सेक्स हार्मोन एवं एक एनाबोलिक स्टीरॉएड होता है। टेस्टोस्टेरॉन
पुरुष यौन लक्ष्णों के विकास को बढ़ाता है और इसका संबंध यौन
क्रियाकलापों, रक्त संचरण और मांसपेशियों के परिणाम के साथ साथ एकाग्रता,
मूड और स्मृति
से भी होता है। किसी पुरुष के चिड़चिड़ा या गुस्सैल हो जाना टेस्टोस्टेरॉन
की कमी से भी हो सकता है। जिन रोगियों का मानना था कि टेस्टोस्टेरॉन
अधिकता से आक्रामक व्यवहार उत्पन्न होता है अथवा जिन्होंने जानकारी में
मात्रा ली, उनका प्रदर्शन अपेक्षाकृत कम ठीक रहा। पुरुषत्व के हार्मोन
टेस्टोस्टेरॉन मांसपेशियां सुगठित बनाने में भी सहायक होता है। चिकित्सकों
के अनुसार टेस्टोस्टेरॉन की अधिक मात्र के दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। विस्तार में...
११ मई २०१०
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (अंग्रेजी:इंडेक्स ऑफ़ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन, लघु: आईआईपी)
किसी अर्थव्यवस्था के औद्योगिक क्षेत्र में किसी खास अवधि में उत्पादन के
स्थिति के बारे में जानकारी देता है। भारत में हर माह इस सूचकांक के आंकड़े
जारी किए जाते हैं। ये आंकड़े आधार वर्ष के मुकाबले उत्पादन में बढ़ोतरी
या कमी के संकेत देते हैं। भारत में आईआईपी की तुलना के लिए वर्ष १९९३-९४ को आधार वर्ष माना गया है। तब से वर्तमान तक इसमें सात संशोधन हुए हैं। इन संशोधनों द्वारा आधार वर्ष को १९४६, १९५१, १९५६, १९६०, १९७०, १९८०-८१ और अंत में १९९३-९४ कर दिया गया। वर्तमान में जो मूल्य सूचकांक चल रहा है उसका आधार वर्ष १९९३-९४
है। वर्तमान आधार वर्ष के तहत ५४३ सामग्रियों को इस सूचकांक में शामिल
किया गया है। ये सूचकांक उद्योग क्षेत्र में हो रही बढ़ोतरी या कमी को
बताने का सबसे सरल तरीका है। विस्तार में...
१२ मई २०१०
[[चित्र:|100px|right|एक सायबॉर्ग का चेहरा]]
सायबॉर्ग ऐसे काल्पनिक मशीनी मानव होते हैं, जिनका आधा शरीर मानव और आधा मशीन का बना होता है। ऐसे मानव विज्ञान के क्षेत्र और विज्ञान गल्प में दिखाये जाते हैं, व फिल्म प्रेमियों द्वारा हॉलीवुड की स्टार ट्रेक और अन्य विज्ञान फंतासी फिल्मों इनका प्रदर्शन किया जाता रहा है। इस शब्द का पहली बार प्रयोग १९६० में मैन्फ्रेड क्लिंस और नैथन क्लाइन ने बाहरी अंतरिक्ष में मानव-मशीनी प्रणाली के प्रयोग के संदर्भ के एक आलेख में किया था। इसके बाद १९६५ में डी.एस. हेलेसी ने अपनी पुस्तक सायबॉर्ग : एवोल्यूशन ऑफ द सुपरमैन
में इस बारे में कुछ अलग तरीके से प्रस्तुत किया। इस प्रकार सायबॉर्ग की
परिकल्पना एक ऐसे जीवित प्राणी की है जिसमें तकनीक के कारण कुछ असाधारण
क्षमताएं उपलब्ध होती हैं। विस्तार में...
