(सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हिंदी, आगरा)
/ परिचय
केंद्रीय
हिंदी संस्थान की स्थापना सन् 1962 में हुई थी। यह मानव संसाधन मंत्रालय,
भारत सरकार की एक स्वायत्तशासी संस्था है, जो केंद्रीय हिंदी शिक्षण
मण्डल द्वारा शासित है। इसका उद्देश्य हिंदी शिक्षण-प्रशिक्षण, हिंदी
भाषा, साहित्य और तुलनात्मक भाषाविज्ञान के उच्चतर अध्ययन के अलावा हिंदी
का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार एवं प्रसार करना है।
संस्थान ने भारत के हिंदीतर राज्यों के हिंदी शिक्षकों के अलावा श्रीलंका
और अफ़गानिस्तान के लिये भी पाठ्यक्रम तैयार किए हैं।
संस्थान में हिंदी शिक्षण के अतिरिक्त शोधकार्य
भी किया जाता है, शोध कार्य के विभिन्न पहलुओं के रूप में व्यतिरेकी
भाषाविज्ञान, अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, कोश विज्ञान, भाषा शिक्षण, शैली
विज्ञान, अनुवाद, समाज-भाषाविज्ञान, मनो-भाषाविज्ञान और सांस्कृतिक
दृष्टिकोणों को प्रमुखता दी जाती है। इन विषयों पर संस्थान अनेक पुस्तकें
प्रकाशित कर चुका है। भारतीय एवं विदेशी छात्रों के लिए पाठ्य पुस्तकें
एवं अन्य उपयोगी पुस्तकें भी संस्थान द्वारा प्रकाशित है। संस्थान एक शोध
पत्रिका ‘गवेषणा’ प्रकाशित करता है तथा उच्च कोटि के शोध अध्ययनों को ‘मोनोग्राफ़’ तथा पुस्तकों के रूप में भी प्रकाशित करता है। 48 खंडों में ‘हिंदी लोक शब्दकोश’
भी बनाया जा रहा है। इसके अलावा संस्थान के विकास में केंद्रों द्वारा
संचालित विभिन्न नवीकरण एवं उच्च नवीकरण कार्यक्रमों का इस दिशा में महती
योगदान है। विभिन्न विषयों पर शैक्षिक-बौद्धिक विकास के उद्देश्य से
आयोजित अखिल भारतीय संगोष्ठियाँ संस्थान की महत्वपूर्ण शैक्षिक गतिविधियाँ
हैं।
संस्थान का मुख्यालय भारत के उत्तर प्रदेश के राज्य आगरा नगर में है। इसके केंद्र दिल्ली, हैदराबाद, शिलांग, गुवाहाटी, मैसूर, दीमापुर, भुवनेश्वर तथा अहमदाबाद
में हैं। केंद्रीय हिंदी संस्थान अहिंदी भाषी क्षेत्र के हिंदी अध्यापकों
को हिंदी शिक्षक प्रशिक्षण देने में विशेषज्ञ है और उनके लिये अल्पकालिक
गहन नवीकरण पाठ्यक्रम भी चलाता है।
संस्थान ने भाषा शिक्षण की अधुनातन भाषा प्रौद्योगिकीय प्रविधियों जैसे –
डिजिटल भाषा प्रयोगशाला, कम्प्यूटर प्रयोगशाला एवं दृश्य- श्रव्य माध्यमों
द्वारा विदेशी भाषा के रूप में हिंदी सिखाने के लिये कई पाठ्यक्रमों का
विकास किया है।
संस्थान में नियमित सत्रीय पाठ्यक्रमों के साथ-साथ सांध्यकालीन प्रयोजनमूलक पाठ्यक्रम भी चलाये जाते हैं जैसे– अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान, अनुवाद, जनसंचार एवं पत्रकारिता। इसके अतिरिक्त रोजगारपरक हिंदी दक्षता पाठ्यक्रम इस प्रकार हैं – हिंदी प्रकाशन तकनीक एवं प्रूफ़ रीडिंग, मीडिया और रचनात्मक लेखन, विक्रय एवं विपणन कौशल, मीडिया और संप्रेषण कला।
विदेशी
विद्यार्थियों के लिये हिंदी पाठ्यक्रम 1971 में दिल्ली केंद्र में
प्रारंभ हुआ जो स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम के रूप में अनवरत चल रहा है।
‘विदेशों में हिंदी प्रसार योजना’
के अंतर्गत विदेशों से भारत सरकार की छात्रवृत्ति पर 1991 से आगरा में
