प्रस्तुति--- शैलेन्द्रकिशोर
शिक्षक दिवस
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विवरण
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भारत में 'शिक्षक दिवस' प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है। विश्व के विभिन्न देश अलग-अलग तारीख़ों में 'शिक्षक दिवस' को मानते हैं।
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तिथि
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5 सितम्बर
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स्मृति दिवस
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सर्वपल्ली राधाकृष्णन
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उद्देश्य
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शिक्षक दिवस अपने गुरुओं के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन
प्रत्येक छात्र को अपने गुरु को मान-सम्मान देने और उनकी आज्ञा मानने का
प्रण लेंना चाहिए।
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विशेष
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भारत में जहाँ 'शिक्षक दिवस' 5 सितंबर को मनाया जाता है, वहीं 'अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस' का आयोजन 5 अक्टूबर को होता है।
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संबंधित लेख
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सर्वपल्ली राधाकृष्णन, राष्ट्रपति
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अन्य जानकारी
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शिक्षक दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है, लेकिन सबने इसके लिए एक अलग
दिन निर्धारित किया है। कुछ देशों में इस दिन अवकाश रहता है तो कहीं-कहीं
यह कामकाजी दिन ही रहता है।
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शिक्षक दिवस गुरु की महत्ता बताने वाला प्रमुख दिवस है। भारत में 'शिक्षक दिवस' प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है। शिक्षक का समाज में आदरणीय व सम्माननीय स्थान होता है। भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
के जन्म दिवस और उनकी स्मृति के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला 'शिक्षक
दिवस' एक पर्व की तरह है, जो शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा
के दिन को 'गुरु दिवस' के रूप में स्वीकार किया गया है। विश्व के विभिन्न
देश अलग-अलग तारीख़ों में 'शिक्षक दिवस' को मानते हैं। बहुत सारे कवियों,
गद्यकारों ने कितने ही पन्ने गुरु की महिमा में रंग डाले हैं।
महत्त्व
गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।
कबीरदास द्वारा लिखी गई उक्त पंक्तियाँ जीवन में गुरु के महत्त्व को वर्णित करने के लिए काफी हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परंपरा चली आ रही है। गुरुओं की महिमा का वृत्तांत ग्रंथों में भी मिलता है। जीवन में माता-पिता
का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता, क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन ख़ूबसूरत
दुनिया में लाते हैं। उनका ऋण हम किसी भी रूप में उतार नहीं सकते, लेकिन
जिस समाज में रहना है, उसके योग्य हमें केवल शिक्षक ही बनाते हैं। यद्यपि
परिवार को बच्चे के प्रारंभिक विद्यालय का दर्जा दिया जाता है, लेकिन जीने
का असली सलीका उसे शिक्षक ही सिखाता है। समाज के शिल्पकार कहे जाने वाले
शिक्षकों का महत्त्व यहीं समाप्त नहीं होता, क्योंकि वह ना सिर्फ़
विद्यार्थी को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि उसके सफल
जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है।
शिक्षक का मान-सम्मान
गुरु, शिक्षक, आचार्य, अध्यापक या टीचर ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को
व्याख्यातित करते हैं, जो सभी को ज्ञान देता है, सिखाता है। इन्हीं