१३ मई २०१०
भूगोलीय सूचना प्रणाली (जी.आई.एस) उपलब्ध हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर
को एकीकृत कर के भौगोलिक संदर्भ सूचनाओं के लिए आंकड़े एकत्र, प्रबंधन,
विश्लेषित और प्रदर्शित करता है। इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग वैज्ञानिक
अनुसंधान, संसाधन प्रबंधन (रिसोर्स मैनेजमेंट), संपत्ति प्रबंधन,
पुरातात्त्विक कार्य, शहरीकरण व अपराध विज्ञान में होता है। इस प्रणाली के
माध्यम से आकड़ों को सरलता से समझा और बांटा जा सकता है। सन् १९६२ में कनाडा के ऑन्टेरियो में प्रथम भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली बनायी गई थी। यह कनाडा के फेडरल डिपॉर्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट्री और रूरल डेवलपमेंट
द्वारा बनायी गई थी। इसका निर्माण डॉ. रॉजर टॉमलिसन ने किया था। इस
प्रणाली को कनाडा ज्योग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम कहा जाता है और इसका प्रयोग
कनाडा लैंड इन्वेंटरी द्वारा आंकड़े एकत्रित और विश्लेषित करने हेतु किया
जाता है। विस्तार में...
१४ मई २०१०
त्रिआयामी दूरदर्शन (थ्री-डी टीवी) एक प्रकार का दूरदर्शन
होता है, जिसमें प्रदर्शन की त्रिआयामी तकनीकों का प्रयोग किया जाता है,
जैसे: स्टीरियोस्कोपिक कैप्चर, बहु-दृश्य कैप्चर या द्विआयामी गहरायी एवं
एक त्रिआयामी पटल। त्रिआयामी पटल एक विशेष दर्शन युक्ति होती है, जो किसी
कार्यक्रम का प्रोजेक्शन एक यथार्थ स्वरूपी त्रि-आयामी क्षेत्र की तरह करता
है। किसी वस्तु को देखते हुए मूलत: बाईं और दाईं आंख के दो अलग-अलग लैंस
होते हैं जो उसे भिन्न कोणों की पहचान करते हैं। दोनों लैंस यही संदेश अपने
अपने तरीके से मस्तिष्क
तक पहुंचाते हैं। मस्तिष्क उस छवि के लिये इमेज प्रोसेसर की तरह काम करता
है, यानी दोनों लैंसों से पहुंचने वाली अलग अलग छवियों को मिलाकर एक कर के
त्रिआयामी छवि का निर्माण करता है। सिद्धांत रूप में यह वही तरीका है जिसके
आधार पर फ्यूजीफिल्म कंपनी का फाइनपिक्स त्रिआयामी कैमरा काम करता है। विस्तार में...
१५ मई २०१०
पास थ्रू प्रमाणपत्र (लघुरूप:पी.टी.सी) वे प्रमाणपत्र होते है, जो गिरवी रखी गई संपत्ति के एवज में निवेशक
को जारी किये जाते हैं। पीटीसी प्रमाणपत्र बैंक या अन्य वित्तीय संस्थानों
द्वारा निवेशकों को जारी किए जाने वाले बॉन्ड या डिबेंचर के समान होते
हैं। मात्र पीटीसी को अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के एवज में जारी किया जाता है। सिक्योरिटीज पर मिलने वाला ब्याज निवेशक को निश्चित आय के रूप में होता है। प्रायः पीटीसी में वित्तीय संस्थाएं जैसे-बैंक, म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियां
निवेश करती हैं। पास थ्रु सर्टिफ़िकेट का सीधा और सरल अर्थ है, कि
जारीकर्ता कंपनी ने मूल-स्वामी से रकम प्राप्त कर निवेशक को पहुंचा दी है।
इसके बारे में विस्तृत ब्यौरे हेतु आवश्यक है कि सिक्योराइटेजेशन का भी ज्ञान हो। ये प्रमाणपत्र दो प्रकार के होते हैं- पास थ्रू सर्टिफिकेट और पे थ्रू सर्टिफिकेट। विस्तार में...
१६ मई २०१०
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक
ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल
मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों
की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं। विस्तार में...
