गुरुवार, 20 दिसंबर, 2012 को 07:00 IST तक के समाचार
न्यूयॉर्क करीब 800 भाषाओं का घर
और भाषाविदों के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. न्यूयॉर्क की विभिन्न
भाषाओं को सुनने के लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है, बस सब-वे पर सवार
होना है.
रास्ते में आपको कोरियाई, चीनी, स्पैनिश, बंगाली,
गुजराती, नेपाली सहित विभिन्न भाषाएँ सुनाई देंगी. रास्तों पर आपको विभिन्न
भाषाओं में चिह्न या निशान बने मिलेंगे.आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन दशकों में अमरीकी घरों में अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं की बोलचाल में 140 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है.
संकट में भाषाएँ
ब्रेटॉन- फ्रांस के ब्रिटनी इलाके में ढाई लाख बोलते हैं नाफूसी- उत्तर-पश्चिम लीबिया में बोले जानी वाली भाषा मापूछ- चिली और अर्जेंटीना के कुछ इलाकों के एक लाख से कम इस भाषा को बोलते हैं. |
अब जाघवा या लिवोनियन भाषा पर आंकड़े एकत्र करने के लिए भाषाविदों को दुनिया का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है. वो सात नंबर ट्रेन लेकर न्यूयॉर्क के उन इलाकों में जा सकते हैं जहाँ इसे बोलने वाले लोग मिल जाएंगे.
हाल ही में लुप्त हुई भाषाएँ
उभी– एक तुर्की भाषा जो 1992 में लुप्त हो गई जब उसे बोलने वाले आखिरी व्यक्ति की मौत हुई. अक्काला सामी– रूसी संघ की इस भाषा को बोलने वाले आखिरी व्यक्ति की 2003 में मौत हो गई. इयाक– अलास्का, अमरीका, की ये भाषा 2008 में मैरी स्मिथ जोंस की मौत के साथ ही लुप्त हो गई. |
कॉफमैन मानते हैं कि दुनिया के कोने-कोने से आप्रवासी बड़ी संख्या में न्यूयॉर्क पहुँचते हैं, इसी कारण न्यूयॉर्क में इतनी भाषाओं को बोलने वाले लोग आसानी से मिल जाते हैं.
वो बताते हैं कि स्लोवीनिया में रहने वाले गॉटशीयर्स लोग स्लाविक भाषा जैसी अपनी ही एक अलग भाषा बोलते हैं जिसे जर्मन लोग समझ नहीं पाते.
इसी भाषा को बोलने वाले चंद लोगों में से कुछ लोग क्वींस में रहते हैं.
होंडूरास और बेलीज़ में गरीफुना भाषा बोलने वाले कुछ आप्रवासी लोग अमरीका में रहते हैं.
एंडेंजर्ड लैंग्वेज अलायंस के कर्मचारी दो गरीफुना भाषा बोलने वाले लोगों लोरीडा ग्वीटी और एलेक्स कोलोन की ना सिर्फ भाषा को बल्कि उनकी संस्कृति और परंपरागत गानों को भी रिकॉर्ड कर रहे हैं.
भाषाविदों ने सुलावेसी, इंडोनेशिया की ममूजू भाषा बोलने वाले हुस्नी हुसैन का वीडिया बनाया है.
न्यूयॉर्क में ममूजू भाषा को बोलने वाले वो एकमात्र व्यक्ति हैं और शायद इस भाषा को पहली बार डिजिटल रूप में सुरक्षित रखा जा रहा था.
लेकिन भाषाएँ क्यों मरती हैं?
19वीं शताब्दी के अंत में मैनहाटन का उत्तरी छोर यिदिश भाषा का केंद्र था. वहाँ यिदिश से जुड़ी पत्र-पत्रिकाएँ, रेस्तराँ और किताबों की दुकानें मौजूद थीं लेकिन 20वीं सदी में जब इलाके से यहूदी लोग जाने लगे, तब भाषा की स्थिति खराब हुई.
यहाँ तक की अमरीका में पैदा हुए यहूदी आप्रवासियों के बच्चे यिदिश भाषा बोल नहीं पाते थे लेकिन ऐसे वक्त जब यिदिश के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे थे, यिदिश भाषा ने वापसी की.
इसका श्रेय यिदिश बुक सेंटर के संस्थापक और प्रमुख आरोन लांस्की को जाता है.
उनके प्रयासों का नतीजा था कि यिदिश भाषा की 11,000 किताबों को डिजिटल रूप में सुरक्षित किया गया है और अब वो इंटरनेट पर उपलब्ध हैं.
न्यूयॉर्क के धार्मिक यहूदी यिदिश का इस्तेमाल आम बोलचाल की भाषा में कर रहे हैं.
लांस्की कहते हैं, ''आजकल ऐसे कई लोग हैं जो अपने बच्चों को यिदिश भाषा सिखा रहे हैं.''
यिदिश में रेडियो कार्यक्रम का भी प्रसारण होने लगा है.
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