हिंदी पढ़ने के लिए विद्यार्थी आने लगे। 1991 से 2010 तक संस्थान के आगरा
स्थित अंतर्राष्ट्रीय हिंदी शिक्षण विभाग में विभिन्न देशों से जैसे –
अर्मेनिया, अफगानिस्तान, बुल्गारिया, बेलारूस, चेक रिपब्लिक, चाड, फिज़ी,
गयाना, जार्जिया, हंगरी, इटली, इंडोनेशिया, जापान, लिथुआनिया, मॉरिशस,
मंगोलिया, रूस, श्रीलंका, थाइलैण्ड, तज़ाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, वियतनाम,
आस्ट्रिया, रोमानिया, सूरीनाम, चीन, ट्रिनिडाड एवं टुबैगो, कज़ाकिस्तान,
साउथ कोरिया, नॉर्थ कोरिया, अमेरिका, कनाडा, पोलैण्ड, यू.एस.ए. आदि के अब
तक 1000 विद्यार्थी हिंदी की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं।
संस्थान से शिक्षा प्राप्त विभिन्न देशों के विद्यार्थी जैसे – इटली की फ़्रेन्चेस्का ओर्सिनी लंदन के अफ़्रीका एवं एशियन अध्ययन केंद्र, (S. O. A. S.) मारिया नेज्येशी हंगरी में, कु.
अतिला, श्री ब्रेसिल एवं श्रीमती चंदिमा भारतीय सांस्कृतिक केंद्र,
श्रीलंका में कार्यरत हैं। कलानिया विश्वविद्यालय, श्रीलंका में तीन
छात्र, तेज प्रसाद खेदू-सूरीनाम में तथा हैम्बर्ग (जर्मनी), सियोल (साउथ
कोरिया), बुडापेस्ट (हंगरी), रीडिंग ओपन युनिवर्सिटी-लंदन आदि में अनेकों
छात्र अध्यापन कार्य कर रहे हैं। ये वहां हिंदी से संबंधित अन्य रोज़गारों
में भी लगे हैं।
संस्थान के निम्नलिखित अध्यापक विदेशों में अध्यापन कार्य कर चुके हैं – डॉ. शेर बहादुर झा (ट्रिनीडाड), डॉ.
उमाशंकर सतीश (सूरीनाम), प्रो॰ सूरजभान सिंह (रोमानिया), डॉ॰ मोहन लाल सर
(फ़िनलैंड), डॉ॰ ठाकुर दास (क्यूबा), स्व. डॉ॰ धर्मपाल गांधी (साउथ कोरिया
एवं जापान), प्रो॰ रवि गुप्ता (पोलैंड एवं हंगरी), स्व. डॉ॰ मंजू गुप्ता
(पोलैंड), प्रो॰ सी॰ ई॰ जीनी (चीन), प्रो॰ श्रीशचंद जैसवाल (इंगलैंड एवं
रूस), प्रो॰ अश्वनी कुमार श्रीवास्तव (इटली एवं जापान), प्रो॰ देवेन्द्र
शुक्ल (बुल्गारिया), प्रो॰ अरुण चतुर्वेदी (जापान), डॉ॰ गीता शर्मा (रूस
एवं जापान), डॉ॰ एम॰ ज्ञानम (दक्षिण कोरिया), डॉ॰ अनीता गांगुली (फिनलैंड)
आदि।
केंद्रीय
हिंदी संस्थान, आगरा दुनिया में हिंदी शिक्षण का सबसे बड़ा
अंतर्राष्ट्रीय केंद्र है, जहाँ सुयोग्य अध्यापकों द्वारा विदेशी
विद्यार्थियों को आधुनिक तकनीक से सघन हिंदी शिक्षण प्रदान किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी शिक्षण विभाग
विदेशियों के लिए हिंदी शिक्षण पाठ्यक्रम एवं उनकी रूपरेखा
1॰ हिंदी भाषा दक्षता प्रमाण-पत्र
I. मौखिक अभिव्यक्ति
II. लिखित अभिव्यक्ति
III. भाषा की संरचना एवं प्रयोग
IV. पाठावली (गद्य एवं पद्य)
2॰ हिंदी भाषा दक्षता डिप्लोमा
I. मौखिक अभिव्यक्ति
II. लिखित अभिव्यक्ति
III. भाषा की संरचना एवं प्रयोग
IV. पाठावली (गद्य एवं पद्य)
V. आधुनिक साहित्य का इतिहास
3॰ हिंदी भाषा दक्षता उच्च डिप्लोमा
I. मौखिक अभिव्यक्ति
II. लिखित अभिव्यक्ति
III. संरचना एवं प्रयोग
IV. पाठावली (गद्य एवं पद्य)
V. हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास
4॰ स्नातकोत्तर हिंदी डिप्लोमा
I. हिंदी शिक्षण और सामग्री निर्माण
II. सामान्य भाषाविज्ञान और हिंदी भाषा
III. पाठावली (गद्य और पद्य)
IV. प्रेमचंद : एक विशेष अध्ययन