१७ मई २०१०
घृत कुमारी या अलो वेरा, जिसे क्वारगंदल या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय पौधे के रूप में विख्यात है। इसकी उत्पत्ति संभवतः उत्तरी अफ्रीका
में हुई है। विश्व में इसकी २७५ प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसे सभी
सभ्यताओं ने एक औषधीय पौधे के रूप मे मान्यता दी है और इस प्रजाति के पौधों
का इस्तेमाल पहली शताब्दी ईसवी से औषधि के रूप में किया जा रहा है। इसका
उल्लेख आयुर्वेद
के प्राचीन ग्रंथों मे मिलता है। घृत कुमारी का पौधा बिना तने का या बहुत
ही छोटे तने का एक गूदेदार और रसीला पौधा होता है जिसकी लम्बाई ६०-१०० सें.मी
तक होती है। इसका फैलाव नीचे से निकलती शाखाओं द्वारा होता है। इसकी
पत्तियां भालाकार, मोटी और मांसल होती हैं जिनका रंग, हरा, हरा-स्लेटी होने
के साथ कुछ किस्मों मे पत्ती के ऊपरी और निचली सतह पर सफेद धब्बे होते
हैं। पत्ती के किनारों पर की सफेद छोटे कांटों की एक पंक्ति होती है। ग्रीष्म ऋतु में पीले रंग के फूल उत्पन्न होते हैं।विस्तार में...
१८ मई २०१०
सरसों क्रूसीफेरी (ब्रैसीकेसी) कुल का द्विबीजपत्री, एकवर्षीय शाक जातीय पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका कम्प्रेसटिस है। पौधे की ऊँचाई १ से ३ फुट होती है। इसके तने में शाखा-प्रशाखा होते हैं। प्रत्येक पर्व सन्धियों पर एक सामान्य पत्ती
लगी रहती है। पत्तियाँ सरल, एकान्त आपाती, बीणकार होती हैं जिनके किनारे
अनियमित, शीर्ष नुकीले, शिराविन्यास जालिकावत होते हैं। इसमें पीले रंग के सम्पूर्ण फूल
लगते हैं जो तने और शाखाओं के ऊपरी भाग में स्थित होते हैं। फूलों में
ओवरी सुपीरियर, लम्बी, चपटी और छोटी वर्तिकावाली होती है। फलियाँ पकने पर
फट जाती हैं और बीज जमीन पर गिर जाते हैं। प्रत्येक फली में ८-१० बीज होते हैं। इसकी उपज के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त है। सामान्यतः यह दिसम्बर में बोया जाता है और मार्च-अप्रैल में कटाई होती है। भारत में इसकी खेती पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में अधिक होती है। विस्तार से पढ़ें
१९ मई २०१०
पृथ्वी
की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट
तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रक्रति के हो या चीका या रेत की भांति
कोमल, चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति
अप्रवेश्य हों चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों
का सम्मिश्रण हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है,
किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग होती हैं। पृथ्वी की पपड़ी
या भू-पृष्ठ का निर्माण लगभग २,००० खनिजों से हुआ है, परन्तु मुख्य रूप से
केवल २० खनिज ही भू-पटल निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। भू-पटल की
संरचना में ऑक्सीजन ४६.६ %, सिलिकन २७.७ %, एल्यूमिनियम ८.१ %, लोहा ५ %, कैल्सियम ३.६ %, सोडियम २.८ %, पौटैशियम २.६ % तथा मैग्नेशियम २.१ % भाग का निर्माण करते हैं। विस्तार से पढ़ें
२० मई २०१०
दांते एलीगियरी का जन्म जून १२६५ को इटली, यूरोपमें हुआ था। ये फ्लोरेंस के नागरिक थे। उनका परिवार प्राचीन, किंतु उच्चवर्गीय नहीं था। उनका जन्म उस समय हुआ जब मध्ययुगीन विचारधारा और संस्कृति के पुनरुत्थान का प्रारम्भ हो रहा था। राजनीति के विचारों और कला संबंधी मान्यताओं में भी परिवर्तन हो रहा था। दांते वर्जिल के बाद इटली के सबसे महान कवि थे। ये इटली के राष्ट्रकवि भी रहे। उनका सुप्रसिद्ध महाकाव्य डिवाइन कॉमेडिया अपने ढंग का अनुपम प्रतीक महाकाव्य है। इसके अतिरिक्त उनका गीतिकाव्य वीटा न्युओवा,
