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भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आह्वानों, उत्तेजनाओं एवं प्रयत्नों से प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था | इस आन्दोलन की शुरुआत १८५७ मे हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की बलि दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने १९३० कांग्रेस अधिवेशन मे अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी।
[संपादित करें] बंधन और मुक्ति
- १४९८ : वास्को डा गामा भारत आया
- १६०० : ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना
- १७४८ : भारत में आंग्ल-फ्रांसीसी युद्ध
- १७५७ : प्लासी का युद्ध
- १७९९ : अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान को हराया
- १८०५ : आंग्ल-मराठा युद्ध
- १८४६ : आंग्ल-सिख युद्ध ; सिखों की पराजय
- १८५७ : भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम
- १८८५ : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना
- १९०५ : अंग्रेजों द्वारा बंगाल का विभाजन
- १९१५ : एनी बेसेंट ने होम रूल लीग की स्थापना की
- १९१९ : खिलाफत आन्दोलन , जलियांवाला हत्याकंड, रौलट एक्ट
- १९२१ : महात्मा गांधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन
- १९२२ : चौरी चौरा काण्ड ; गांधीजी ने अवज्ञा आन्दोलन वापस लिया
- १९२८ : साइमन आयोग का विरोध करते हुए लाला लाजपत राय लाठीचार्ज में गम्भीर रूप से घायल
- १९३० : गांधीजी की दाण्डी यात्रा और नमक सत्याग्रह , प्रथम गोलमेज सम्मेलन
- १९३१ : द्वितीय गोलमेज सम्मेलन और गांधी-इरविन समझौता
- १९४२ : भारत छोड़ो आंदोलन
- १९४६ : नौसेना विद्रोह (मुंबई)
- १९४७ : भारत का विभाजन, अंग्रेजों ने भारत छोड़ा, आधी रात को अंग्रेजों से मुक्ति
- १९६१ : गोवा पुर्तगाल से मुक्त
[संपादित करें] यह भी देखें
- भारतीय स्वतंत्रता का क्रांतिकारी आन्दोलन
- १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
- आजाद हिंद फौज
- स्वतंत्रता सेनानी
- क्रांतिकारी नारियां
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[संपादित करें] वाह्य सूत्र
- ऐसे आयी आजादी
- लोक चेतना में स्वाधीनता की लय - आकांक्षा यादव
- स्वाधीनता आन्दोलन और नारी चेतना शक्ति
- आजादी के आन्दोलन में भी अग्रणी रही नारी (विश्व महिला दिवस पर)
- Women in the Indian national movement (Google book By Suruchi Thapar-Björkert)
- स्वाधीनता सेनानी लेख-पत्रकार (गूगल पुस्तक ; लेखिका - आशारानी वोरा)
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