V. शोध सिद्धांत और प्रविधि
VI. वैकल्पिक
(क) संप्रेषण कला
(ख) अनुवाद : सिद्धांत और व्यवहार
(ग) भारतीय संस्कृति और दर्शन
VII. लघुशोध प्रबंध और मौखिकी
उपर्युक्त
पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त भाषाविज्ञान, भाषाशिक्षण, हिंदी भाषा और साहित्य
का इतिहास एवं भारतीय संस्कृति आदि क्षेत्रों में उच्चस्तरीय शोध के लिए
मार्गदर्शन की अत्याधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
पाठ्यक्रम में प्रवेश के आधार
निम्नलिखित वर्गों के विदेशी छात्रों को पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जा सकता है-
(क). भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विदेशों में हिंदी प्रचार योजना के अंतर्गत चुने गये छात्र।
(ख). विभिन्न देशों की सरकारों/अभिकरणों/संस्थाओं द्वारा प्रतिनियुक्त/प्रायोजित छात्र।
(ग) सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों के अंतर्गत चुने गये छात्र।
I. प्रवेश अर्हता
न्यूनतम अर्हता : 12 वर्ष स्कूल (10+2) अथवा कॉलेज की शिक्षा।
II. प्रवेश प्रक्रिया
वर्ग (क) और (ख) के छात्र प्रवेश के लिये भारतीय दूतावासों/ उच्चायोगों द्वारा आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं और वे वेबसाइट www.hindisansthan.org से भी आवेदन पत्र प्राप्त (download) कर सकते हैं।
आवेदन पत्र दो संस्तुतियों के साथ भेजा जाना चाहिये जिनमें एक भारतीय दूतावास अथवा उच्चायोग के प्रथम सचिव/द्वितीय
सचिव या अताशे के स्तर के अधिकारी की तथा दूसरी भाषाविज्ञान या हिंदी के
विशेषज्ञ अथवा उनके देश के किसी विश्वविद्यालय / संस्था के निदेशक ,
प्रोफ़ेसर , रीडर या लेक्चरर की होनी चाहिए।
भारतीय दूतावास / उच्चायोग द्वारा छात्रों के आवेदन पत्र, चिकित्सा
परीक्षण प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र और हिंदी में दक्षता संबंधी पत्र
के साथ निदेशक / कुलसचिव केंद्रीय हिंदी संस्थान, हिंदी संस्थान मार्ग, आगरा-282005, भारत को भेजेगा।
III. आयु सीमा
किसी
भी पाठ्यक्रम में प्रवेश की न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष और अधिकतम 35 वर्ष
है। विशेष परिस्थितियों में अधिकतम आयु सीमा में छूट दी जा सकती है।
IV. शैक्षिक वर्ष
संस्थान का शैक्षिक वर्ष 1 अगस्त से 30 अप्रैल तक होगा। शैक्षिक वर्ष में दो सत्र हैं : अगस्त-दिसम्बर और जनवरी-अप्रैल। दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह से जनवरी के प्रथम सप्ताह (लगभग 15 दिन) तक शीतावकाश होगा।
V. आवास सुविधा
केंद्रीय
हिंदी संस्थान, आगरा द्वारा छात्र-छात्राओं के लिये अलग-अलग छात्रावासों
की व्यवस्था है। छात्रावास का रख-रखाव शुल्क रु॰ 250/- प्रतिमाह है।
छात्रावास में निवास करना अनिवार्य है।
छात्रावास
की सुविधा संस्थान के केवल नियमित छात्रों को ही दी जाती है, उनके परिवार
के लोगों/आश्रितों अथवा मित्रों को नहीं। अतः छात्र-छात्राओं से अनुरोध है
कि वे अपने साथ अपना परिवार न लायें, क्योंकि उनको छात्रावास से बाहर रहने
की अनुमति नहीं है।
विशेष निर्देश
छात्रावास
में रहने वाले छात्रों के लिए छात्रावास के नियमों का सख़्ती से अनुपालन