जिसका अर्थ है नया जीवन, एक अत्यंत मार्मिक कविताओं का संग्रह है, जिसमें
उन्होंने अपनी प्रेमिका सीट्रिस की प्रेमकथा तथा २३ वर्षों में ही उसके
देहावसान पर मार्मिक विरह कथा का वर्णन किया है। दांते इटली के सर्वश्रेष्ठ
कवि माने जाते हैं। विस्तार से पढ़ें
२१ मई २०१०
नारद पुराण स्वयं महर्षि नारद के मुख से कहा गया एक वैष्णव पुराण है।[क] महर्षि व्यास द्वारा लिपिबद्ध किए गए १८ पुराणों में से एक है। प्रारंभ में यह २५,००० श्लोकों
का संग्रह था लेकिन वर्तमान में उपलब्ध संस्करण में केवल २२,००० श्लोक ही
उपलब्ध है। इस पुराण के विषय में कहा जाता है कि इसका श्रवण करने से पापी
व्यक्ति भी पाप मुक्त हो जाते हैं। पापियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है
कि जो व्यक्ति ब्रह्महत्या का दोषी है, मदिरापान
करता है, मांस भक्षण करता है, वेश्यागमन करता हे, तामसिक भोजन खाता है तथा
चोरी करता है; वह पापी है। इस पुराण का प्रतिपाद्य विषय विष्णु भक्ति है।
संपूर्ण नारद पुराण दो प्रमुख भागों में विभाजित है। पहले भाग में चार
अध्याय हैं जिसमें सुत और शौनक का संवाद है, ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विलय, शुकदेव का जन्म, मंत्रोच्चार की शिक्षा, पूजा के कर्मकांड, विभिन्न मासों में पड़ने वाले विभिन्न व्रतों के अनुष्ठानों की विधि और फल दिए गए हैं। दूसरे भाग में भगवान विष्णु के अनेक अवतारों की कथाएँ हैं। विस्तार में...
२२ मई २०१०
हुमायूँ का मकबरा एक इमारतों का समूह है, जो कि मुगल वास्तुकला से प्रेरित है। यह नई दिल्ली के दीनापनाह यानि पुराना किला के निकट निज़ामुद्दीन पूर्व क्षेत्र में मथुरा रोड के पास स्थित है। गुलाम वंश के समय में यह भूमि किलोकरी
किले में स्थित थी, जो कि नसीरुद्दीन (१२६८-१२८७) के पुत्र तत्कालीन
सुल्तान केकूबाद की राजधानी हुआ करती थी। यहाँ मुगल बादशाह हुमायूँ सहित कई
अन्य के भी कब्रें हैं। यह समूह विश्व धरोहर घोषित है, एवं भारत में मुगल वास्तुकला का प्रथम उदाहरण है। इस मक़बरे की शैली वही है, जिसने ताजमहल को जन्म दिया। यह शैली चारबाग शैली थी। यह मकबरा हुमायुं की विधवा हमीदा बानो बेगम के आदेशानुसार १५६२ में बना था। इस भवन का वास्तुकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाथुद्दीन एवं उसके पिता मिराक घुइयाथुद्दीन थे जिन्हें अफगानिस्तान के हेरात शहर से बुलवाया गया था। यह इमारत लगभग आठ वर्षों में बनकर तैयार हुई और भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली का प्रथम उदाहरण थी।
२३ मई २०१०
विषुव (अंग्रेज़ी:इक्विनॉक्स) ऐसा समय-बिंदु होता है, जिसमें दिवस और रात्रि लगभग बराबर होते हैं। इसका का शब्दिक अर्थ होता है - समान। इक्वीनॉक्स शब्द लैटिन भाषा के शब्द एक्वस (समान) और नॉक्स (रात्रि) से लिया गया है। किसी क्षेत्र में दिन और रात की लंबाई को प्रभावित करने वाले कई दूसरे कारक भी होते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर २३½° झुके हुए सूर्य के चक्कर लगाती है, इस प्रकार वर्ष
में एक बार पृथ्वी इस स्थिति में होती है, जब वह सूर्य की ओर झुकी रहती
है, व एक बार सूर्य से दूसरी ओर झुकी रहती है।इसी प्रकार वर्ष में दो बार
ऐसी स्थिति भी आती है, जब पृथ्वी का झुकाव न सूर्य की ओर ही होता है, और न
ही सूर्य से दूसरी ओर, बल्कि बीच में होता है। इस स्थिति को विषुव या इक्विनॉक्स कहा जाता है। इन दोनों तिथियों पर दिन और रात की बराबर लंबाई लगभग बराबर होती है। विस्तार में...
