मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

मंगल ग्रह नाशक मंगलनाथ मंदिर

धर्मयात्रा🚩*/ ?  मंगलनाथ मंदिर , उज्जैन🪴*


 मंगलनाथ मंदिर , उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है। जो लोग मंगल दोष से पीड़ित रहते हैं , वे मंगल की शांति के लिए इस मंदिर में आते हैं।

 उज्जैन में इनका जन्म-स्थान होने के कारण यहाँ की पूजा को ख़ास महत्व दिया जाता है।

 मान्यता है कि मंगल ग्रह की शांति के लिए दुनिया में ' मंगलनाथ मंदिर ' से बढ़कर कोई स्थान नहीं है। 

कहा जाता है कि यह मंदिर सदियों पुराना है। 

उज्जैन शहर को भगवान महाकाल की नगरी कहा जाता है , इसलिए यहाँ मंगलनाथ भगवान की शिव रूपी प्रतिमा का पूजन किया जाता है।

कथा के अनुसार अंधाकासुर नामक दैत्य ने भगवान शिव से वरदान पाया था कि उसके रक्त की बूँदों से नित नए दैत्य जन्म लेते रहेंगे। इन दैत्यों के अत्याचार से त्रस्त जनता ने शिव की अराधना की। तब शिव शंभु और दैत्य अंधाकासुर के बीच घनघोर युद्ध हुआ। ताकतवर दैत्य से लड़ते हुए शिवजी के पसीने की बूँदें धरती पर गिरीं , जिससे धरती दो भागों में फट गई और मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई। शिवजी के वारों से घायल दैत्य का सारा लहू इस नये ग्रह ( मंगल ग्रह) में मिल गया , जिससे मंगल ग्रह की भूमि लाल रंग की हो गई। दैत्य का विनाश हुआ और शिव ने इस नए ग्रह को पृथ्वी से अलग कर ब्रह्मांड में फेंक दिया। 

उज्जैन में अंकपात के निकट क्षिप्रा नदी के तट के टीले पर मंगलनाथ का मंदिर है।संभवत: कभी मंगल ग्रह की खोज भी यहाँ से ही हुई होगी , ऐसी मान्यता है। 

मंदिर में हर मंगलवार के दिन भक्तों का ताँता लगा रहता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में चतुर्थ , सप्तम , अष्टम , द्वादश भाव में मंगल होता है , वे मंगल शांति के लिए यहाँ विशेष पूजा अर्चना करवाते हैं।

मार्च में आने वाली अंगारक चतुर्थी के दिन मंगलनाथ में विशेष पूजा - अर्चना की जाती है। इस दिन यहाँ विशेष यज्ञ-हवन किए जाते हैं। इस समय मंगल ग्रह की शांति के लिए लोग दूर-दूर से उज्जैन आते हैं। यहाँ होने वाली भात पूजा को भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मंगल ग्रह को मूलतः मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी माना जाता है।

मंदिर में सुबह छह बजे से मंगल आरती शुरू हो जाती है। आरती के तुरंत बाद मंदिर परिसर के आसपास तोते मँडराने लगते हैं। जब तक उन्हें प्रसाद के दाने नहीं मिल जाते , वे यहीं मँडराते रहते हैं। यहाँ के पुजारीजी  बताते हैं कि यदि हम प्रसाद के दाने डालने में कुछ देर कर दें , तो ये पंछी शोर मचाने लगते हैं। *लोगों का विश्वास है कि पंछियों के रूप में मंगलनाथ स्वयं प्रसाद खाने आते हैं।*

मंगलनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने से कुंडली में उग्ररूप धारण किया हुआ मंगल शांत हो जाता है। इसी धारणा के चलते हर साल हजारों नवविवाहित जोड़े , जिनकी कुंडली में मंगलदोष होता है , यहाँ पूजा - पाठ कराने आते हैं।

 मंगल देवता की पूजा से मंगल ग्रह से शांति प्राप्त होती है , कर्ज से मुक्ति और धन लाभ प्राप्त होता है। मंगल के रत्न रूप में मूंगा धारण किया जाता है। मंगल दक्षिण दिशा के संरक्षक माने जाते हैं।

मंगल दोष एक ऐसी स्थिति है , जो जिस किसी जातक की कुंडली में बन जाये तो उसे बड़ी ही अजीबो - गरीब परिस्थिति का सामना करना पड़ता है । 


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