करना अनिवार्य है। छात्रावास की नियमावली प्रवेश के समय उपलब्ध कराई
जाएगी। किसी भी प्रकार से नियम भंग करने पर अन्य कार्रवाइयों के साथ-साथ
उस विद्यार्थी का प्रवेश भी रद्द करके उसे अपने खर्चे पर वापस जाने का
आदेश दिया जा सकता है।
VI. भोजनालय
छात्रावासों में सहकारिता के आधार पर भोजनालय चलाने की व्यवस्था
है।
छात्रावास में रहने वाले छात्रों को भोजनालय में भोजन करना अनिवार्य है।
आवासीय कमरों में खाना बनाना पूर्णतया वर्जित है। भोजनालय मूलत: शाकाहारी
है, जहाँ सामान्यतः भारतीय भोजन ही उपलब्ध होगा। भोजन (नाश्ता, लंच, डिनर)
का प्रतिमाह अनुमानित व्यय 1200/- से 1500/- होता है।
VII. वित्तीय सहायता
‘विदेशों में हिंदी प्रचार योजना’
के अंतर्गत प्रवेश प्राप्त करने वाले छात्रों को प्रतिमाह छात्रवृत्ति
और अपने देश से भारत तक आने-जाने का सबसे कम दूरी वाले रूट का किफ़ायती
विमान किराया दिया जाता है। छात्र को प्रति माह रु. 3500/-
की छात्रवृत्ति दी जाती है। यह छात्रवृत्ति 1 अगस्त से अथवा उनके भारत
में आगमन के माह से शैक्षिक सत्र के अंत तक अर्थात 30 अप्रैल तक दी जाती
है। पुस्तक अनुदान के रूप में प्रति वर्ष रु॰ 1000/- मात्र दिये जाते हैं।
छात्र-छात्राओं को नई दिल्ली के हवाईअड्डे से केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा तक पहुँचने का रेल/बस द्वारा व्यय की गई धनराशि संस्थान द्वारा देय होगी।
चूँकि आगरा नई दिल्ली से सड़क और रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। अतः किसी भी सुविधाजनक ट्रेन या बस द्वारा आगरा पहुँचा जा सकता है।
दूतावास द्वारा समय पर जानकारी प्राप्त होने पर संस्थान द्वारा
छात्र-छात्राओं को दिल्ली हवाई अड्डे से केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा तक
कार द्वारा लाने और वापस भेजने की सुविधा है।
VIII. शुल्क
छात्र-छात्राओँ को केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा में किसी प्रकार का प्रवेश अथवा परीक्षा शुल्क देय नहीं है।
1. छात्रावास रख-रखाव शुल्क रु. 250/- प्रतिमाह
2. पुस्तकालय प्रतिभूति रु. 500/- एक बार
(पुस्तकालय
प्रतिभूति शैक्षिक सत्र की समाप्ति के समय पुस्तकालय की पुस्तकें वापिस
करने पर लौटा दी जाती है। इसके लिए पुस्तकालयाध्यक्ष से
अनापत्ति-प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा)
IX. चिकित्सा सुविधा
यदि कोई छात्र बीमार हो जाए तो संस्थान उसे सरकारी अस्पताल और संस्थान
द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में खर्च होने वाली राशि का भुगतान
करेगा। संस्थान में पुरुष तथा महिला डॉक्टर की व्यवस्था भी की गई है। इसके
अतिरिक्त अन्य डॉक्टर या किसी नर्सिंग होम में इलाज कराने पर चिकित्सीय
व्यय संस्थान द्वारा देय नहीं होगा।
X. अनुशासन
सभी छात्र-छात्राओं को संस्थान के नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
अनुशासन नियमों की प्रति प्रवेश के समय छात्र को दी जाएगी। इन नियमों का
पालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। जैसे, छात्रवृत्ति
समाप्त करना, प्रवेश रद्द करना आदि। यह मामला संबंधित दूतावास/ उच्चायोग
को भी भेजा जा सकता है। छात्र या छात्रा को अपने देश वापस भेजने के लिए