२४ मई २०१०
कांच बिंदु रोग ग्लूकोमा या काला मोतिया नेत्र
का रोग है। यह रोग तंत्र में गंभीर एवं निरंतर क्षति करते हुए धीरे-धीरे
दृष्टि को समाप्त ही कर देता है। किसी वस्तु से प्रकाश की किरणें आंखों तक
पहुंचती हैं, व उसकी छवि दृष्टि पटल पर बनाती हैं। दृष्टि पटल (रेटिना)
से ये सूचना विद्युत तरंगों द्वारा मस्तिष्क तक नेत्र तंतुओं द्वारा
पहुंचाई जाती है। आंख में एक तरल पदार्थ भरा होता है। इससे लगातार एक तरल
पदार्थ आंख के गोले को चिकना किए रहता है। यदि यह तरल पदार्थ रुक जाए तो
अंतःनेत्र दाब (इंट्राऑक्यूलर प्रेशर) बढ़ जाता है। कांच बिंदु में
अंत:नेत्र पर दाब, प्रभावित आँखों की सहने की क्षमता से अधिक हो जाता है।
इसके परिणामस्वरूप नेत्र तंतु को क्षति पहुँचती है जिससे दृष्टि चली जाती
है। किसी वस्तु को देखते समय कांच बिंदु वाले व्यक्ति को केवल वस्तु का
केन्द्र दिखाई देता है। मधुमेह, आनुवांशिकता, उच्च रक्तचाप व हृदय रोग इस रोग के प्रमुख कारणों में से हैं। विस्तार में...
२५ मई २०१०
गतिप्रेरक (पेसमेकर) एक ऐसा छोटा उपकरण है, जो मानव हृदय
के साथ ऑपरेशन कर लगाया जाता है और मुख्यतः ह्रदय गति को नियंत्रित करने
में मदद करता है। इसके द्वारा हृदय गति को उस समय बढ़ाया, जब यह बहुत धीमी
हो एवं जब यह बहुत तेज़ हो उस समय धीमा किया जाता है। इनके अलावा हृदय गति
के अनियमित होने की दशा में ह्रदय को नियन्त्रित रूप से धड़कने में मदद भी
करता है। पेसमेकर को सर्जरी के द्वारा छाती में रखा जाता है। लीड नामक
तारों को ह्रदय की मांसपेशी में डाला जाता है। बैटरी वाला यह उपकरण कंधे के
नीचे त्वचा के भीतर रखा जाता है। रोगी के लिये उस समय वाहन चलाना या अकेले
वापस जाना सुरक्षित नहीं है। इसकी सर्जरी में १-२ घंटे लगते हैं। एक ऐसा
ही पेसमेकर उन लोगों के मस्तिष्क के लिए भी बनाया गया है, जिनके हाथ पैर
ठीक से काम नहीं करते हैं। विस्तार में...
