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भारत के दक्षिणी भाग को दक्षिण भारत भी कहते हैं। अपनी संस्कृति, इतिहास तथा प्रजातीय मूल की भिन्नता के कारण यह शेष भारत से अलग पहचान बना चुका है। हलांकि इतना भिन्न होकर भी यह भारत की विविधता का एक अंगमात्र है।
दक्षिण भारत का राजनैतिक मानचित्र, नदियों के साथ
इतिहास
कार्बन डेटिंग पद्धति से यह पता चला है
कि इस क्षेत्र में ईसा पूर्व 8000 से मानव बसाव रहा है। लगभग 1000 ईसा पूर्व से
लौह युग का सूत्रपात हुआ। मालाबार
और तमिल
लोग संगम प्राचीन काल में यूनान और रोम से व्यापार किया करते थे। वे रोम, यूनान, चीन,
अरब,
यहूदी
आदि लोगों के सम्पर्क में थे। प्राचीन दक्षिण भारत में विभिन्न समयों तथा
क्षेत्रों में विभिन्न शासकों तथा राजवंशों ने राज किया। सातवाहन, चेर,
चोल,
पांड्य, चालुक्य, पल्लव, होयसल, राष्ट्रकूट
आदि ऐसे ही कुछ राजवंश हैं। मध्यकालीन युग के आरंभिक मध्य में क्षेत्र मुस्लिम
शासन तथा प्रभाव के अधीन रहा। सबसे पहले तुगलकों ने दक्षिण में अपना प्रभाव
बढ़ाया। अलाउद्दीन खिलजी ने यूँ तो मदुरै तक अपना सैनिक अभियान चलाया था पर उसकी
मृत्यु के बाद उसका साम्राज्य टिक नहीं सका। सन् 1323 में यहाँ तुर्कों द्वारा
मुस्लिम बहमनी सल्तनत
की स्थापना हुई। इसके कुछ सालों बाद हिन्दू विजयनगर साम्राज्य
की स्थापना हुई। इन दोनों में सत्ता के लिए संघर्ष होता रहा। सन् 1565 में विजयनगर
का पतन हो गया। बहमनी सल्तनत के पतन के कारण 5 नए साम्राज्य बने - बीजापुर तथा
गोलकोण्डा सबसे शक्तिशाली थे। औरंगजेब
ने सत्रहवीं सदी के अन्त में दक्कन में अपना प्रभुत्व जमा लिया पर इसी समय शिवाजी
के नेतृत्व में मराठों का उदय हो रहा था। मराठों का शासन अट्ठारहवीं सदी के
उत्तरार्ध तक रहा जिसके बाद मैसूर तथा अन्य स्थानीय शासकों का उदय हुआ। पर इसके 50
वर्षों के भीतर पूरे दक्षिण भारत पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। 1947 में
स्वराज्य आया।
संस्कृति
भाषा और सास्कृतिक रूप से यह शेष भारत
से भिन्न भारत का ही एक अंग है।
क्षेत्र और भूगोल
इस क्षेत्र को तथा इसके कई अंगों को
भूगोल और संस्कृति के आधार पर कई विशेष नाम दिए जाते हैं। इनका विवरण नीचे है -
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