संबद्ध दूतावास/ उच्चायोग को भी सौंपा जा सकता है। ऐसी स्थिति में वापसी का किराया संस्थान द्वारा नहीं दिया जाएगा।
XI. अवकाश
विद्यार्थियों को केवल चिकित्सा प्रमाण के आधार पर अवकाश दिया जाएगा।
अन्यथा छुट्टियों के अलावा सामान्य स्थिति में कक्षा से अनुपस्थित होने पर
उसकी छात्रवृत्ति से 50/- प्रतिदिन की दर से कटौती की जाएगी।
XII. उपस्थिति
प्रत्येक पाठ्यक्रम में दो सत्र होंगे। दोनों सत्रों के अंत में विद्यार्थी की 80% उपस्थिति अनिवार्य है।
उपस्थिति कम होने के कारण यदि छात्र-छात्रा को परीक्षा में बैठने की
अनुमति नहीं दी जाती है तो उसे वापसी किराया नहीं दिया जाएगा और उसकी
सूचना संबद्ध दूतावास को भेजी जाएगी। वे ही ऐसे छात्र-छात्राओं के वापसी
के टिकट का प्रबंध करेंगे। संस्थान ऐसे छात्र-छात्राओँ से छात्रवृत्ति
वापस लेने की भी कार्रवाई कर सकता है। इसके लिए प्रतिमाह की उपस्थिति पर
सख़्ती से नज़र रखी जाएगी।
XIII. परीक्षा और प्रमाण-पत्र
प्रत्येक सत्र में दिसम्बर-जनवरी में 30 अंकों की आंतरिक परीक्षा एवं
अप्रैल में 70 अंकों की अंतिम परीक्षा आयोजित होगी। दोनों परीक्षाओं में
अर्थात 100 अंकों में प्राप्तांक के आधार पर छात्रों की दक्षता का
मूल्यांकन कर अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र/डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा। मूल्यांकन का अनुस्तरण इस प्रकार है –
ए+ 90% और ऊपर
ए 80-89%
बी+ 70-79%
बी 60-69%
सी 50-59%
डी 50% से कम
50%
से कम अंक प्राप्त करने वाले छात्र को अनुत्तीर्ण माना जाएगा। ऐसी
स्थिति में उन्हें केवल अंकतालिका दी जाएगी, प्रमाण पत्र प्रदान नहीं किया
जाएगा।
पुस्तकालय
संस्थान
के गांधी भवन में स्थित पुस्तकालय भाषाविज्ञान, भाषा शिक्षण और हिंदी
साहित्य के क्षेत्र में विशेषीकृत संग्रह की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ
पुस्तकालयों में से एक है। इस समय पुस्तकालय में लगभग 60,000 पुस्तकें
हैं। 100 शोधमूलक एवं सामान्य पत्रिकाएँ आती हैं। पुस्तकालय के सन्दर्भ
ग्रंथ कक्ष में अंग्रेज़ी तथा भारतीय भाषाओं के सभी प्रमुख शब्दकोश,
प्रसिद्ध विश्वकोश तथा साहित्य एवं भाषा अध्ययन में सहायक अन्य संदर्भ
ग्रंथ संग्रहीत हैं। शोधकर्ताओं एवं भाषा अध्यापकों की आवश्यकताओं को
ध्यान में रखने के साथ-साथ संस्थान – पुस्तकालय आरंभिक स्तर की हिंदी सीखने वाले छात्रों के लिये उपयुक्त पठन एवं संदर्भ सामग्री मुहैया कराता है। पुस्तकालय में वाचनालय की भी व्यवस्था है जहाँ भारत एवं विदेशों से पत्र-पत्रिकाएँ मँगवाई जाती हैं।
सुविधाएँ
संस्थान
परिसर में डाक सेवाएँ (राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्पीड पोस्ट,
मनीऑर्डर, एक्सप्रेस पार्सल तथा साधारण डाक), बैंकिंग सेवाएँ और
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा अंतरण सेवाएँ भी उपलब्ध हैं। पुस्तक विक्रय केंद्र
पर संस्थान के प्रकाशन विद्यार्थियों के लिए रियायती दर पर उपलब्ध है।
वचन
सभी
छात्र/छात्राओं को लिखित रूप में वचन देना होगा कि उन्हें उपर्युक्त सभी
नियमों की जानकारी है तथा वे इनका भली प्रकार से पालन करेंगे।
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