२६ मई २०१०
ग्लोबल पॉजिशनिंग प्रणाली (अंग्रेज़ी:ग्लोबल पोज़ीशनिंग सिस्टम), एक वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली होती है। इसका विकास संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग ने किया है। २७ अप्रैल, १९९५
से इस प्रणाली ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया था। वर्तमान समय में
जी.पी.एस का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा है। इस प्रणाली के प्रमुख
प्रयोग नक्शा बनाने, जमीन का सर्वेक्षण करने, वाणिज्यिक कार्य, वैज्ञानिक
प्रयोग, सर्विलैंस और ट्रेकिंग करने तथा जियोकैचिंग के लिये भी होते हैं।
पहले पहल उपग्रह नौवहन प्रणाली ट्रांजिट का प्रयोग अमेरिकी नौसेना ने १९६०
में किया था। आरंभिक चरण में जीपीएस प्रणाली का प्रयोग सेना के लिए किया
जाता था, लेकिन बाद में इसका प्रयोग नागरिक कार्यो में भी होने लगा। जीपीएस
रिसीवर अपनी स्थिति का आकलन, पृथ्वी से ऊपर स्थित किये गए जीपीएस उपग्रहों के समूह द्वारा भेजे जाने वाले संकेतों के आधार पर करता है। विस्तार में...
२७ मई २०१०
बुद्ध जयन्ती (जिसे बुद्ध पूर्णिमा, वेसाक या हनमतसूरी भी कहते हैं) बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। बौद्ध अनुयायियों के अलावा हिन्दू लोग भी इसे मनाते हैं। बुद्ध जयन्ती वैशाख पूर्णिमा को मनाया जाता हैं। इस दिन ही गौतम बुद्ध
का स्वर्गारोहण समारोह भी मनाया जाता है। इस दिन ५६३ ई.पू. में बुद्ध
स्वर्ग से संकिसा मे अवतरित हुए थे। इस पूर्णिमा के दिन ही ४८३ ई. पू. में
८० वर्ष की आयु में, देवरिया जिले के कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया था। भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा
के दिन ही हुए थे। इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी।
आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में ५० करोड़ से अधिक लोग इस दिन को
बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह त्यौहार भारत सहित दक्षिण पूर्व एशिया के बहुत से देशों में मनाया जाता है। विस्तार में...
२८ मई २०१०
श्रीकालाहस्ती आंध्रप्रदेश के तिरुपति शहर के पास स्थित कालहस्ती नामक कस्बे में एक शिव मंदिर है। ये मंदिर पेन्नार नदी की शाखा स्वर्णामुखी नदी के तट पर बसा है। दक्षिण भारत में स्थित भगवान शिव
के तीर्थस्थानों में इस स्थान का विशेष महत्व है। ये तीर्थ नदी के तट से
पर्वत की तलहटी तक फैला हुआ है और लगभग २००० वर्षों से इसे दक्षिण कैलाश या दक्षिण काशी
के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के पार्श्व में तिरुमलय की पहाड़ी दिखाई
देती हैं, और मंदिर का शिखर विमान दक्षिण भारतीय शैली का सफ़ेद रंग में
बना है। इस मंदिर के तीन विशाल गोपुरम
हैं जो स्थापत्य की दृष्टि से अनुपम हैं। मंदिर में सौ स्तंभों वाला मंडप
है, जो अपने आप में अनोखा है। अंदर सस्त्रशिवलिंग भी स्थापित है, जो यदा
कदा ही दिखाई देता है। मंदिर का अंदरूनी भाग ५वीं शताब्दी का बना है और बाहरी भाग बाद में १२वीं शताब्दी में निर्मित है। विस्तार में...
