शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

दो प्रेरक कथाएं

 प्रस्तुति - कृष्ण मेहता:

एक पाँच छ: साल का मासूम सा बच्चा अपनी छोटी बहन को लेकर मंदिर के एक तरफ कोने में बैठा हाथ जोडकर भगवान से न जाने क्या मांग रहा था ।


कपड़े में मैल लगा हुआ था मगर निहायत साफ, उसके नन्हे नन्हे से गाल आँसूओं से भीग चुके थे ।


बहुत लोग उसकी तरफ आकर्षित थे और वह बिल्कुल अनजान अपने भगवान से बातों में लगा हुआ था ।


जैसे ही वह उठा एक अजनबी ने बढ़ के उसका नन्हा सा हाथ पकड़ा और पूछा : -

"क्या मांगा भगवान से"

उसने कहा : -

"मेरे पापा मर गए हैं उनके लिए स्वर्ग,

मेरी माँ रोती रहती है उनके लिए सब्र,

मेरी बहन माँ से कपडे सामान मांगती है उसके लिए पैसे".. 


"तुम स्कूल जाते हो"..?

अजनबी का सवाल स्वाभाविक सा सवाल था ।


हां जाता हूं, उसने कहा ।


किस क्लास में पढ़ते हो ? अजनबी ने पूछा


नहीं अंकल पढ़ने नहीं जाता, मां चने बना देती है वह स्कूल के बच्चों को बेचता हूँ ।

बहुत सारे बच्चे मुझसे चने खरीदते हैं, हमारा यही काम धंधा है ।

बच्चे का एक एक शब्द मेरी रूह में उतर रहा था ।


"तुम्हारा कोई रिश्तेदार"

न चाहते हुए भी अजनबी बच्चे से पूछ बैठा ।


पता नहीं, माँ कहती है गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होता,

माँ झूठ नहीं बोलती,

पर अंकल,

मुझे लगता है मेरी माँ कभी कभी झूठ बोलती है,

जब हम खाना खाते हैं हमें देखती रहती है ।

जब कहता हूँ 

माँ तुम भी खाओ, तो कहती है मैने खा लिया था, उस समय लगता है झूठ बोलती है ।


बेटा अगर तुम्हारे घर का खर्च मिल जाय तो पढाई करोगे ?

"बिल्कुलु नहीं"


"क्यों"

पढ़ाई करने वाले, गरीबों से नफरत करते हैं अंकल,

हमें किसी पढ़े हुए ने कभी नहीं पूछा - पास से गुजर जाते हैं ।


अजनबी हैरान भी था और शर्मिंदा भी ।


फिर उसने कहा

"हर दिन इसी इस मंदिर में आता हूँ,

कभी किसी ने नहीं पूछा - यहाँ सब आने वाले मेरे पिताजी को जानते थे - मगर हमें कोई नहीं जानता ।


"बच्चा जोर-जोर से रोने लगा"


 अंकल जब बाप मर जाता है तो सब अजनबी क्यों हो जाते हैं ?


मेरे पास इसका कोई जवाब नही था... 


ऐसे कितने मासूम होंगे जो हसरतों से घायल हैं ।

बस एक कोशिश कीजिये और अपने आसपास ऐसे ज़रूरतमंद यतीमों, बेसहाराओ को ढूंढिये और उनकी मदद किजिए .........................


मंदिर मे सीमेंट या अन्न की बोरी देने से पहले अपने आस - पास किसी गरीब को देख लेना शायद उसको आटे की बोरी की ज्यादा जरुरत हो ।

[1/2, 08:08] Morni कृष्ण मेहता: मर्ज़ी हो परमात्मा का  तो#

  बुरी से बुरी बला भी टल जाती है✍️


जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये।

.

वहां पहुँचते  ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी।

उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी।


उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना, उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुडी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुडी, तो नदी में जल बहुत था।


मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ? 


क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ?

वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ?


हिरनी अपने आप को शून्य में छोड, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोडते हुए, शिकारी की आँखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आँख में जा लगा,शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा।और शिकारी, शेर को घायल ज़ानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।


हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है, जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते। तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।अन्तत: यश, अपयश ,हार ,जीत, जीवन,मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है।हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।


कुछ लोग हमारी सराहना करेंगे,

                           कुछ लोग हमारी आलोचना करेंगे।


                【दोनों ही मामलों में हम फायदे में हैं,】


एक हमें प्रेरित करेगा और

                           दूसरा हमारे भीतर सुधार लाएगा।।


   Life Score Management

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