शिक्षकों को मान-सम्मान,
आदर तथा धन्यवाद देने के लिए एक दिन निर्धारित है, जो की 5 सितंबर
को 'शिक्षक दिवस' के रूप में जाना जाता है। सिर्फ़ धन को देकर ही शिक्षा
हासिल नहीं होती, बल्कि अपने गुरु के प्रति आदर, सम्मान और विश्वास,
ज्ञानार्जन में बहुत सहायक होता है।[1]
'शिक्षक दिवस' कहने-सुनने में तो बहुत अच्छा प्रतीत होता है, लेकिन क्या
हम इसके महत्त्व को समझते हैं। शिक्षक दिवस का मतलब साल में एक दिन अपने
शिक्षक को भेंट में दिया गया एक गुलाब का फूल
या कोई भी उपहार नहीं है और यह शिक्षक दिवस मनाने का सही तरीका भी नहीं
है। यदि शिक्षक दिवस का सही महत्त्व समझना है तो सर्वप्रथम हमेशा इस बात को
ध्यान में रखें कि आप एक छात्र हैं और उम्र में अपने शिक्षक से काफ़ी
छोटे है। और फिर हमारे संस्कार
भी तो यही सिखाते है कि हमें अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए। अपने गुरु
का आदर-सत्कार करना चाहिए। हमें अपने गुरु की बात को ध्यान से सुनना और
समझना चाहिए। अगर अपने क्रोध, ईर्ष्या को त्याग कर अपने अंदर संयम के बीज
बोएं तो निश्चित ही हमारा व्यवहार हमें बहुत ऊँचाइयों तक ले जाएगा और तभी
हमारा 'शिक्षक दिवस' मनाने का महत्त्व भी सार्थक होगा।[2]
प्रेरणा स्रोत
संत कबीर के शब्दों से भारतीय संस्कृति में गुरु के उच्च स्थान की झलक मिलती है। भारतीय बच्चे प्राचीन काल से ही आचार्य देवो भवः
का बोध-वाक्य सुनकर ही बड़े होते हैं। माता-पिता के नाम के कुल की
व्यवस्था तो सारे विश्व के मातृ या पितृ सत्तात्मक समाजों में चलती है,
परन्तु गुरुकुल का विधान भारतीय संस्कृति की अनूठी विशेषता है। कच्चे घड़े
की भांति स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को जिस रूप में ढालो, वे ढल
जाते हैं। वे स्कूल में जो सीखते हैं या जैसा उन्हें सिखाया जाता है, वे
वैसा ही व्यवहार करते हैं। उनकी मानसिकता भी कुछ वैसी ही बन जाती है, जैसा
वह अपने आस-पास होता देखते हैं। सफल जीवन के लिए शिक्षा बहुत उपयोगी है, जो
गुरु द्वारा प्रदान की जाती है। गुरु का संबंध केवल शिक्षा से ही नहीं
होता, बल्कि वह तो हर मोड़ पर अपने छात्र का हाथ थामने के लिए तैयार रहता
है। उसे सही सुझाव देता है और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
माली रूपी शिक्षक
शिक्षक उस माली के समान है, जो एक बगीचे को भिन्न-भिन्न रूप-रंग
के फूलों से सजाता है। जो छात्रों को कांटों पर भी मुस्कुराकर चलने को
प्रोत्साहित करता है। उन्हें जीने की वजह समझाता है। शिक्षक के लिए सभी
छात्र समान होते हैं और वह सभी का कल्याण चाहता है। शिक्षक ही वह धुरी होता
है, जो विद्यार्थी को सही-गलत व अच्छे-बुरे की पहचान करवाते हुए बच्चों की
अंतर्निहित शक्तियों को विकसित करने की पृष्ठभूमि तैयार करता है। वह
प्रेरणा की फुहारों से बालक रूपी मन को सींचकर उनकी नींव को मजबूत करता है
तथा उसके सर्वांगीण विकास के लिए उनका मार्ग प्रशस्त करता है। किताबी ज्ञान
के साथ नैतिक मूल्यों व संस्कार रूपी शिक्षा के माध्यम से एक गुरु ही शिष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करता है। एक ऐसी परंपरा हमारी संस्कृति में थी, इसलिए कहा गया है कि-
"गुरु ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मैः श्री गुरुवेः नमः।"
कई ऋषि-मुनियों ने अपने गुरुओं से तपस्या की शिक्षा को पाकर जीवन को सार्थक बनाया। एकलव्य ने द्रोणाचार्य को अपना मानस गुरु मानकर उनकी प्रतिमा को अपने सक्षम रख धनुर्विद्या सीखी। यह उदाहरण प्रत्येक शिष्य के लिए प्रेरणादायक है।
गुरु-शिष्य परंपरा
गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति
का एक अहम और पवित्र हिस्सा है, जिसके कई स्वर्णिम उदाहरण इतिहास में दर्ज
हैं। लेकिन वर्तमान समय में कई ऐसे लोग भी हैं, जो अपने अनैतिक कारनामों
और लालची स्वभाव के कारण इस परंपरा पर गहरा आघात कर रहे हैं। 'शिक्षा' जिसे
अब एक व्यापार समझकर बेचा जाने लगा है, किसी भी बच्चे का एक मौलिक अधिकार