२९ मई २०१०
पारिस्थितिकी यानि इकोलॉजी (एन्वायरनमेंटल बायोलॉजी)जीवविज्ञान की एक शाखा है जिसमें जीव
समुदायों का उसके वातावरण के साथ पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करतें हैं ।
पारिस्थितिज्ञ इस तथ्य का पता लगाते हैं कि जीव आपस में और पर्यावरण के
साथ किस तरह क्रिया करते हैं और वह पृथ्वी पर जीवन की जटिल संरचना का पता
लगाते हैं। पारिस्थितिकी को भी कहा जाता है। इस विषय में व्यक्ति,
जनसंख्या, समुदायों और इकोसिस्टम का अध्ययन होता है। ईकोलॉजी अर्थात
पारिस्थितिकी (जर्मन: Oekologie) शब्द का प्रथम प्रयोग १८६६ में जैमन जीववैज्ञानिक अर्नेस्ट हैकल ने अपनी पुस्तक जनरेल मोर्पोलॉजी देर ऑर्गैनिज़्म
में किया था। प्राकृतिक वातावरण बेहद जटिल है इसलिए शोधकर्ता अधिकांशत:
किसी एक किस्म के प्राणियों की नस्ल या पौधों पर शोध करते हैं। उदाहरण के
लिए मानवजाति धरती पर निर्माण करती है और वनस्पति पर भी असर डालती है। विस्तार में...
३० मई २०१०
ट्विटर एक मुक्त व निःशुल्क सामाजिक नेटवर्क व सूक्ष्म-ब्लॉगिंग सेवा है जो अपने उपयोगकर्ताओं को अपनी अद्यतन जानकारियां, जिन्हें ट्वीट्स
कहते हैं, एक दूसरे को भेजने और पढ़ने की सुविधा देता है। ट्वीट्स १४०
अक्षरों तक के पाठ्य-आधारित पोस्ट होते हैं, और लेखक के रूपरेखा पृष्ठ पर
प्रदर्शित किये जाते हैं, तथा दूसरे उपयोगकर्ता अनुयायी को भेजे जाते हैं।
प्रेषक अपने यहां उपस्थित मित्रों तक वितरण सीमित कर सकते हैं, या डिफ़ॉल्ट
विकल्प में मुक्त उपयोग की अनुमति भी दे सकते हैं। उपयोगकर्ता ट्विटर
वेबसाइट या लघु संदेश सेवा (SMS), या बाह्य अनुप्रयोगों के माध्यम से भी ट्विट्स भेज सकते हैं और प्राप्त कर सकते हैं। ये सेवा इंटरनेट पर २००६ में आरंभ की गई थी और अपने आरंभ होने के बाद टेक-सेवी उपभोक्ताओं, विशेषकर युवाओं में खासी लोकप्रिय हो चुकी है। विस्तार में...
३१ मई २०१०
फेसबुक अन्तरजाल पर स्थित एक निःशुल्क सामाजिक नेटवर्किंग सेवा
है, जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने मित्रों, परिवार और परिचितों के साथ
संपर्क रख सकते हैं। यह फेसबुक इंकॉ. नामक निजी कंपनी द्वारा संचालित है।
इसके प्रयोक्ता नगर, विद्यालय, कार्यस्थल या क्षेत्र के अनुसार गठित किये
हुए नेटवर्कों में शामिल हो सकते हैं और आपस में विचारों का आदान-प्रदान कर
सकते हैं। इसका आरंभ २००४ में हार्वर्ड के एक छात्र मार्क जकरबर्ग ने की थी। तब इसका नाम द फेसबुक
था। कॉलेज नेटवर्किग जालस्थल के रूप में आरंभ के बाद शीघ्र ही यह कॉलिज
परिसर में लोकप्रिय होती चली गई। कुछ ही महीनों में यह जालस्थल पूरे यूरोप
में पहचाना जाने लगा। अगस्त २००५ में इसका नाम फेसबुक कर दिया गया। फेसबुक में अन्य भाषाओं के साथ हिन्दी में भी काम करने की सुविधा है। आज ३१ मई, २०१० को बहुत से लोग क्विटफेसबुकडे मना रहे हैं। विस्तार में...
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