प्रस्तुति-अभिषेक रस्तोगी,फारूक शेख
वर्धा
जर्मनी को कुदरत के विलक्षण उपहार के रूप में मिली नदियां यहां के लोगों की
आत्मा की तरह हैं और प्रेरणा भी. सैलानियों के लिए यह नदियों के रास्ते
जर्मनी की एक अविस्मरणीय खोज बन सकती है. आइये इनकी यात्रा पर निकलें.
राइन के तट पर बसा कोलोन शहर
राइन नदी से मोज़ल नदी और ओडर नदी तक, जर्मनी में जल संपदा का समृद्ध
विस्तार है. आगंतुक इस अनुपम बहती जल राशि को देखने का अद्वितीय आनंद उठा
सकते हैं. वे उसे महसूस कर सकते हैं. उसके किनारों से, नाव से, छोटे जहाजों
से, उसकी बगल से गुज़रते रास्तों से, और उसके किनारों पर बने कैफे से.
आइये इस यात्रा की झिलमिलाती रोशनियों से थोड़ा रूबरू हों.
राइन नदी की पारदर्शी स्वच्छ जल धारा
राइन नदी जर्मनी की सबसे लंबी नदी है. और ये अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती है. इसके किनारों पर मध्ययुगीन कैसल और वाइन उत्पादक अनुपम गांवों की निराली छटाएं बिखरी हुई हैं. लेकिन हमेशा से राइन ऐसी नहीं थी. लंबे समय तक इसमें भारी प्रदूषण था. यह एक बेरौनक बदहाल नदी भी रही है.
नदी पर चलने वाली नौकाओं और जहाजों के पास जर्मनी की सीमाओं में सात हज़ार किलोमीटर का जल मार्ग है. सैलानियों, यात्रियों क्रूज़ जहाजों के भी कई रास्ते हैं. पानी के बीच तैरते जहाजों पर दीन दुनिया से बेख़बर इन यात्राओं का अपना रोमांच है.
अल्टम्युअल घाटी की खोज
जर्मनी के बावरिया प्रांत में अल्टम्युअल धीरे धीरे बहती एक नदी है. इसका मतलब ये नहीं कि उस पर जीवन नहीं. उसके धीमे बहाव में भी एक जीवंतता और गतिशीलता है. और अल्टम्युअल घाटी जर्मनी के सबसे विविधता भरे क्षेत्रों में एक है.
मोज़ल नदी के किनारे साइकल यात्रा
साइकल दौड़ की प्रतियोगिता जीतने का सवाल न हो तब भी राइन नदी के किनारों पर साइकल के पैडल मारना एक जीवंत अनुभव हो सकता है. राइन किनारे साइकल टूर के कई रोमांच हैं. यूरोप की मशहूर साइकल रेस जीतने में जितनी ऊर्जा की खपत होती है उसके क़तरे भर में आप राइन की सैर कर सकते हैं. इतनी ऊर्जावान, स्फूर्तिदायक और ताज़गी भरी होती है ये यात्रा.
जर्मनी की नदियों की सैर का लुत्फ़
अगर आप जर्मनी की दर्शनीयता और भव्यता और अबूझ सुंदरता की विविधताओं को समझना चाहते हैं तो ख़ुश हो जाइये, इसके लिए आपको भगीरथ प्रयास करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. आप एक नाव या जहाज़ पर बैठें और नदी के सफ़र पर निकल पड़ें. आप अपने सामने इतिहास के हर्फ़ो को उलटता और भूगोल को बदलता देखते हुए रोमानी लम्हों से अवाक रहते हुए निकलेंगे. आप नहीं, आपका जहाज या आपकी नाव निकलेगी. आप तो बस इस दिव्य नज़ारे की क़ैद में हैं.
शिव प्रसाद जोशी
राइन नदी की पारदर्शी स्वच्छ जल धारा
राइन नदी जर्मनी की सबसे लंबी नदी है. और ये अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती है. इसके किनारों पर मध्ययुगीन कैसल और वाइन उत्पादक अनुपम गांवों की निराली छटाएं बिखरी हुई हैं. लेकिन हमेशा से राइन ऐसी नहीं थी. लंबे समय तक इसमें भारी प्रदूषण था. यह एक बेरौनक बदहाल नदी भी रही है.
मोज़ेल के किनारे शहर भी, अंगूर के बाग भी
नदी में आवाजाही नदी पर चलने वाली नौकाओं और जहाजों के पास जर्मनी की सीमाओं में सात हज़ार किलोमीटर का जल मार्ग है. सैलानियों, यात्रियों क्रूज़ जहाजों के भी कई रास्ते हैं. पानी के बीच तैरते जहाजों पर दीन दुनिया से बेख़बर इन यात्राओं का अपना रोमांच है.
अल्टम्युअल घाटी की खोज
जर्मनी के बावरिया प्रांत में अल्टम्युअल धीरे धीरे बहती एक नदी है. इसका मतलब ये नहीं कि उस पर जीवन नहीं. उसके धीमे बहाव में भी एक जीवंतता और गतिशीलता है. और अल्टम्युअल घाटी जर्मनी के सबसे विविधता भरे क्षेत्रों में एक है.
मोज़ल नदी के किनारे साइकल यात्रा
राइन के ज़रिए व्यापार और पर्यटन
मोज़ल नदी के किनारों पर साइकल की ट्रिप जर्मनी के सबसे सुंदर
इलाक़ों में से एक का आनंद उठाने का बेहतरीन ज़रिया हैं. आप चलते चले जाते
हैं दूर तक नदी के साथ और मज़ाल है कि पसीने की एक बूंद भी आपकी तल्लीनता
से टकरा पाए.
और राइन की दिलकश साइकल सैर साइकल दौड़ की प्रतियोगिता जीतने का सवाल न हो तब भी राइन नदी के किनारों पर साइकल के पैडल मारना एक जीवंत अनुभव हो सकता है. राइन किनारे साइकल टूर के कई रोमांच हैं. यूरोप की मशहूर साइकल रेस जीतने में जितनी ऊर्जा की खपत होती है उसके क़तरे भर में आप राइन की सैर कर सकते हैं. इतनी ऊर्जावान, स्फूर्तिदायक और ताज़गी भरी होती है ये यात्रा.
जर्मनी की नदियों की सैर का लुत्फ़
अगर आप जर्मनी की दर्शनीयता और भव्यता और अबूझ सुंदरता की विविधताओं को समझना चाहते हैं तो ख़ुश हो जाइये, इसके लिए आपको भगीरथ प्रयास करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. आप एक नाव या जहाज़ पर बैठें और नदी के सफ़र पर निकल पड़ें. आप अपने सामने इतिहास के हर्फ़ो को उलटता और भूगोल को बदलता देखते हुए रोमानी लम्हों से अवाक रहते हुए निकलेंगे. आप नहीं, आपका जहाज या आपकी नाव निकलेगी. आप तो बस इस दिव्य नज़ारे की क़ैद में हैं.
शिव प्रसाद जोशी
- तारीख 30.10.2009
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