है, लेकिन अपने लालच को शांत करने के लिए आज तमाम शिक्षक अपने ज्ञान की
बोली लगाने लगे हैं। इतना ही नहीं वर्तमान हालात तो इससे भी बदतर हो गए
हैं, क्योंकि शिक्षा की आड़ में कई शिक्षक अपने छात्रों का शारीरिक और
मानसिक शोषण करने को अपना अधिकार ही मान बैठे हैं। किंतु कुछ ऐसे गुरु भी
हैं, जिन्होंने हमेशा समाज के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है।
प्राय: सख्त और अक्खड़ स्वभाव वाले यह शिक्षक अंदर से बेहद कोमल और उदार
होते हैं। हो सकता है कि किसी छात्र के जीवन में कभी ना कभी एक ऐसे गुरु या
शिक्षक का आगमन हुआ हो, जिसने उसके जीवन की दिशा बदल दी या फिर जीवन जीने
का सही ढंग सिखाया हो।[3]
रोचक जानकारी
- भारत में जहाँ 'शिक्षक दिवस' 5 सितंबर को मनाया जाता है, वहीं 'अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस' का आयोजन 5 अक्टूबर को होता है।
- रोचक तथ्य यह भी है कि शिक्षक दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है,
लेकिन सबने इसके लिए एक अलग दिन निर्धारित किया है। कुछ देशों में इस दिन
अवकाश रहता है तो कहीं-कहीं यह कामकाजी दिन ही रहता है।
- यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को 'अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस' घोषित किया था। साल 1994
से ही इसे मनाया जा रहा है। शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और
भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के महत्व
के प्रति जागरूकता लाने के मकसद से इसकी शुरुआत की गई थी।
- चीन में 1931 में 'नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी' में शिक्षक दिवस की शुरूआत की गई थी। चीन सरकार ने 1932 में इसे स्वीकृति दी। बाद में 1939 में कन्फ़्यूशियस के जन्मदिवस, 27 अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया, लेकिन 1951 में इस घोषणा को वापस ले लिया गया।
- साल 1985 में 10 सितम्बर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया। अब चीन के ज्यादातर लोग फिर से चाहते हैं कि कन्फ्यूशियस का जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस हो।
- रूस में 1965 से 1994 तक अक्टूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा। साल 1994 से विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को ही मनाया जाने लगा।
- अमेरिका में मई के पहले पूर्ण सप्ताह के मंगलवार को शिक्षक दिवस घोषित किया गया है और वहाँ सप्ताह भर इसके आयोजन होते हैं।
- थाइलैंड में हर साल 16 जनवरी को 'राष्ट्रीय शिक्षक दिवस' मनाया जाता है। यहाँ 21 नवंबर, 1956 को एक प्रस्ताव लाकर शिक्षक दिवस को स्वीकृति दी गई थी। पहला शिक्षक दिवस 1957 में मनाया गया था। इस दिन यहाँ स्कूलों में अवकाश रहता है।
- ईरान में वहाँ के प्रोफेसर अयातुल्लाह मोर्तेजा मोतेहारी की हत्या के बाद उनकी याद में 2 मई को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। मोतेहारी की 2 मई, 1980 को हत्या कर दी गई थी।
- तुर्की में 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वहाँ के पहले राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने यह घोषणा की थी।
- मलेशिया में शिक्षक दिवस 16 मई को मनाया जाता है, वहाँ इस खास दिन को 'हरि गुरु' कहते हैं।[4]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑
शिक्षक दिवस (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) हिन्दी की प्रसिद्ध रचनायें। अभिगमन तिथि: 28 अगस्त, 2010।
- ↑
शिक्षक दिवस का महत्त्व (हिन्दी) (एच.टी.एम) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 28 अगस्त, 2010।
- ↑
गुरु के प्रति व्यक्त करें अपनी भावनाएँ (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 अगस्त, 2013।
- ↑
शिक्षक दिवस, रोचक जानकारियाँ (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 अगस्त, 2013।
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