मंगलवार, 8 सितंबर 2015

12वीं के बाद व्यावसायिक को





आशीष आदर्श  


प्रस्तुति-  रूही सिन्हा 

तेजी से बदलते समय के अनुसार पढ़ाई के तौर-तरीके भी बदल गए हैं। अब सिर्फ पारंपरिक कोर्सों के बदले रोजगारपरक व्यावसायिक कोर्सों के प्रति छात्रों का रुझान बढ़ रहा है। इन कोर्सेज के बारे में बता रहे हैं आशीष आदर्श
समय ने शिक्षा की परिभाषा बदल दी है। आज की आधुनिक शिक्षा अब केवल ज्ञान तक ही सीमित नहीं रही। यदि कहा जाए कि आपको एक ऐसी शिक्षा ग्रहण करनी है, जिसमें ज्ञान ही ज्ञान है, परन्तु इसमें रोजगार या जीविकोपार्जन के अवसर नहीं हैं तो आप शायद कतई ऐसे पाठय़क्रम में प्रवेश लेने की बात नहीं सोचेंगे। मतलब यह कि आज की शिक्षा का सीधा सम्बन्ध रोजगार के अवसरों से है और यही वजह है कि 10+2 की प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर आज के छात्र यह चुन लेते हैं कि उन्हें किस क्षेत्र में अपना करियर बनाना है। भारत में विश्वविद्यालयों व संस्थानों द्वारा प्रारंभ किये गए स्नातक स्तर के विभिन्न व्यावसायिक पाठय़क्रम शायद इसी सोच का परिणाम हैं।
आइए, जानते हैं 10+2 के बाद किए जाने वाले कुछेक बेहद लोकप्रिय तीन वर्षीय व्यावसायिक डिग्री कोर्स, जिनमें रोजगार के अनगिनत अवसर व्याप्त हैं और जिन्हें पूरा कर करियर को नई दिशा दी जा सकती है।
बैचलर इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन्स (बीसीए)
इस तीन वर्षीय बीसीए डिग्री कोर्स की मांग आजकल इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बूम आने के बाद पुन: बढ़ गई है। कम्प्यूटर का क्षेत्र विशाल है और आज विदेशों में भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मांग काफी अधिक है। इस कोर्स को पूरा कर छात्र कम्प्यूटर प्रोग्रामर, कम्प्यूटर ऑपरेटर, डीटीपी ऑपरेटर, कम्प्यूटर इंस्ट्रुक्टर, बीपीओ मैनेजर, सिस्टम इंचार्ज जैसे रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। आगे चल कर एमसीए कोर्स में नामांकन में कई विश्वविद्यालय एक वर्ष की छूट भी देते हैं और उसका नामांकन सीधा एमसीए के द्वितीय वर्ष में लिया जाता है। इसे लेटरल एंट्री कहते हैं। कम्प्यूटर के क्षेत्र में करियर बना कर छात्र रोजगार तो प्राप्त कर ही सकते हैं, साथ ही अपना स्वरोजगार भी प्रारंभ कर सकते हैं। कई विश्वविद्यालयों द्वारा इसी प्रकार के कोर्स को बीएससी इन कम्प्यूटर साइन्स या बीएससी आईटी के नाम से भी चलाया जाता है। हालांकि इन कोर्सों में सिलेबस का कुछ फर्क हो सकता है।
बैचलर इन बिजनेस मैनेजमेंट (बीबीएम)
तीन वर्षीय बीबीएम कोर्स को किसी विश्वविद्यालय में बीबीए यानी बैचलर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन तो कहीं बीबीएस बैचलर इन बिजनेस स्टडीज भी कहा जाता है। आज हर बेहतर जॉब में प्रबंधन की डिग्री को प्राथमिकता दी जाती है। आपने देखा होगा कि आईआईटी जैसे संस्थानों से बीटेक करने के बाद भी बड़ी संख्या में छात्र एमबीए में दाखिला लेते हैं। इसका कारण है कि आज के प्रतियोगी युग में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव से लेकर कंपनी के वाइस-चेयरमैन तक के पद के लिए बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री को काफी तरजीह दी जाती है। बीबीएम के बाद एमबीए का कोर्स इस क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाले छात्रों के लिए आसान होगा।
रिटेल मैनेजमेंट
एक अनुमान के तहत ऐसा माना जा रहा है कि रिटेल उद्योग में आगामी तीन वर्षो में लगभग दो लाख नए जॉब विकल्प पैदा होंगे। बीबीएम कोर्स की भांति तीन वर्षीय बीबीए इन रिटेल मैनेजमेंट कोर्स इस बेहद विकासशील उद्योग को प्रशिक्षित मैनपावर प्रदान करेगा। आज रिलायंस, भारती, टाटा, विशाल, पैन्टालून जैसे सभी बड़े प्रतिष्ठान रिटेल उद्योग में बड़े पैमाने पर प्रवेश कर चुके हैं और निरंतर नियुक्तियां कर रहे हैं। इस उद्योग में विकास को देखते हुए कई विश्वविद्यालयों द्वारा एमबीए इन रिटेल मैनेजमेंट कोर्स भी प्रारंभ किया गया है।
बायोटेक्नोलॉजी
जीव विज्ञान से 10+2 करने वाले छात्रों की पहली प्राथमिकता मेडिकल्स में जाने की होती है, लेकिन बायोटेक्नोलॉजी उनकी दूसरी पसंद होती है। बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक कोर्स के अतिरिक्त तीन वर्षीय बीएससी इन बायोटेक्नोलॉजी कोर्स भी उपलब्ध है, जिसे पूरा कर आप जॉब के लिए फार्मा कम्पनियों का रुख कर सकते हैं।
किन संस्थानों में लें दाखिला?
उपरोक्त पाठय़क्रम तीन वर्षीय डिग्री कोर्स हैं, जिनको पूरा करने के बाद एक ओर आपके पास स्नातक की प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन हो जाती है, वहीं दूसरी ओर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में बैठ सकते हैं। आइए, जानते हैं कुछ संस्थानों के नाम, जहां उपरोक्त कोर्सो में दाखिले के लिए आप आवेदन कर सकते हैं :
बिहार
पटना विमेन्स कॉलेज (पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत), बेली रोड, पटना
आरकेड बिजनेस कॉलेज (मगध विश्वविद्यालय के अंतर्गत), राजेन्द्र नगर, पटना
पटना साइन्स कॉलेज, (पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत), अशोक राजपथ, पटना
अनुग्रह नारायण कॉलेज (मगध विश्वविद्यालय के अंतर्गत), बोरिंग रोड, पटना
मास कम्युनिकेशन
एक समय था, जब पत्रकारिता को हिन्दी व अंग्रेजी विभाग के अंतर्गत पढ़ाया जाता था, परन्तु इसके विकास को देखते हुए भारत के कई विश्वविद्यालयों ने अलग विभाग स्थापित कर इसे डिग्री कोर्स के तौर पर तैयार किया है। आज नये इलेक्ट्रॉनिक चैनलों की बाढ़ ने इस विषय में रोजगार के नये आयाम खोल दिये हैं। छात्र पत्रकारिता के इस कोर्स के बाद प्रिंट-मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं।

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